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*[[भरद्वाज|भरद्वाज ऋषि]] के कृपाप्रसाद से यह उत्पन्न हुआ था। इसकी माता का नाम [[सुनंदा]] था, जो काशीनरेश सर्पसेन की कन्या थी<ref>महाभारत आदिपर्व.90.34</ref>। | *[[भरद्वाज|भरद्वाज ऋषि]] के कृपाप्रसाद से यह उत्पन्न हुआ था। इसकी माता का नाम [[सुनंदा]] था, जो काशीनरेश सर्पसेन की कन्या थी<ref>महाभारत आदिपर्व.90.34</ref>। | ||
*इसके पिता भरत ने इसे यौवराज्यभिषेक किया किन्तु आरम्भ से ही विरक्त प्रकृति का होने के कारण, इसने राज्यपद का स्वीकार न किया, एवं भरत के | *इसके पिता भरत ने इसे यौवराज्यभिषेक किया किन्तु आरम्भ से ही विरक्त प्रकृति का होने के कारण, इसने राज्यपद का स्वीकार न किया, एवं भरत के पश्चात् इसका पुत्र [[सुहोत्र]] राजगद्दी पर बिठाया गया। | ||
*इसे ऋचीक कन्या पुष्करिणी एवं दशार्ह कन्या विजया नामक दो पत्नियाँ थी। | *इसे ऋचीक कन्या पुष्करिणी एवं दशार्ह कन्या विजया नामक दो पत्नियाँ थी। | ||
07:53, 23 जून 2017 का अवतरण
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एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- भुमन्यु (बहुविकल्पी) |
भुमन्यु हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार एक महर्षि थे, जो राजा दुष्यंत का पौत्र, एवं भरत राजा का पुत्र था।
- भरद्वाज ऋषि के कृपाप्रसाद से यह उत्पन्न हुआ था। इसकी माता का नाम सुनंदा था, जो काशीनरेश सर्पसेन की कन्या थी[1]।
- इसके पिता भरत ने इसे यौवराज्यभिषेक किया किन्तु आरम्भ से ही विरक्त प्रकृति का होने के कारण, इसने राज्यपद का स्वीकार न किया, एवं भरत के पश्चात् इसका पुत्र सुहोत्र राजगद्दी पर बिठाया गया।
- इसे ऋचीक कन्या पुष्करिणी एवं दशार्ह कन्या विजया नामक दो पत्नियाँ थी।
पुष्करिणी से निम्नलिखित छः पुत्र उत्पन्न हुए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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