भार्गव देव

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भार्गव देव वे सात देवता हैं, जो तीनों लोकों में 71 युगों तक निवास करते हैं।

  • मन्वंतर के अंत में भार्गव देव महर्लोक चले जाते हैं और अन्य लोक, तारे, ग्रहादि सब स्थान च्युत हो जाते हैं।
  • वहाँ इन देवों के चौदह गण बन जाते हैं और संकलन के समय ये जनलोक चले जाते हैं। सारी सृष्टि नष्ट हो जाती है और नयी सृष्टि फिर से आरम्भ होती है।[1][2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वायुपुराण 100.119-32
  2. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 376 |

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