तिजारा जैन मंदिर, अलवर

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तिजारा जैन मंदिर, अलवर

तिजारा जैन मंदिर (अंग्रेज़ी: Tijara Jain Temple) दिल्ली से 110 किलोमीटर और दिल्ली-अलवर राजमार्ग पर अलवर से 55 किलोमीटर दूर स्थित जैनों का लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। वर्ष 1956 में स्थापित यह प्राचीन जैन मंदिर आठ जैन तीर्थंकरों, यानी जैन धर्म गुरु को समर्पित है। जो जैन समुदाय के लिए महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है। यह जैनों के साथ- साथ प्राचीन इतिहास प्रेमियों के लिए भी लोकप्रिय बना हुआ है।

इतिहास

मंदिर का इतिहास 1956 का है, जब एक खुदाई के दौरान मंदिर के मुख्य देवता चन्द्रप्रभु की पद्मासन मुद्रा में सफेद संगमरमर से बनी 15 इंच लंबी मूर्ति की खोज की गई थी। कुछ पुराने शास्त्रों के अनुसार, यह विक्रम संवत 1554 के वैशाख शुक्ल पक्ष के तृतीया का दिन था और उसके बाद वर्ष 1972 में चंद्र प्रभु की एक और कमल की स्थिति में 8 इंच लंबी मूर्ति की खोज की गई थी। इन निष्कर्षों ने इस विश्वास को मजबूत किया कि यह स्थान कभी देहरा या जैनियों का पूजा स्थान था।[1]

वास्तुकला

जैन मंदिर जटिल मूर्तियों, विस्तृत नक्काशी और प्राचीन चित्रों के साथ एक उत्कृष्ट कला से निर्मित है।,जो इसे राजस्थान के सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक बनाता है। जैन मंदिर में तीन ऊंची सतह हैं जहा पर भगवान् श्री चंद्र प्रभु की 15 इंच ऊँची सफेद रंग की संगमरमर के पत्थर से बनी मूर्ति स्थापित की गई है। तिजारा के जैन मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ और भगवान महावीर की दो अन्य मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। तिजारा में जैन मंदिर आकार में आयताकार है जो अद्भुत स्तंभों और मेहराबों से सुसज्जित है। मंदिर के अंदरूनी हिस्से को चित्रों, कांच के काम और नक्काशी के साथ सौंदर्य से सजाया गया है। मंदिर में विस्तृत रूप से सजाए गए मंदिर के हॉल में एक साथ 200 लोग बैठ सकते हैं। विशाल मंदिर और ऊंचा उठता टॉवर तीर्थ यात्रियों के लिए आकर्षण केंद्र बना हुआ है।

मान्यतायें

यहाँ के स्थानीय लोगों की मान्यतओं के अनुसार तिजारा जैन मंदिर में सच्चे और अच्छे इरादों के साथ की गई सभी प्रार्थनाओं को स्वीकृत किया जाता है।

दर्शन समय व शुल्क

तिजारा जैन मंदिर प्रतिदिन सुबह 6.00 से रात 10.00 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। मंदिर में तीर्थ यात्रियों के प्रवेश के लिए किसी प्रकार चार्ज नही लिया जाता है, पर्यटक यहाँ बिना किसी शुल्क का भुगतान किये मंदिर में घूम सकते हैं। मंदिर घूमने साल में कभी भी जाया जा सकता है। लेकिन फिर भी नवंबर-मार्च से तिजारा जैन मंदिर व यहाँ के अन्य भागों की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि गर्मियां यहाँ बेहद गर्म होती हैं। इसीलिए सर्दियों का समय यहाँ घूमने के लिए सबसे अनुकूल समय होता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अलवर के आकर्षक स्थलों की जानकारी (हिंदी) hindi.holidayrider.com। अभिगमन तिथि: 05 नवंबर, 2020।

बाहरी कड़ियाँ

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