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*[[विष्णु पुराण]] का कथन है कि दिलीप जैसा पृथ्वी पर कोई नहीं हुआ, जिसने मात्र कुछ क्षण पृथ्वी लोक पर रहकर मनुष्यों में अपनी दानवृत्ति, सत्य, ज्ञान का आचरण करके अमरता प्राप्त की हो। | *[[विष्णु पुराण]] का कथन है कि दिलीप जैसा पृथ्वी पर कोई नहीं हुआ, जिसने मात्र कुछ क्षण पृथ्वी लोक पर रहकर मनुष्यों में अपनी दानवृत्ति, सत्य, ज्ञान का आचरण करके अमरता प्राप्त की हो। | ||
*तीनों लोकों में उसने अपना यश स्थापित किया।[[महाभारत]], [[आदि पर्व महाभारत|आदि पर्व]], अध्याय 55, [[द्रोण पर्व महाभारत|द्रोणपर्व]] एवं [[विष्णु पुराण]] | *तीनों लोकों में उसने अपना यश स्थापित किया।<ref>[[महाभारत]], [[आदि पर्व महाभारत|आदि पर्व]], अध्याय 55, [[द्रोण पर्व महाभारत|द्रोणपर्व]] एवं [[विष्णु पुराण]]</ref> | ||
11:26, 9 सितम्बर 2011 का अवतरण
- खट्वांग सूर्यवंशी महाप्रतापी, धर्म परायण, सत्य का परीपालन करता राजा है।
- इसका नाम दिलीप भी था।
- खट्वांग ने देवासुर संग्राम में देवताओं की बड़ी सहायता की थी।
- दानवों का संहार किया और उन्हें युद्ध से भगा दिया। तब देवताओं ने उससे वर मांगने को कहा।
- कुतूहल वंश खट्वांग (दिलीप) ने पूछा कि उसकी कितनी आयु शेष है।
- देवज्ञ देवता बोले ‘मात्र एक घंटा’।
- खट्वांग वायु वेग से पृथ्वी पर आया और विष्णु स्तुति की और बैकुण्ठ में गया।
- महाभारत में उसका उल्लेख आता है।
- विष्णु पुराण का कथन है कि दिलीप जैसा पृथ्वी पर कोई नहीं हुआ, जिसने मात्र कुछ क्षण पृथ्वी लोक पर रहकर मनुष्यों में अपनी दानवृत्ति, सत्य, ज्ञान का आचरण करके अमरता प्राप्त की हो।
- तीनों लोकों में उसने अपना यश स्थापित किया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत, आदि पर्व, अध्याय 55, द्रोणपर्व एवं विष्णु पुराण