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'''चाँद बावड़ी''' एक सीढ़ीदार [[कुआँ]] है, जो [[राजस्थान]] में [[जयपुर]] के निकट [[आभानेरी]] नामक [[ग्राम]] में स्थित है। यह सीढ़ीदार कुआँ 'हर्षत माता मंदिर' के सामने स्थित है और [[भारत]] ही नहीं, अपितु विश्व के सबसे बड़े सीढ़ीदार और गहरे कुओं में से एक है।
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'''चाँद बावड़ी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Chand Baori'') एक सीढ़ीदार [[कुआँ]] है, जो [[राजस्थान]] में [[जयपुर]] के निकट [[दौसा ज़िला|दौसा ज़िले]] के [[आभानेरी]] नामक [[ग्राम]] में स्थित है। यह सीढ़ीदार कुआँ '[[हर्षत माता मंदिर]]' के सामने स्थित है और [[भारत]] ही नहीं, अपितु विश्व के सबसे बड़े सीढ़ीदार और गहरे कुओं में से एक है।
 
==निर्माण==
 
==निर्माण==
इस बावड़ी का निर्माण 9वीं [[शताब्दी]] में किया गया था। इसमें 3,500 संकरी सीढ़ियाँ हैं और ये 13 तल ऊँचा और 100 फुट या 30 मीटर गहरा है। ये अविश्वसनीय [[कुआँ]] उस समय [[जल]] की कमी से जूझ रहे इस क्षेत्र की जल समस्या का एक व्यावहारिक समाधान था। इस स्थान की शुष्क जलवायु ने स्थानीय लोगों को एक ऐसे कुएं की खुदाई के लिए विवश किया, जिस पर वर्ष भर जल के लिए निर्भर रहा जा सके। दंतकथाओं के अनुसार यह कुआँ एक रात में भूतों द्वारा खोदा गया और इसमें इतनी सीढ़ियाँ हैं की यदि एक सिक्का नीचे गिर जाये तो उसे खोज पाना संभव नहीं है।<ref>{{cite web |url= http://worlddmirror.blogspot.in/2013/12/blog-post.html|title= चाँद बावड़ी बांदीकुई|accessmonthday= 05 अक्टूबर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= वर्ल्ड इन्फो|language= हिन्दी}}</ref>
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====विशेषताएँ====
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इस विशालतम बावड़ी के प्रमुख आकर्षण इस प्रकार हैं-
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#यह बावड़ी चारों तरफ़ से 35 मीटर चौड़ी है।
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#ऊपर से नीचे तक पक्की बनी सीढ़ियों के कारण पानी का स्तर चाहे जो भी हो हमेशा आसानी से पानी भरा जा सकता है।
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#चाँद बावड़ी, 100 फ़ीट गहरी, 13 मंजिला और 3500 सीढ़ियों युक्त है।
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#यह बावड़ी प्रसिद्ध 'हर्षत माता मन्दिर' के सामने स्थित है।
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#यह विश्व की सबसे गहरी और बड़ी बावड़ी है।
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==आभानेरी==
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{{main|आभानेरी}}
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आभानेरी गाँव, [[जयपुर]]-[[आगरा]] मार्ग पर स्थित एक छोटा क़स्बा है। यह जगह रोमांचक बावड़ियों और हर्षत माता के मन्दिर के लिये प्रसिद्ध है। आभानेरी का शुरुआती नाम था 'आभा नगरी', अर्थात् 'चमकने वाला शहर'; लेकिन कालान्तर में [[भाषा]] के [[अपभ्रंश]] की वजह से इसका नाम धीरे-धीरे आभानेरी बन गया। ऐसी मान्यता है कि आभानेरी को राजा चाँद ने बसाया था, हालांकि इस शहर ने प्राचीन काल में कई विभीषिकाएं झेलीं, लेकिन चाँद बावड़ी और माता के मन्दिर की वजह से अब यह [[राजस्थान]] आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन गया है। प्राचीन काल में वास्तुविदों और नागरिकों द्वारा जल संरक्षण और वाटर हार्वेस्टिंग हेतु बनाई गई इस प्रकार की कई बावड़ियाँ इस क्षेत्र में मौजूद हैं, जिनमें काफ़ी पानी समाया रहता है जो क्षेत्र के निवासियों के वार्षिक उपयोग हेतु काम आता है। चाँद बावड़ी इन सभी बावड़ियों में सबसे बड़ी और लोकप्रिय है।<ref name="aa">{{cite web |url= http://hindi.indiawaterportal.org/content/%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80|title= चाँद-विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी|accessmonthday= 05 अक्टूबर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= इण्डिया वॉटर पोर्टल|language= हिन्दी}}</ref>
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==बेजोड़ नक़्क़ाशी==
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[[दौसा ज़िला|दौसा ज़िले]] के आभानेरी में चाँद बावड़ी और हर्षत माता का मंदिर पत्थरों पर नक़्क़ाशी का एक बेजोड़ नमूना भी है। '[[हर्षत माता मंदिर]]' का निर्माण [[चौहान वंश|चौहान वंशीय]] राजा चांद ने क़रीब 8वीं तथा 9वीं शताब्दी में कराया था। इस मंदिर के पत्थरों पर आकर्षक नक़्क़ाशी में लगभग 33 करोड़ देवी-देवताओं के चित्र बनाए गए थे। विदेशी आक्रमण के हमले में खंडित इस मंदिर के भग्नावशेष यत्र-तत्र बिखरे पडे़ है। चांद बावड़ी और हर्षत माता मंदिर यहां का मुख्य आकर्षण हैं।
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चाँद बावड़ी के अंदर बनी आकर्षक सीढ़ियाँ कलात्मक और पुरातत्त्व कला का शानदार उदाहरण है। [[गुप्त काल]] के पश्चात् तथा [[मध्य काल]] के आरंभिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध आभानेरी पुरातात्विक महत्त्व का प्राचीन [[ग्राम]] है। मंदिर के पुजारी के अनुसार मंदिर में छह फुट की नीलम के पत्थर की हर्षत माता की मूर्ति [[1968]] में चोरी हो गई। किंवदंती है कि हर्षत माता गांव में आने वाले संकट के बारे में पहले ही चेतावनी दे देती थी, जिससे गांव वाले सतर्क हो जाते और माता उनकी हमेशा रक्षा करती थी। इसे समृद्धि की देवी भी कहा जाता है।
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====महमूद द्वारा आक्रमण====
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बताया जाता है कि 1021-26 के काल में [[महमूद ग़ज़नवी]] ने इस मंदिर को तोड़ दिया था तथा सभी मूर्तियों को खंडित कर दिया था। खंडित मूर्तियां आज भी मंदिर परिसर तथा चाँद बावड़ी में सुरक्षित रखी हुई हैं। [[जयपुर]] के राजा ने 18वीं [[शताब्दी]] में इसका जीर्णाेद्धार करवाया था।<ref name="aa"/>
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==सीढ़ियाँ==
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[[चित्र:Chand-Baoli.jpg|250px|thumb|चाँद बावड़ी की सीढ़ियाँ]]
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इसी तरह चांद बावड़ी का निर्माण भी राजा चांद ने 8 या 9वीं शताब्दी में कराया था। इसे "अंधेरे उजाले की बावड़ी" भी कहा जाता है। चांदनी रात में यह बावड़ी एकदम सफ़ेद दिखायी देती है। तीन मंजिली इस बावड़ी में राजा के लिए नृत्य कक्ष तथा गुप्त सुरंग बनी हुई है। इसके ऊपरी भाग में निर्मित परवर्ती कालीन मंडप इस बावड़ी के लंबे समय तक उपयोग में रहने का प्रमाण देती है। बावड़ी की तह तक पहुंचने के लिए क़रीब 1300 सीढ़ियाँ बनाई गई हैं, जो अद्भुत कला का उदाहरण पेश करती हैं। यह वर्गाकार बावड़ी चारों ओर स्तंभ युक्त बरामदों से घिरी हुई है। यह 19.8 फुट गहरी है, जिसमें नीचे तक जाने के लिए 13 सोपान बने हुए हैं। भुलभुलैया के रूप में बनी इसकी सीढ़ियों के बारे में कहा जाता है कि कोई व्यक्ति जिस सीढ़ी से नीचे उतरता है, वह वापस कभी उसी सीढ़ी से ऊपर नहीं आ पाता।
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====सुरंग====
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बावड़ी की सबसे निचली मंजिल पर बने दो ताखों में स्थित [[गणेश]] एवं महिसासुर मर्दिनी की भव्य प्रतिमाएं इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं। इस बावड़ी में एक सुरंग भी है, जिसकी लम्बाई लगभग 17 कि.मी. है, जो पास ही स्थित गांव भांडारेज में निकलती है। कहा जाता है कि युद्ध के समय राजा एवं उनके सैनिकों द्वारा इस सुरंग का इस्तेमाल किया जाता था। क़रीब पांच साल पहले इसकी खुदाई एवं जीर्णोद्धार का कार्य कराया गया था। उसमें राजा चांद का उल्लेख किया हुआ एक [[शिलालेख]] भी मिला था।<ref name="aa"/>
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==आभानेरी महोत्सव==
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[[आभानेरी]] के महत्त्व को बढ़ाने के लिए '[[भारतीय पुरातत्त्व विभाग]]' विदेशी पर्यटकों को यहाँ लाने के लिए अपने प्रयास कर रहा है। विभाग की ओर से यहाँ हर [[वर्ष]] 'आभानेरी महोत्सव' के नाम से तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें [[राजस्थान]] सहित देशभर के कलाकार यहाँ अपनी कला की प्रस्तुति देते हैं। यही नहीं विभाग की ओर से पर्यटकों के लिए यहाँ विदेशी दूब युक्त पार्क भी बनाया गया है। इसकी उचित देखभाल तथा रखरखाव के लिए यहाँ विभाग ने अपने कर्मचारी भी तैनात कर रखे हैं।<ref name="bb"/>
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====हॉलीवुड व बॉलीवुड से सम्बंध====
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विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ आभानेरी [[अंग्रेज़ी]] फ़िल्मों तथा [[हिन्दी]] फ़िल्मों में भी छाई हुई है। अंग्रेज़ी फ़िल्म 'दी फ़ॉल' व प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्म 'भूल भूलैया' सहित अन्य कई फ़िल्मों की शूटिंग आभानेरी में हो चुकी है। चाँद बावड़ी की सीढ़ियों पर कई कलाकार भी थिरक चुके हैं।
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==सुविधाएँ==
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विदेशी पर्यटकों के [[आभानेरी]] के प्रति बढ़ते लगाव के कारण अब यहाँ उनके ठहरने के लिए सुविधाएं भी बढ़ने लगी हैं। यहाँ आने वाले विदेशी पर्यटकों के लिए होटल भी बन गए हैं, जिसमें इन्हें सभी प्रकार की सुविधाएँ दी जा रही हैं। यही नहीं अब तो होटल में आने वाले विदेशी पर्यटक यहाँ [[हाथी|हाथियों]] पर पोलो भी खेल रहे हैं।
  
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चित्र:Abhaneri-Step-Well-7.jpg|चाँद बावड़ी कुँए का दृश्य
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चित्र:Abhaneri-Step-Well-6.jpg|चाँद बावड़ी, [[राजस्थान]] 
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चित्र:Temple-at-Abhaneri.jpg|आभानेरी स्थित '[[हर्षत माता मंदिर]]'
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चित्र:Abhaneri-2.jpg|चाँद बावड़ी कुँए का सुन्दर दृश्य
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चित्र:Chand-Baori-Rajasthan-1.jpg|आकर्षक नक़्क़ाशी, चाँद बावड़ी, [[राजस्थान]] 
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चित्र:Chand-Baori-Abhaneri-3.jpg|चाँद बावड़ी
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चित्र:Chand-Baori-Abhaneri-2.jpg|चाँद बावड़ी, आभानेरी
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चित्र:Chand-Baori-Rajasthan.jpg|मूर्ति की आकर्षक नक़्क़ाशी, चाँद बावड़ी
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चित्र:Step-Wells-Stamp.jpg|भारतीय [[बावड़ी|बावड़ियों]] पर [[डाक टिकट]]
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
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10:35, 29 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

चाँद बावड़ी
चाँद बावड़ी, आभानेरी
विवरण 'चाँद बावड़ी' राजस्थान के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में गिनी जाती है। यह एक सीढ़ीदार कुआँ है, जिसमें 3,500 संकरी सीढ़ियाँ हैं।
राज्य राजस्थान
ज़िला दौसा
निर्माण काल नौंवी शताब्दी
निर्माणकर्ता राजा चाँद
गहराई 100 फ़ीट
सीढ़ियाँ 3500
चौड़ाई 35 मीटर
विशेष इस बावड़ी का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि ऊपर से नीचे तक पक्की बनी सीढ़ियों के कारण पानी आसानी से भरा जा सकता है, भले ही पानी का स्तर जो भी हो।
संबंधित लेख हर्षत माता मंदिर, आभानेरी, राजस्थान का इतिहास
अन्य जानकारी बावड़ी की सबसे निचली मंजिल पर बने दो ताखों में स्थित गणेश एवं महिसासुर मर्दिनी की भव्य प्रतिमाएं इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं। इसमें एक सुरंग भी है, जिसकी लम्बाई लगभग 17 कि.मी. है, जो पास ही स्थित गांव भांडारेज में निकलती है।

चाँद बावड़ी (अंग्रेज़ी: Chand Baori) एक सीढ़ीदार कुआँ है, जो राजस्थान में जयपुर के निकट दौसा ज़िले के आभानेरी नामक ग्राम में स्थित है। यह सीढ़ीदार कुआँ 'हर्षत माता मंदिर' के सामने स्थित है और भारत ही नहीं, अपितु विश्व के सबसे बड़े सीढ़ीदार और गहरे कुओं में से एक है।

निर्माण

इस बावड़ी का निर्माण 9वीं शताब्दी में किया गया था। इसमें 3,500 संकरी सीढ़ियाँ हैं और ये 13 तल ऊँचा और 100 फुट या 30 मीटर गहरा है। ये अविश्वसनीय कुआँ उस समय जल की कमी से जूझ रहे इस क्षेत्र की जल समस्या का एक व्यावहारिक समाधान था। इस स्थान की शुष्क जलवायु ने स्थानीय लोगों को एक ऐसे कुएं की खुदाई के लिए विवश किया, जिस पर वर्ष भर जल के लिए निर्भर रहा जा सके। दंतकथाओं के अनुसार यह कुआँ एक रात में भूतों द्वारा खोदा गया और इसमें इतनी सीढ़ियाँ हैं की यदि एक सिक्का नीचे गिर जाये तो उसे खोज पाना संभव नहीं है।[1]

विशेषताएँ

इस विशालतम बावड़ी के प्रमुख आकर्षण इस प्रकार हैं-

  1. यह बावड़ी चारों तरफ़ से 35 मीटर चौड़ी है।
  2. ऊपर से नीचे तक पक्की बनी सीढ़ियों के कारण पानी का स्तर चाहे जो भी हो हमेशा आसानी से पानी भरा जा सकता है।
  3. चाँद बावड़ी, 100 फ़ीट गहरी, 13 मंजिला और 3500 सीढ़ियों युक्त है।
  4. यह बावड़ी प्रसिद्ध 'हर्षत माता मन्दिर' के सामने स्थित है।
  5. यह विश्व की सबसे गहरी और बड़ी बावड़ी है।

आभानेरी

आभानेरी गाँव, जयपुर-आगरा मार्ग पर स्थित एक छोटा क़स्बा है। यह जगह रोमांचक बावड़ियों और हर्षत माता के मन्दिर के लिये प्रसिद्ध है। आभानेरी का शुरुआती नाम था 'आभा नगरी', अर्थात् 'चमकने वाला शहर'; लेकिन कालान्तर में भाषा के अपभ्रंश की वजह से इसका नाम धीरे-धीरे आभानेरी बन गया। ऐसी मान्यता है कि आभानेरी को राजा चाँद ने बसाया था, हालांकि इस शहर ने प्राचीन काल में कई विभीषिकाएं झेलीं, लेकिन चाँद बावड़ी और माता के मन्दिर की वजह से अब यह राजस्थान आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन गया है। प्राचीन काल में वास्तुविदों और नागरिकों द्वारा जल संरक्षण और वाटर हार्वेस्टिंग हेतु बनाई गई इस प्रकार की कई बावड़ियाँ इस क्षेत्र में मौजूद हैं, जिनमें काफ़ी पानी समाया रहता है जो क्षेत्र के निवासियों के वार्षिक उपयोग हेतु काम आता है। चाँद बावड़ी इन सभी बावड़ियों में सबसे बड़ी और लोकप्रिय है।[2]

बेजोड़ नक़्क़ाशी

दौसा ज़िले के आभानेरी में चाँद बावड़ी और हर्षत माता का मंदिर पत्थरों पर नक़्क़ाशी का एक बेजोड़ नमूना भी है। 'हर्षत माता मंदिर' का निर्माण चौहान वंशीय राजा चांद ने क़रीब 8वीं तथा 9वीं शताब्दी में कराया था। इस मंदिर के पत्थरों पर आकर्षक नक़्क़ाशी में लगभग 33 करोड़ देवी-देवताओं के चित्र बनाए गए थे। विदेशी आक्रमण के हमले में खंडित इस मंदिर के भग्नावशेष यत्र-तत्र बिखरे पडे़ है। चांद बावड़ी और हर्षत माता मंदिर यहां का मुख्य आकर्षण हैं।

चाँद बावड़ी के अंदर बनी आकर्षक सीढ़ियाँ कलात्मक और पुरातत्त्व कला का शानदार उदाहरण है। गुप्त काल के पश्चात् तथा मध्य काल के आरंभिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध आभानेरी पुरातात्विक महत्त्व का प्राचीन ग्राम है। मंदिर के पुजारी के अनुसार मंदिर में छह फुट की नीलम के पत्थर की हर्षत माता की मूर्ति 1968 में चोरी हो गई। किंवदंती है कि हर्षत माता गांव में आने वाले संकट के बारे में पहले ही चेतावनी दे देती थी, जिससे गांव वाले सतर्क हो जाते और माता उनकी हमेशा रक्षा करती थी। इसे समृद्धि की देवी भी कहा जाता है।

महमूद द्वारा आक्रमण

बताया जाता है कि 1021-26 के काल में महमूद ग़ज़नवी ने इस मंदिर को तोड़ दिया था तथा सभी मूर्तियों को खंडित कर दिया था। खंडित मूर्तियां आज भी मंदिर परिसर तथा चाँद बावड़ी में सुरक्षित रखी हुई हैं। जयपुर के राजा ने 18वीं शताब्दी में इसका जीर्णाेद्धार करवाया था।[2]

सीढ़ियाँ

चाँद बावड़ी की सीढ़ियाँ

इसी तरह चांद बावड़ी का निर्माण भी राजा चांद ने 8 या 9वीं शताब्दी में कराया था। इसे "अंधेरे उजाले की बावड़ी" भी कहा जाता है। चांदनी रात में यह बावड़ी एकदम सफ़ेद दिखायी देती है। तीन मंजिली इस बावड़ी में राजा के लिए नृत्य कक्ष तथा गुप्त सुरंग बनी हुई है। इसके ऊपरी भाग में निर्मित परवर्ती कालीन मंडप इस बावड़ी के लंबे समय तक उपयोग में रहने का प्रमाण देती है। बावड़ी की तह तक पहुंचने के लिए क़रीब 1300 सीढ़ियाँ बनाई गई हैं, जो अद्भुत कला का उदाहरण पेश करती हैं। यह वर्गाकार बावड़ी चारों ओर स्तंभ युक्त बरामदों से घिरी हुई है। यह 19.8 फुट गहरी है, जिसमें नीचे तक जाने के लिए 13 सोपान बने हुए हैं। भुलभुलैया के रूप में बनी इसकी सीढ़ियों के बारे में कहा जाता है कि कोई व्यक्ति जिस सीढ़ी से नीचे उतरता है, वह वापस कभी उसी सीढ़ी से ऊपर नहीं आ पाता।

सुरंग

बावड़ी की सबसे निचली मंजिल पर बने दो ताखों में स्थित गणेश एवं महिसासुर मर्दिनी की भव्य प्रतिमाएं इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं। इस बावड़ी में एक सुरंग भी है, जिसकी लम्बाई लगभग 17 कि.मी. है, जो पास ही स्थित गांव भांडारेज में निकलती है। कहा जाता है कि युद्ध के समय राजा एवं उनके सैनिकों द्वारा इस सुरंग का इस्तेमाल किया जाता था। क़रीब पांच साल पहले इसकी खुदाई एवं जीर्णोद्धार का कार्य कराया गया था। उसमें राजा चांद का उल्लेख किया हुआ एक शिलालेख भी मिला था।[2]

आभानेरी महोत्सव

आभानेरी के महत्त्व को बढ़ाने के लिए 'भारतीय पुरातत्त्व विभाग' विदेशी पर्यटकों को यहाँ लाने के लिए अपने प्रयास कर रहा है। विभाग की ओर से यहाँ हर वर्ष 'आभानेरी महोत्सव' के नाम से तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें राजस्थान सहित देशभर के कलाकार यहाँ अपनी कला की प्रस्तुति देते हैं। यही नहीं विभाग की ओर से पर्यटकों के लिए यहाँ विदेशी दूब युक्त पार्क भी बनाया गया है। इसकी उचित देखभाल तथा रखरखाव के लिए यहाँ विभाग ने अपने कर्मचारी भी तैनात कर रखे हैं।[1]

हॉलीवुड व बॉलीवुड से सम्बंध

विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ आभानेरी अंग्रेज़ी फ़िल्मों तथा हिन्दी फ़िल्मों में भी छाई हुई है। अंग्रेज़ी फ़िल्म 'दी फ़ॉल' व प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्म 'भूल भूलैया' सहित अन्य कई फ़िल्मों की शूटिंग आभानेरी में हो चुकी है। चाँद बावड़ी की सीढ़ियों पर कई कलाकार भी थिरक चुके हैं।

सुविधाएँ

विदेशी पर्यटकों के आभानेरी के प्रति बढ़ते लगाव के कारण अब यहाँ उनके ठहरने के लिए सुविधाएं भी बढ़ने लगी हैं। यहाँ आने वाले विदेशी पर्यटकों के लिए होटल भी बन गए हैं, जिसमें इन्हें सभी प्रकार की सुविधाएँ दी जा रही हैं। यही नहीं अब तो होटल में आने वाले विदेशी पर्यटक यहाँ हाथियों पर पोलो भी खेल रहे हैं।


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वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 चाँद बावड़ी बांदीकुई (हिन्दी) वर्ल्ड इन्फो। अभिगमन तिथि: 05 अक्टूबर, 2014।
  2. 2.0 2.1 2.2 चाँद-विश्व की सबसे बड़ी बावड़ी (हिन्दी) इण्डिया वॉटर पोर्टल। अभिगमन तिथि: 05 अक्टूबर, 2014।

संबंधित लेख

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