अंग (संदर्भ)

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अंग - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत अंङ्ग)[1]

1. शरीर, बदन, देह, गात्र, तन, जिस्म।
उदाहरण- "अभिशाप ताप की ज्वाला से जल रहा आज मन और अंग।"[2]

2. शरीर का भाग, अवयव।
उदाहरण- "भूषन सिथिल अंग भूषन सिथिल अंग।"[3]

मुहावरा

  • अंग उभरना = युवावस्था आना।
  • अंग करना = स्वीकार करना, ग्रहण करना।

उदाहरण-
(क) जाकौ मनमोहन अंग करै।[4]
(ख) जाको हरि दृढ़ करि अंग कन्यो।[5]

  • अंग छूना = शपथ खाना, माथा छूना, कसम खाना।

उदाहरण-
'सूर हृदय ते टरत न गोकुल अंग छुवत हों तेरो।'[6]

  • अंग टूटना = जम्हाई के साथ आलस्य से अंगों का फैलाया जाना। अंगड़ाई आना।
  • अंग तोड़ना = अंगड़ाई लेना।
  • अंग धरना = पहनना। धारण करना। व्यवहार करना।
  • अंग में मास न जमना = दुबला पतला रहना। क्षीण रहना।

उदाहरण-
नैन न आवै नींदड़ी, अंग न जामै मासु।[7]

  • अंग मोड़ना = 1. शरीर के भागों को सिकोड़ना। लज्जा से देह छिपाना। 2. अंगड़ाई लेना।

उदाहरण-
अंगन मोरति भोर उठी छिति पूरति अंग सुगंध झकोरन।[8]

3. पीछे पटना, भागना, नटना, बचना।
उदाहरण-
रे पतंग निःशंक जल, जलत न मोड़े अंग। पहिले तो दीपक जलै पीछे जलै पतंग[9]

  • अंग लगाना = 1. आलिंगन करना। छाती से लगाना। 2. शरीर पुष्ट होना।

उदाहरण-
'वह खाता तो बहुत है, पर उसके अंग नहीं लगता' (शब्द)।

3. काम में आना।
उदाहरण-
'किसी के अंग लग गया, पड़ा पड़ा क्या होता' (शब्द.)।

4. हिलना, परचना।
उदाहरण-
'यह बच्चा हमारे अंग लगा है'[10]

  • अंग लगाना या अंग लाना =

1. आलिंगन करना, छाती से लगाना, परिरंभण करना, लिपटाना।
उदाहरण-
'पर नारी पैनी छुरी कोउ नहि लाओ अंग।[11]

2. हिलाना, परचाना।

3. विवाह, देना, विवाह में देना।
उदाहरण-
'इस कन्या को किसी के अंग लगा दे'[12]

4. अपने शरीर के आराम में खर्च करना।

5. ओर, तरफ, पक्ष।
उदाहरण-
'सात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरिय तुला इक अंग।'[13]

6. भेद। प्रकार। भाँति। तरह।
उदाहरण-
(क) 'को कृपालु स्वामी सारिखो,, राखै सरनागत सब अंग बल बिहीन को।'[14]
(ख) 'अंग अंग नीके भाव गूड़ भाव के प्रभाव, जाने को सुभाव रूप पचि पहिचानी है।'[15]

7 आधार, आलंबन।
उदाहरण-
'राधा राधारमन को रस सिंगार में अंग।'[16]

8. सहायक, सुहृद, पक्ष का, तरफदार। उदाहरण-
'रौरे अंग जोग जग को है।'[17]

9. एक संबोधंन, प्रिय, प्रियवर। उदाहरण-
'यह निश्चय ज्ञानी को जाते कर्ता दीखै करै न अंग।'[18]

10. जलमग्न,ज्योतिष।

11. प्रत्यययुक्त शब्द का प्रत्ययरहित भाग, प्रकृति।[19]

12. छह की संख्या। उदाहरण-
'बरसि अचल गुण अंग ससी संवति, तवियौ जस करि श्रीभरतर।'[20]

13.वेद के 6 अंग; यथा- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष, छंद

14. नाटक में श्रृंगार और वीर रस को छोड़कर शेष रस जो अप्रधान रहते हैं।

15. नाटक में नायक या अंगी का कार्यसाधक पात्र; जैसे- 'वीरचरित' में सुग्रीव, अंगद, विभीषणआदि

16. नाटक की 5 संधियों के अंतर्गत एक उपविभाग।

17. मन। उदाहरण-
'सुनत राव इह कथ्थ फुनि, उपजिय अचरज अंग। सिथिल अंग धीरज रहित, भयो दुमति मति पंग।'[21]

18. साधन जिसके द्वारा कोई कार्य संपादित किया जाये।

19. सेना के चार अंग या विभाग; यथा- हाथी, घोड़े, रथ, पैदल ('चतुरंगिणी')।

20.राजनीति के सात अंग यथा- स्वामी, अमात्य, सुहृद्, कोष, राष्ट्र, सेना।

21. योग के आठ अंग यथा- यम, नियम, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि।

22. बंगाल में भागलपुर के आसपास का प्राचीन जनपद, जिसकी राजधानी चंपापुरी थी। कहीं-कहीं इसका विस्तार वैद्यनाथ से लेकर भुवनेश्वर (उड़ीसा प्रदेश) तक लिखा है।

23. ध्रुव के एक भक्त का नाम।

24. उपाय ।

25. लक्षण।[22]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 04 |
  2. कामायनी, पृ. 162
  3. भूषण ग्रंथावली, पृ. 129
  4. सूरदास
  5. तुलसी साहब की शब्दावली
  6. सूरदास
  7. कबीर सागर संग्रह, भाग 1, पृ. 43
  8. व्यंगार्थ कौमुदी
  9. (शब्द.)
  10. (शब्द.)
  11. (शब्द.)
  12. (शब्द.)।
  13. तुलसी शब्दावली
  14. तुलसी ग्रंथावली, पृ. 564
  15. केशवदास शब्दावली
  16. भिखारीदास ग्रंथावली, भाग 1, पृ. 4
  17. रामचरितमानस, 2।284
  18. निश्चल (शब्द.)
  19. व्याकरण
  20. वेलि, दू. 305
  21. पृथ्वीराजरासो, पृ. 3।18
  22. अन्य कोश

बाहरी कड़ियाँ

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