"धौली": अवतरणों में अंतर
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*इस पश्चाताप के फलस्वरूप अशोक ने पूर्ण रूप से [[बौद्ध धर्म]] को स्वीकार कर लिया। | *इस पश्चाताप के फलस्वरूप अशोक ने पूर्ण रूप से [[बौद्ध धर्म]] को स्वीकार कर लिया। | ||
*बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक ने जीवन भर अहिंसा का सन्देश दिया तथा बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया। | *बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक ने जीवन भर अहिंसा का सन्देश दिया तथा बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया। |
07:49, 23 जून 2017 के समय का अवतरण

धौली उड़ीसा के भुवनेश्वर से 8 किमी की दूरी पर स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है।
- इस स्थान से अशोक के चतुर्दश शिलालेखों की एक प्रति प्राप्त हुई है।
- जौगढ़ की भाँति यहाँ भी संख्या 11, 12 तथा 13 के लेख नहीं मिलते, उनके स्थान पर दो अन्य लेख मिले है, जो विशेषरूप से कलिंग के लिए उत्कीर्ण कराये गये थे।
- धौली वही जगह है, जहाँ कलिंग युद्ध के पश्चात् सम्राट अशोक ने स्वयं को पश्चाताप की अग्नि में जलता हुआ महसूस किया था।
- इस पश्चाताप के फलस्वरूप अशोक ने पूर्ण रूप से बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया।
- बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक ने जीवन भर अहिंसा का सन्देश दिया तथा बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया।
- अशोक के विश्व प्रसिद्ध पत्थर के स्तम्भों में से एक यहीं पर है।
- इस स्तम्भ में सम्राट अशोक के जीवन से जुड़े तथ्यों का वर्णन किया गया है।
- धौली का शांति स्तूप भी काफ़ी प्रसिद्ध है, जो धौली पहाड़ी के ऊँचे स्थान पर बना है।
- शांति स्तूप में महात्मा बुद्ध के जीवन को दर्शाती हुई कई मूर्तियाँ हैं।
- शांति स्तूप के पास से ही दया नदी का बड़ा ही प्यारा दृश्य दिखाई देता है।
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वीथिका
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शांति स्तूप, धौली
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शांति स्तूप, धौली
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 215।