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− | *नचिकेता [[कठोपनिषद]] के अनुसार वाजश्रवा नामक ब्राह्मण के पुत्र थे। | + | *नचिकेता [[कठोपनिषद]] के अनुसार वाजश्रवा नामक [[ब्राह्मण]] के [[पुत्र]] थे। |
*वाजश्रवा ने जब एक बार अपना समस्त धन, गोधन इत्यादि दान कर डाला तो यह देखकर उनके पुत्र नचिकेता ने उनसे कई बार पूछा कि- "वह नचिकेता को किसे देंगे।" तब वाजश्रवा ने खीजकर कहा कि- "[[यमराज]] को दे देंगे।" | *वाजश्रवा ने जब एक बार अपना समस्त धन, गोधन इत्यादि दान कर डाला तो यह देखकर उनके पुत्र नचिकेता ने उनसे कई बार पूछा कि- "वह नचिकेता को किसे देंगे।" तब वाजश्रवा ने खीजकर कहा कि- "[[यमराज]] को दे देंगे।" | ||
− | *नचिकेता अल्पायु से ही अत्यंत मेधावी था। [[यमलोक]] जाने पर उसे ज्ञात हुआ कि यमराज बाहर गये हुए हैं। तीन दिन की प्रतीक्षा के उपरांत यमराज लौटे। घर आये ब्राह्मण को तीन रात तथा तीन दिन प्रतीक्षा करनी पड़ी, यह जानकर यमराज ने प्रत्येक दिन के निमित्त एक वर मांगने को कहा। नचिकेता ने प्रथम वर से अपने [[पिता]] के क्रोध का परिहार तथा वापस लौटने पर उनका वात्सल्यमय व्यवहार मांगा। दूसरे वर से अग्नि के स्वरूप को जानने की इच्छा प्रकट की। तीसरे वर से मनुष्य जन्म, मरण तथा [[ब्रह्मा]] को जानने की इच्छा प्रकट की। | + | *नचिकेता अल्पायु से ही अत्यंत मेधावी था। [[यमलोक]] जाने पर उसे ज्ञात हुआ कि यमराज बाहर गये हुए हैं। तीन [[दिन]] की प्रतीक्षा के उपरांत यमराज लौटे। घर आये ब्राह्मण को तीन [[रात]] तथा तीन दिन प्रतीक्षा करनी पड़ी, यह जानकर यमराज ने प्रत्येक दिन के निमित्त एक वर मांगने को कहा। नचिकेता ने प्रथम वर से अपने [[पिता]] के क्रोध का परिहार तथा वापस लौटने पर उनका वात्सल्यमय व्यवहार मांगा। दूसरे वर से [[अग्नि]] के स्वरूप को जानने की इच्छा प्रकट की। तीसरे वर से मनुष्य जन्म, मरण तथा [[ब्रह्मा]] को जानने की इच्छा प्रकट की। |
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04:05, 12 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण
वाजश्रवा हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक ब्राह्मण थे। इन्हें नचिकेता का पिता कहा गया है।
- नचिकेता कठोपनिषद के अनुसार वाजश्रवा नामक ब्राह्मण के पुत्र थे।
- वाजश्रवा ने जब एक बार अपना समस्त धन, गोधन इत्यादि दान कर डाला तो यह देखकर उनके पुत्र नचिकेता ने उनसे कई बार पूछा कि- "वह नचिकेता को किसे देंगे।" तब वाजश्रवा ने खीजकर कहा कि- "यमराज को दे देंगे।"
- नचिकेता अल्पायु से ही अत्यंत मेधावी था। यमलोक जाने पर उसे ज्ञात हुआ कि यमराज बाहर गये हुए हैं। तीन दिन की प्रतीक्षा के उपरांत यमराज लौटे। घर आये ब्राह्मण को तीन रात तथा तीन दिन प्रतीक्षा करनी पड़ी, यह जानकर यमराज ने प्रत्येक दिन के निमित्त एक वर मांगने को कहा। नचिकेता ने प्रथम वर से अपने पिता के क्रोध का परिहार तथा वापस लौटने पर उनका वात्सल्यमय व्यवहार मांगा। दूसरे वर से अग्नि के स्वरूप को जानने की इच्छा प्रकट की। तीसरे वर से मनुष्य जन्म, मरण तथा ब्रह्मा को जानने की इच्छा प्रकट की।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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