"यमुनोत्री": अवतरणों में अंतर
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|विवरण=यमुनोत्री [[उत्तराखंड]] राज्य में स्थित [[यमुना नदी]] का उद्गम स्थल है। यह वह स्थान है, जहाँ से यमुना नदी निकली है। | |||
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'''यमुनोत्री''' उत्तराखंड राज्य में स्थित [[यमुना नदी]] का उद्गम स्थल है। यह वह स्थान है, जहाँ से यमुना नदी निकली है। यहाँ पर प्रतिवर्ष गर्मियों में तीर्थ यात्री आते हैं। पौराणिक गाथाओं के अनुसार यमुना नदी [[सूर्य देवता|सूर्य]] की [[पुत्री]] हैं तथा मृत्यु के [[देवता]] [[यमराज|यम]] सूर्य के [[पुत्र]] हैं। कहा जाता है कि जो लोग यमुना में स्नान करते हैं, उन्हें यम मृत्यु के समय पीड़ित नहीं करते हैं। यमुनोत्री के पास ही कुछ गर्म पानी के सोते भी हैं। तीर्थ यात्री इन सोतों के पानी में अपना भोजन पका लेते हैं। यमुनाजी का मन्दिर यहाँ का प्रमुख आराधना मन्दिर है। | '''यमुनोत्री''' उत्तराखंड राज्य में स्थित [[यमुना नदी]] का उद्गम स्थल है। यह वह स्थान है, जहाँ से यमुना नदी निकली है। यहाँ पर प्रतिवर्ष गर्मियों में तीर्थ यात्री आते हैं। पौराणिक गाथाओं के अनुसार यमुना नदी [[सूर्य देवता|सूर्य]] की [[पुत्री]] हैं तथा मृत्यु के [[देवता]] [[यमराज|यम]] सूर्य के [[पुत्र]] हैं। कहा जाता है कि जो लोग यमुना में स्नान करते हैं, उन्हें यम मृत्यु के समय पीड़ित नहीं करते हैं। यमुनोत्री के पास ही कुछ गर्म पानी के सोते भी हैं। तीर्थ यात्री इन सोतों के पानी में अपना भोजन पका लेते हैं। यमुनाजी का मन्दिर यहाँ का प्रमुख आराधना मन्दिर है। | ||
==तीर्थस्थल== | ==तीर्थस्थल== | ||
यमुना देवी का तीर्थस्थल, यमुना नदी के स्त्रोत पर स्थित है। यमुना देवी का मन्दिर [[गढ़वाल]] [[हिमालय]] के पश्चिमी भाग में स्थित है। यमुनोत्री का वास्तविक स्त्रोत जमी हुई बर्फ़ की एक [[झील]] और [[हिमनद]] (चंपासर ग्लेसियर) है जो समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊँचाई पर कालिंद पर्वत पर स्थित है। यमुना देवी के मंदिर का निर्माण, [[टिहरी गढ़वाल]] के महाराजा प्रताप शाह द्वारा किया गया था। अत्यधिक संकरी-पतली युमना काजल हिम शीतल है। [[यमुना]] के इस जल की परिशुद्धता, निष्कलुशता एवं पवित्रता के कारण भक्तों के हृदय में यमुना के प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति उमड पड़ती है। पौराणिक आख्यान के अनुसार असित मुनि की पर्णकुटी इसी स्थान पर थी। यमुना देवी के मंदिर की चढ़ाई का मार्ग वास्तविक रूप में दुर्गम और रोमांचित करने वाला है। | यमुना देवी का तीर्थस्थल, यमुना नदी के स्त्रोत पर स्थित है। यमुना देवी का मन्दिर [[गढ़वाल]] [[हिमालय]] के पश्चिमी भाग में स्थित है। यमुनोत्री का वास्तविक स्त्रोत जमी हुई बर्फ़ की एक [[झील]] और [[हिमनद]] (चंपासर ग्लेसियर) है जो समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊँचाई पर कालिंद पर्वत पर स्थित है। यमुना देवी के मंदिर का निर्माण, [[टिहरी गढ़वाल]] के महाराजा प्रताप शाह द्वारा किया गया था। अत्यधिक संकरी-पतली युमना काजल हिम शीतल है। [[यमुना]] के इस जल की परिशुद्धता, निष्कलुशता एवं पवित्रता के कारण भक्तों के हृदय में यमुना के प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति उमड पड़ती है। पौराणिक आख्यान के अनुसार असित मुनि की पर्णकुटी इसी स्थान पर थी। यमुना देवी के मंदिर की चढ़ाई का मार्ग वास्तविक रूप में दुर्गम और रोमांचित करने वाला है। मार्ग पर अगल-बगल में स्थित गगनचुंबी, मनोहारी नंग-धडंग बर्फीली चोटियां तीर्थयात्रियों को सम्मोहित कर देती हैं। इस दुर्गम चढ़ाई के आस-पास घने जंगलो की हरियाली मन को मोहने से नहीं चूकती है। मंदिर प्रांगण में एक विशाल शिला स्तम्भ है जिसे दिव्यशिला के नाम से जाना जाता है। यमुनोत्री मंदिर परिशर 3235 मी. उँचाई पर स्थित है। यमुनोत्री मंदिर में भी [[मई]] से [[अक्टूबर]] तक श्रद्धालुओं का अपार समूह हरवक्त देखा जाता है। शीतकाल में यह स्थान पूर्णरूप से हिमाछादित रहता है। | ||
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08:09, 17 अगस्त 2016 का अवतरण
यमुनोत्री
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विवरण | यमुनोत्री उत्तराखंड राज्य में स्थित यमुना नदी का उद्गम स्थल है। यह वह स्थान है, जहाँ से यमुना नदी निकली है। |
राज्य | उत्तराखंड |
ज़िला | उत्तरकाशी |
कब जाएँ | मई से अक्टूबर |
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देहरादून स्थित जौलीग्रांट निकटतम हवाई अड्डा है। |
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ऑटो, बस, कार, रिक्शा आदि। |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह आदि। |
एस.टी.डी. कोड | 01379 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
संबंधित लेख | यमुना नदी, गंगोत्री, उत्तरकाशी, उत्तराखंड आदि।
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अन्य जानकारी | यमुनोत्री मंदिर परिसर 3235 मी. उँचाई पर स्थित है। यमुनोत्री मंदिर में भी मई से अक्टूबर तक श्रद्धालुओं का अपार समूह हरवक्त देखा जाता है। शीतकाल में यह स्थान पूर्णरूप से हिमाछादित रहता है। |
अद्यतन | 13:39, 17 अगस्त 2016 (IST)
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यमुनोत्री उत्तराखंड राज्य में स्थित यमुना नदी का उद्गम स्थल है। यह वह स्थान है, जहाँ से यमुना नदी निकली है। यहाँ पर प्रतिवर्ष गर्मियों में तीर्थ यात्री आते हैं। पौराणिक गाथाओं के अनुसार यमुना नदी सूर्य की पुत्री हैं तथा मृत्यु के देवता यम सूर्य के पुत्र हैं। कहा जाता है कि जो लोग यमुना में स्नान करते हैं, उन्हें यम मृत्यु के समय पीड़ित नहीं करते हैं। यमुनोत्री के पास ही कुछ गर्म पानी के सोते भी हैं। तीर्थ यात्री इन सोतों के पानी में अपना भोजन पका लेते हैं। यमुनाजी का मन्दिर यहाँ का प्रमुख आराधना मन्दिर है।
तीर्थस्थल
यमुना देवी का तीर्थस्थल, यमुना नदी के स्त्रोत पर स्थित है। यमुना देवी का मन्दिर गढ़वाल हिमालय के पश्चिमी भाग में स्थित है। यमुनोत्री का वास्तविक स्त्रोत जमी हुई बर्फ़ की एक झील और हिमनद (चंपासर ग्लेसियर) है जो समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊँचाई पर कालिंद पर्वत पर स्थित है। यमुना देवी के मंदिर का निर्माण, टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह द्वारा किया गया था। अत्यधिक संकरी-पतली युमना काजल हिम शीतल है। यमुना के इस जल की परिशुद्धता, निष्कलुशता एवं पवित्रता के कारण भक्तों के हृदय में यमुना के प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति उमड पड़ती है। पौराणिक आख्यान के अनुसार असित मुनि की पर्णकुटी इसी स्थान पर थी। यमुना देवी के मंदिर की चढ़ाई का मार्ग वास्तविक रूप में दुर्गम और रोमांचित करने वाला है। मार्ग पर अगल-बगल में स्थित गगनचुंबी, मनोहारी नंग-धडंग बर्फीली चोटियां तीर्थयात्रियों को सम्मोहित कर देती हैं। इस दुर्गम चढ़ाई के आस-पास घने जंगलो की हरियाली मन को मोहने से नहीं चूकती है। मंदिर प्रांगण में एक विशाल शिला स्तम्भ है जिसे दिव्यशिला के नाम से जाना जाता है। यमुनोत्री मंदिर परिशर 3235 मी. उँचाई पर स्थित है। यमुनोत्री मंदिर में भी मई से अक्टूबर तक श्रद्धालुओं का अपार समूह हरवक्त देखा जाता है। शीतकाल में यह स्थान पूर्णरूप से हिमाछादित रहता है।
चार धाम
गढ़वाल हिमालय की पश्चिम दिशा में उत्तरकाशी ज़िले में स्थित यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है। पहला धाम यमुनोत्री से यमुना का उद्गम मात्र एक किमी की दूरी पर है। यहां बंदरपूंछ चोटी (6315 मी.) के पश्चिमी अंत में फैले यमुनोत्री ग्लेशियर को देखना अत्यंत रोमांचक है। यमुना पावन नदी का स्रोत कालिंदी पर्वत है। यमुनोत्री का मुख्य मंदिर यमुना देवी को समर्पित है। पानी के मुख्य स्रोतों में से एक सूर्यकुण्ड है जो गरम पानी का स्रोत है।
{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- यमुना नदी

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वीथिका
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यमुनोत्री बर्फ़ की एक झील
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यमुनोत्री
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यमुनोत्री नदी
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