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आज का दिन - 13 मई 2025 (भारतीय समयानुसार)

भारतकोश हलचल

भारतकोश हलचल

वृष संक्रान्ति 15 मई) विश्व परिवार दिवस 15 मई) नारद जयंती 13 मई) कूर्म जयंती 12 मई) वैशाख पूर्णिमा 12 मई) पौर्णमासी व्रत 12 मई) बुद्ध पूर्णिमा 12 मई) मातृ दिवस 12 मई) अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 12 मई) राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 11 मई) नृसिंह जयंती 11 मई) बदरीनाथ-केदारनाथ दर्शन प्रारम्भ 10 मई) प्रदोष व्रत 09 मई) विश्व थैलेसिमिया दिवस 08 मई) विश्व रेडक्रॉस दिवस 08 मई) मोहिनी एकादशी 08 मई) विश्व एथलेटिक्स दिवस 07 मई) सीमा सड़क संगठन स्थापना दिवस 07 मई) विश्व अस्थमा दिवस 06 मई) सीता नवमी 06 मई) विश्व हास्य दिवस 05 मई) अन्तरराष्ट्रीय सूर्य दिवस 03 मई) अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस 03 मई) गंगा सप्तमी 03 मई) रामानुजाचार्य जयन्ती 03 मई) सूरदास जयन्ती 02 मई) शंकराचार्य जयन्ती 02 मई) महाराष्ट्र स्थापना दिवस 01 मई) गुजरात स्थापना दिवस 01 मई) अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस 01 मई) विनायक चतुर्थी 01 मई) अक्षय तृतीया 30 अप्रॅल)


जन्म
मृणाल सेन (14 मई) अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर (14 मई) अरुण चन्द्र गुहा (14 मई) शम्भाजी (14 मई) टी. बालासरस्वती (13 मई) असित सेन (13 मई) फ़ख़रुद्दीन अली अहमद (13 मई) सच्चिदानंद राउतराय (13 मई) रवि शंकर (13 मई)
मृत्यु
जगदीशचन्द्र माथुर (14 मई) अल्ला बख़्श (14 मई) आचार्य रघुवीर (14 मई) कंडासामी कुप्पुसामी (14 मई) एन.जी. चन्दावरकर (14 मई) हसरत मोहानी (13 मई) बादल सरकार (13 मई) आर. के. नारायण (13 मई) इंदु जैन (13 मई) हेमलता गुप्ता (13 मई) बाबा हरदेव सिंह (13 मई) रामकृष्ण देवदत्त भंडारकर (13 मई) बीर भान भाटिया (13 मई)

भारतकोश सम्पादकीय

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी

कौऔं का वायरस

         यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें

पिछले सभी लेख सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र शर्मदार की मौत


एक आलेख

एक आलेख

        संसद भवन नई दिल्ली में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। ... और पढ़ें

पिछले आलेख राष्ट्रपति रसखान की भाषा मौर्य काल

एक व्यक्तित्व

एक व्यक्तित्व

        महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो कार्ल मार्क्स, लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी इतिहास, पुरातत्त्व, स्थापत्य, भाषाशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। ... और पढ़ें

पिछले लेख पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर जे. आर. डी. टाटा आर. के. लक्ष्मण

एक तीर्थ स्थल

एक तीर्थ स्थल
राम कुण्ड, नासिक
राम कुण्ड, नासिक

        नासिक शहर दक्षिण-पश्चिमी भारत के पश्चिमोत्तर महाराष्ट्र राज्य में गोदावरी नदी के किनारे बसा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ श्राद्ध, तर्पण, पिण्डदान एवं पितरों की संतुष्टि हेतु ब्राह्मण भोजन करवाने से पितर तृप्त होकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। प्रतिवर्ष यहाँ हज़ारों तीर्थयात्री रामायण के नायक भगवान श्रीराम द्वारा अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहाँ कुछ समय तक निवास करने की किंवदंती के कारण आते हैं। नासिक को शिव पूजा का केंद्र होने के कारण 'दक्षिण काशी' भी कहा जाता है। ... और पढ़ें

एक नदी

एक नदी

        नर्मदा नदी भारत के मध्यभाग में पूरब से पश्चिम की ओर बहने वाली एक प्रमुख नदी है, जो गंगा के समान पूजनीय है। नर्मदा का उद्गम विंध्याचल की मैकाल पहाड़ी शृंखला में अमरकंटक नामक स्थान में है। मैकाल से निकलने के कारण नर्मदा को 'मैकाल कन्या' भी कहते हैं। स्कंद पुराण में इस नदी का वर्णन 'रेवा खंड' के अंतर्गत किया गया है। कालिदास के ‘मेघदूतम्’ में नर्मदा को 'रेवा' का संबोधन मिला है, जिसका अर्थ है- पहाड़ी चट्टानों से कूदने वाली। अमरकंटक में सुंदर सरोवर में स्थित शिवलिंग से निकलने वाली इस पावन धारा को 'रुद्र कन्या' भी कहते हैं, जो आगे चलकर नर्मदा नदी का विशाल रूप धारण कर लेती हैं। पवित्र नदी नर्मदा के तट पर अनेक तीर्थ हैं, जहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इनमें कपिलधारा, शुक्लतीर्थ, मांधाता, भेड़ाघाट, शूलपाणि, भड़ौंच उल्लेखनीय हैं। अमरकंटक की पहाड़ियों से निकल कर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर नर्मदा क़रीब 1310 किमी का प्रवाह पथ तय कर भरौंच के आगे खंभात की खाड़ी में विलीन हो जाती है। ... और पढ़ें

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

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महत्त्वपूर्ण आकर्षण

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समाचार

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कुछ लेख

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चयनित चित्र

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बरसाना के राधारानी मंदिर की सुंदर छवि
बरसाना के राधारानी मंदिर की सुंदर छवि

राधा रानी मंदिर, बरसाना