"क्यों विलग होता गया -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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आज निर्गत, नीर निर्झर नयन से होता गया | आज निर्गत, नीर निर्झर नयन से होता गया | ||
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वह निरंतर शुभ्र तन औ शांत मन होता गया | वह निरंतर शुभ्र तन औ शांत मन होता गया | ||
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13:32, 20 मार्च 2015 के समय का अवतरण
क्यों विलग होता गया -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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