"शिवाजी और जयसिंह": अवतरणों में अंतर
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शिवाजी और जयसिंह
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पूरा नाम | शिवाजी राजे भोंसले |
जन्म | 19 फ़रवरी, 1630 ई. |
जन्म भूमि | शिवनेरी, महाराष्ट्र |
मृत्यु तिथि | 3 अप्रैल, 1680 ई. |
मृत्यु स्थान | रायगढ़ |
पिता/माता | शाहजी भोंसले, जीजाबाई |
पति/पत्नी | साइबाईं निम्बालकर |
संतान | सम्भाजी |
उपाधि | छत्रपति |
शासन काल | 1642 - 1680 ई. |
शा. अवधि | 38 वर्ष |
राज्याभिषेक | 6 जून, 1674 ई. |
पूर्वाधिकारी | शाहजी भोंसले |
उत्तराधिकारी | सम्भाजी |
राजघराना | मराठा |
वंश | भोंसले |
संबंधित लेख | महाराष्ट्र, मराठा, मराठा साम्राज्य, ताना जी, रायगढ़, समर्थ गुरु रामदास, दादोजी कोंडदेव, राजाराम, ताराबाई। |
शिवाजी की बढ़ती हुई शक्ति से चिंतित हो कर मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब ने दक्षिण में नियुक्त अपने सूबेदार को उन पर चढ़ाई करने का आदेश दिया। उससे पहले ही शिवाजी ने आधी रात को सूबेदार के शिविर पर हमला कर दिया, जिसमें सूबेदार के एक हाथ की उंगलियाँ कट गईं और उसका बेटा मारा गया। इससे सूबेदार को पीछे हटना पड़ा।
पुरन्दर की सन्धि
शिवाजी ने मानों मुग़लों को और चिढ़ाने के लिए संपन्न तटीय नगर सूरत पर हमला कर दिया और भारी संपत्ति लूट ली। इस चुनौती की अनदेखी न करते हुए औरंगज़ेब ने अपने सबसे प्रभावशाली सेनापति मिर्जा राजा जयसिंह के नेतृत्व में लगभग 1,00,000 सैनिकों की फ़ौज भेजी। इतनी बड़ी सेना और जयसिंह की हिम्मत और दृढ़ता ने शिवाजी को शांति समझौते पर मजबूर कर दिया।
शिवाजी को कुचलने के लिए राजा जयसिंह ने बीजापुर के सुल्तान से संधि कर पुरन्दर के क़िले को अधिकार में करने की अपने योजना के प्रथम चरण में 24 अप्रैल, 1665 ई. को 'व्रजगढ़' के क़िले पर अधिकार कर लिया। पुरन्दर के क़िले की रक्षा करते हुए शिवाजी का अत्यन्त वीर सेनानायक 'मुरार जी बाजी' मारा गया। पुरन्दर के क़िले को बचा पाने में अपने को असमर्थ जानकर शिवाजी ने महाराजा जयसिंह से संधि की पेशकश की। दोनों नेता संधि की शर्तों पर सहमत हो गये और 22 जून, 1665 ई. को 'पुरन्दर की सन्धि' सम्पन्न हुई।
सन्धि की शर्तें
इतिहास प्रसिद्ध पुरन्दर की सन्धि की प्रमुख शर्तें निम्नलिखित थीं-
- शिवाजी को मुग़लों को अपने 23 क़िले, जिनकी आमदनी 4 लाख हूण प्रति वर्ष थी, देने थे।
- सामान्य आय वाले, लगभग एक लाख हूण वार्षिक की आमदनी वाले, 12 क़िले शिवाजी को अपने पास रखने थे।
- शिवाजी ने मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब की सेवा में अपने पुत्र शम्भाजी को भेजने की बात मान ली एवं मुग़ल दरबार ने शम्भाजी को 5000 का मनसब एवं उचित जागीर देना स्वीकार किया।
- मुग़ल सेना के द्वारा बीजापुर पर सैन्य अभियान के दौरान बालाघाट की जागीरें प्राप्त होती, जिसके लिए शिवाजी को मुग़ल दरबार को 40 लाख हूण देना था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख