विजय अमृतराज
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विजय अमृतराज
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पूरा नाम | विजय अमृतराज |
जन्म | 14 दिसंबर 1953 |
जन्म भूमि | मद्रास (अब चेन्नई) |
अभिभावक | मैगी और रॉबर्ट अमृतराज |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | टेनिस |
नागरिकता | भारतीय |
ऊँचाई | 1.93 मी (6 फुट 4 इंच) |
अन्य जानकारी | टेनिस के अतिरिक्त विजय अमृतराज ने जेम्स बॉन्ड की फ़िल्म 'ओक्टॉपसी' में अभिनय भी किया है। |
अद्यतन | 13:50, 7 दिसम्बर 2012 (IST)
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विजय अमृतराज (अंग्रेज़ी: Vijay Amritraj, जन्म: 14 दिसंबर, 1953) भारत के पूर्व महान् टेनिस खिलाड़ी, खेल प्रस्तोता (कमेंट्रेटर) हैं। मैगी और रॉबर्ट अमृतराज के घर जन्मे विजय और उनके छोटे भाई आनंद और अशोक विश्व टेनिस में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले खिलाड़ी थे। इसके अतिरिक्त विजय ने जेम्स बॉन्ड की फ़िल्म 'ओक्टॉपसी' में अभिनय भी किया है।
खेल जीवन
- विजय ने अपना पहला ग्रांड प्रिक्स 1970 में खेला था। 1973 में वह विंबलडन और यू.एस. ओपन के क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे, जहाँ उन्हें यान कोडेस और केन रोजवैल जैसे दिग्गज ही हरा सके।
- 1976 के विंबलडन में विजय और आनंद सेमीफ़ाइनल तक पहुंचे थे। इसके बाद के वर्ष ब्योर्न बोर्ग, जिमी कॉनर्स और जान मैकेनरो जैसे युवा खिलाड़ियों के कारनामों से भरे पडे़ थे और ग्रैंड स्लैम इवेंट्स में इन्हीं का बोलबाला चला करता था तो भी विजय अमृतराज ने अपनी जगह बनाए रखी
- 1981 के विंबलडन में क्वॉर्टर फ़ाइनल में उन्हें पांच सैटों तक चले मैच में जिमी कॉनर्स से मात खानी पड़ी। इस तरह के फाइव सैटर्स खेलना विजय की ख़ासियत थी।
- 1979 के विंबलडन में जब ब्योन बोर्ग अपने खेल की बुलंदी पर थे। दूसरे राउंड में विजय का उनसे सामना हुआ। विजय ने बोर्ग को छकाते हुए पहला सेट 6-2 से जीता। बोर्ग ने दूसरा सेट 6-4 से जीता। सबको हैरत में डालते हुए विजय ने पिछले चैंपियन को न सिर्फ़ तीसरे सेट में 6-4 से हराया चौथे में 4-1 से लीड ले ली। पराजय के सामने खडे़ बोर्ग ने केवल बेहतर स्टैमिना की बदौलत सैट और मैच बचा लिया। कोई हैरानी नहीं कि ऐसे मैच देखते हुए ही टेनिस की दुनिया विजय को करो या मरो शैली वाले खिलाड़ी के तौर पर जानती थी।
विशेषता
वे नैसर्गिक रूप से ग्रासकोर्ट प्लेयर थे और सर्व ऐंड वॉली पर ज़्यादा निर्भर रहते थे। विश्व के सबसे अच्छे खिलाड़ियों से उनका लगातार हारना केवल स्टैमिना की कमी के कारण होता था, जो कि ज़्यादातर भारतीय टेनिस खिलाडि़यों की समस्या रही है। विंबलडन को टीवी पर देखने वाले जानते हैं कि विजय अमृतराज की कॉमेन्ट्री के बिना इधर के सालों की टीवी कवरेज की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
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