"पहेली मार्च 2014": अवतरणों में अंतर
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||मुबारक ख़िलजी ने ‘अल इमाम’, ‘उल इमाम’ एवं ‘ख़िलाफ़त-उल्लाह’ की उपाधियाँ धारण की थीं। उसने ख़िलाफ़त के प्रति [[भक्ति]] को हटाकर अपने को ‘[[इस्लाम धर्म]] का सर्वोच्च प्रधान’ और ‘स्वर्ण तथा पृथ्वी के अधिपति का 'ख़लीफ़ा घोषित किया था। साथ ही उसने ‘अलवसिक विल्लाह’ की धर्म की प्रधान उपाधि भी धारण धारण की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुबारक ख़िलजी]] | ||मुबारक ख़िलजी ने ‘अल इमाम’, ‘उल इमाम’ एवं ‘ख़िलाफ़त-उल्लाह’ की उपाधियाँ धारण की थीं। उसने ख़िलाफ़त के प्रति [[भक्ति]] को हटाकर अपने को ‘[[इस्लाम धर्म]] का सर्वोच्च प्रधान’ और ‘स्वर्ण तथा पृथ्वी के अधिपति का 'ख़लीफ़ा घोषित किया था। साथ ही उसने ‘अलवसिक विल्लाह’ की धर्म की प्रधान उपाधि भी धारण धारण की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुबारक ख़िलजी]] | ||
{[[भारत]] में सबसे अधिक [[कहवा|कॉफ़ी]] उत्पन्न करने वाला राज्य कौन-सा है? | |||
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-[[महाराष्ट्र]] | |||
+[[कर्नाटक]] | |||
-[[तमिलनाडु]] | |||
-[[केरल]] | |||
||[[चित्र:Vidhan-Soudha-Bangalore.jpg|right|100px|विधान सौध, बेंगळूरू]]दक्षिण [[भारत]] में स्थित [[कर्नाटक]], भारत के बड़े राज्यों में से एक है। इस राज्य में अनेक इन्जीनियरिंग (अभियांत्रिकी) और मेडिकल (आयुर्विज्ञान) कॉलेज हैं। कर्नाटक के उत्तर में [[महाराष्ट्र]], दक्षिण में [[केरल]], दक्षिण-पूर्व में [[तमिलनाडु]] तथा पूर्व में [[आंध्र प्रदेश]] राज्य हैं। इसके पश्चिम में [[अरब सागर]] है। [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] यहाँ की मुख्य भाषा है। तुळु और [[कोंकणी भाषा]] भी बोली जाती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्नाटक]] | |||
{[[तिब्बत]] में बहने वाली नदी सांगपो किस राज्य से होकर [[भारत]] में प्रवेश करती है? | |||
|type="()"} | |||
-[[असम]] | |||
-[[सिक्किम]] | |||
+[[अरुणाचल प्रदेश]] | |||
-[[मणिपुर]] | |||
||[[चित्र:Tawang-Monestary-Arunachal-Pradesh-5.jpg|right|100px|तवांग, अरुणाचल प्रदेश]] अरुणाचल प्रदेश [[भारत]] गणराज्य का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। 'अरुणाचल' का अर्थ हिन्दी में शाब्दिक अर्थ है 'उगते सूर्य की भूमि' (अरुण+अचल)। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न राज्य है किन्तु [[चीन]] राज्य के एक भाग पर अपना अधिकार दक्षिणी [[तिब्बत]] के रूप में जताता है। अरुणाचल प्रदेश की मुख्य भाषा [[हिन्दी भाषा]] और [[असमिया भाषा|असमिया]] है साथ ही [[अंग्रेज़ी भाषा]] भी आजकल धीरे धीरे लोकप्रिय हो रही है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[अरुणाचल प्रदेश]] | |||
{विश्व प्रसिद्ध 'उलंग' किस्म की [[चाय]] निम्न में से किस देश में पैदा की जाती है? | |||
|type="()"} | |||
-[[भारत]] | |||
-[[श्रीलंका]] | |||
-[[म्यान्मार]] | |||
+[[ताइवान]] | |||
{वर्ष [[1947]] के बाद निम्नलिखित में से किस राज्य को [[भारत]] संघ में सैनिक कार्रवाई द्वारा बलपूर्वक मिलाया गया? | |||
|type="()"} | |||
+[[हैदराबाद]] | |||
-[[कश्मीर]] | |||
-[[पटियाला]] | |||
-[[मैसूर]] | |||
||[[चित्र:Charminar-Hyderabad-5.jpg|चारमीनार, हैदराबाद|100px|right]][[हैदराबाद]], [[गोलकुंडा]] के क़ुतुबशाही सुल्तानों द्वारा बसाया गया था, जिनके शासन में गोलकुंडा ने वह महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया, जहाँ केवल उत्तर में [[मुग़ल काल|मुग़ल साम्राज्य]] ही उससे आगे था। ख़ूबसूरत इमारतों, निज़ामी शानो-शौक़त और लजीज खाने के कारण मशहूर हैदराबाद [[भारत]] के मानचित्र पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में अपनी एक अलग अहमियत रखता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हैदराबाद]] | |||
{[[महात्मा गाँधी]] के राजनीतिक गुरु कौन थे? | |||
|type="()"} | |||
-[[मदन मोहन मालवीय]] | |||
-[[बाल गंगाधर तिलक]] | |||
-[[लाला लाजपत राय]] | |||
+[[गोपाल कृष्ण गोखले]] | |||
||[[चित्र:Gopal-Krishna-Gokhle.jpg|गोपाल कृष्ण गोखले|100px|right]]गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म [[9 मई]], [[1866]] ई. को [[महाराष्ट्र]] में [[रत्नागिरि|रत्नागिरि ज़िले]] के कोटलुक नामक ग्राम में हुआ था। आपके [[पिता]] 'कृष्णराव श्रीधर गोखले' एक ग़रीब किंतु स्वाभिमानी [[ब्राह्मण]] थे। पिता के असामयिक निधन ने गोपाल कृष्ण को बचपन से ही सहिष्णु और कर्मठ बना दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल कृष्ण गोखले]] | |||
{'[[चौरी चौरा|चौरी-चौरा]]' नाम का प्रसिद्ध स्थल कहाँ है? | |||
|type="()"} | |||
+[[गोरखपुर]] | |||
-[[लखनऊ]] | |||
-[[इलाहाबाद]] | |||
-[[आगरा]] | |||
||[[चित्र:Gorakhpur-Station.jpg|गोरखपुर जंक्शन|100px|right]][[गोरखपुर]] नगर, [[उत्तर प्रदेश]] राज्य की [[राप्ती नदी]] के बाँए किनारे पर बसा हुआ है। शहर और गोरखपुर ज़िले का नाम एक प्रसिद्ध तपस्वी तप संत गोरक्षनाथ के नाम पर पङा था, प्राचीन समय में गोरखपुर के भौगोलिक क्षेत्र में [[बस्ती ज़िला|बस्ती]], [[देवरिया]], [[कुशीनगर]], [[आजमगढ़]] के आधुनिक ज़िले शामिल थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोरखपुर]] | |||
{[[होली]] में प्रयुक्त 'होलक्का' शब्द किस भाषा से लिया गया है? | |||
|type="()"} | |||
-[[अवधी भाषा|अवधी]] | |||
-[[उर्दू भाषा|उर्दू]] | |||
-[[हिंदी]] | |||
+[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] | |||
||[[चित्र:Holika-Prahlad-1.jpg|120px|right|link=होली]] होली शब्द का जन्म [[संस्कृत]] शब्द 'होलक्का' से हुआ है। [[वैदिक काल|वैदिक युग]] में 'होलक्का' को ऐसा अन्न माना जाता था, जो देवों का मुख्य रूप से खाद्य-पदार्थ था। [[बंगाल]] में होली को डोल यात्रा या झूलन पर्व, दक्षिण भारत में कामथनम, [[मध्य प्रदेश]] के [[छत्तीसगढ़]] में ’गोल बढ़ेदो’ नाम से उत्सव मनाया जाता है और [[उत्तरांचल]] में लोक संगीत व शास्त्रीय संगीत की प्रधानता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[होली]] | |||
{[[तमिलनाडु]] में [[होली]] को किस नाम से जाना जाता है? | |||
|type="()"} | |||
-[[डोल पूर्णिमा]] | |||
-[[कामना हब्बा]] | |||
+[[कामन पोडिगई]] | |||
-[[फागु पूर्णिमा|फगुआ]] | |||
|| तमिलनाडु में होली के त्योहार को कामन पोडिगई / कमान पंदिगाई / कमाविलास / काम-दहन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार [[कामदेव]] को समर्पित होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कामन पोडिगई]] | |||
{[[महाभारत]] के अठारहवें दिन के युद्ध का कौरव सेना का सेनापतित्व किसने किया था? | |||
|type="()"} | |||
-[[कृपाचार्य]] | |||
+[[शल्य]]-[[अश्वत्थामा]] | |||
-[[दु:शासन]] | |||
-[[जयद्रथ]]-[[जरासंध]] | |||
||कर्ण-वध के उपरांत [[कौरव|कौरवों]] ने [[अश्वत्थामा]] के कहने से शल्य को सेनापति बनाया। [[कृष्ण]] ने [[युधिष्ठिर]] को शल्य-वध के लिए उत्साहित करते हुए कहा कि इस समय यह बात भूल जानी चाहिए कि वह [[पांडव|पांडवों]] का मामा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शल्य]] | |||
||[[महाभारत]] का अठारह दिन तक युद्ध चलता रहा। अश्वत्थामा को जब [[दुर्योधन]] के अधर्म-पूर्वक किये गये वध के विषय में पता चला तो वे क्रोध से अंधे हो गये। उन्होंने शिविर में सोते हुए समस्त पांचालों को मार डाला। द्रौपदी को समाचार मिला तो उसने आमरण अनशन कर लिया और कहा कि वह अनशन तभी तोड़ेगी, जब कि अश्वत्थामा के मस्तक पर सदैव बनी रहने वाली मणि उसे प्राप्त होगी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अश्वत्थामा]] | |||
{किस [[मध्य काल|मध्यकालीन]] भारतीय शासक ने 'पट्टा' एवं 'क़बूलियत' की प्रथा आरम्भ की थी? | |||
|type="()"} | |||
-[[अलाउद्दीन ख़िलजी]] | |||
-[[मुहम्मद बिन तुग़लक़]] | |||
+[[शेरशाह सूरी]] | |||
-[[अकबर]] | |||
||[[चित्र:Shershah-Suri.jpg|शेरशाह सूरी|100px|right]]शेरशाह सूरी ने [[आगरा]] से [[जोधपुर]] और [[चित्तौड़]] तक की सड़क का निर्माण करवाया और उसे [[गुजरात]] के बंदरगाहों से जुड़ी सड़कों से मिलाया। उसने [[लाहौर]] से मुल्तान तक तीसरी सड़क का निर्माण करवाया। मुल्तान उस समय पश्चिम और मध्य [[एशिया]] की ओर जाने वाले कारवाओं का प्रारभिंक बिन्दु था। यात्रियों की सुविधा के लिए [[शेरशाह]] ने इन सड़कों पर प्रत्येक दो कोस (लगभग आठ) किलोमीटर पर सरायों का निर्माण कराया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शेरशाह सूरी]] | |||
{[[टोडा जनजाति]] कहाँ निवास करती है? | |||
|type="()"} | |||
-[[अरावली पर्वतमाला|अरावली पहाड़ियों पर]] | |||
-[[उदयगिरि पहाड़ियाँ|उदयगिरि पहाड़ियों पर]] | |||
+[[नीलगिरि पहाड़ियाँ|नीलगिरि की पहाड़ियों पर]] | |||
-[[विंध्याचल पर्वत|विंध्याचल की पहाड़ियों पर]] | |||
||[[चित्र:Nilgiri-Hills.jpg|right|80px|नीलगिरि पहाड़ियाँ, [[तमिलनाडु]]]] नीलगिरि पहाड़ियाँ, [[तमिलनाडु]] राज्य का पर्वतीय क्षेत्र है, दक्षिणी [[भारत]] में स्थित हैं। नीलगिरि की चोटियाँ आसपास के मैदानी क्षेत्र से अचानक उठकर 1,800 से 2,400 मीटर की ऊँचाई तक पहुँचती हैं; इनमें से एक 2,637 ऊँचा डोडाबेट्टा तमिलनाडु का शीर्ष बिन्दू है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[नीलगिरि पहाड़ियाँ]] | |||
{[[भारत]] में जनसंख्या घनत्त्व की दृष्टि से सबसे विरल प्रदेश कौन-सा है? | |||
|type="()"} | |||
-[[केरल]] | |||
-[[बिहार]] | |||
-[[राजस्थान]] | |||
+[[जम्मू और कश्मीर|जम्मू-कश्मीर]] | |||
||[[चित्र:Dal-Lake-Srinagar.jpg|120px|right|डल झील, श्रीनगर]]एक भारतीय राज्य, जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पश्चिमी पर्वतश्रेणियों के निकट स्थित है। पहले यह [[भारत]] की बड़ी रियासतों में से एक था। यह पूर्वात्तर में सिंक्यांग का स्वायत्त क्षेत्र व [[तिब्बत|तिब्बती]] स्वायत्त क्षेत्र (दोनों [[चीन]] के भाग) से, दक्षिण में [[हिमाचल प्रदेश]] व [[पंजाब]] राज्यों से, पश्चिम में [[पाकिस्तान]] और पश्चिमोत्तर में पाकिस्तान अधिकृत भू-भाग से घिरा है। जम्मू-कश्मीर राज्य के पश्चिम मध्य हिस्से के पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र में [[देवसई पर्वत]] है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जम्मू और कश्मीर]] | |||
{उस [[पीपल]] के वृक्ष को किस नाम से पुकारा गया, जिसके नीचे [[बुद्ध]] को ज्ञान प्राप्ति हुई? | |||
|type="()"} | |||
-वटुकी वृक्ष | |||
+बोधि वृक्ष | |||
-वट वृक्ष | |||
-ज्ञान वृक्ष | |||
{[[राज्यसभा]] के लिए प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों का निर्वाचन कौन करता है? | |||
|type="()"} | |||
+[[विधानसभा]] के निर्वाचित सदस्य | |||
-विधानसभा के सभी सदस्य | |||
-[[विधानमण्डल]] के सभी सदस्य | |||
-विधानमण्डल के निर्वाचित सदस्य | |||
{[[लोकसभा अध्यक्ष|लोकसभा के अध्यक्ष]] को कौन चुनता है? | |||
|type="()"} | |||
-[[राष्ट्रपति]] | |||
-[[प्रधानमंत्री]] | |||
+[[लोकसभा]] के सदस्य | |||
-[[संसद]] के सदस्य | |||
||लोकसभा अध्यक्ष का निर्वाचन लोकसभा के सदस्यों के द्वारा किया जाता है। निर्वाचन किस तिथि को होगा, इसे [[राष्ट्रपति]] निश्चित करता है और राष्ट्रपति के द्वारा निश्चित की गयी तिथि की सूचना लोकसभा का महासचिव सदस्यों को देता है। राष्ट्रपति के द्वारा निश्चित की गयी तिथि के पूर्व दिन के मध्याह्न से पहले कोई भी सदस्य किसी अन्य सदस्य को अध्यक्ष चुने जाने का प्रस्ताव महासचिव को लिखित रूप में देता है तथा इस प्रस्ताव का अनुमोदन तीसरे सदस्य द्वारा दिया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लोकसभा]] | |||
{[[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]] ने किस प्रकार के लोकतंत्र को अपनाया है? | |||
|type="()"} | |||
-संवैधानिक राजतंत्र | |||
-वंशानुगत लोकतंत्र | |||
-लोकतांत्रिक राजतंत्र | |||
+लोकतांत्रिक गणतंत्र | |||
{[[मुग़ल]] दरबार में ‘पर्दा शासन’ के लिए ज़िम्मेदार ‘अतका खेल’ या ‘हरम दल’ की सर्वप्रमुख सदस्या कौन थी? | |||
|type="()"} | |||
+[[माहम अनगा]] | |||
-[[हमीदा बानो बेगम]] | |||
-[[नूरजहाँ|मेहरुन्निसा]] | |||
-[[जहाँआरा बेगम]] | |||
||[[माहम अनगा]] बादशाह [[अकबर]] के बचपन में उसकी मुख्य अनगा (दूधमाता) थी। वह एक कटु राजनीतिज्ञ महिला और अदहम ख़ाँ की माँ थी। वह हरम के अन्दर उस दल में सम्मिलित थी, जो [[बैरम ख़ाँ]] के राज्य का सर्वेसर्वा बने रहने का विरोधी था। उसने अकबर को बैरम ख़ाँ के हाथ से सल्तनत की बाग़डोर छीनने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माहम अनगा]] | |||
{‘जो चित्रकला के शत्रु हैं, मैं उनका शत्रु हूँ।’ यह कथन किस बादशाह का है? | |||
|type="()"} | |||
-[[शिवाजी]] | |||
-[[राणा प्रताप]] | |||
+[[जहाँगीर]] | |||
-[[शेरशाह]] | |||
||जहाँगीर के चरित्र में एक अच्छा लक्षण था - प्रकृति से ह्रदय से आनंद लेना तथा फूलों को प्यार करना, उत्तम सौन्दर्य, बोधात्मक रुचि से सम्पन्न। स्वयं चित्रकार होने के कारण [[जहाँगीर]] [[कला]] एवं [[साहित्य]] का पोषक था। उसका ‘तुजूके-जहाँगीरी’ संस्मरण उसकी साहित्यिक योग्यता का प्रमाण है। उसने कष्टकर चुंगियों एवं करों को समाप्त किया तथा हिजड़ों के व्यापार का निषेध करने का प्रयास किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]] | |||
{अपने प्रशासन में पश्चिमी प्रक्रियाओं को अपनाने वाला पहला भारतीय शासक कौन था? | |||
|type="()"} | |||
-[[शिवाजी]] | |||
-[[बाजीराव प्रथम]] | |||
+[[टीपू सुल्तान]] | |||
-[[हैदर अली]] | |||
||[[चित्र:Tipu-Sultan-1.jpg|टीपू सुल्तान|100px|right]]टीपू सुल्तान का जन्म [[20 नवम्बर]] सन् 1750 ई. को देवनहल्ली, वर्तमान में [[कर्नाटक]] के कोलर ज़िले में हुआ था। टीपू सुल्तान के पिता का नाम [[हैदर अली]] था। [[मैसूर]] के शेर के नाम से मशहूर [[टीपू सुल्तान]] न सिर्फ़ अत्यंत दिलेर और बहादुर थे, बल्कि एक कुशल योजनाकार भी थे। उन्होंने अपने शासनकाल में कई सड़कों का निर्माण कराया और सिंचाई व्यवस्था के पुख्ता इंतज़ाम किए। उन्होंने एक बाँध की नींव भी रखी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[टीपू सुल्तान]] | |||
{[[दिल्ली सल्तनत]] के किस सुल्तान ने 'चिहालगानी' की स्थापना की थी? | |||
|type="()"} | |||
-[[कुतुबुद्दीन ऐबक]] | |||
+[[इल्तुतमिश]] | |||
-[[बलबन]] | |||
-[[रज़िया सुल्तान]] | |||
||[[चित्र:Iltutmish-Tomb-Qutab-Minar.jpg|150px|right]][[इल्तुतमिश]] (1210- 236 ई.) एक इल्बारी तुर्क था। खोखरों के विरुद्ध इल्तुतमिश की कार्य कुशलता से प्रभावित होकर [[मुहम्मद ग़ोरी]] ने उसे “अमीरूल उमरा” नामक महत्त्वपूर्ण पद दिया था। अकस्मात् मुत्यु के कारण [[कुतुबद्दीन ऐबक]] अपने किसी उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं कर सका था। अतः [[लाहौर]] के तुर्क अधिकारियों ने कुतुबद्दीन ऐबक के विवादित पुत्र [[आरामशाह]] (जिसे इतिहासकार नहीं मानते) को लाहौर की गद्दी पर बैठाया, परन्तु [[दिल्ली]] के तुर्को सरदारों एवं नागरिकों के विरोध के फलस्वरूप कुतुबद्दीन ऐबक के दामाद इल्तुतमिश, जो उस समय [[बदायूँ]] का सूबेदार था, को दिल्ली आमंत्रित कर राज्यसिंहासन पर बैठाया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इल्तुतमिश]] | |||
{[[रामायण]] में किस [[राक्षस]] को [[रावण]] ने [[सुग्रीव]] के पास रक्तपात से बचने का संदेश देकर भेजा था? | |||
|type="()"} | |||
-[[प्रहस्त]] | |||
+[[शुक (गुप्तचर)|शुक]] | |||
-महोदर | |||
-[[अकंपन]] | |||
{[[उत्तर प्रदेश]] की सबसे लम्बी नहर कौन-सी है? | |||
|type="()"} | |||
-[[घाघरा नहर]] | |||
-[[केन नहर]] | |||
-निचली गंग नहर | |||
+[[शारदा नहर]] | |||
|| शारदा नहर उत्तर प्रदेश राज्य की सर्वाधिक लम्बी नहर है। यह [[उत्तर प्रदेश]] और [[नेपाल]] सीमा के समीप [[गोमती नदी]] के किनारे 'वनबासा' नामक स्थान से निकाली गई है। नहर का निर्माण कार्य 1920 से प्रारम्भ हुआ और 1928 में पूर्ण हुआ था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शारदा नहर]] | |||
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13:31, 17 अप्रैल 2014 का अवतरण
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