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'''रानी दुर्गावती''' (अंग्रेज़ी: Rani Durgawati, जन्म: 5 अक्टूबर, 1524 - मृत्यु: 24 जून, 1564) गोंडवाना की शासक थीं, जो [[भारत का इतिहास|भारतीय इतिहास]] की सर्वाधिक प्रसिद्ध रानियों में गिनी जाती हैं। | |||
==संक्षिप्त परिचय== | |||
* 1524 ई. की [[दुर्गाष्टमी]] पर जन्म के कारण इनका नाम दुर्गावती रखा गया। नाम के अनुरूप ही तेज, साहस, शौर्य और सुन्दरता के कारण इनकी प्रसिद्धि सब ओर फैल गयी। | |||
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*[http://www.rdunijbpin.org/ रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर] | |||
==संबंधित लेख== | |||
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14:43, 18 अप्रैल 2013 का अवतरण
रानी दुर्गावती
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पूरा नाम | रानी दुर्गावती |
जन्म | 5 अक्टूबर, 1524 |
जन्म भूमि | बांदा, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 24 जून, 1564 |
मृत्यु स्थान | अचलपुर, महाराष्ट्र |
पति/पत्नी | राजा दलपतिशाह |
कर्म भूमि | भारत |
प्रसिद्धि | वीरांगना |
नागरिकता | भारतीय |
धर्म | हिंदू |
अन्य जानकारी | जबलपुर में स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय भी इन्ही रानी के नाम पर बना है। |
रानी दुर्गावती (अंग्रेज़ी: Rani Durgawati, जन्म: 5 अक्टूबर, 1524 - मृत्यु: 24 जून, 1564) गोंडवाना की शासक थीं, जो भारतीय इतिहास की सर्वाधिक प्रसिद्ध रानियों में गिनी जाती हैं।
संक्षिप्त परिचय
- 1524 ई. की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण इनका नाम दुर्गावती रखा गया। नाम के अनुरूप ही तेज, साहस, शौर्य और सुन्दरता के कारण इनकी प्रसिद्धि सब ओर फैल गयी।
- रानी दुर्गावती महोबा, कालिंजर के चन्देल राजा कीर्तिराज की पुत्री थीं। यह राजा 1545 ई. में शेरशाह सूरी के द्वारा कालिंजर के क़िले के घेरे के समय मारा गया था।
- दुर्गावती का विवाह गढ़मंडल (गोंडवाना) के राजा दलपतिशाह के साथ हुआ, किन्तु वह जल्दी ही विधवा हो गई। उस समय उसका वीर नारायण नाम का नाबालिग पुत्र था। रानी उसकी ओर से स्वयं शासन करने लगीं। उसने मालवा के बाजबहादुर और बंगाल के अफ़ग़ानों के हमलों से गोंडवाना की रक्षा की।
- 1564 ई. में मुग़ल सम्राट अकबर ने रानी के राज्य पर हमला करने के लिए सेनापति आसफ़ ख़ाँ को भेजा।
- पुत्र को साथ लेकर रानी ने मुग़लों की 50 हज़ार सेना का सामना किया। दोनों के बीच राजधानी के पास नरही में घोर युद्ध हुआ। युद्ध के दूसरे दिन उसका पुत्र घायल हो गया, जिसे रानी के सैनिकों की देखरेख में सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया। इन सैनिकों के जाने से रानी का पक्ष कमज़ोर हो गया और वह पराजित हो गई।
- जबलपुर के पास जहां यह ऐतिहासिक युद्ध हुआ था, उस स्थान का नाम बरेला है, जो मंडला रोड पर स्थित है, वही रानी की समाधि बनी है, जहां देशप्रेमी जाकर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। जबलपुर में स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय भी इन्ही रानी के नाम पर बना है।
- शत्रुओं के हाथ में अपने को पड़ने से बचाने के लिए रानी ने कटार मारकर अपनी जान दे दी। इसके बाद मुग़ल सेना राजधानी चौरागढ़ की ओर बढ़ी। वहाँ पर उसके घायल अल्पवयस्क पुत्र ने पुन: जबर्दस्त प्रतिरोध किया, लेकिन बेचारा पराजित हुआ और मारा गया।
- गोंडवाना अकबर के राज्य में मिला लिया गया। सेनापति आसफ़ ख़ाँ अपने साथ बेशुमार सोना, चाँदी, हीरे, जवाहरात, सिक्के और एक हज़ार हाथी लेकर दिल्ली लौटा। यह इस बात का प्रमाण है कि रानी के राज्यकाल में गोंडवाना कितना समृद्धशाली था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 208 |
बाहरी कड़ियाँ
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