"उदयपुर पर्यटन": अवतरणों में अंतर
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[[राजस्थान]], [[उदयपुर]], उत्तरी [[भारत]] का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल माना जाता है। उदयपुर को झीलों का शहर भी कहते हैं। पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। झीलों के साथ [[रेगिस्तान]] का अनोखा संगम अन्य कहीं देखने को नहीं मिलता है। यह शहर अरावली पहाड़ी के पास राजस्थान में स्थित है। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थल यहाँ के शासकों द्वारा बनवाये गए महल, झीलें, बगीचे तथा स्मारक हैं। ये सभी | [[राजस्थान]], [[उदयपुर]], उत्तरी [[भारत]] का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल माना जाता है। उदयपुर को झीलों का शहर भी कहते हैं। पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। झीलों के साथ [[रेगिस्तान]] का अनोखा संगम अन्य कहीं देखने को नहीं मिलता है। यह शहर अरावली पहाड़ी के पास राजस्थान में स्थित है। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थल यहाँ के शासकों द्वारा बनवाये गए महल, झीलें, बगीचे तथा स्मारक हैं। ये सभी चीज़ें हमें सिसोदिया राजपूत शासकों के सदगुण, विजय तथा स्वतंत्रता की याद दिलाते हैं। इनका निर्माण उस समय हुआ जब [[मेवाड़]] ने पहली बार [[मुग़ल|मुग़लों]] की अधीनता स्वीकार की थी तथा बाद में अंग्रेज़ों की। आपको उदयपुर घूमने के लिए कम-से-कम तीन दिन का समय देना चाहिए। इसके आसपास के स्थानों को घूमने के लिए दो और दिन देने चाहिए। | ||
==पर्यटन स्थल== | ==पर्यटन स्थल== | ||
==== | ====सिटी पैलेस काम्पलेक्स==== | ||
{{main|सिटी पैलेस काम्पलेक्स उदयपुर}} | {{main|सिटी पैलेस काम्पलेक्स उदयपुर}} | ||
सिटी पैलेस काम्पलेक्स [[पिछोला झील]] पर स्थित है। महाराणा उदय सिंह द्वारा इस महल का निर्माण आरंभ किया गया था किन्तु आगे आने वाले महाराणाओं ने इस संकुल में कई महल और संरचनाओं को जोड़ा, इस पैलेस में संकल्पना की एक रूपता को बनाए रखा है। महल में प्रवेश करने का स्थान हाथी पोल की ओर से है। बड़ी पोल या बड़ा गेट त्रिपोलिया | सिटी पैलेस काम्पलेक्स [[पिछोला झील]] पर स्थित है। महाराणा उदय सिंह द्वारा इस महल का निर्माण आरंभ किया गया था किन्तु आगे आने वाले महाराणाओं ने इस संकुल में कई महल और संरचनाओं को जोड़ा, इस पैलेस में संकल्पना की एक रूपता को बनाए रखा है। महल में प्रवेश करने का स्थान हाथी पोल की ओर से है। बड़ी पोल या बड़ा गेट त्रिपोलिया अर्थात् तीन प्रवेश द्वारों में से एक है। एक समय में यह रिवाज था कि महाराणा इस प्रवेश द्वार के नीचे सोने और चाँदी से तौले जाते थे और फिर यह ग़रीबों में बाँट दिया जाता था। | ||
==== | ====सिटी पैलेस संग्रहालय==== | ||
{{main|सिटी पैलेस संग्रहालय उदयपुर}} | {{main|सिटी पैलेस संग्रहालय उदयपुर}} | ||
*सिटी पैलेस महल का मुख्य हिस्सा अब एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित कर दिया गया है। | *सिटी पैलेस महल का मुख्य हिस्सा अब एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित कर दिया गया है। | ||
*यह संग्रहालय कलात्मक वस्तुओं का एक बड़ा और विविध संग्रह प्रदर्शित करता है। | *यह संग्रहालय कलात्मक वस्तुओं का एक बड़ा और विविध संग्रह प्रदर्शित करता है। | ||
==== | ====सरकारी संग्रहालय==== | ||
{{main|सरकारी संग्रहालय उदयपुर}} | {{main|सरकारी संग्रहालय उदयपुर}} | ||
*उदयपुर के सरकारी संग्रहालय में [[मेवाड़]] से संबंधित शिलालेख रखे हुए हैं। | *उदयपुर के सरकारी संग्रहालय में [[मेवाड़]] से संबंधित शिलालेख रखे हुए हैं। | ||
*ये शिलालेख दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 19वीं शताब्दी तक हैं। | *ये शिलालेख दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 19वीं शताब्दी तक हैं। | ||
==== | ====काँच गैलरी==== | ||
{{main|काँच गैलरी उदयपुर}} | {{main|काँच गैलरी उदयपुर}} | ||
*उदयपुर की काँच गैलेरी धन के अपव्यय को दर्शाती है। | *उदयपुर की काँच गैलेरी धन के अपव्यय को दर्शाती है। | ||
*उदयपुर के | *उदयपुर के राणा सज्जन सिंह ने [[1877]] ई. में [[इंग्लैण्ड]] की एफ. एंड. सी. ओसलर एण्ड कंपनी से काँच के सामानों की ख़रीददारी की थी। | ||
==== | ====विंटेज कार सिटी पैलेस==== | ||
{{main|विंटेज कार सिटी पैलेस उदयपुर}} | {{main|विंटेज कार सिटी पैलेस उदयपुर}} | ||
*उदयपुर में विंटेज कार सिटी पैलेस है। | *उदयपुर में विंटेज कार सिटी पैलेस है। | ||
*विंटेज कार सिटी पैलेस परिसर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। | *विंटेज कार सिटी पैलेस परिसर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। | ||
==== | ====बगोर की हवेली==== | ||
{{main|बगोर की हवेली उदयपुर}} | {{main|बगोर की हवेली उदयपुर}} | ||
*उदयपुर के प्रधानमंत्री अमरचंद वादवा का निवास स्थान बगोर की हवेली था। | *उदयपुर के प्रधानमंत्री अमरचंद वादवा का निवास स्थान बगोर की हवेली था। | ||
*यह हवेली [[पिछोला झील]] के सामने है। | *यह हवेली [[पिछोला झील]] के सामने है। | ||
==== | ====आहर==== | ||
{{main|आहर उदयपुर}} | {{main|आहर, उदयपुर}} | ||
*उदयपुर में आहर का उपयोग [[मेवाड़]] के राजपरिवार के लोगों के क़ब्रिस्तान के रूप में होता है। | *उदयपुर में आहर का उपयोग [[मेवाड़]] के राजपरिवार के लोगों के क़ब्रिस्तान के रूप में होता है। | ||
*ये स्मारक चार दशकों में बने हैं। | *ये स्मारक चार दशकों में बने हैं। | ||
==== | ====मानसून भवन==== | ||
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|+ <small>उदयपुर के विभिन्न पर्यटन स्थलों के दृश्य</small> | |+ <small>उदयपुर के विभिन्न पर्यटन स्थलों के दृश्य</small> | ||
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| [[चित्र:Ahar-Udaipur.jpg|आहर|200px|center]] | | [[चित्र:Ahar-Udaipur.jpg|आहर|200px|center]] | ||
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|<small>[[आहर उदयपुर|आहर]], [[उदयपुर]]</small> | |<small>[[आहर, उदयपुर|आहर]], [[उदयपुर]]</small> | ||
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| [[चित्र:Monsoon-Palace-Udaipur.jpg|मानसून भवन|200px|center]] | | [[चित्र:Monsoon-Palace-Udaipur.jpg|मानसून भवन|200px|center]] | ||
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|<small>[[फ़तह सागर झील]], [[उदयपुर]]</small> | |<small>[[फ़तह सागर झील]], [[उदयपुर]]</small> | ||
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| [[चित्र:Haldighati-Udaipur.jpg| | | [[चित्र:Haldighati-Udaipur.jpg|महाराणा प्रताप की प्रतिमा, हल्दीघाटी|200px|center]] | ||
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|<small>[[हल्दीघाटी]], [[उदयपुर]]</small> | |<small>[[महाराणा प्रताप]] की प्रतिमा, [[हल्दीघाटी]], [[उदयपुर]]</small> | ||
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| [[चित्र:Jag-Niwas-Island-Udaipur.jpg|जग निवास | | [[चित्र:Jag-Niwas-Island-Udaipur.jpg|जग निवास|200px|center]] | ||
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|<small>[[जग निवास | |<small>[[जग निवास]], [[उदयपुर]]</small> | ||
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| [[चित्र:Saheliyon-Ki-Bari-Udaipur.jpg|सहेलियों की बाड़ी|200px|center]] | | [[चित्र:Saheliyon-Ki-Bari-Udaipur.jpg|सहेलियों की बाड़ी|200px|center]] | ||
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| [[चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-Udaipur-1.jpg|रणकपुर जैन मंदिर|200px|center]] | | [[चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-Udaipur-1.jpg|रणकपुर जैन मंदिर|200px|center]] | ||
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|<small>रणकपुर जैन मंदिर, [[उदयपुर]]</small> | |<small>[[रणकपुर जैन मंदिर]], [[उदयपुर]]</small> | ||
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| [[चित्र:Pichola-Lake-Udaipur.jpg|पिछोला झील|200px|center]] | | [[चित्र:Pichola-Lake-Udaipur.jpg|पिछोला झील|200px|center]] | ||
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{{main|मानसून भवन उदयपुर}} | {{main|मानसून भवन उदयपुर}} | ||
*उदयपुर के मानसून भवन को मूल रूप से सज्जन घर के नाम से जाना जाता था। | *उदयपुर के मानसून भवन को मूल रूप से सज्जन घर के नाम से जाना जाता था। | ||
*इसे | *इसे सज्जन सिंह के द्वारा 19वीं शताब्दी में बनवाया गया था। | ||
==== | ====उदयपुर की सात बहनें==== | ||
{{main|उदयपुर की सात बहनें}} | {{main|उदयपुर की सात बहनें}} | ||
*उदयपुर की सात बहनें | *उदयपुर की सात बहनें अर्थात् सात झील। | ||
*उदयपुर के शासक जल के महत्व को समझते थे। | *उदयपुर के शासक जल के महत्व को समझते थे। | ||
==== | ====एकलिंगजी==== | ||
{{main|एकलिंगजी उदयपुर}} | {{main|एकलिंगजी उदयपुर}} | ||
*[[उदयपुर]] में एकलिंगजी (23 किलोमीटर उत्तर) मंदिर परिसर कैलाश पुरी गाँव में स्थित है। | *[[उदयपुर]] में एकलिंगजी (23 किलोमीटर उत्तर) मंदिर परिसर कैलाश पुरी गाँव में स्थित है। | ||
*एकलिंगजी को [[शिव]] का ही एक रूप माना जाता है। | *एकलिंगजी को [[शिव]] का ही एक रूप माना जाता है। | ||
*ऐसा माना जाता है कि एकलिंगजी ही [[मेवाड़]] के शासक हैं। | *ऐसा माना जाता है कि एकलिंगजी ही [[मेवाड़]] के शासक हैं। | ||
==== | ====हल्दीघाटी==== | ||
{{main|हल्दीघाटी उदयपुर}} | {{main|हल्दीघाटी उदयपुर}} | ||
*उदयपुर में हल्दीघाटी (40 किलोमीटर उत्तर) स्थित है। | *उदयपुर में हल्दीघाटी (40 किलोमीटर उत्तर) स्थित है। | ||
*यह [[उदयपुर एकलिंगजी|एकलिंगजी]] से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। | *यह [[उदयपुर एकलिंगजी|एकलिंगजी]] से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। | ||
==== | ====जग निवास==== | ||
{{main|जग निवास}} | |||
{{main|जग निवास | |||
*उदयपुर में स्थित [[पिछोला झील]] पर बने द्वीप पैलेस में यह एक महल है| | *उदयपुर में स्थित [[पिछोला झील]] पर बने द्वीप पैलेस में यह एक महल है| | ||
*जो अब एक सुविधाजनक होटल का रूप ले चुका है। | *जो अब एक सुविधाजनक होटल का रूप ले चुका है। | ||
==== | ====एकलिंगगढ़==== | ||
{{main|एकलिंगगढ़ उदयपुर}} | {{main|एकलिंगगढ़ उदयपुर}} | ||
*उदयपुर में पहाड़ी पर एकलिंगगढ़ नाम का एक प्राचीन दुर्ग बना हुआ है। | *उदयपुर में पहाड़ी पर एकलिंगगढ़ नाम का एक प्राचीन दुर्ग बना हुआ है। | ||
*यहाँ पिछोले के बड़ीपाल नामक बाँध के दक्षिणी किनारे से शुरू होकर तालाब के दक्षिणी तट के पास पहाड़ियों की एक श्रृंखला है। | *यहाँ पिछोले के बड़ीपाल नामक बाँध के दक्षिणी किनारे से शुरू होकर तालाब के दक्षिणी तट के पास पहाड़ियों की एक श्रृंखला है। | ||
==== | ====शिल्पग्राम==== | ||
{{main|शिल्पग्राम उदयपुर}} | {{main|शिल्पग्राम उदयपुर}} | ||
*[[उदयपुर]] में एक शिल्पग्राम स्थित है| | *[[उदयपुर]] में एक शिल्पग्राम स्थित है| | ||
*जहाँ [[गोवा]], [[गुजरात]], [[राजस्थान]] और [[महाराष्ट्र]] के पारंपररिक घरों को दिखाया गया है। | *जहाँ [[गोवा]], [[गुजरात]], [[राजस्थान]] और [[महाराष्ट्र]] के पारंपररिक घरों को दिखाया गया है। | ||
==== | ====सज्जनगढ़==== | ||
{{main|सज्जनगढ़ उदयपुर}} | {{main|सज्जनगढ़ उदयपुर}} | ||
*उदयपुर शहर के दक्षिण में [[अरावली पर्वतमाला]] के एक पहाड़ की चोटी पर इस महल का निर्माण | *उदयपुर शहर के दक्षिण में [[अरावली पर्वतमाला]] के एक पहाड़ की चोटी पर इस महल का निर्माण महाराजा सज्जन सिंह ने करवाया था। | ||
*सज्जनगढ़ में गर्मियों में भी अच्छी ठंडी हवाऐं चलती हैं। | *सज्जनगढ़ में गर्मियों में भी अच्छी ठंडी हवाऐं चलती हैं। | ||
==== | ====मोती नगरी==== | ||
{{main|मोती नगरी उदयपुर}} | {{main|मोती नगरी उदयपुर}} | ||
*उदयपुर में मोती नगरी [[फतेह सागर]] के पास की पहाड़ी पर स्थित है। | *उदयपुर में मोती नगरी [[फ़तह सागर झील|फतेह सागर]] के पास की पहाड़ी पर स्थित है। | ||
*यहाँ प्रसिद्ध राजपूत राजा [[महाराणा प्रताप]] की मूर्ति है। | *यहाँ प्रसिद्ध राजपूत राजा [[महाराणा प्रताप]] की मूर्ति है। | ||
==== | ====सहेलियों की बाड़ी==== | ||
{{main|सहेलियों की बाड़ी उदयपुर}} | {{main|सहेलियों की बाड़ी उदयपुर}} | ||
*उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी और दासियों के सम्मान में बना बाग़ एक सजा-धजा बाग़ है। | *उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी और दासियों के सम्मान में बना बाग़ एक सजा-धजा बाग़ है। | ||
==== | ====शहरपनाह==== | ||
{{main|शहरपनाह उदयपुर}} | {{main|शहरपनाह उदयपुर}} | ||
*उदयपुर में शहरपनाह स्थित है। | *उदयपुर में शहरपनाह स्थित है। | ||
*इस शहर के तीन तरफ पक्की शहरपनाह हैं। | *इस शहर के तीन तरफ पक्की शहरपनाह हैं। | ||
==== | ====पुराना राजमहल==== | ||
{{main|पुराना राजमहल उदयपुर}} | {{main|पुराना राजमहल उदयपुर}} | ||
*पुराना राजमहल उदयपुर शहर के दक्षिण की ओर पहाड़ी की ऊँचाई पर [[पिछोला झील]] के किनारे स्थित है। | *पुराना राजमहल उदयपुर शहर के दक्षिण की ओर पहाड़ी की ऊँचाई पर [[पिछोला झील]] के किनारे स्थित है। | ||
*यह जगह बहुत ही सुन्दर और प्राचीन शैली की है। | *यह जगह बहुत ही सुन्दर और प्राचीन शैली की है। | ||
==== | ====सज्जन निवास==== | ||
{{main|सज्जन निवास उदयपुर}} | {{main|सज्जन निवास उदयपुर}} | ||
*उदयपुर में राजमहलों के नीचे सज्जन निवास नाम का बड़ा ही रमणीय और विस्तृत बगीचा है। इस बगीचे में कई फ़व्वारे लगे हुए हैं। | *उदयपुर में राजमहलों के नीचे सज्जन निवास नाम का बड़ा ही रमणीय और विस्तृत बगीचा है। इस बगीचे में कई फ़व्वारे लगे हुए हैं। | ||
*बगीचे के एक तरफ जगह-जगह पर विभिन्न जंतुओं व पक्षियों के रहने के स्थान निर्मित किये गये हैं। | *बगीचे के एक तरफ जगह-जगह पर विभिन्न जंतुओं व पक्षियों के रहने के स्थान निर्मित किये गये हैं। | ||
==== | ====धोला महल==== | ||
{{main|धोला महल उदयपुर}} | {{main|धोला महल उदयपुर}} | ||
*उदयपुर के प्राचीन महलों में संगमरमर का बना हुआ धोला महल देखने | *उदयपुर के प्राचीन महलों में संगमरमर का बना हुआ धोला महल देखने लायक़ है। | ||
*इस महल के सामने ही एक नहर का | *इस महल के सामने ही एक नहर का हौज़ बना हुआ है। | ||
==== | ====ख़ास ओदी तथा सीसारमा गाँव==== | ||
{{main|खास ओदी तथा सीसारमा गाँव उदयपुर}} | {{main|खास ओदी तथा सीसारमा गाँव उदयपुर}} | ||
* | *ख़ास ओदी नामक स्थान बाँध के दक्षिणी तट पर स्थित है, जहाँ पर सिंह-शूकर युद्ध के लिए चौकोर मकान बना हुआ है। | ||
*सीसारमा गाँव | *सीसारमा गाँव ख़ास ओदी से कुछ दूर, पश्चिम में सरोवर के दक्षिणी सिरे के निकट है, जहाँ पर वैद्यनाथ नामक शिवालय देखने योग्य है। | ||
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====कुंभलगढ़==== | |||
{{main|कुंभलगढ़ उदयपुर}} | {{main|कुंभलगढ़ उदयपुर}} | ||
उदयपुर में 25 मील उत्तर की ओर [[ | उदयपुर में 25 मील उत्तर की ओर [[नाथद्वार]] से क़रीब अरावली की एक ऊँची श्रेणी पर कुंभलगढ़ का प्रसिद्ध क़िला बना हुआ है। इसकी ऊँचाई समुद्रतल से 3568 फुट है। महाराणा कुंभा (कुंभकर्ण) ने सन् 1458 (विक्रम संवत् 1515) में इस क़िले का निर्माण कराया था अतः इसे कुंभलमेर (कुभलमरु) या कुभलगढ़ का क़िला कहते हैं। मुसलमानों की कई बार चढ़ाईयों तथा बड़ी-बड़ी लड़ाईयों के कारण यह क़िला एक ख़ास ऐतिहासिक महत्त्व रखता है। महाराणा कुंभा ने इस सुन्दर दुर्ग के स्मरणार्थ कुछ सिक्के भी जारी किये थे जिस पर इसका नाम अंकित हुआ करता था। | ||
==== | ====जावर==== | ||
{{main|जावर उदयपुर}} | {{main|जावर उदयपुर}} | ||
उदयपुर से यह स्थान पर्वत-मालाओं के बीच 20 मील की दूरी पर दक्षिण में स्थित है। जावर माला नामक स्थान एक ऊँची पहाड़ी के मध्य में है जहाँ [[महाराणा प्रताप]] [[अकबर]] के साथ लड़ाईयों के दौरान कभी-कभी रहा करते थे। यहाँ की आबादी [[महाराणा लाखा]] के समय चाँदी और शीशे की खानों में कार्य होने के कारण अच्छी थी लेकिन बाद में खान का कार्य बन्द हो जाने से जनसंख्या भी कम होती गई। | उदयपुर से यह स्थान पर्वत-मालाओं के बीच 20 मील की दूरी पर दक्षिण में स्थित है। जावर माला नामक स्थान एक ऊँची पहाड़ी के मध्य में है जहाँ [[महाराणा प्रताप]] [[अकबर]] के साथ लड़ाईयों के दौरान कभी-कभी रहा करते थे। यहाँ की आबादी [[महाराणा लाखा]] के समय चाँदी और शीशे की खानों में कार्य होने के कारण अच्छी थी लेकिन बाद में खान का कार्य बन्द हो जाने से जनसंख्या भी कम होती गई। | ||
==धार्मिक स्थल== | ==धार्मिक स्थल== | ||
==== | ====कल्याणपुर==== | ||
{{main|कल्याणपुर उदयपुर}} | {{main|कल्याणपुर उदयपुर}} | ||
*कल्याणपुर मंदिर उदयपुर के दक्षिण में 77 किलोमीटर दूरी पर स्थित है तथा यह मंदिर शैवपीठ के रूप में लोकप्रिय रहा है। | *कल्याणपुर मंदिर उदयपुर के दक्षिण में 77 किलोमीटर दूरी पर स्थित है तथा यह मंदिर शैवपीठ के रूप में लोकप्रिय रहा है। | ||
*वर्त्तमान में यह मंदिर अत्यंत जीर्ण अवस्था में है। | *वर्त्तमान में यह मंदिर अत्यंत जीर्ण अवस्था में है। | ||
====उनवास==== | |||
==== | |||
{{main|उनवास उदयपुर}} | {{main|उनवास उदयपुर}} | ||
*उनवास उदयपुर से 48 किलोमीटर की दू्री पर हल्दी घाटी के निकट स्थित है। | *उनवास उदयपुर से 48 किलोमीटर की दू्री पर हल्दी घाटी के निकट स्थित है। | ||
*यह [[दुर्गा]] मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर | *यह [[दुर्गा]] मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर पिप्पलादमाता के नाम से विख्यात है। | ||
==== | ====जगत==== | ||
{{main|जगत उदयपुर}} | {{main|जगत उदयपुर}} | ||
*जगत ऐतिहासिक [[अम्बिका]] मंदिर [[राजस्थान]], [[उदयपुर]] से 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। | *जगत ऐतिहासिक [[अम्बिका]] मंदिर [[राजस्थान]], [[उदयपुर]] से 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। | ||
*मातृदेवी के इस मंदिर में मातृदेवताओं तथा दिक्पालों के अतिरिक्त किसी भी अन्य देव की प्रतिमा का न होना, इसे अन्य मंदिरों से अलग करता है। | *मातृदेवी के इस मंदिर में मातृदेवताओं तथा दिक्पालों के अतिरिक्त किसी भी अन्य देव की प्रतिमा का न होना, इसे अन्य मंदिरों से अलग करता है। | ||
==== | ====नागदा==== | ||
{{main|नागदा उदयपुर}} | {{main|नागदा उदयपुर}} | ||
नागदा का प्राचीन शहर पहले | नागदा का प्राचीन शहर पहले रावल नागादित्य की राजधानी थी। वर्तमान में यह एक छोटा सा गाँव है। यह गाँव 11वीं शताब्दी में बने '[[सास बहू का मंदिर, उदयपुर|सास-बहू मंदिर]]' के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का मूल नाम 'सहस्त्रबाहु' था जो कि विकृत होकर सास-बहू हो गया है। यह एक छोटा सा मंदिर है। लेकिन मंदिर की वास्तुशैली काफ़ी आकर्षक है। | ||
==== | ====टूस (मंदेसर)==== | ||
[[चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-Udaipur.jpg|thumb|400px|[[ | [[चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-Udaipur.jpg|thumb|400px|[[रणकपुर जैन मंदिर]], उदयपुर<br />Ranakpur Jain Temple, Udaipur]] | ||
{{main|टूस (मंदेसर) उदयपुर}} | {{main|टूस (मंदेसर) उदयपुर}} | ||
*टूस उदयपुर के समीप बेड़च नदी के तट पर स्थित है। | *टूस उदयपुर के समीप बेड़च नदी के तट पर स्थित है। | ||
*यहाँ का [[सूर्य देवता|सूर्य]] मंदिर मूर्तिकला परंपरा के अध्ययन में विशेष | *यहाँ का [[सूर्य देवता|सूर्य]] मंदिर मूर्तिकला परंपरा के अध्ययन में विशेष महत्त्व रखता है। | ||
==== | ====ईसवाल==== | ||
{{main|ईसवाल उदयपुर}} | {{main|ईसवाल उदयपुर}} | ||
*ईसवाल का मंदिर [[राजस्थान]], [[उदयपुर]] से लगभग 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। | *ईसवाल का मंदिर [[राजस्थान]], [[उदयपुर]] से लगभग 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। | ||
*संवत् 1161 तथा संवत् 1242 के दो अभिलेखों के आधार पर इसका निर्माण काल 11वीं शताब्दी के | *संवत् 1161 तथा संवत् 1242 के दो अभिलेखों के आधार पर इसका निर्माण काल 11वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में निर्मित किया गया है। | ||
==== | ====जगदीश मंदिर==== | ||
{{main|जगदीश मंदिर उदयपुर}} | {{main|जगदीश मंदिर उदयपुर}} | ||
*उदयपुर के जगदीश मंदिर की स्थापना 1651 ई. में हुई थी। | *उदयपुर के जगदीश मंदिर की स्थापना 1651 ई. में हुई थी। | ||
*जगदीश मंदिर इंडो-आर्यन शैली में बना हुआ था। | *जगदीश मंदिर इंडो-आर्यन शैली में बना हुआ था। | ||
==== | ====जग मंदिर==== | ||
{{main|जग मंदिर उदयपुर}} | {{main|जग मंदिर उदयपुर}} | ||
जगमंदिर नामक पुराने महल जगनिवास से क़रीब आधे मील दूर दक्षिण में एक दूसरे विशाल टापू पर बने हुए हैं। उदयपुर में यह [[पिछोला झील]] पर बना एक अन्य द्वीप पैलेस है। उदयपुर का यह महल | जगमंदिर नामक पुराने महल जगनिवास से क़रीब आधे मील दूर दक्षिण में एक दूसरे विशाल टापू पर बने हुए हैं। उदयपुर में यह [[पिछोला झील]] पर बना एक अन्य द्वीप पैलेस है। उदयपुर का यह महल महाराजा करण सिंह द्वारा बनवाया गया था, किंतु महाराजा जगत् सिंह ने इसका विस्तार कराया। इस महल से बहुत शानदार दृश्य दिखाई देते हैं, यहाँ के गोल्डन महल की सुंदरता दुर्लभ और भव्य है। | ||
==== | ====श्रीनाथजी==== | ||
{{main|श्रीनाथजी उदयपुर}} | {{main|श्रीनाथजी उदयपुर}} | ||
वल्लभ संप्रदाय के वैष्णवों के मुख्य उपास्य देवता श्रीनाथ जी का मंदिर उदयपुर से 30 मील तथा | वल्लभ संप्रदाय के वैष्णवों के मुख्य उपास्य देवता श्रीनाथ जी का मंदिर उदयपुर से 30 मील तथा एकलिंग जी से 17 मील उत्तर में नाथद्वारा नामक स्थान पर स्थित है। नाथद्वारे को अपना पवित्र तीर्थ मानकर समस्त [[भारत]] के वैष्णव यात्रा के लिए यहाँ आते हैं। श्रीनाथ जी की मूर्ति के दर्शन यहाँ पुष्टिमार्ग के नियमानुसार ही समय-समय पर कराये जाने का प्रावधान है, इसे झाँकी कहते हैं। | ||
====रुपनारायण==== | |||
==== | |||
{{main|रुपनारायण उदयपुर}} | {{main|रुपनारायण उदयपुर}} | ||
*रुपनारायण का प्रसिद्ध [[विष्णु]] मंदिर उदयपुर में | *रुपनारायण का प्रसिद्ध [[विष्णु]] मंदिर उदयपुर में चारभुजा से क़रीब तीन मील की दूरी पर सेवंत्री गाँव में स्थित है। | ||
*इस मंदिर की स्थापना सन् 1652 (विक्रम संवत् 1709) में हुई थी। | *इस मंदिर की स्थापना सन् 1652 (विक्रम संवत् 1709) में हुई थी। | ||
==== | ====ॠषभदेव==== | ||
{{main|ॠषभदेव उदयपुर}} | {{main|ॠषभदेव उदयपुर}} | ||
उदयपुर से 39 मील दक्षिण में | उदयपुर से 39 मील दक्षिण में खैरवाड़े की सड़क के निकट कोट से घिरे घूलेव गाँव में ॠषभदेव का मंदिर है जो [[मेवाड़]] में [[जैन|जैनियों]] का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान के रूप में माना जाता है। यह स्थान [[विष्णु]] के 24 अवतारों में से आठवें अवतार के रूप में माने जाने के कारण हिन्दुओं का भी तीर्थ स्थल है। ॠषभदेव की भव्य और तेजस्वी प्रतिमा को केसरियानाथ के रूप में भी जाना जाता है। | ||
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10:16, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
उदयपुर पर्यटन
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विवरण | उदयपुर, पूर्व का वेनिस और भारत का दूसरा काश्मीर माना जाने वाला शहर है। यह ख़ूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | उदयपुर |
स्थापना | सन् 1559 ई. में महाराजा उदयसिंह द्वारा स्थापित |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 24°35 - पूर्व- 73°41 |
मार्ग स्थिति | उदयपुर शहर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर स्थित है। यह सड़क मार्ग जोधपुर से 276 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व, जयपुर से 396 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम तथा दिल्ली से 652 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। |
प्रसिद्धि | उदयपुर के अलावा झीलों के साथ रेगिस्तान का अनोखा संगम अन्य कहीं नहीं देखने को मिलता है। |
कब जाएँ | अक्टूबर से फ़रवरी |
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महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, डबौक में है। |
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उदयपुर सिटी/UDZ रेलवे स्टेशन, उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन |
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बस अड्डा उदयपुर |
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बिना मीटर की टैक्सी, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा |
क्या देखें | महलें, झीलें, बगीचें, संग्रहालय तथा स्मारक |
क्या ख़रीदें | यहाँ से हस्तशिल्प संबंधी वस्तुएँ, पेपर, कपड़े, पत्थर तथा लकड़ी पर बने चित्र ये सभी सरकार द्वारा संचालित राजस्थानी शोरुम से ख़रीदी जा सकती है। |
एस.टी.डी. कोड | 0294 |
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गूगल मानचित्र |
अद्यतन | 14:46, 5 मई 2013 (IST)
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उदयपुर | उदयपुर पर्यटन | उदयपुर ज़िला |
राजस्थान, उदयपुर, उत्तरी भारत का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल माना जाता है। उदयपुर को झीलों का शहर भी कहते हैं। पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। झीलों के साथ रेगिस्तान का अनोखा संगम अन्य कहीं देखने को नहीं मिलता है। यह शहर अरावली पहाड़ी के पास राजस्थान में स्थित है। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थल यहाँ के शासकों द्वारा बनवाये गए महल, झीलें, बगीचे तथा स्मारक हैं। ये सभी चीज़ें हमें सिसोदिया राजपूत शासकों के सदगुण, विजय तथा स्वतंत्रता की याद दिलाते हैं। इनका निर्माण उस समय हुआ जब मेवाड़ ने पहली बार मुग़लों की अधीनता स्वीकार की थी तथा बाद में अंग्रेज़ों की। आपको उदयपुर घूमने के लिए कम-से-कम तीन दिन का समय देना चाहिए। इसके आसपास के स्थानों को घूमने के लिए दो और दिन देने चाहिए।
पर्यटन स्थल
सिटी पैलेस काम्पलेक्स
सिटी पैलेस काम्पलेक्स पिछोला झील पर स्थित है। महाराणा उदय सिंह द्वारा इस महल का निर्माण आरंभ किया गया था किन्तु आगे आने वाले महाराणाओं ने इस संकुल में कई महल और संरचनाओं को जोड़ा, इस पैलेस में संकल्पना की एक रूपता को बनाए रखा है। महल में प्रवेश करने का स्थान हाथी पोल की ओर से है। बड़ी पोल या बड़ा गेट त्रिपोलिया अर्थात् तीन प्रवेश द्वारों में से एक है। एक समय में यह रिवाज था कि महाराणा इस प्रवेश द्वार के नीचे सोने और चाँदी से तौले जाते थे और फिर यह ग़रीबों में बाँट दिया जाता था।
सिटी पैलेस संग्रहालय
- सिटी पैलेस महल का मुख्य हिस्सा अब एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित कर दिया गया है।
- यह संग्रहालय कलात्मक वस्तुओं का एक बड़ा और विविध संग्रह प्रदर्शित करता है।
सरकारी संग्रहालय
- उदयपुर के सरकारी संग्रहालय में मेवाड़ से संबंधित शिलालेख रखे हुए हैं।
- ये शिलालेख दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 19वीं शताब्दी तक हैं।
काँच गैलरी
- उदयपुर की काँच गैलेरी धन के अपव्यय को दर्शाती है।
- उदयपुर के राणा सज्जन सिंह ने 1877 ई. में इंग्लैण्ड की एफ. एंड. सी. ओसलर एण्ड कंपनी से काँच के सामानों की ख़रीददारी की थी।
विंटेज कार सिटी पैलेस
- उदयपुर में विंटेज कार सिटी पैलेस है।
- विंटेज कार सिटी पैलेस परिसर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
बगोर की हवेली
- उदयपुर के प्रधानमंत्री अमरचंद वादवा का निवास स्थान बगोर की हवेली था।
- यह हवेली पिछोला झील के सामने है।
आहर
- उदयपुर में आहर का उपयोग मेवाड़ के राजपरिवार के लोगों के क़ब्रिस्तान के रूप में होता है।
- ये स्मारक चार दशकों में बने हैं।
मानसून भवन
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सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर |
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विंटेज कार, उदयपुर |
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आहर, उदयपुर |
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मानसून भवन, उदयपुर |
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फ़तह सागर झील, उदयपुर |
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महाराणा प्रताप की प्रतिमा, हल्दीघाटी, उदयपुर |
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जग निवास, उदयपुर |
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सहेलियों की बाड़ी, उदयपुर |
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कुंभलगढ़, उदयपुर |
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नागदा मन्दिर, उदयपुर |
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जगदीश मंदिर, उदयपुर |
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जग मंदिर, उदयपुर |
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बगोर की हवेली, उदयपुर |
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रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर |
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पिछोला झील, उदयपुर |
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सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर |
- उदयपुर के मानसून भवन को मूल रूप से सज्जन घर के नाम से जाना जाता था।
- इसे सज्जन सिंह के द्वारा 19वीं शताब्दी में बनवाया गया था।
उदयपुर की सात बहनें
- उदयपुर की सात बहनें अर्थात् सात झील।
- उदयपुर के शासक जल के महत्व को समझते थे।
एकलिंगजी
- उदयपुर में एकलिंगजी (23 किलोमीटर उत्तर) मंदिर परिसर कैलाश पुरी गाँव में स्थित है।
- एकलिंगजी को शिव का ही एक रूप माना जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि एकलिंगजी ही मेवाड़ के शासक हैं।
हल्दीघाटी
- उदयपुर में हल्दीघाटी (40 किलोमीटर उत्तर) स्थित है।
- यह एकलिंगजी से 18 किलोमीटर की दूरी पर है।
जग निवास
- उदयपुर में स्थित पिछोला झील पर बने द्वीप पैलेस में यह एक महल है|
- जो अब एक सुविधाजनक होटल का रूप ले चुका है।
एकलिंगगढ़
- उदयपुर में पहाड़ी पर एकलिंगगढ़ नाम का एक प्राचीन दुर्ग बना हुआ है।
- यहाँ पिछोले के बड़ीपाल नामक बाँध के दक्षिणी किनारे से शुरू होकर तालाब के दक्षिणी तट के पास पहाड़ियों की एक श्रृंखला है।
शिल्पग्राम
- उदयपुर में एक शिल्पग्राम स्थित है|
- जहाँ गोवा, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के पारंपररिक घरों को दिखाया गया है।
सज्जनगढ़
- उदयपुर शहर के दक्षिण में अरावली पर्वतमाला के एक पहाड़ की चोटी पर इस महल का निर्माण महाराजा सज्जन सिंह ने करवाया था।
- सज्जनगढ़ में गर्मियों में भी अच्छी ठंडी हवाऐं चलती हैं।
मोती नगरी
- उदयपुर में मोती नगरी फतेह सागर के पास की पहाड़ी पर स्थित है।
- यहाँ प्रसिद्ध राजपूत राजा महाराणा प्रताप की मूर्ति है।
सहेलियों की बाड़ी
- उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी और दासियों के सम्मान में बना बाग़ एक सजा-धजा बाग़ है।
शहरपनाह
- उदयपुर में शहरपनाह स्थित है।
- इस शहर के तीन तरफ पक्की शहरपनाह हैं।
पुराना राजमहल
- पुराना राजमहल उदयपुर शहर के दक्षिण की ओर पहाड़ी की ऊँचाई पर पिछोला झील के किनारे स्थित है।
- यह जगह बहुत ही सुन्दर और प्राचीन शैली की है।
सज्जन निवास
- उदयपुर में राजमहलों के नीचे सज्जन निवास नाम का बड़ा ही रमणीय और विस्तृत बगीचा है। इस बगीचे में कई फ़व्वारे लगे हुए हैं।
- बगीचे के एक तरफ जगह-जगह पर विभिन्न जंतुओं व पक्षियों के रहने के स्थान निर्मित किये गये हैं।
धोला महल
- उदयपुर के प्राचीन महलों में संगमरमर का बना हुआ धोला महल देखने लायक़ है।
- इस महल के सामने ही एक नहर का हौज़ बना हुआ है।
ख़ास ओदी तथा सीसारमा गाँव
- ख़ास ओदी नामक स्थान बाँध के दक्षिणी तट पर स्थित है, जहाँ पर सिंह-शूकर युद्ध के लिए चौकोर मकान बना हुआ है।
- सीसारमा गाँव ख़ास ओदी से कुछ दूर, पश्चिम में सरोवर के दक्षिणी सिरे के निकट है, जहाँ पर वैद्यनाथ नामक शिवालय देखने योग्य है।
कुंभलगढ़
उदयपुर में 25 मील उत्तर की ओर नाथद्वार से क़रीब अरावली की एक ऊँची श्रेणी पर कुंभलगढ़ का प्रसिद्ध क़िला बना हुआ है। इसकी ऊँचाई समुद्रतल से 3568 फुट है। महाराणा कुंभा (कुंभकर्ण) ने सन् 1458 (विक्रम संवत् 1515) में इस क़िले का निर्माण कराया था अतः इसे कुंभलमेर (कुभलमरु) या कुभलगढ़ का क़िला कहते हैं। मुसलमानों की कई बार चढ़ाईयों तथा बड़ी-बड़ी लड़ाईयों के कारण यह क़िला एक ख़ास ऐतिहासिक महत्त्व रखता है। महाराणा कुंभा ने इस सुन्दर दुर्ग के स्मरणार्थ कुछ सिक्के भी जारी किये थे जिस पर इसका नाम अंकित हुआ करता था।
जावर
उदयपुर से यह स्थान पर्वत-मालाओं के बीच 20 मील की दूरी पर दक्षिण में स्थित है। जावर माला नामक स्थान एक ऊँची पहाड़ी के मध्य में है जहाँ महाराणा प्रताप अकबर के साथ लड़ाईयों के दौरान कभी-कभी रहा करते थे। यहाँ की आबादी महाराणा लाखा के समय चाँदी और शीशे की खानों में कार्य होने के कारण अच्छी थी लेकिन बाद में खान का कार्य बन्द हो जाने से जनसंख्या भी कम होती गई।
धार्मिक स्थल
कल्याणपुर
- कल्याणपुर मंदिर उदयपुर के दक्षिण में 77 किलोमीटर दूरी पर स्थित है तथा यह मंदिर शैवपीठ के रूप में लोकप्रिय रहा है।
- वर्त्तमान में यह मंदिर अत्यंत जीर्ण अवस्था में है।
उनवास
- उनवास उदयपुर से 48 किलोमीटर की दू्री पर हल्दी घाटी के निकट स्थित है।
- यह दुर्गा मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर पिप्पलादमाता के नाम से विख्यात है।
जगत
- जगत ऐतिहासिक अम्बिका मंदिर राजस्थान, उदयपुर से 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- मातृदेवी के इस मंदिर में मातृदेवताओं तथा दिक्पालों के अतिरिक्त किसी भी अन्य देव की प्रतिमा का न होना, इसे अन्य मंदिरों से अलग करता है।
नागदा
नागदा का प्राचीन शहर पहले रावल नागादित्य की राजधानी थी। वर्तमान में यह एक छोटा सा गाँव है। यह गाँव 11वीं शताब्दी में बने 'सास-बहू मंदिर' के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का मूल नाम 'सहस्त्रबाहु' था जो कि विकृत होकर सास-बहू हो गया है। यह एक छोटा सा मंदिर है। लेकिन मंदिर की वास्तुशैली काफ़ी आकर्षक है।
टूस (मंदेसर)

Ranakpur Jain Temple, Udaipur
- टूस उदयपुर के समीप बेड़च नदी के तट पर स्थित है।
- यहाँ का सूर्य मंदिर मूर्तिकला परंपरा के अध्ययन में विशेष महत्त्व रखता है।
ईसवाल
- ईसवाल का मंदिर राजस्थान, उदयपुर से लगभग 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- संवत् 1161 तथा संवत् 1242 के दो अभिलेखों के आधार पर इसका निर्माण काल 11वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में निर्मित किया गया है।
जगदीश मंदिर
- उदयपुर के जगदीश मंदिर की स्थापना 1651 ई. में हुई थी।
- जगदीश मंदिर इंडो-आर्यन शैली में बना हुआ था।
जग मंदिर
जगमंदिर नामक पुराने महल जगनिवास से क़रीब आधे मील दूर दक्षिण में एक दूसरे विशाल टापू पर बने हुए हैं। उदयपुर में यह पिछोला झील पर बना एक अन्य द्वीप पैलेस है। उदयपुर का यह महल महाराजा करण सिंह द्वारा बनवाया गया था, किंतु महाराजा जगत् सिंह ने इसका विस्तार कराया। इस महल से बहुत शानदार दृश्य दिखाई देते हैं, यहाँ के गोल्डन महल की सुंदरता दुर्लभ और भव्य है।
श्रीनाथजी
वल्लभ संप्रदाय के वैष्णवों के मुख्य उपास्य देवता श्रीनाथ जी का मंदिर उदयपुर से 30 मील तथा एकलिंग जी से 17 मील उत्तर में नाथद्वारा नामक स्थान पर स्थित है। नाथद्वारे को अपना पवित्र तीर्थ मानकर समस्त भारत के वैष्णव यात्रा के लिए यहाँ आते हैं। श्रीनाथ जी की मूर्ति के दर्शन यहाँ पुष्टिमार्ग के नियमानुसार ही समय-समय पर कराये जाने का प्रावधान है, इसे झाँकी कहते हैं।
रुपनारायण
- रुपनारायण का प्रसिद्ध विष्णु मंदिर उदयपुर में चारभुजा से क़रीब तीन मील की दूरी पर सेवंत्री गाँव में स्थित है।
- इस मंदिर की स्थापना सन् 1652 (विक्रम संवत् 1709) में हुई थी।
ॠषभदेव
उदयपुर से 39 मील दक्षिण में खैरवाड़े की सड़क के निकट कोट से घिरे घूलेव गाँव में ॠषभदेव का मंदिर है जो मेवाड़ में जैनियों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान के रूप में माना जाता है। यह स्थान विष्णु के 24 अवतारों में से आठवें अवतार के रूप में माने जाने के कारण हिन्दुओं का भी तीर्थ स्थल है। ॠषभदेव की भव्य और तेजस्वी प्रतिमा को केसरियानाथ के रूप में भी जाना जाता है।
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