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*[[किंवदंती]] है कि इस स्थान पर पूर्वकाल में श्रृंगी आदि सप्तऋषियों की तपोभूमि थी, जिनके नाम से प्रसिद्ध कई गुफाएँ पहाड़ियों के उच्चशिखरों पर अवस्थित हैं। | *[[किंवदंती]] है कि इस स्थान पर पूर्वकाल में श्रृंगी आदि सप्तऋषियों की तपोभूमि थी, जिनके नाम से प्रसिद्ध कई गुफाएँ पहाड़ियों के उच्चशिखरों पर अवस्थित हैं। | ||
*सिहावा के खंडहरों से छः मंदिरों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। | *सिहावा के खंडहरों से छः मंदिरों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। | ||
− | *सिहावा के पाँच मन्दिरों का निर्माण चन्द्रवंशी राजा कर्ण ने 1114 शक संवत 1192 ई. के लगभग करवाया था। | + | *सिहावा के पाँच मन्दिरों का निर्माण [[चन्द्र वंश|चन्द्रवंशी]] राजा कर्ण ने 1114 शक संवत 1192 ई. के लगभग करवाया था। |
− | *यह बात सिहावा के एक अभिलेख से स्पष्ट होती है। | + | *यह बात सिहावा के एक [[अभिलेख]] से स्पष्ट होती है। |
− | *इस अभिलेख से सूचित होता है कि सिहावा का नाम देवह्रद था और इसे एक तीर्थ के रूप में मान्यता प्राप्त थी। | + | *इस अभिलेख से सूचित होता है कि सिहावा का नाम देवह्रद था और इसे एक [[तीर्थ]] के रूप में मान्यता प्राप्त थी। |
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09:47, 16 मार्च 2012 का अवतरण
सिहावा छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर के समीप धमतरी ज़िले में स्थित एक पर्वत श्रेणी है। इस पर्वतश्रेणी में ही महानदी का उद्गम होता है।
- किंवदंती है कि इस स्थान पर पूर्वकाल में श्रृंगी आदि सप्तऋषियों की तपोभूमि थी, जिनके नाम से प्रसिद्ध कई गुफाएँ पहाड़ियों के उच्चशिखरों पर अवस्थित हैं।
- सिहावा के खंडहरों से छः मंदिरों के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- सिहावा के पाँच मन्दिरों का निर्माण चन्द्रवंशी राजा कर्ण ने 1114 शक संवत 1192 ई. के लगभग करवाया था।
- यह बात सिहावा के एक अभिलेख से स्पष्ट होती है।
- इस अभिलेख से सूचित होता है कि सिहावा का नाम देवह्रद था और इसे एक तीर्थ के रूप में मान्यता प्राप्त थी।
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