"चौकोर फ़ुटबॉल -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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<div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>चौकोर फ़ुटबॉल<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div><br /> | <div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>चौकोर फ़ुटबॉल<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div><br /> | ||
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पुराने ज़माने की बात है, एक गाँव से होकर एक व्यापारी सेठ की माल असबाब से लदी बैलगाड़ी गुज़र रही थी। रास्ते में बरसात के कारण गहरा गड्ढ़ा था जिसमें गाड़ी फंस गई। चार-चार आदमियों की काफ़ी कोशिश के बाद भी गाड़ी निकाली न जा सकी। पास ही एक दुकान के पट्टे पर छोटे पहलवान भी बैठा था और यह सब देख रहा था। दुकानदार ने सेठ जी से कहा- | पुराने ज़माने की बात है, एक गाँव से होकर एक व्यापारी सेठ की माल असबाब से लदी बैलगाड़ी गुज़र रही थी। रास्ते में बरसात के कारण गहरा गड्ढ़ा था जिसमें गाड़ी फंस गई। चार-चार आदमियों की काफ़ी कोशिश के बाद भी गाड़ी निकाली न जा सकी। पास ही एक दुकान के पट्टे पर छोटे पहलवान भी बैठा था और यह सब देख रहा था। दुकानदार ने सेठ जी से कहा- | ||
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तीन तरह के व्यक्ति होते हैं। पहले वे जो ज़रूरत को देखते हुए बिना कहे ही काम करते हैं, दूसरे वे जो कहने से काम कर देते हैं और तीसरे वे जो कहने से भी काम नहीं करते बल्कि उनको किसी परिस्थिति में फँसाकर ही काम 'कराया' जा सकता है। ये दुनिया जितनी भी तरक़्क़ी कर रही है वह पहली श्रेणी वाले लोगों के कारण कर रही है और दुनिया में व्यवस्था संभालने का ज़िम्मा उनका है जो दूसरी श्रेणी के लोग हैं, अब रह जाते हैं तीसरी श्रेणी के लोग... तो आप ख़ुद ही सोच सकते हैं कि वे किस श्रेणी में आते हैं। ये लोग होते हैं चौकोर फ़ुटबॉल। जितना लात मारोगे उतना ही सरकेगी; गोल फ़ुटबॉल की तरह नहीं कि एक किक लगाते ही ये जा-वो जा... | तीन तरह के व्यक्ति होते हैं। पहले वे जो ज़रूरत को देखते हुए बिना कहे ही काम करते हैं, दूसरे वे जो कहने से काम कर देते हैं और तीसरे वे जो कहने से भी काम नहीं करते बल्कि उनको किसी परिस्थिति में फँसाकर ही काम 'कराया' जा सकता है। ये दुनिया जितनी भी तरक़्क़ी कर रही है वह पहली श्रेणी वाले लोगों के कारण कर रही है और दुनिया में व्यवस्था संभालने का ज़िम्मा उनका है जो दूसरी श्रेणी के लोग हैं, अब रह जाते हैं तीसरी श्रेणी के लोग... तो आप ख़ुद ही सोच सकते हैं कि वे किस श्रेणी में आते हैं। ये लोग होते हैं चौकोर फ़ुटबॉल। जितना लात मारोगे उतना ही सरकेगी; गोल फ़ुटबॉल की तरह नहीं कि एक किक लगाते ही ये जा-वो जा... | ||
सार्वजनिक क्षेत्र में किस तरह से काम होता है यह तो आप जानते ही हैं। डाकखाना, बिजलीघर, सरकारी अस्पताल आदि में चले जायें तो लगता है जैसे दुनिया रुक सी गई है। निजी क्षेत्र में भी जिन्होंने अनुभव किए हैं वे काफ़ी दिलचस्प हैं। किसी भी प्रतिष्ठान में 10 में से 2 व्यक्ति ही कर्मठ होते हैं। ये दो व्यक्ति वे होते हैं जिनके बल पर कम्पनियाँ प्रगति करती हैं, विकास करती हैं। | सार्वजनिक क्षेत्र में किस तरह से काम होता है यह तो आप जानते ही हैं। डाकखाना, बिजलीघर, सरकारी अस्पताल आदि में चले जायें तो लगता है जैसे दुनिया रुक सी गई है। निजी क्षेत्र में भी जिन्होंने अनुभव किए हैं वे काफ़ी दिलचस्प हैं। किसी भी प्रतिष्ठान में 10 में से 2 व्यक्ति ही कर्मठ होते हैं। ये दो व्यक्ति वे होते हैं जिनके बल पर कम्पनियाँ प्रगति करती हैं, विकास करती हैं। | ||
− | + | काम के बारे में कुछ मशहूर हस्तियों के उद्धरण- | |
# ऐसा काम चुनो जिसे तुम प्यार करते हो, इसके बाद तुम्हें ज़िंदगी भर 'काम' करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी- कंफ़्यूशस (क्योंकि यह काम तुम्हारा प्रेम होगा और प्रेम कोई 'कार्य' नहीं होता) | # ऐसा काम चुनो जिसे तुम प्यार करते हो, इसके बाद तुम्हें ज़िंदगी भर 'काम' करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी- कंफ़्यूशस (क्योंकि यह काम तुम्हारा प्रेम होगा और प्रेम कोई 'कार्य' नहीं होता) | ||
# किसी ऐसे आदमी को नौकरी मत दो जो अपना काम पैसे के लिए करता है, बल्कि उसे नौकरी दो जो अपने काम से मुहब्बत करता है- हेनरी डेविड थोरो | # किसी ऐसे आदमी को नौकरी मत दो जो अपना काम पैसे के लिए करता है, बल्कि उसे नौकरी दो जो अपने काम से मुहब्बत करता है- हेनरी डेविड थोरो |
14:59, 22 सितम्बर 2012 का अवतरण
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