वर्षिणी

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वर्षिणी राजा लोमपाद की पत्नी थी, जिसने श्रीराम की बड़ी बहन शांता का पालन-पोषण किया था। वह महारानी कौशल्या की बहन अर्थात राम की मौसी थीं। इस संबंध में तीन कथाएं हैं-

  • वर्षिणी नि:संतान थी तथा एक बार अयोध्या में उन्होंने हंसी-हंसी में ही बच्चे की मांग की। दशरथ भी मान गए। रघु वंश का दिया गया वचन निभाने के लिए शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गईं। शांता वेद, कला तथा शिल्प में पारंगत थीं और वे अत्यधिक सुंदर भी थीं।
  • दूसरी लोककथा के अनुसार शांता जब पैदा हुई, तब अयोध्‍या में अकाल पड़ा और 12 वर्षों तक धरती धूल-धूल हो गई। चिंतित राजा को सलाह दी गई कि उनकी पुत्री शां‍ता ही अकाल का कारण है। राजा दशरथ ने अकाल दूर करने के लिए अपनी पुत्री शांता को वर्षिणी को दान कर दिया। उसके बाद शां‍ता कभी अयोध्‍या नहीं आई। कहते हैं कि दशरथ उसे अयोध्या बुलाने से डरते थे, इसलिए कि कहीं फिर से अकाल नहीं पड़ जाए।
  • कुछ लोग मानते थे कि राजा दशरथ ने शांता को सिर्फ इसलिए गोद दे दिया था, क्‍योंकि वह लड़की होने की वजह से उनकी उत्‍तराधिकारी नहीं बन सकती थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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