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कैलास पर्वत

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कैलास पर्वत (कांग-ति-स्सू-शान), हिमालय पर्वतीय प्रणाली के सर्वोच्च और सबसे विषम क्षेत्रों में से एक है। यह चीन के तिब्बत क्षेत्र के अंतर्गत स्वायत्त क्यू (क्षेत्र) के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में स्थित है। इस श्रेणी का अक्ष पश्चिमोत्तर से दक्षिण-पश्चिम की ओर है और एक द्रोणी के उत्तर में अवस्थित है, जो पश्चिमी क्षेत्र में लांग्चू नदी (सतलुज नदी का चीनी नाम) और पूर्व में ब्रह्मपुत्र (चीनी भाषा में यालिज़आंग्बू या सांग्पो नदी) के आरम्भिक जलस्रोत माचुआन नदी द्वारा अपवाहित होता है। इस अवसादी क्षेत्र के मध्य में मापाम झील है, जो समुद्र तल से 4,557 मीटर की ऊँचाई पर स्थित होने के कारण दुनिया की सबसे ऊँची मीठे पानी की झील के रूप में विख्यात है। इस झील के उत्तर में 6,714 मीटर ऊँचा कैलाश पर्वत है, जो तिब्बत में गंग तिसे नाम से जाना जाता है और यह इस श्रेणी की उच्चतम चोटी है।

महत्वपूर्ण

कैलाश पर्वत हिन्दू और तिब्बती बौद्धों, दोनों के लिए महत्वपूर्ण है; हिन्दू इसे शिव का निवास स्थान मानते हैं, जबकि तिब्बती बौद्ध इसे ब्रह्माण्ड का सार्वभौमिक केन्द्र, सुमेरु पर्वत मानते हैं। हालाँकि कैलाश पर्वत और मापाम झील तक तीर्थस्थल के रूप में जाने की अनुमति 1951 में तिब्बत पर चीन के अधिकार के बाद दी गई थी और 1954 में भारत-चीन सन्धि में भी इसकी पुष्टि की गई थी, लेकिन तिब्बत में विद्रोह के दमन के बाद वहाँ जाने पर नियंत्रण लगा दिया गया और 1962 में सीमा बन्द कर दी गई। दक्षिण की ओर से इस क्षेत्र में पहुँचने का रास्ता पुलन के दक्षिण में स्थित ऊँचे लिपुलिएज़ दर्रे से होकर जाता है। कैलाश पर्वतश्रेणी के उत्तरी कगार से सिन्धु नदी निकलती है।

शिव पुराण के अनुसार

  • शिव अपने गणों तथा देवी-देवताओं सहित निधिनाथ के पास अलकापुरी गये।
  • उनका आतिथ्य ग्रहण करके शिव ने विश्वकर्मा को आज्ञा दी कि वह कैलास पर्वत पर उनके तथा गणों के लिए मंदिर बनवाये।
  • मंदिर बनने के उपरांत वे वहाँ चले गये। सब देवी-देवताओं को उन्होंने अपना-अपना कार्य संपन्न करने के लिए विदा किया।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शिव पुराण 1 । पूर्वार्द्ध 20-22 ।-

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