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रावण हत्था प्रमुख रूप से [[राजस्थान]] और [[गुजरात]] में प्रयोग में लाया जाता रहा है। यह राजस्थान का एक लोक वाद्य है। पौराणिक साहित्य और [[हिन्दू]] परम्परा की मान्यता है कि ईसा से 3000 वर्ष पूर्व लंका के राजा [[रावण]] ने इसका आविष्कार किया था और आज भी यह चलन में है। रावण के ही नाम पर इसे रावण हत्था या रावण हस्त वीणा कहा जाता है। यह संभव है कि वर्तमान में इसका रूप कुछ बदल गया हो लेकिन इसे देखकर ऐसा लगता नहीं है। कुछ लेखकों द्वारा इसे [[वायलिन]] का पूर्वज भी माना जाता है।  
'रावण हत्था' भारतीय [[वाद्य यंत्र]] है। प्रमुख रूप से [[राजस्थान]] और [[गुजरात]] में प्रयोग में लाया जाता रहा है। यह राजस्थान का एक लोक वाद्य है।
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*पौराणिक साहित्य और [[हिन्दू]] परम्परा की मान्यता है कि ईसा से 3000 वर्ष पूर्व [[लंका]] के राजा [[रावण]] ने इसका आविष्कार किया था और आज भी यह चलन में है।
*रावण के ही नाम पर इसे रावण हत्था या रावण हस्त वीणा कहा जाता है।
*यह संभव है कि वर्तमान में इस संगीत वाद्य यंत्र का रूप कुछ बदल गया हो, लेकिन इसे देखकर ऐसा लगता नहीं है।
*कुछ लेखकों द्वारा इसे [[वायलिन]] का पूर्वज भी माना जाता है।
*इस वाद्य यंत्र को धनुष जैसी मींड़ और लगभग डेढ़-दो इंच व्यास वाले [[बाँस]] से बनाया जाता है।
*एक अधकटी सूखी लौकी या [[नारियल]] के खोल पर पशुचर्म अथवा [[साँप]] के केंचुली को मँढ़ कर एक से चार संख्या में तार खींच कर बाँस के लगभग समानान्तर बाँधे जाते हैं।
*यह भारतीय वाद्य यंत्र बहुत मधुर ध्वनि उत्पन्न करता है।


इसे धनुष जैसी मींड़ और लगभग डेढ़-दो इंच व्यास वाले बाँस से बनाया जाता है। एक अधकटी सूखी लौकी या नारियल के खोल पर पशुचर्म अथवा साँप के केंचुली को मँढ़ कर एक से चार संख्या में तार खींच कर बाँस के लगभग समानान्तर बाँधे जाते हैं। यह मधुर ध्वनि उत्पन्न करता है।


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रावण हत्था
रावण हत्था / रावण हस्त वीणा या रावणास्त्रम / Ravanastron

'रावण हत्था' भारतीय वाद्य यंत्र है। प्रमुख रूप से राजस्थान और गुजरात में प्रयोग में लाया जाता रहा है। यह राजस्थान का एक लोक वाद्य है।

रावण हत्था बजाता कलाकार
  • पौराणिक साहित्य और हिन्दू परम्परा की मान्यता है कि ईसा से 3000 वर्ष पूर्व लंका के राजा रावण ने इसका आविष्कार किया था और आज भी यह चलन में है।
  • रावण के ही नाम पर इसे रावण हत्था या रावण हस्त वीणा कहा जाता है।
  • यह संभव है कि वर्तमान में इस संगीत वाद्य यंत्र का रूप कुछ बदल गया हो, लेकिन इसे देखकर ऐसा लगता नहीं है।
  • कुछ लेखकों द्वारा इसे वायलिन का पूर्वज भी माना जाता है।
  • इस वाद्य यंत्र को धनुष जैसी मींड़ और लगभग डेढ़-दो इंच व्यास वाले बाँस से बनाया जाता है।
  • एक अधकटी सूखी लौकी या नारियल के खोल पर पशुचर्म अथवा साँप के केंचुली को मँढ़ कर एक से चार संख्या में तार खींच कर बाँस के लगभग समानान्तर बाँधे जाते हैं।
  • यह भारतीय वाद्य यंत्र बहुत मधुर ध्वनि उत्पन्न करता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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