राम नारायण मिश्र (साहित्यकार)

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Disamb2.jpg राम नारायण मिश्र एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- राम नारायण मिश्र (बहुविकल्पी)

राम नारायण मिश्र (जन्म- 1873, अमृतसर, पंजाब; मृत्यु- 1953) काशी नागरी प्रचारिणी सभा के जो संस्थापक थे उनमें से एक और हिंदी भाषा के समर्थक थे। पंडित राम नारायण मिश्र शिक्षा विभाग में सब डिप्टी तथा डिप्टी इंस्पेक्टर के पद पर रहे।

परिचय

काशी नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापकों में से एक राम नारायण मिश्र का जन्म 1873 ईसवी में अमृतसर (पंजाब) में हुआ था। वे अपने माता पिता के साथ अपने मामा के पास काशी आ गए और फिर वहीं के निवासी हो गए। वे हिंदी भाषा के प्रवल समर्थक थे। राम नारायण मिश्र ने क्वींस कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने शिक्षा विभाग में सब डिप्टी और डिप्टी इंस्पेक्टर के पद पर रह कर सेवा की। क्वींस कॉलेज में अध्ययन के समय ही पंडित राम नारायण मिश्र, बाबू श्याम सुंदर दास, ठाकुर शिवकुमार सिंह और बाबू राधा कृष्ण दास आदि ने 'नागरी प्रचारिणी सभा' नाम की संस्था बनाई और स्थान मिल जाने पर सभा के भवन का निर्माण हुआ। इस संस्था ने हिंदी की अनन्य सेवा की।[1]

हिंदी के समर्थक

कचहरियों की भाषा उर्दू होने के कारण लोग अपने बच्चों को उर्दू की शिक्षा दिलाने में अधिक रुचि लेते थे। राम नारायण मिश्र चाहते थे कि लोग ज्यादा से ज्यादा हिंदी सीखें। इसी बात को ध्यान में रखकर उन्होंने स्कूलों में 'जय जय प्यारा देश' तथा 'पितु मातु सहायक स्वामी सखा तुम ही एक नाथ हमारे हो' जैसी प्रार्थनाओं का प्रचलन कराया।

रचनाएं

पंडित राम नारायण मिश्र ने कई पुस्तकों की भी रचना की जिनमें 'महादेव गोविंद रानाडे की जीवनी', 'जापान का इतिहास' और 'भारतीय शिष्टाचार' प्रमुख हैं।

मृत्यु

पंडित राम नारायण मिश्र का 1953 ईस्वी में निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 735 |

बाहरी कड़ियाँ

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