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14:40, 27 सितम्बर 2015 का अवतरण
आज का दिन - 1 मई 2024 (भारतीय समयानुसार)
- राष्ट्रीय शाके 1946, 11 गते 19, वैशाख, बुधवार
- विक्रम सम्वत् 2081, वैशाख, कृष्ण पक्ष, सप्तमी/अष्टमी, बुधवार, श्रवण
- इस्लामी हिजरी 1445, 21, शव्वाल, बुध, सा-देज़ाबेह
- शीतला अष्टमी व्रत, कालाष्टमी, बलराज साहनी (जन्म), मन्ना डे (जन्म), एस. एम. कृष्णा (जन्म), निरंजन नाथ वांचू (जन्म), नामवर सिंह (जन्म), मधु लिमये (जन्म), आनंद महिंद्रा (जन्म), महामाया प्रसाद सिन्हा (जन्म), बाबा इकबाल सिंह (जन्म), हंबीरराव मोहिते (जन्म), निर्मला देशपांडे (मृत्यु), रामप्रकाश गुप्ता (मृत्यु), प्रफुल्लचंद चाकी (मृत्यु), बिक्रमजीत कंवरपाल (मृत्यु), देबू चौधरी (मृत्यु), अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस, गुजरात स्थापना दिवस, महाराष्ट्र स्थापना दिवस
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भारतकोश हलचल
परशुराम जयन्ती (10 मई) • अक्षय तृतीया (10 मई) • बदरीनाथ-केदारनाथ दर्शन प्रारम्भ (10 मई) • रोहिणी व्रत (10 मई) • शिवाजी जयन्ती (09 मई) • वैशाख अमावस्या (08 मई) • विश्व रेडक्रॉस दिवस (08 मई) • विश्व थैलेसिमिया दिवस (08 मई) • विश्व अस्थमा दिवस (07 मई) • सीमा सड़क संगठन स्थापना दिवस (07 मई) • विश्व एथलेटिक्स दिवस (07 मई) • मासिक शिवरात्रि (06 मई) • प्रदोष व्रत (05 मई) • विश्व हास्य दिवस (05 मई) • वरूथिनी एकादशी (04 मई) • बल्लभाचार्य जयन्ती (04 मई) • अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस (03 मई) • अन्तरराष्ट्रीय सूर्य दिवस (03 मई) • शीतला अष्टमी व्रत (01 मई) • कालाष्टमी (01 मई) • अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस (01 मई) • गुजरात स्थापना दिवस (01 मई) • महाराष्ट्र स्थापना दिवस (01 मई) • अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस (29 अप्रॅल) • विश्व बौद्धिक सम्पदा दिवस (26 अप्रॅल) • चेरनोबिल दिवस (26 अप्रॅल) • विश्व पशु चिकित्सा दिवस (26 अप्रॅल) • विश्व मलेरिया दिवस (25 अप्रॅल) • राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (24 अप्रॅल) • पौर्णमासी व्रत (23 अप्रॅल) • हनुमान जयन्ती (23 अप्रॅल) • विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस (23 अप्रॅल) • पृथ्वी दिवस (22 अप्रॅल) • प्रदोष व्रत (21 अप्रॅल) • महावीर जयन्ती (21 अप्रॅल)
जन्म
विष्णुकांत शास्त्री (02 मई) • सत्यजित राय (02 मई) • विल्सन जोन्स (02 मई) • दया प्रकाश सिन्हा (02 मई) • ब्रज बासी लाल (02 मई) • यशवंत सिंह परमार (02 मई) • अरविन्द दवे (01 मई) • एस. एम. कृष्णा (01 मई) • श्याम लाल यादव (01 मई) • नामवर सिंह (01 मई) • मन्ना डे (01 मई) • बलराज साहनी (01 मई) • बाबा इकबाल सिंह (01 मई) • आनंद महिंद्रा (01 मई) • निरंजन नाथ वांचू (01 मई) • जगदीश व्योम (01 मई)
मृत्यु
बनारसीदास चतुर्वेदी (02 मई) • पद्मजा नायडू (02 मई) • लिओनार्दो दा विंची (02 मई) • प्रफुल्लचंद चाकी (01 मई) • राम प्रकाश गुप्ता (01 मई) • निर्मला देशपांडे (01 मई) • बिक्रमजीत कंवरपाल (01 मई) • देबू चौधरी (01 मई)
भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें
पिछले सभी लेख → | सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी | शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र | शर्मदार की मौत |
एक आलेख
संसद भवन नई दिल्ली में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। ... और पढ़ें
पिछले आलेख → | राष्ट्रपति | रसखान की भाषा | मौर्य काल |
एक व्यक्तित्व
महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो कार्ल मार्क्स, लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी इतिहास, पुरातत्त्व, स्थापत्य, भाषाशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। ... और पढ़ें
पिछले लेख → | पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर | जे. आर. डी. टाटा | आर. के. लक्ष्मण |
गया फल्गु नदी के तट पर बसा बिहार का एक प्रमुख नगर है। वाराणसी की तरह गया की प्रसिद्धि मुख्य रूप से एक धार्मिक नगरी के रूप में है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ हज़ारों श्रद्धालु पिंडदान के लिये जुटते हैं। कहा जाता है कि यहाँ फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। गया सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा पूरे भारत से अच्छी तरह जुड़ा है। गया से 17 किलोमीटर की दूरी पर बोधगया स्थित है जहाँ 'बोधिवृक्ष' के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। ... और पढ़ें |
नर्मदा नदी भारत के मध्यभाग में पूरब से पश्चिम की ओर बहने वाली एक प्रमुख नदी है, जो गंगा के समान पूजनीय है। नर्मदा का उद्गम विंध्याचल की मैकाल पहाड़ी शृंखला में अमरकंटक नामक स्थान में है। मैकाल से निकलने के कारण नर्मदा को 'मैकाल कन्या' भी कहते हैं। स्कंद पुराण में इस नदी का वर्णन 'रेवा खंड' के अंतर्गत किया गया है। कालिदास के ‘मेघदूतम्’ में नर्मदा को 'रेवा' का संबोधन मिला है, जिसका अर्थ है- पहाड़ी चट्टानों से कूदने वाली। अमरकंटक में सुंदर सरोवर में स्थित शिवलिंग से निकलने वाली इस पावन धारा को 'रुद्र कन्या' भी कहते हैं, जो आगे चलकर नर्मदा नदी का विशाल रूप धारण कर लेती हैं। पवित्र नदी नर्मदा के तट पर अनेक तीर्थ हैं, जहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इनमें कपिलधारा, शुक्लतीर्थ, मांधाता, भेड़ाघाट, शूलपाणि, भड़ौंच उल्लेखनीय हैं। अमरकंटक की पहाड़ियों से निकल कर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर नर्मदा क़रीब 1310 किमी का प्रवाह पथ तय कर भरौंच के आगे खंभात की खाड़ी में विलीन हो जाती है। ... और पढ़ें |
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
महत्त्वपूर्ण आकर्षण
समाचार
कुछ लेख
सरदार पटेल • कृष्ण संदर्भ • मध्य प्रदेश • चाय • जयपुर • चंद्रशेखर आज़ाद • अर्जुन • हरिवंश राय बच्चन • ताजमहल • सूरदास |
भारतकोश ज्ञान का हिन्दी-महासागर
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ब्रज डिस्कवरी
ब्रज डिस्कवरी पर हम आपको एक ऐसी यात्रा का भागीदार बनाना चाहते हैं जिसका रिश्ता ब्रज के इतिहास, संस्कृति, समाज, पुरातत्व, कला, धर्म-संप्रदाय, पर्यटन स्थल, प्रतिभाओं आदि से है।
चयनित चित्र
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