"अंडमान सागर" के अवतरणों में अंतर

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'''अंडमान सागर''' 7,98,000 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाला सागर है जो [[हिंद महासागर]] का पूर्वोत्‍तर भाग है। बेसिन, मॉलमेन, तॅवॉय, मर्गुई जैसे बंदरगाहों और यांगून (भूतपूर्व [[रंगून]]) के रास्‍ते [[म्यांमार]] (भूतपूर्व बर्मा) व अन्‍य देशों के बीच यह सबसे महत्‍वपूर्ण सामुद्रिक कड़ी है।  
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{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
* मलक्‍का जलडमरूमध्‍य से होते हुए [[भारत]] और [[चीन]] के बीच भी यह समुद्री मार्ग बनाता है। इसके उत्‍तर में म्‍यांमार की इरावदी नदी का डेल्‍टा पूर्व में प्रायद्वीपीय म्‍यांमार, [[थाइलैंड]], [[मलेशिया]] और पश्‍चिम में [[अंडमान और निकोबार द्वीप समूह|अंडमान निकोबार द्वीप]] हैं, जो भारतीय प्रशासन के अंतर्गत हैं। इसके दक्षिण में सुमात्रा का द्वीप (इंडोनेशिया का भाग) और मलक्‍का जलडमरूमध्‍य है। इस [[समुद्र]] का नाम अंडमान द्वीप समूह पर पड़ा है।
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* उत्‍तर से दक्षिण तक अंडमान सागर की लंबाई 1,200 किमी और चौड़ाई 645 किमी है। इसका पांच प्रतिशत से कम भाग 3,000 मीटर से अधिक गहरा है, लेकिन अंडमान-निकोबार श्रेणी के पूर्व में जलगत घाटियों की प्रणाली में गहराई 4,400 मीटर से भी अधिक है।  
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|चित्र का नाम=अंडमान सागर
* इस सागर का उत्‍तरी और पूर्वी एक तिहाई भाग 180 मीटर से कम गहरा है। इसका कारण [[इरावती नदी|इरावती नदी]] द्वारा डेल्‍टा पर गाद का जमाव है। अंडमान सागर का पश्‍चिमी और मध्‍य अर्द्धाश 914 से 3,000 मीटर गहरा है।  
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* इरावती नदी सागर का मौसम दक्षिण-पूर्वी एशिया के मॉनसून से निर्धारित होता है। सर्दियों में क्षेत्रीय आंर्द्रता कम होती है, समुद्र को [[वर्षा]] तथा बहाव का पानी बहुत कम मिलता है, अत: समुद्र की सतह पर खारापन बढ़ जाता है।  
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'''अंडमान सागर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Andaman Sea'') 7,74,000 वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल वाला सागर है, जो [[हिंद महासागर]] का पूर्वोत्‍तर भाग है। बेसिन, मॉलमेन, तॅवॉय, मर्गुई जैसे बंदरगाहों और [[यांगून]] (भूतपूर्व [[रंगून]]) के रास्‍ते [[म्यांमार]] (भूतपूर्व बर्मा) व अन्‍य देशों के बीच यह सबसे महत्‍वपूर्ण सामुद्रिक कड़ी है।  
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* मलक्‍का जलडमरूमध्‍य से होते हुए [[भारत]] और [[चीन]] के बीच भी यह समुद्री मार्ग बनाता है। इसके उत्‍तर में म्‍यांमार की इरावदी नदी का डेल्‍टा पूर्व में प्रायद्वीपीय म्‍यांमार, [[थाइलैंड]], [[मलेशिया]] और पश्‍चिम में [[अंडमान और निकोबार द्वीप समूह|अंडमान निकोबार द्वीप]] हैं, जो भारतीय प्रशासन के अंतर्गत हैं। इसके दक्षिण में [[सुमात्रा]] का द्वीप (इंडोनेशिया का भाग) और मलक्‍का जलडमरूमध्‍य है। इस [[समुद्र]] का नाम अंडमान द्वीप समूह पर पड़ा है।
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* उत्‍तर से दक्षिण तक अंडमान सागर की लंबाई 1,200 कि.मी. और चौड़ाई 645 कि.मी. है। इसका पांच प्रतिशत से कम भाग 3,000 मीटर से अधिक गहरा है, लेकिन अंडमान-निकोबार श्रेणी के पूर्व में जलगत घाटियों की प्रणाली में गहराई 4,400 मीटर से भी अधिक है।  
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* इस सागर का उत्‍तरी और पूर्वी एक तिहाई भाग 180 मीटर से कम गहरा है। इसका कारण [[इरावती नदी]] द्वारा डेल्‍टा पर गाद का जमाव है। अंडमान सागर का पश्‍चिमी और मध्‍य अर्द्धाश 914 से 3,000 मीटर गहरा है।
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* इरावती नदी सागर का मौसम दक्षिण-पूर्वी एशिया के मॉनसून से निर्धारित होता है। सर्दियों में क्षेत्रीय आंर्द्रता कम होती है, समुद्र को [[वर्षा]] तथा बहाव का पानी बहुत कम मिलता है, अत: समुद्र की सतह पर खारापन बढ़ जाता है।
 
* ग्रीष्‍म के मॉनसून में म्‍यांमार से बहुत अधिक मात्रा में पानी अंडमान सागर में बह आता है, जिससे इसके उत्‍तरी एक तिहाई भाग में कम खारापन होता है। अंडमान सागर में समुद्री प्राणी ज्‍यादा नहीं पाए जाते हैं, हालांकि मलय [[प्रायद्वीप]] के तटीय क्षेत्रों में अकशेरूकी (मोलस्‍क) प्राणी और [[मछली]] की लगभग 250 प्रजातियां पाई जाती हैं।  
 
* ग्रीष्‍म के मॉनसून में म्‍यांमार से बहुत अधिक मात्रा में पानी अंडमान सागर में बह आता है, जिससे इसके उत्‍तरी एक तिहाई भाग में कम खारापन होता है। अंडमान सागर में समुद्री प्राणी ज्‍यादा नहीं पाए जाते हैं, हालांकि मलय [[प्रायद्वीप]] के तटीय क्षेत्रों में अकशेरूकी (मोलस्‍क) प्राणी और [[मछली]] की लगभग 250 प्रजातियां पाई जाती हैं।  
* इस सागर में खनिज संसाधन भी सीमित हैं, लेकिन मलेशिया और थाईलैंड के तटों पर टीन धातु पाई जाती है। प्राचीन काल से ही अंडमान सागर में व्‍यापारिक समुद्री जहाज आते रहे हैं। यह भारत और चीन के बीच तटीय व्‍यापार मार्ग का हिस्‍सा था।  
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* इस सागर में खनिज संसाधन भी सीमित हैं, लेकिन मलेशिया और थाईलैंड के तटों पर टीन धातु पाई जाती है। प्राचीन काल से ही अंडमान सागर में व्‍यापारिक समुद्री जहाज़ आते रहे हैं। यह भारत और चीन के बीच तटीय व्‍यापार मार्ग का हिस्‍सा था।  
* आठवीं शताब्‍दी से यह पश्‍चिम में [[भारत]] व [[श्रीलंका]] (भूतपूर्व सीलोन) तथा पूर्व में म्‍यांमार के थैटॉन, मर्तबान और तॅवॉय बंदरगाहों के फलते-फूलते व्‍यापार के बीच की कड़ी था।  
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* आठवीं शताब्‍दी से यह पश्‍चिम में [[भारत]] व [[श्रीलंका]] (भूतपूर्व [[सीलोन]]) तथा पूर्व में म्‍यांमार के [[थाटोन|थैटॉन]], मर्तबान और तॅवॉय बंदरगाहों के फलते-फूलते व्‍यापार के बीच की कड़ी था।  
* दक्षिण-पूर्व में मलेशिया का पिनांग और उत्‍तर में म्‍यांमार का यांगून अंडमान सागर पर स्‍थित दो सबसे आधुनिक और बड़े बंदरगाह हैं।  
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* दक्षिण-पूर्व में मलेशिया का पिनांग और उत्‍तर में म्‍यांमार का यांगून अंडमान सागर पर स्‍थित दो सबसे आधुनिक और बड़े बंदरगाह हैं।
 
 
  
  
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11:50, 21 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

अंडमान सागर
अंडमान सागर
विवरण 'अंडमान सागर' बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व, म्यांमार के दक्षिण, थाईलैंड के पश्चिम और अंडमान द्वीप समुह के पूर्व में एक जल संग्रह है।
क्षेत्रफल 7,74,000 वर्ग कि.मी.
लंबाई 1,200 कि.मी.
चौड़ाई 645 कि.मी.
सतही क्षेत्रफल 600,000 कि.मी.2
संबंधित लेख सागर, बंगाल की खाड़ी
अन्य जानकारी इस सागर का पांच प्रतिशत से कम भाग 3,000 मीटर से अधिक गहरा है, लेकिन अंडमान-निकोबार श्रेणी के पूर्व में जलगत घाटियों की प्रणाली में गहराई 4,400 मीटर से भी अधिक है।

अंडमान सागर (अंग्रेज़ी: Andaman Sea) 7,74,000 वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल वाला सागर है, जो हिंद महासागर का पूर्वोत्‍तर भाग है। बेसिन, मॉलमेन, तॅवॉय, मर्गुई जैसे बंदरगाहों और यांगून (भूतपूर्व रंगून) के रास्‍ते म्यांमार (भूतपूर्व बर्मा) व अन्‍य देशों के बीच यह सबसे महत्‍वपूर्ण सामुद्रिक कड़ी है।

  • मलक्‍का जलडमरूमध्‍य से होते हुए भारत और चीन के बीच भी यह समुद्री मार्ग बनाता है। इसके उत्‍तर में म्‍यांमार की इरावदी नदी का डेल्‍टा पूर्व में प्रायद्वीपीय म्‍यांमार, थाइलैंड, मलेशिया और पश्‍चिम में अंडमान निकोबार द्वीप हैं, जो भारतीय प्रशासन के अंतर्गत हैं। इसके दक्षिण में सुमात्रा का द्वीप (इंडोनेशिया का भाग) और मलक्‍का जलडमरूमध्‍य है। इस समुद्र का नाम अंडमान द्वीप समूह पर पड़ा है।
  • उत्‍तर से दक्षिण तक अंडमान सागर की लंबाई 1,200 कि.मी. और चौड़ाई 645 कि.मी. है। इसका पांच प्रतिशत से कम भाग 3,000 मीटर से अधिक गहरा है, लेकिन अंडमान-निकोबार श्रेणी के पूर्व में जलगत घाटियों की प्रणाली में गहराई 4,400 मीटर से भी अधिक है।
  • इस सागर का उत्‍तरी और पूर्वी एक तिहाई भाग 180 मीटर से कम गहरा है। इसका कारण इरावती नदी द्वारा डेल्‍टा पर गाद का जमाव है। अंडमान सागर का पश्‍चिमी और मध्‍य अर्द्धाश 914 से 3,000 मीटर गहरा है।
अंडमान सागर
  • इरावती नदी सागर का मौसम दक्षिण-पूर्वी एशिया के मॉनसून से निर्धारित होता है। सर्दियों में क्षेत्रीय आंर्द्रता कम होती है, समुद्र को वर्षा तथा बहाव का पानी बहुत कम मिलता है, अत: समुद्र की सतह पर खारापन बढ़ जाता है।
  • ग्रीष्‍म के मॉनसून में म्‍यांमार से बहुत अधिक मात्रा में पानी अंडमान सागर में बह आता है, जिससे इसके उत्‍तरी एक तिहाई भाग में कम खारापन होता है। अंडमान सागर में समुद्री प्राणी ज्‍यादा नहीं पाए जाते हैं, हालांकि मलय प्रायद्वीप के तटीय क्षेत्रों में अकशेरूकी (मोलस्‍क) प्राणी और मछली की लगभग 250 प्रजातियां पाई जाती हैं।
  • इस सागर में खनिज संसाधन भी सीमित हैं, लेकिन मलेशिया और थाईलैंड के तटों पर टीन धातु पाई जाती है। प्राचीन काल से ही अंडमान सागर में व्‍यापारिक समुद्री जहाज़ आते रहे हैं। यह भारत और चीन के बीच तटीय व्‍यापार मार्ग का हिस्‍सा था।
  • आठवीं शताब्‍दी से यह पश्‍चिम में भारतश्रीलंका (भूतपूर्व सीलोन) तथा पूर्व में म्‍यांमार के थैटॉन, मर्तबान और तॅवॉय बंदरगाहों के फलते-फूलते व्‍यापार के बीच की कड़ी था।
  • दक्षिण-पूर्व में मलेशिया का पिनांग और उत्‍तर में म्‍यांमार का यांगून अंडमान सागर पर स्‍थित दो सबसे आधुनिक और बड़े बंदरगाह हैं।


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