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'''वाराही मंदिर''' [[उत्तराखण्ड]] राज्य के [[लोहाघाट]] नगर से साठ किलोमीटर दूर स्थित है
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'''वाराही मंदिर''' [[उत्तराखण्ड]] राज्य के [[लोहाघाट]] नगर से 60 किलोमीटर दूर स्थित है। शक्तिपीठ माँ वाराही का मंदिर जिसे देवीधुरा के नाम से भी जाना जाता हैं। समुद्र तल से लगभग 1850 मीटर (लगभग पाँच हजार फीट) की उँचाई पर स्थित है।
शक्तिपीठ माँ वाराही का मंदिर जिसे देवीधुरा के नाम से जाना जाता हैं। समुद्रतल से लगभग 1850 मीटर (लगभग पाँच हजार फीट) की उँचाई पर स्थित है।
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* धार्मिक आस्था के साथ ही नैसर्गिक सौंदर्य के लिये भी यह स्थल महत्त्वपूर्ण है।  इस स्थल पर जाने हेतु [[लोहाघाट]] से लगगभग 60 कि.मी. के मोटर मार्ग से पहुँचा जा सकता है।
धार्मिक आस्था के साथ ही नैसर्गिक सौंदर्य के लिये भी यह स्थल महत्वपूर्ण है इस स्थल पर जाने हेतु [[लोहाघाट]] से लगगभग 60 कि.मी. के मोटर मार्ग से पहुँचा जा सकता है। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के पूर्व सम्पूर्ण [[पृथ्वी]] जलमग्न थी तब प्रजापति ने [[वाराह अवतार|वाराह]] बनकर उसका [[दाँत|दाँतो]] से उद्धार किया उस स्थिति में अब दृष्यमान भूमाता दंताग्र भाग में समाविष्ट अंगुष्ट प्रादेश मात्र परिमित थी। ‘‘ओ पृथ्वी! तुम क्यों छिप रही हो?’’ ऐसा कहकर इसके पतिरूप मही वाराह ने उसे जल मे मघ्य से अपने दन्ताग्र भाग में उपर उठा लिया। यही सृष्टि माँ वाराही हैं। देवीधुरा में सिद्धपीठ माँ वाराही के मंदिर परिसर के आस पास भी पर्यटकीय दृष्टि से महत्वपूर्ण अन्य स्थलों में खोलीगाँड, दुर्वाचौड, गुफ़ा के अंदर बाराही शक्ति पीठ का दर्शन, परिसर में ही स्थित संस्कृत महाविद्यालय परिसर, शंखचक्र घंटाधर गुफ़ा, भीमशिला और गवौरी प्रवेश द्वार आदि प्रमुख हैं।
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* ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के पूर्व सम्पूर्ण [[पृथ्वी]] जलमग्न थी तब प्रजापति ने [[वाराह अवतार|वाराह]] बनकर उसका [[दाँत|दाँतो]] से उद्धार किया उस स्थिति में अब दृष्यमान भूमाता दंताग्र भाग में समाविष्ट अंगुष्ट प्रादेश मात्र परिमित थी। ‘‘ओ पृथ्वी! तुम क्यों छिप रही हो?’’ ऐसा कहकर इसके पतिरूप मही वाराह ने उसे जल में मध्य से अपने दन्ताग्र भाग में उपर उठा लिया। यही सृष्टि माँ वाराही हैं। [[चित्र:Baaraahi1.JPG|शक्तिपीठ माँ वाराही|thumb|left]]
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* देवीधुरा में सिद्धपीठ माँ वाराही के मंदिर परिसर के आस पास भी पर्यटकीय दृष्टि से महत्त्वपूर्ण अन्य स्थलों में खोलीगाँड, दुर्वाचौड, गुफ़ा के अंदर बाराही शक्ति पीठ का दर्शन, परिसर में ही स्थित संस्कृत महाविद्यालय परिसर, शंखचक्र घंटाधर गुफ़ा, भीमशिला और गवौरी प्रवेश द्वार आदि प्रमुख हैं।
  
 
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08:01, 1 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

वाराही मंदिर, चम्पावत

वाराही मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के लोहाघाट नगर से 60 किलोमीटर दूर स्थित है। शक्तिपीठ माँ वाराही का मंदिर जिसे देवीधुरा के नाम से भी जाना जाता हैं। समुद्र तल से लगभग 1850 मीटर (लगभग पाँच हजार फीट) की उँचाई पर स्थित है।

  • धार्मिक आस्था के साथ ही नैसर्गिक सौंदर्य के लिये भी यह स्थल महत्त्वपूर्ण है। इस स्थल पर जाने हेतु लोहाघाट से लगगभग 60 कि.मी. के मोटर मार्ग से पहुँचा जा सकता है।
  • ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के पूर्व सम्पूर्ण पृथ्वी जलमग्न थी तब प्रजापति ने वाराह बनकर उसका दाँतो से उद्धार किया उस स्थिति में अब दृष्यमान भूमाता दंताग्र भाग में समाविष्ट अंगुष्ट प्रादेश मात्र परिमित थी। ‘‘ओ पृथ्वी! तुम क्यों छिप रही हो?’’ ऐसा कहकर इसके पतिरूप मही वाराह ने उसे जल में मध्य से अपने दन्ताग्र भाग में उपर उठा लिया। यही सृष्टि माँ वाराही हैं।
    शक्तिपीठ माँ वाराही
  • देवीधुरा में सिद्धपीठ माँ वाराही के मंदिर परिसर के आस पास भी पर्यटकीय दृष्टि से महत्त्वपूर्ण अन्य स्थलों में खोलीगाँड, दुर्वाचौड, गुफ़ा के अंदर बाराही शक्ति पीठ का दर्शन, परिसर में ही स्थित संस्कृत महाविद्यालय परिसर, शंखचक्र घंटाधर गुफ़ा, भीमशिला और गवौरी प्रवेश द्वार आदि प्रमुख हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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