"पेरियार राष्ट्रीय उद्यान": अवतरणों में अंतर
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'''पेरियार राष्ट्रीय उद्यान''' [[भारत]] के [[केरल]] राज्य में स्थित है। | '''पेरियार राष्ट्रीय उद्यान''' [[दक्षिण भारत]] के [[केरल]] राज्य में स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान एक [[बाघ]] संराक्षित क्षेत्र है। उद्यान सन 1040 से [[पेरियार नदी]] के परिक्षेत्र में स्थित है। पेरियार उद्यान को वर्ष [[1998]] से 'हाथी संरक्षण परियोजना' के अंतर्गत भी लाया गया है। यहाँ नदी के गहरे [[जल]] में [[हाथी]] तैरने का अभ्यास भी करते हैं। नील गाय, साम्भर, [[भालू]], चीता तथा [[तेन्दुआ]] आदि जंगली जानवर भी यहाँ पाए जाते हैं। | ||
==स्थापना== | |||
'पेरियार राष्ट्रीय उद्यान' दक्षिण भारत में वन्य जीवन की विविधता का बड़ा गढ़ है। इसकी स्थापना सन [[1950]] में की गई थी, जबकि 'टाइगर रिजर्व' वर्ष [[1978]] से शुरू किया गया था। "प्रभु की धरती" कहे जाने वाले [[केरल]] के पश्चिमी तटों के मैदानी इलाकों में 'पेरियार राष्ट्रीय उद्यान' और 'टाइगर रिजर्व' स्थित है। पेरियार उद्यान के बीचों-बीच मन को आकर्षित करने वाली और एक विलक्षण नयनाभिराम दृश्य उत्पन्न करने वाली [[झील]] भी है, जो सन [[1895]] में पेरियार नदी पर बाँध बनाकर निकाली गई थी। वैसे तो यह टाइगर रिजर्व है, लेकिन पर्यटक यहाँ झील में हाथियों की जलक्रीड़ा देखने भी आते हैं। | |||
==जैव विविधता== | |||
'पेरियार राष्ट्रीय उद्यान' में कई आकर्षक वन्यजीवों को देखा जा सकता है। [[बाघ|बाघों]] और [[हाथी|हाथियों]] के अलावा पेरियार उद्यान में पर्यटक गौर, जंगली सुअर, सांभर, भौंकने वाला हिरन, माउस डीयर व भारतीय जंगली कुत्ते भी देख सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक यहाँ 40 बाघ हैं। पेरियार में प्राइमेट्स की चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें शेर जैसी पूँछ वाले दुर्लभ वानर, नीलगिरी लंगूर, सामान्य [[लंगूर]] और बोनेट मकॉक बन्दर भी शामिल हैं। दुर्लभ [[नीलगिरि ताहर]], जो बहुत ही कम दिखाई पड़ता है, इस राष्ट्रीय उद्यान में है। | |||
====अन्य जीव==== | |||
इस प्रसिद्ध उद्यान के पक्षियों में डाटर्स, कारमोरैन्ट्स, किंगफ़िशर, मालाबार, हॉर्नबिल और लंबी पूँछ वाले ड्रोगोंस मुख्य रूप से पाए जाते हैं। [[झील]] के किनारे चट्टानों पर छिपकलियों को देखा जा सकता है। घूमने आने वाले सैलानियों को [[साँप]] की दुर्लभ नस्लें, प्राय: पाइथन देखने को मिल जाते हैं और कभी-कभी कोबरा भी। पहाड़ों की वादियों में स्थित 'पेरियार राष्ट्रीय उद्यान' में प्रकाश कैनवस के सारे [[रंग]] बिखेरता है। जंगलों की नमी से आने वाली ठंडी हवा शांति और स्वच्छता का अनुभव कराती है तथा अपनी तरफ़ आकर्षित करती है। | |||
==नाव से घूमना== | |||
इस उद्यान के वन्य जीवों को ठीक से देखने के लिए नाव की सवारी सबसे उपयुक्त साधन है। पेरियार उद्यान में पर्यटकों को लुभाने वाली अच्छी बोटिंग की सुविधा है। यद्यपि नाव से बहुत जानवर नहीं भी दिखाई देते हैं, लेकिन हाथियों के परिवार, जंगली सांभर और हिरन आदि पानी के किनारे देखने को मिलते हैं। नाव के ऊपरी भाग से जीव ठीक से दिखाई देते हैं, इसलिए उपयुक्त सीट पाने के लिए समय से आधा घंटा पहले पहुँचना जरूरी होता है। भारी [[वर्षा]] के बाद वन्यजीव बहुत कम दिखाई देते हैं और जंगल का पानी सूखने पर ही झील की तरफ़ आते हैं। | |||
==कैसे पहुँचें== | |||
'पेरियार राष्ट्रीय उद्यान' जाने के लिए सबसे उपयुक्त समय है- [[अक्टूबर]] से [[जून]] तक के महीने। पेरियार पहुँचने के लिए रेलमार्ग से पहले कोट्टायम जाना होता है। वहाँ से पेरियार उद्यान की दूरी 118 कि.मी. है। कोट्टायम, अर्नाकुलम व मदुरै से चलने वाली बसें 'पेरियार राष्ट्रीय उद्यान' के सबसे नजदीकी शहर कुमिली तक जाती हैं। हवाई मार्ग से भी पेरियार पहुँच सकते हैं। यहाँ के नजदीकी हवाई अड्डे हैं- [[कोच्चि]] और [[मदुरै]]। पेरियार दक्षिण की ऐसी खूबसूरत सैरगाह है, जहाँ एक बार आने के बाद सैलानी बार-बार आना चाहते हैं। | |||
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12:17, 7 जून 2013 का अवतरण

पेरियार राष्ट्रीय उद्यान दक्षिण भारत के केरल राज्य में स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान एक बाघ संराक्षित क्षेत्र है। उद्यान सन 1040 से पेरियार नदी के परिक्षेत्र में स्थित है। पेरियार उद्यान को वर्ष 1998 से 'हाथी संरक्षण परियोजना' के अंतर्गत भी लाया गया है। यहाँ नदी के गहरे जल में हाथी तैरने का अभ्यास भी करते हैं। नील गाय, साम्भर, भालू, चीता तथा तेन्दुआ आदि जंगली जानवर भी यहाँ पाए जाते हैं।
स्थापना
'पेरियार राष्ट्रीय उद्यान' दक्षिण भारत में वन्य जीवन की विविधता का बड़ा गढ़ है। इसकी स्थापना सन 1950 में की गई थी, जबकि 'टाइगर रिजर्व' वर्ष 1978 से शुरू किया गया था। "प्रभु की धरती" कहे जाने वाले केरल के पश्चिमी तटों के मैदानी इलाकों में 'पेरियार राष्ट्रीय उद्यान' और 'टाइगर रिजर्व' स्थित है। पेरियार उद्यान के बीचों-बीच मन को आकर्षित करने वाली और एक विलक्षण नयनाभिराम दृश्य उत्पन्न करने वाली झील भी है, जो सन 1895 में पेरियार नदी पर बाँध बनाकर निकाली गई थी। वैसे तो यह टाइगर रिजर्व है, लेकिन पर्यटक यहाँ झील में हाथियों की जलक्रीड़ा देखने भी आते हैं।
जैव विविधता
'पेरियार राष्ट्रीय उद्यान' में कई आकर्षक वन्यजीवों को देखा जा सकता है। बाघों और हाथियों के अलावा पेरियार उद्यान में पर्यटक गौर, जंगली सुअर, सांभर, भौंकने वाला हिरन, माउस डीयर व भारतीय जंगली कुत्ते भी देख सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक यहाँ 40 बाघ हैं। पेरियार में प्राइमेट्स की चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें शेर जैसी पूँछ वाले दुर्लभ वानर, नीलगिरी लंगूर, सामान्य लंगूर और बोनेट मकॉक बन्दर भी शामिल हैं। दुर्लभ नीलगिरि ताहर, जो बहुत ही कम दिखाई पड़ता है, इस राष्ट्रीय उद्यान में है।
अन्य जीव
इस प्रसिद्ध उद्यान के पक्षियों में डाटर्स, कारमोरैन्ट्स, किंगफ़िशर, मालाबार, हॉर्नबिल और लंबी पूँछ वाले ड्रोगोंस मुख्य रूप से पाए जाते हैं। झील के किनारे चट्टानों पर छिपकलियों को देखा जा सकता है। घूमने आने वाले सैलानियों को साँप की दुर्लभ नस्लें, प्राय: पाइथन देखने को मिल जाते हैं और कभी-कभी कोबरा भी। पहाड़ों की वादियों में स्थित 'पेरियार राष्ट्रीय उद्यान' में प्रकाश कैनवस के सारे रंग बिखेरता है। जंगलों की नमी से आने वाली ठंडी हवा शांति और स्वच्छता का अनुभव कराती है तथा अपनी तरफ़ आकर्षित करती है।
नाव से घूमना
इस उद्यान के वन्य जीवों को ठीक से देखने के लिए नाव की सवारी सबसे उपयुक्त साधन है। पेरियार उद्यान में पर्यटकों को लुभाने वाली अच्छी बोटिंग की सुविधा है। यद्यपि नाव से बहुत जानवर नहीं भी दिखाई देते हैं, लेकिन हाथियों के परिवार, जंगली सांभर और हिरन आदि पानी के किनारे देखने को मिलते हैं। नाव के ऊपरी भाग से जीव ठीक से दिखाई देते हैं, इसलिए उपयुक्त सीट पाने के लिए समय से आधा घंटा पहले पहुँचना जरूरी होता है। भारी वर्षा के बाद वन्यजीव बहुत कम दिखाई देते हैं और जंगल का पानी सूखने पर ही झील की तरफ़ आते हैं।
कैसे पहुँचें
'पेरियार राष्ट्रीय उद्यान' जाने के लिए सबसे उपयुक्त समय है- अक्टूबर से जून तक के महीने। पेरियार पहुँचने के लिए रेलमार्ग से पहले कोट्टायम जाना होता है। वहाँ से पेरियार उद्यान की दूरी 118 कि.मी. है। कोट्टायम, अर्नाकुलम व मदुरै से चलने वाली बसें 'पेरियार राष्ट्रीय उद्यान' के सबसे नजदीकी शहर कुमिली तक जाती हैं। हवाई मार्ग से भी पेरियार पहुँच सकते हैं। यहाँ के नजदीकी हवाई अड्डे हैं- कोच्चि और मदुरै। पेरियार दक्षिण की ऐसी खूबसूरत सैरगाह है, जहाँ एक बार आने के बाद सैलानी बार-बार आना चाहते हैं।
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