"खासी पहाड़ियाँ" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*ख़ासी पहाड़ी मध्य [[मेघालय]] राज्य में पूर्वोत्तर [[भारत]] में स्थित है।  
+
[[चित्र:Khasi-Hills.jpg|thumb|250px|खासी पहाड़ियाँ, [[मेघालय]]]]
 +
'''ख़ासी पहाड़ी''' मध्य [[मेघालय]] राज्य में पूर्वोत्तर [[भारत]] में स्थित है।  
 
*यहाँ का अधिकांश इलाक़ा पहाड़ी है, जिसमें [[शिलांग]] पठार शामिल है, यहाँ का अपवाह [[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]] और सूरमा नदियों की सहायक धाराओं द्वारा होता है।  
 
*यहाँ का अधिकांश इलाक़ा पहाड़ी है, जिसमें [[शिलांग]] पठार शामिल है, यहाँ का अपवाह [[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]] और सूरमा नदियों की सहायक धाराओं द्वारा होता है।  
 +
[[चित्र:Khasi-Hills-1.jpg|thumb|left|खासी पहाड़ियाँ, [[मेघालय]]]]
 
*दक्षिण में स्थित चेरापूंजी विश्व में सर्वाधिक औसत वर्षा वाला क्षेत्र है। नयनाभिराम सुंदरता के कारण ख़ासी पर्वतीय क्षेत्र को ''''पूर्व का स्कॉटलैंड'''' भी कहा जाता है।  
 
*दक्षिण में स्थित चेरापूंजी विश्व में सर्वाधिक औसत वर्षा वाला क्षेत्र है। नयनाभिराम सुंदरता के कारण ख़ासी पर्वतीय क्षेत्र को ''''पूर्व का स्कॉटलैंड'''' भी कहा जाता है।  
 
*मेघालय की राजधानी शिलांग से बाहर की जनता का अधिकांश हिस्सा कृषि कार्य में संलग्न है, जिसमें घाटियों और पहाड़ की ढलानों पर सीढ़ीदार खेतों में उगाया जाने वाला चावल प्रमुख फ़सल है।  
 
*मेघालय की राजधानी शिलांग से बाहर की जनता का अधिकांश हिस्सा कृषि कार्य में संलग्न है, जिसमें घाटियों और पहाड़ की ढलानों पर सीढ़ीदार खेतों में उगाया जाने वाला चावल प्रमुख फ़सल है।  

06:26, 4 मार्च 2012 का अवतरण

खासी पहाड़ियाँ, मेघालय

ख़ासी पहाड़ी मध्य मेघालय राज्य में पूर्वोत्तर भारत में स्थित है।

  • यहाँ का अधिकांश इलाक़ा पहाड़ी है, जिसमें शिलांग पठार शामिल है, यहाँ का अपवाह ब्रह्मपुत्र और सूरमा नदियों की सहायक धाराओं द्वारा होता है।
खासी पहाड़ियाँ, मेघालय
  • दक्षिण में स्थित चेरापूंजी विश्व में सर्वाधिक औसत वर्षा वाला क्षेत्र है। नयनाभिराम सुंदरता के कारण ख़ासी पर्वतीय क्षेत्र को 'पूर्व का स्कॉटलैंड' भी कहा जाता है।
  • मेघालय की राजधानी शिलांग से बाहर की जनता का अधिकांश हिस्सा कृषि कार्य में संलग्न है, जिसमें घाटियों और पहाड़ की ढलानों पर सीढ़ीदार खेतों में उगाया जाने वाला चावल प्रमुख फ़सल है।
  • इस क्षेत्र के अन्य किसान झूम खेती करते हैं, वे पेड़ों को जलाकर भूमि साफ़ करके एक या दो वर्ष तक खेती करने के बाद अन्यत्र चले जाते हैं।
  • सरकार इस अपव्ययकारी पद्धति को हतोत्साहित कर रही है और बदले में पारंपरिक खेती की भूमि पर स्थायी व्यवस्था पर ज़ोर दे रही है।
  • ख़ासी लोगों की विशेष संस्कृति में मातृवंशीय सामाजिक व्यवस्था की परंपरा है, जो बाहरी धर्मों और आधुनिक क़ानूनी प्रभावों के कारण बदल रही है। पहाड़ी लोगों में से कई ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख