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*नीलगिरि पहाड़ियाँ, [[तमिलनाडु]] राज्य का पर्वतीय क्षेत्र है, दक्षिणी [[भारत]] में स्थित हैं।
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'''नीलगिरि पहाड़ियाँ''' [[तमिलनाडु]] राज्य का पर्वतीय क्षेत्र है। यह सुदूर दक्षिण की पर्वत श्रेणी है। इन पहाड़ियों पर पश्चिमी एवं [[पूर्वी घाट पर्वत|पूर्वी घाटों]] का संगम होता है। प्राचीन काल में यह श्रेणी मलय पर्वत में सम्मिलित थी। कुछ विद्वानों का अनुमान है कि [[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]]<ref>[[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]] 254, 15 ('स केरलं रणे चैव नीलं चापि महीपतिम्')</ref> में [[कर्ण]] की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में [[केरल]] तथा तत्पश्चात् नील नरेश के विजित होने का जो उल्लेख है, उससे इस राजा का [[नील पर्वत]] के प्रदेश में होना सूचित होता है।
*इन पहाड़ियों पर पश्चिमी एवं पूर्वी घाटों का संगम होता है।
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==भौगोलिक तथ्य==
*दोदाबेटा इसकी सर्वोच्च चोटियों में गिनी जाती है।
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दोदाबेटा नीलगिरि पहाड़ियों की सर्वोच्च चोटियों में गिनी जाती है। [[भारत]] की [[टोडा जनजाति]] इस पर्वत श्रेणी के ढलानों पर रहती है। नीलगिरि पहाड़ियों को 'ब्लू माउण्टेन्स' भी कहा जाता है। इसकी चोटियाँ आस-पास के मैदानी क्षेत्र से अचानक उठकर 1,800 से 2,400 मीटर की ऊँचाई तक पहुँचती हैं। इनमें से एक 2,637 ऊँची दोदाबेटा चोटी तमिलनाडु का शीर्ष बिन्दू है।नीलगिरि पहाड़ियाँ पश्चिमी घाटी का हिस्सा हैं और नोयर नदी इन्हें [[कर्नाटक का पठार|कर्नाटक के पठार]] (उत्तर) तथा पालघाटी इन्हें [[अन्नामलाई पहाड़ियाँ|अन्नामलाई]], [[पालनी पहाड़ियाँ|पालनी पहाड़ियों]] (दक्षिण) से अलग करती है।
*भारत की टोडा जनजाति इस पर्वतश्रेणी के ढलानों पर रहती है।
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====वनस्पति====
*नीलगिरि पहाड़ियों को '''ब्लूमाउण्टेन्स''' भी कहा जाता है।
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नीलगिरि पहाड़ियाँ आस-पास के मैदानी क्षेत्र के मुक़ाबले ठंडी और नम हैं। ऊपरी पहाड़ियाँ लहरदार घास के क्षेत्रों का निर्माण करती हैं। इन पर [[चाय]], [[सिनकोना]]<ref>पेड़ और झाड़ियाँ, जिनकी छाल से कुनैन मिलता है</ref>, [[कॉफ़ी]] और [[सब्जियाँ|सब्ज़ियों]] की व्यापक खेती होती है।
*नीलगिरि की चोटियाँ आसपास के मैदानी क्षेत्र से अचानक उठकर 1,800 से 2,400 मीटर की ऊँचाई तक पहुँचती हैं; इनमें से एक 2,637 ऊँचा डोडाबेट्टा तमिलनाडु का शीर्ष बिन्दू है।
 
*नीलगिरि पहाड़ियाँ पश्चिमी घाटी का हिस्सा हैं और [[नोयर नदी]] इन्हें [[कर्नाटक]] के पठार (उत्तर) तथा पालघाट घाटी इन्हें [[अन्नामलाई पहाड़ियाँ|अन्नामलाई]], [[पालनी पहाड़ियाँ|पालनी पहाड़ियों]] (दक्षिण) से अलग करती है।  
 
*नीलगिरि पहाड़ियाँ आसपास के मैदानी क्षेत्र के मुक़ाबले ठंडी और नम हैं।  
 
*ऊपरी पहाड़ियाँ लहरदार घास के क्षेत्रों का निर्माण करती है।
 
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07:44, 23 जून 2017 के समय का अवतरण

नीलगिरि पहाड़ियाँ, तमिलनाडु

नीलगिरि पहाड़ियाँ तमिलनाडु राज्य का पर्वतीय क्षेत्र है। यह सुदूर दक्षिण की पर्वत श्रेणी है। इन पहाड़ियों पर पश्चिमी एवं पूर्वी घाटों का संगम होता है। प्राचीन काल में यह श्रेणी मलय पर्वत में सम्मिलित थी। कुछ विद्वानों का अनुमान है कि महाभारत, वनपर्व[1] में कर्ण की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में केरल तथा तत्पश्चात् नील नरेश के विजित होने का जो उल्लेख है, उससे इस राजा का नील पर्वत के प्रदेश में होना सूचित होता है।

भौगोलिक तथ्य

दोदाबेटा नीलगिरि पहाड़ियों की सर्वोच्च चोटियों में गिनी जाती है। भारत की टोडा जनजाति इस पर्वत श्रेणी के ढलानों पर रहती है। नीलगिरि पहाड़ियों को 'ब्लू माउण्टेन्स' भी कहा जाता है। इसकी चोटियाँ आस-पास के मैदानी क्षेत्र से अचानक उठकर 1,800 से 2,400 मीटर की ऊँचाई तक पहुँचती हैं। इनमें से एक 2,637 ऊँची दोदाबेटा चोटी तमिलनाडु का शीर्ष बिन्दू है।नीलगिरि पहाड़ियाँ पश्चिमी घाटी का हिस्सा हैं और नोयर नदी इन्हें कर्नाटक के पठार (उत्तर) तथा पालघाटी इन्हें अन्नामलाई, पालनी पहाड़ियों (दक्षिण) से अलग करती है।

वनस्पति

नीलगिरि पहाड़ियाँ आस-पास के मैदानी क्षेत्र के मुक़ाबले ठंडी और नम हैं। ऊपरी पहाड़ियाँ लहरदार घास के क्षेत्रों का निर्माण करती हैं। इन पर चाय, सिनकोना[2], कॉफ़ी और सब्ज़ियों की व्यापक खेती होती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, वनपर्व 254, 15 ('स केरलं रणे चैव नीलं चापि महीपतिम्')
  2. पेड़ और झाड़ियाँ, जिनकी छाल से कुनैन मिलता है

संबंधित लेख