"प्रयोग:कविता बघेल 3": अवतरणों में अंतर
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-हिस्टोलॉजी | -हिस्टोलॉजी | ||
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||[[कोशिका]] का अध्ययन साइटोलॉजी कहलाता है। बायोलॉजी, विज्ञान की एक शाखा है जिसके अंतर्गत जंतु विज्ञान तथा वनस्पति विज्ञान सम्मिलित है। हिस्टोलॉजी या ऊतक विज्ञान के अंतर्गत सूक्ष्म शरीर अंगों के भीतर ऊतकों की संरचना तथा उनके विन्यास का अध्ययन किया जाता है। | ||[[कोशिका]] का अध्ययन साइटोलॉजी कहलाता है। बायोलॉजी, [[विज्ञान]] की एक शाखा है जिसके अंतर्गत जंतु विज्ञान तथा वनस्पति विज्ञान सम्मिलित है। हिस्टोलॉजी या ऊतक विज्ञान के अंतर्गत सूक्ष्म शरीर अंगों के भीतर ऊतकों की संरचना तथा उनके विन्यास का अध्ययन किया जाता है। | ||
{[[बास्केटबॉल|बास्केटबॉल खेल]] में तीन अंकों मैदानी गोलाकार एरिया है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-217 प्रश्न-7 | {[[बास्केटबॉल|बास्केटबॉल खेल]] में तीन अंकों मैदानी गोलाकार एरिया है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-217 प्रश्न-7 | ||
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+6.75 मीटर | +6.75 मीटर | ||
-6.50 मीटर | -6.50 मीटर | ||
||[[बास्केटबॉल|बास्केटबॉल खेल]] में तीन अंकों वाली रेखा की दूरी बढ़ाकर 6 | ||[[बास्केटबॉल|बास्केटबॉल खेल]] में तीन अंकों वाली रेखा की दूरी बढ़ाकर 6.75 मीटर कर दी गई है जबकि पहले इसकी दूरी 6.25 मीटर होती थी। अब प्रतिबंधित क्षेत्र को आयताकार कर दिया है तथा 30 सेकंड के नियम के स्थान पर 24 सेकंड का नियम लागू कर दिया गया है। | ||
{[[मानव शरीर]] में हिंज संधि | {[[मानव शरीर]] में हिंज संधि किस अंग में पाई जाती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-168 प्रश्न-173 | ||
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+कोहनी | +कोहनी | ||
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-कलाई | -कलाई | ||
-करभिका (मेटाकार्पल) | -करभिका (मेटाकार्पल) | ||
||हिंज (कब्जे वाला) जोड़ा है जो एक ही तरफ पर आगे अथवा पीछे जाने की | ||हिंज (कब्जे वाला) जोड़ा है जो एक ही तरफ पर आगे अथवा पीछे जाने की इजाज़त देता है, ठीक जिस प्रकार दरवाज़ों के साथ लगे कब्ज़े एक तरफ ही घूमते हैं। [[मानव शरीर]] में [[घुटना|घुटनों]], कोहनी, अंगुलियों के जोड़, हिंज जोड़ के उदाहरण हैं। | ||
{संहत जानु (नॉक नी) एक किस्म की आम मुद्रा विकृति है जिसे | {संहत जानु (नॉक नी) एक किस्म की आम मुद्रा विकृति है जिसे किस योगासन से ठीक किया जा सकता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-175 प्रश्न-117 | ||
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-धनुरासन | -धनुरासन | ||
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+गोमुखासन | +गोमुखासन | ||
-इनमें सें कोई नहीं | -इनमें सें कोई नहीं | ||
||घुटनों का टकराना या नॉक नी एक किस्म की आम मुद्रा विकृति है जो निम्न उपायों से ठीक किया जा सकता है- .नियमित घुड़सवारी करें। .कुछ समय के लिए नियमित रूप से पद्मासन व गोमुखासन अवश्य करना चाहिये। .दोनों घुटनों के बीच में तकिया रखें तथा कुछ समय तक बिल्कुल सीधे खड़े रहें। . | ||घुटनों का टकराना या नॉक नी एक किस्म की आम मुद्रा विकृति है जो निम्न उपायों से ठीक किया जा सकता है- 1. नियमित घुड़सवारी करें। 2. कुछ समय के लिए नियमित रूप से पद्मासन व गोमुखासन अवश्य करना चाहिये। 3. दोनों घुटनों के बीच में तकिया रखें तथा कुछ समय तक बिल्कुल सीधे खड़े रहें। 4. वर्किंग कैलिपर्स का प्रयोग करें। 5. कॉड लिवर ऑयल का उपयोग करें। 6. गंभीर विकृति होने पर, डॉक्टर से संपर्क करें। | ||
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||वर्ष [[2010]] में पुरुष हॉकी विश्व कप का आयोजन [[फ़रवरी]]-[[मार्च]] में [[भारत]] में किया गया था। [[ऑस्ट्रेलिया]] ने फाइनल में [[जर्मनी]] को 2-1 से पराजित कर विश्व कप का खिताब जीत लिया था। | ||वर्ष [[2010]] में पुरुष हॉकी विश्व कप का आयोजन [[फ़रवरी]]-[[मार्च]] में [[भारत]] में किया गया था। [[ऑस्ट्रेलिया]] ने फाइनल में [[जर्मनी]] को 2-1 से पराजित कर विश्व कप का खिताब जीत लिया था। | ||
{कर्णों की क्रियाविधि कौन-सी है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-23 प्रश्न-7 | {[[कान|कर्णों]] की क्रियाविधि कौन-सी है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-23 प्रश्न-7 | ||
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-श्रवण | -श्रवण | ||
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+उपर्युक्त दोनों | +उपर्युक्त दोनों | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||कर्णों के दो कार्य हैं- श्रवण ज्ञान व शरीर का संतुलन बनाए रखना। यह कार्य कॉक्लिया (Cochlea) तथा वेस्टीबुलर (Vestibular) भाग द्वारा संपन्न होता है। | ||[[कान|कर्णों]] के दो कार्य हैं- श्रवण ज्ञान व शरीर का संतुलन बनाए रखना। यह कार्य कॉक्लिया (Cochlea) तथा वेस्टीबुलर (Vestibular) भाग द्वारा संपन्न होता है। | ||
{निम्नलिखित में से किस प्राचीन दार्शनिक ने शारीरिक शिक्षा को युवाओं में चारित्रिक विशिष्ट गुण लाने का सबसे सशक्त माध्यम बताया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-5 प्रश्न-7 | {निम्नलिखित में से किस प्राचीन दार्शनिक ने शारीरिक शिक्षा को युवाओं में चारित्रिक विशिष्ट गुण लाने का सबसे सशक्त माध्यम बताया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-5 प्रश्न-7 | ||
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-[[सुकरात]] | -[[सुकरात]] | ||
+प्लेटो | +[[प्लेटो]] | ||
-अरस्तू | -[[अरस्तू]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||[[प्लेटो]] [[यूनान]] का प्रसिद्ध दार्शनिक था। वह महान दार्शनिक [[सुकरात]] का शिष्य तथा [[अरस्तू]] का गुरु था। इसका जन्म 428 ई.पू. एथेंस में हुआ था। इन्होंने शारीरिक शिक्षा को युवाओं में चारित्रिक विशिष्ट गुण लेने का सबसे सशक्त माध्यम बताया था। | ||[[प्लेटो]] [[यूनान]] का प्रसिद्ध दार्शनिक था। वह महान दार्शनिक [[सुकरात]] का शिष्य तथा [[अरस्तू]] का गुरु था। इसका जन्म 428 ई.पू. एथेंस में हुआ था। इन्होंने शारीरिक शिक्षा को युवाओं में चारित्रिक विशिष्ट गुण लेने का सबसे सशक्त माध्यम बताया था। | ||
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-[[फुटबॉल]] | -[[फुटबॉल]] | ||
+वॉलीबॉल | +वॉलीबॉल | ||
-टेनिस | -[[टेनिस]] | ||
||'एंटीना', | ||'एंटीना', वॉलीबॉल खेल में सम्बंधित है जो नेट के दोनों ओर एक लंबवत विस्तार होता है और बॉल को एंटीना के बीच से गुजरना आवश्यक होता है। | ||
{ | {ऑफ़ साइड नियम किस खेल से संबंधित है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-202 प्रश्न-8 | ||
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-[[हॉकी]] | -[[हॉकी]] | ||
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-[[बास्केटबॉल]] | -[[बास्केटबॉल]] | ||
-हैंडबॉल | -हैंडबॉल | ||
||'ऑफ साइड नियम' [[फुटबॉल]] | ||'ऑफ साइड नियम' [[फुटबॉल|फुटबॉल खेल]] से संबंधित है। यह विश्व का सबसे प्रसिद्ध खेल है जो विश्व के सबसे ज्यादा देशों के मध्य खेला जाता है। इसका नियंत्रण '[[फ़ीफ़ा]]' द्वारा किया जाता है। ऑफ़ साइड नियम के अनुसार आगे का खिलाड़ी गेंद के बिना दूसरे बचाव खिलाड़ी के आगे नहीं जा सकता है। अगर कोई खिलाड़ी सभी विपक्षी खिलाड़ियों से आगे निकल आए और गेंद उसको पास की जाए तो उसे ऑफ़ साइड करार दिया जाता है। | ||
{ट्रम्पोलिन किस खेल से संबंधित है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-210 प्रश्न-77 | {ट्रम्पोलिन किस खेल से संबंधित है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-210 प्रश्न-77 | ||
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-[[तैराकी]] | -[[तैराकी]] | ||
-बाउलिंग | -बाउलिंग | ||
- | -तलवारबाज़ी | ||
+जिम्नास्टिक | +जिम्नास्टिक | ||
||ट्रेम्पोलिन जिम्नाटिक खेल से संबंधित है। यह एक प्रकार का उपकरण है जिसमें लोग मनोरंजन तथा प्रतिस्पर्धात्मक क्रिया-कलापों के लिए कूदते हैं। | ||ट्रेम्पोलिन जिम्नाटिक खेल से संबंधित है। यह एक प्रकार का उपकरण है जिसमें लोग मनोरंजन तथा प्रतिस्पर्धात्मक क्रिया-कलापों के लिए कूदते हैं। | ||
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-45.920 | -45.920 | ||
-42.920 | -42.920 | ||
||गोले का भार | ||गोले का भार पुरुषों के लिए लगभग 7.260 कि.ग्रा. तथा महिलाओं के लिए लगभग 4 कि.ग्रा. होता है। सेक्टर का कोण 34.920 तथा सर्कल का व्यास 2.135 मी. होता है। | ||
{[[ओलंपिक खेल | {[[ओलंपिक खेल]] के ध्वज में शामिल है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-169 प्रश्न-176 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+बिना किसी किनारे के | +बिना किसी किनारे के सफ़ेद पृष्ठभूमि और बीच में ओलंपिक प्रतीक चिह्न। | ||
-काले किनारे के साथ | -काले किनारे के साथ सफ़ेद पृष्ठभूमि और बीच में ओलंपिक प्रतीक चिह्न। | ||
-काले किनारे के साथ पीली पृष्ठभूमि और दाएं कोने में शीर्ष पर ओलंपिक प्रतीक चिह्न। | -काले किनारे के साथ पीली पृष्ठभूमि और दाएं कोने में शीर्ष पर ओलंपिक प्रतीक चिह्न। | ||
-बिना किसी किनारे के धूसर पृष्ठभूमि और बीच में ओलंपिक प्रतीक चिह्न। | -बिना किसी किनारे के धूसर पृष्ठभूमि और बीच में ओलंपिक प्रतीक चिह्न। | ||
||[[ओलंपिक खेल | ||[[ओलंपिक खेल]] के ध्वज में बिना किसी किनारे के सफ़ेद पृष्ठभूमि एवं बीच में ओलंपिक प्रतीक चिह्न शामिल होता है। ओलंपिक ध्वज सफ़ेद सिल्क का बना होता है जिस पर पांच छल्ले होते हैं। ये छल्ले आपस में जुड़े होते हैं जो विश्व के पांच [[महाद्वीप|महाद्वीपों]] तथा [[अमेरिका]], [[यूरोप]], [[ऑस्ट्रेलिया]], [[एशिया]] एवं [[अफ़्रीका]] का प्रतिनिधित्व करते हैं? | ||
{"पट अवस्था में | {"पट अवस्था में अर्थात छाती के बल लेटना, दाईं बांह ऊपर की ओर और बाईं बांह बगल में रखना, इसके बाद दाईं बांह को सिर के ऊपर बाईं ओर उठाना, बाएं हाथ से नीचे दबाना और फिर बाएं नितंब को ऊपर उठाना" यह व्यायाम निम्न में से किस विकृति के लिए लाभदायक है?(शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-175 प्रश्न-118 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+काइफोसिस | +काइफोसिस | ||
- | -स्कोलियोसिस | ||
-राउंड सोल्डर | -राउंड सोल्डर | ||
-नॉक की | -नॉक की | ||
||पीछे का कूबड़ या काइफोसिस में रीढ़ की अस्थियां पीछे की ओर हो जाती हैं। इस दशा में छाती सीधी नहीं होती तथा सिर एवं गर्दन आगे की ओर झुकी होती है। इस विकृति के उपचार हेतु निम्न उपाय करते हैं- पट अवस्था में अर्थात छाती के बल लेटना, दाई बांह ऊपर की ओर एवं बाई बांह बगल में रखना, इसके बाद दाईं बांह को सिर के ऊपर बाईं ओर उठाना, बाएं हाथ से नीचे दबाना एवं फिर बाएं नितंब को ऊपर उठाना। .सोने के दौरान अपने पीठ के नीचे हमेशा तकिया अवश्य रखें। | ||पीछे का कूबड़ या काइफोसिस में रीढ़ की अस्थियां पीछे की ओर हो जाती हैं। इस दशा में छाती सीधी नहीं होती तथा सिर एवं गर्दन आगे की ओर झुकी होती है। इस विकृति के उपचार हेतु निम्न उपाय करते हैं- 1. पट अवस्था में अर्थात छाती के बल लेटना, दाई बांह ऊपर की ओर एवं बाई बांह बगल में रखना, इसके बाद दाईं बांह को सिर के ऊपर बाईं ओर उठाना, बाएं हाथ से नीचे दबाना एवं फिर बाएं नितंब को ऊपर उठाना। 2. सोने के दौरान अपने पीठ के नीचे हमेशा तकिया अवश्य रखें। | ||
{स्कैपुला अस्थि | {स्कैपुला अस्थि [[मानव शरीर|शरीर]] के किस अंग में स्थित होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-37 प्रश्न-11 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -पैर | ||
-कूल्हे | -कूल्हे | ||
+अपर बैक | +अपर बैक | ||
-हाथ | -हाथ | ||
||स्कैपुला | ||स्कैपुला अंस मेखला की एक अस्थि होती है। यह एक चौड़ी, त्रिकोणाकार अस्थि है जिसका एक सिरा ह्यूमरस के शीर्ष भाग में जुड़ता है। यह पीठ के ऊपरी भाग में स्थित होता है। | ||
{स्प्रेन व स्ट्रेन का इलाज किस विधि से किया जाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-23 प्रश्न-8 | {स्प्रेन व स्ट्रेन का इलाज किस विधि से किया जाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-23 प्रश्न-8 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-गर्म पानी की सिकाई | -गर्म पानी की सिकाई | ||
+आर.आई.सी.ई. | +आर. आई. सी. ई. | ||
-आराम करके | -आराम करके | ||
-मालिश के द्वारा | -मालिश के द्वारा | ||
||स्प्रेन (Sprain), स्ट्रेन (Strain) एवं कंट्यूशन (Contusion) आदि के शीघ्र उपचार के लिए चार कदम उठाए जाते हैं, जिसे RICE कहते हैं जो Rest, Ice, Compression तथा Elevation का संक्षिप्त रूप है। इनका विवरण निम्नलिखित है- विश्राम Rest- जैसे ही चोट लगे गतिविधि को रोकना चाहिए एवं रोगी को विश्राम दें। बर्फ Ice- चोट के बाद संभव हो, तो | ||स्प्रेन (Sprain), स्ट्रेन (Strain) एवं कंट्यूशन (Contusion) आदि के शीघ्र उपचार के लिए चार कदम उठाए जाते हैं, जिसे RICE कहते हैं जो Rest, Ice, Compression तथा Elevation का संक्षिप्त रूप है। इनका विवरण निम्नलिखित है- विश्राम Rest- जैसे ही चोट लगे गतिविधि को रोकना चाहिए एवं रोगी को विश्राम दें। बर्फ Ice- चोट के बाद संभव हो, तो ज़ख़्मी हिस्से में बर्फ लगाएं। दबाना Compression- चोट वाले स्थान पर बर्फ लगाने के बाद दबाना चाहिए। उठाना Elevation- अंत में चोट लगे स्थान को ऊपर उठाना चाहिए। | ||
{अगर हम किसी सिक्के को चार बार उछालें तो उसमें हेड और टेल आने की संभावना कितनी बार होगी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-6 प्रश्न-8 | {अगर हम किसी सिक्के को चार बार उछालें तो उसमें हेड और टेल आने की संभावना कितनी बार होगी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-6 प्रश्न-8 | ||
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+सोलह बार | +सोलह बार | ||
-बत्तीस बार | -बत्तीस बार | ||
||अगर हम किसी सिक्के को चार बार उछालते हैं, तो दो संभावनाएं है- 1.हेड 2.टेल अत: हेड अथवा टेल आने की कुल संभावनाएं= 2 | ||अगर हम किसी सिक्के को चार बार उछालते हैं, तो दो संभावनाएं है- 1.हेड 2.टेल अत: हेड अथवा टेल आने की कुल संभावनाएं= 2<sup>4</sup>=16 | ||
{प्रथम विश्व कप [[फुटबॉल]] कहां आयोजित किया गया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं- | {प्रथम विश्व कप [[फुटबॉल]] कहां आयोजित किया गया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-38 प्रश्न-21 | ||
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+उरूग्वे | +उरूग्वे | ||
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+साइबैल्स | +साइबैल्स | ||
-टेराज्लैक्स | -टेराज्लैक्स | ||
{समाजशास्त्र के दृष्टिकोण से निम्नलिखित में से कौन-सा कारक मानव व्यक्तिगत के विकास में सबसे अधिक साधक है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-211 प्रश्न-78 | {समाजशास्त्र के दृष्टिकोण से निम्नलिखित में से कौन-सा कारक मानव व्यक्तिगत के विकास में सबसे अधिक साधक है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-211 प्रश्न-78 | ||
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-[[साहित्य]] | -[[साहित्य]] | ||
+संस्कृति | +संस्कृति | ||
{[[मांसपेशी|मांसपेशियों]] का अध्ययन कहलाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-216 प्रश्न-129 | {[[मांसपेशी|मांसपेशियों]] का अध्ययन कहलाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-216 प्रश्न-129 | ||
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{वॉलीबॉल में सिर से ऊपर बॉल पास देने में- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-217 प्रश्न-11 | {वॉलीबॉल में सिर से ऊपर बॉल पास देने में- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-217 प्रश्न-11 | ||
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-सिर का प्रयोग होता | -सिर का प्रयोग होता है। | ||
-एक हाथ की उंगलियां प्रयोग होती | -एक हाथ की उंगलियां प्रयोग होती हैं। | ||
+दोनों हाथ की उंगलियां प्रयोग होती | +दोनों हाथ की उंगलियां प्रयोग होती हैं। | ||
-दोनों हाथों के पंजो का प्रयोग होता | -दोनों हाथों के पंजो का प्रयोग होता है। | ||
||ओवर हेड पास देने के लिए दोनों हाथ चेहरे के सामने, कुहनियां मुड़ी हुई तथा शरीर के काफी पास होनी चाहिए माथे के सामने तथा | ||ओवर हेड पास देने के लिए दोनों हाथ चेहरे के सामने, कुहनियां मुड़ी हुई तथा शरीर के काफी पास होनी चाहिए माथे के सामने तथा अंगुलियों की टिप्स से पास देना चाहिए। ऐसा करते हुए घुटने तथा बाजू पास देने की दिशा में खुलने चाहिए। | ||
{भारतीय ओलंपिक संघ (L.O.A) का गठन किस वर्ष किया गया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-169 प्रश्न-177 | {भारतीय ओलंपिक संघ (L. O. A.) का गठन किस वर्ष किया गया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-169 प्रश्न-177 | ||
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-[[1925]] | -[[1925]] | ||
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||भारतीय ओलंपिक संघ-वर्ष [[1927]] में बनाया गया। श्री दोराबजी टाटा इसके पहले अध्यक्ष थे। भारतीय ओलंपिक संघ अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति संघ समिति से संबंद्ध है। | ||भारतीय ओलंपिक संघ-वर्ष [[1927]] में बनाया गया। श्री दोराबजी टाटा इसके पहले अध्यक्ष थे। भारतीय ओलंपिक संघ अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति संघ समिति से संबंद्ध है। | ||
{श्वसन तंत्र- | {श्वसन तंत्र का कौन-सा अंग एक किस्म की ट्यूब होती है जो बेलनाकार होती है और इसे 'श्वास नली' भी कहते हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-175 प्रश्न-119 | ||
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+ट्रैकिआ | +ट्रैकिआ | ||
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+सचल संधि | +सचल संधि | ||
-अचल संधि | -अचल संधि | ||
- | -अर्ध सचल संधि | ||
-स्थैतिक संधि | -स्थैतिक संधि | ||
||गतिशीलता के आधार पर अस्थि संधियां तीन प्रकार की होती हैं- (a)सचल संधि (Movable joints) इन संधियों में स्वतंत्र गति होती है। (b)अचल संधि (Immovable joints) जिसमें बिल्कुल भी गति नहीं होती। (c) | ||गतिशीलता के आधार पर अस्थि संधियां तीन प्रकार की होती हैं- (a)सचल संधि (Movable joints) इन संधियों में स्वतंत्र गति होती है। (b)अचल संधि (Immovable joints) जिसमें बिल्कुल भी गति नहीं होती। (c)अर्ध सचल संधि (slightly or semi movable joints) जिनमें बहुत कम या आंशिक गति होती है। हिंज संधि सचल संधि का एक उदाहरण है। | ||
{'स्किनर' के द्वारा 'सीखने' से संबंधित दी गई परिभाषा है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-23 प्रश्न-9 | {'स्किनर' के द्वारा 'सीखने' से संबंधित दी गई परिभाषा है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-23 प्रश्न-9 | ||
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||स्किनर के अनुसार, सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया है। स्किनर की 'सीखने से संबंधित परिभाषा' यह स्पष्ट करती है कि सीखना व्यवहार में एक प्रकार का परिवर्तन है। अत: सीखने की प्रक्रिया में व्यवहारों में उत्तरोत्तर सामंजस्य स्थापित होता है। | ||स्किनर के अनुसार, सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया है। स्किनर की 'सीखने से संबंधित परिभाषा' यह स्पष्ट करती है कि सीखना व्यवहार में एक प्रकार का परिवर्तन है। अत: सीखने की प्रक्रिया में व्यवहारों में उत्तरोत्तर सामंजस्य स्थापित होता है। | ||
{कितने रीजनल समिति द्वारा 'नेशनल कौंसिल | {कितने रीजनल समिति द्वारा 'नेशनल कौंसिल ऑफ़ टीचर एजुकेशन' कार्य करते हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-6 प्रश्न-9 | ||
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-दो | -दो | ||
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-पांच | -पांच | ||
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||राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (National Conucil of teacher Edu-cation- NCTE) [[भारत सरकार]] की एक | ||राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (National Conucil of teacher Edu-cation- NCTE) [[भारत सरकार]] की एक संस्था है। इसकी स्थापना राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद अधिनियम, [[1993]] के तहत [[17 अगस्त]], [[1995]] को की गई। इसका उत्तरदायित्व भारतीय शिक्षा प्रणाली की मानक प्रक्रियाओं एवं धारओं की स्थापना तथा निरीक्षण करना है। इसकी चार क्षेत्रीय समितियां है- पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी तथा दक्षिणी। | ||
{अंतराल प्रशिक्षण विधि का प्रतिपादन किसने किया? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-37 प्रश्न-22 | {अंतराल प्रशिक्षण विधि का प्रतिपादन किसने किया? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-37 प्रश्न-22 | ||
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||अंतराल प्रशिक्षण विधि का प्रतिपादन फिनलैंड के प्रसिद्ध एथलीट कोच बिकिला द्वारा वर्ष [[1920]] में किया गया था। | ||अंतराल प्रशिक्षण विधि का प्रतिपादन फिनलैंड के प्रसिद्ध एथलीट कोच बिकिला द्वारा वर्ष [[1920]] में किया गया था। | ||
{जवाहरलाल नेहरू कप | {'जवाहरलाल नेहरू कप' किस खेल से संबंधित है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-203 प्रश्न-10 | ||
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+[[क्रिकेट]] | +[[क्रिकेट]] | ||
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-[[हॉकी]] | -[[हॉकी]] | ||
-[[फुटबॉल]] | -[[फुटबॉल]] | ||
||जवाहरलाल नेहरू कप [[क्रिकेट]] से संबंधित है जबकि नेहरू ट्रॉफी का संबंध [[हॉकी|हॉकी खेल]] एवं बॉट रेस से है। नेहरू गोल्ड कप या नेहरू कप [[फुटबॉल|फुटबॉल खेल]] में प्रदान की जाती है। एशेज, ईरानी ट्रॉफी, ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप, चैंपियंन ट्रॉफी आदि क्रिकेट की प्रमुख टूर्नामेंट्स हैं। | ||जवाहरलाल नेहरू कप [[क्रिकेट]] से संबंधित है जबकि नेहरू ट्रॉफी का संबंध [[हॉकी|हॉकी खेल]] एवं बॉट रेस से है। नेहरू गोल्ड कप या नेहरू कप [[फुटबॉल|फुटबॉल खेल]] में प्रदान की जाती है। एशेज, ईरानी ट्रॉफी, ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप, चैंपियंन ट्रॉफी आदि क्रिकेट की प्रमुख टूर्नामेंट्स हैं। | ||
{किसी प्रक्रिया की धुरी | {किसी प्रक्रिया की धुरी समतल पर सदैव कौन-सा कोण बनाती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-211 प्रश्न-79 | ||
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-न्यून कोण | -न्यून कोण | ||
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+समकोण | +समकोण | ||
-नगण्य कोण | -नगण्य कोण | ||
{[[मानव शरीर|शरीर]] में लंबी हड्डियों का कार्य है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-216 प्रश्न-130 | {[[मानव शरीर|शरीर]] में लंबी हड्डियों का कार्य है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-216 प्रश्न-130 | ||
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-सुरक्षा देना | -सुरक्षा देना | ||
+लीवर का कार्य करना | +लीवर का कार्य करना | ||
-मांसपेशियों को धरातल देना | -[[मांसपेशी|मांसपेशियों]] को धरातल देना | ||
||[[मानव शरीर|शरीर]] में लंबी हड्डियां मुख्यत: लीवर (उत्तोलक) का कार्य करती है। शरीर की अन्य विभिन्न प्रकार के अस्थियां सुरक्षा संतुलन तथा सभी कठिन कार्यों के क्रियांवयन में सहायता करती हैं। | ||[[मानव शरीर|शरीर]] में लंबी हड्डियां मुख्यत: लीवर (उत्तोलक) का कार्य करती है। शरीर की अन्य विभिन्न प्रकार के अस्थियां सुरक्षा संतुलन तथा सभी कठिन कार्यों के क्रियांवयन में सहायता करती हैं। | ||
{[[हॉकी]] में 'पुश पास' दिया जाता है जब सहयोगी खिलाड़ी खड़ा हो-- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-217 प्रश्न-12 | {[[हॉकी]] में 'पुश पास' दिया जाता है, जब सहयोगी खिलाड़ी खड़ा हो-- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-217 प्रश्न-12 | ||
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+थोड़ी दूरी पर | +थोड़ी दूरी पर | ||
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-प्रतिक्रिया योग्यता | -प्रतिक्रिया योग्यता | ||
- | -फुर्ती | ||
- | -तेज़ी (तीव्रता) | ||
+पेशीय सहनशक्ति | +पेशीय सहनशक्ति | ||
{[[योग]] के एक | {[[योग]] के एक तत्त्व के रूप में--- आत्म नियंत्रण की एक प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी [[इन्द्रियाँ|इंद्रियों]] पर नियंत्रण करने में सक्षम हो जाता है और मानसिक एकाग्रता को बाधित करने वाली बाहरी वस्तुओं द्वारा इंद्रियों में कोई हरकत नहीं होती। (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-176 प्रश्न-120 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[धारणा]] | -[[धारणा]] | ||
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+प्रत्याहार | +प्रत्याहार | ||
-समाधि | -समाधि | ||
||प्रत्याहार एक आत्म नियंत्रण की प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करने के योग्य हो जाता है। वास्तव में [[मस्तिष्क]] व इंद्रियों को अंतर्मुखी करना ही प्रत्याहार | ||प्रत्याहार एक आत्म नियंत्रण की प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करने के योग्य हो जाता है। वास्तव में [[मस्तिष्क]] व इंद्रियों को अंतर्मुखी करना ही प्रत्याहार कहलाता है। | ||
</quiz> | </quiz> | ||
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12:57, 7 जनवरी 2017 का अवतरण
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