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*कुल्लूक भट्ट (1150-1300 ई.)। [[मनुस्मृति]] के सुविख्यात टीकाकार। इनका जन्म [[बंगाल]] के नंदन ग्राम में एक वारेंद्र [[ब्राह्मण]] के घर हुआ था। उनके पिता का नाम दिवाकर भट्ट था। | *कुल्लूक भट्ट (1150-1300 ई.)। [[मनुस्मृति]] के सुविख्यात टीकाकार। इनका जन्म [[बंगाल]] के नंदन ग्राम में एक वारेंद्र [[ब्राह्मण]] के घर हुआ था। उनके पिता का नाम दिवाकर भट्ट था। | ||
*मनुस्मृति पर इन्होंने जो टीका की है उसका नाम मन्वर्थ मुक्तावली है। मनुस्मृति उन्होंने संक्षेप में किंतु अत्यंत सुबोध भाषा में संदर्भ सहित स्मृति की व्याख्या की है। इसमें उन्होंने अपने किसी वैयक्तिक मत का प्रतिपादन नहीं किया है वरन् मेधातिथि और गोविंदराज के मत के द्वारा ही विवेचना की है। | *मनुस्मृति पर इन्होंने जो टीका की है उसका नाम मन्वर्थ मुक्तावली है। मनुस्मृति उन्होंने संक्षेप में किंतु अत्यंत सुबोध भाषा में संदर्भ सहित स्मृति की व्याख्या की है। इसमें उन्होंने अपने किसी वैयक्तिक मत का प्रतिपादन नहीं किया है वरन् मेधातिथि और गोविंदराज के मत के द्वारा ही विवेचना की है। |
15:29, 29 सितम्बर 2011 का अवतरण
- कुल्लूक भट्ट (1150-1300 ई.)। मनुस्मृति के सुविख्यात टीकाकार। इनका जन्म बंगाल के नंदन ग्राम में एक वारेंद्र ब्राह्मण के घर हुआ था। उनके पिता का नाम दिवाकर भट्ट था।
- मनुस्मृति पर इन्होंने जो टीका की है उसका नाम मन्वर्थ मुक्तावली है। मनुस्मृति उन्होंने संक्षेप में किंतु अत्यंत सुबोध भाषा में संदर्भ सहित स्मृति की व्याख्या की है। इसमें उन्होंने अपने किसी वैयक्तिक मत का प्रतिपादन नहीं किया है वरन् मेधातिथि और गोविंदराज के मत के द्वारा ही विवेचना की है।
- इस टीका के अतिरिक्त स्मृतिसागर, श्राद्धसागर, विवादसागर और अशौचसागर, उनके अन्य ग्रंथ हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ