"गलता मन्दिर" के अवतरणों में अंतर
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+ | चित्र:Main-Tank-Galtaji.jpg|मुख्य कुण्ड, गलताजी | ||
चित्र:Galta-Temple.jpg|गलता मंदिर, [[जयपुर]] | चित्र:Galta-Temple.jpg|गलता मंदिर, [[जयपुर]] | ||
− | चित्र:Galta-Temple-2.jpg| | + | चित्र:Galta-Temple-2.jpg|गलता मंदिर स्थित कुण्ड |
चित्र:Galta-Temple-1.jpg|गलता मंदिर, [[जयपुर]] | चित्र:Galta-Temple-1.jpg|गलता मंदिर, [[जयपुर]] | ||
+ | चित्र:Galta-Ji.jpg|गलता धाम का दृश्य | ||
+ | चित्र:Monkey-Temple-Jaipur.jpg|एक कुण्ड, गलता मंदिर | ||
+ | चित्र:Galta-Monkey-Temple.jpg|बंदरों का मंदिर | ||
+ | चित्र:Galtaji-Temple-Jaipur.jpg|गलताजी स्थित एक सुंदर कुण्ड | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
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गलता मन्दिर
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विवरण | 'गलता मन्दिर' अथवा 'गलता धाम' राजस्थान का प्रसिद्ध धार्मिक तथा पर्यटन स्थल है। यह स्थान अपने कुण्डों तथा मंदिरों के लिए जाना जाता है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | जयपुर |
स्थिति | पूर्वी अरावली पर्वत श्रृंखला |
प्रसिद्धि | हिन्दू धार्मिक स्थल |
संबंधित लेख | राजस्थान, जयपुर, जयपुर पर्यटन |
अन्य जानकारी | इस प्रसिद्ध तीर्थ स्थल में सावन और कार्तिक मास में पवित्र कुण्डों में हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं। |
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गलता मन्दिर राजस्थान राज्य के जयपुर शहर में स्थित एक हिन्दू धार्मिक स्थल है। यह सूरजपोल के बाहर, पहाड़ी की घाटी में स्थित एक रमणीक स्थान है, जहाँ किवदंती के अनुसार प्राचीन समय में गालव ऋषि का आश्रम था, जिनके नाम पर यह स्थान 'गलता' कहलाता है। पहाड़ी के ऊपर 'गालवी गंगा' का झरना है।
- यह पवित्र स्थल राजस्थान के जयपुर शहर की पूर्वी अरावली पर्वत श्रृंखला में स्थित पवित्र तीर्थ स्थान है।
- गलता धाम 'सात कुण्ड' और अनेक मंदिरों के साथ-साथ प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पहचाना जाता है।
- माना जाता है कि गलता तीर्थ ऋषि गालव की तपोस्थली थी। किंवदंती के अनुसार यहाँ ऋषि गालव ने साठ हज़ार वर्षों तक तपस्या की थी।
- शहर की पूर्वी पहाडियों पर अवस्थित गलता के कुण्ड में गोमुख से निरन्तर पानी बहता रहता है, जो सूरज कुण्ड में गिरता है। इस पवित्र कुण्ड में स्नान करने के लिए दूर-दराज से लोग यहाँ आते हैं।
- अठारहवीं सदी में दीवान कृपाराम ने यहाँ अनेक निर्माण कार्य कराए और तीर्थ स्थल पर अनेक मंदिरों तथा कुंडों का निर्माण कराया।
- वर्तमान में यहाँ दो प्रमुख कुण्ड और हवेलीनुमा कई मंदिर आकर्षण का केंद्र हैं।
- पर्वत की सर्वोच्च ऊँचाई पर 'सूर्य मंदिर' अवस्थित है।
- गलता मन्दिर के रास्ते में पर्वत शृंखलाओं के बीच घाट की गूणी और आमागढ़ स्थित है।
- घाट की गूणी क्षेत्रों में ही सवाई जयसिंह तृतीय की महारानी सिसोदिया द्वारा सन 1779 ई. में निर्मित सिसोदिया रानी का महल एवं बाग़ है। इस बाग़ में आकर्षक फव्वारे एवं भव्य महल बना हुआ है।
- रानी के महल के समीप ही जयपुर के मुख्य वास्तुविद एवं नगर नियोजक 'विद्याधर' के नाम से अनेक फव्वारों एवं कुण्डों से आच्छादित विद्याधर का बाग़ भी पर्यटकों के आकर्षक का केन्द्र है।
- मंदिर का एक रास्ता गलता द्वार से है। यह लगभग दो कि.मी. का पैदल रास्ता है। दूसरा मार्ग आगरा रोड से जामडोली होते हुए है। इस मार्ग पर वाहन से गलता पहुंचा जा सकता है।[1]
- सावन और कार्तिक मास में यहाँ पवित्र कुण्डों में हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं।
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वीथिका
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जयपुर के प्रसिद्ध मंदिर (हिन्दी) पिंकसिटी.कॉम। अभिगमन तिथि: 08 दिसम्बर, 2014।
संबंधित लेख
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