"रोमिला थापर": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
|मृत्यु=
|मृत्यु=
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु स्थान=
|अभिभावक=
|अभिभावक=[[पिता]]- दया राम थापर
|पति/पत्नी=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|संतान=
पंक्ति 41: पंक्ति 41:
'''रोमिला थापर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Romila Thapar'', जन्म: [[30 नवम्बर]] [[1931]]) भारतीय [[इतिहासकार]] हैं तथा इनके अध्ययन का मुख्य विषय "प्राचीन भारतीय इतिहास" रहा है।  
'''रोमिला थापर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Romila Thapar'', जन्म: [[30 नवम्बर]] [[1931]]) भारतीय [[इतिहासकार]] हैं तथा इनके अध्ययन का मुख्य विषय "प्राचीन भारतीय इतिहास" रहा है।  
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
रोमिला थापर के [[पिता]] दया राम थापर सेना में डॉक्टर थे और उन्होंने भारतीय सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशक के रूप में कार्य किया था।<ref name="pp">{{cite web |url=https://ndtv.in/career/who-is-romila-thapar-know-interesting-things-about-her-2094252 |title=कौन हैं रोमिला थापर|accessmonthday=30 जून|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ndtv.in |language=हिंदी}}</ref>
[[पंजाब विश्वविद्यालय]] से स्नातक करने के बाद, रोमिला थापर ने लंदन विश्वविद्यालय के 'स्कूल ऑफ़ ओरिएण्टल एंड अफ्रीकन स्टडीज़' से ए. एल. बाशम के मार्गदर्शन में 1958 में डॉक्टर की उपाधि अर्जित की। कालांतर में इन्होंने [[जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय]], [[नई दिल्ली]] में प्रोफेसर के पद पर कार्य किया।
[[पंजाब विश्वविद्यालय]] से स्नातक करने के बाद, रोमिला थापर ने लंदन विश्वविद्यालय के 'स्कूल ऑफ़ ओरिएण्टल एंड अफ्रीकन स्टडीज़' से ए. एल. बाशम के मार्गदर्शन में 1958 में डॉक्टर की उपाधि अर्जित की। कालांतर में इन्होंने [[जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय]], [[नई दिल्ली]] में प्रोफेसर के पद पर कार्य किया।


रोमिला थापर ने [[1961]] और [[1962]] के बीच कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में और [[1963]] और [[1970]] के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास का अध्ययन किया। वह [[1983]] में भारतीय इतिहास कांग्रेस की जनरल प्रेसिडेंट और [[1999]] में ब्रिटिश अकादमी की कोरेस्पोंडिंग फेलो चुनी गईं। उनकी किताब 'सोमनाथ: द मेनी वॉइसेज ऑफ अ हिस्ट्री' गुजरात के सोमनाथ मंदिर के बारे में बताती है। रोमिला थापर को दो बार [[पद्म पुरस्कार]] के लिए चुना गया, लेकिन दोनों बार उन्होंने ये पुरस्कार लेने से मना कर दिया। उन्होंने कहा था "मैं केवल अकादमिक या मेरे काम से जुड़े संस्थानों से पुरस्कार स्वीकार करती हूं, न कि राजकीय पुरस्कार"।<ref name="pp"/>
==रचनाएँ==
==रचनाएँ==
* "अशोक तथा मौर्य साम्राज्य का पतन"
* "अशोक तथा मौर्य साम्राज्य का पतन"
पंक्ति 62: पंक्ति 65:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{इतिहासकार}}
{{इतिहासकार}}
[[Category:लेखक]][[Category:आधुनिक लेखक]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]]
[[Category:लेखक]][[Category:आधुनिक लेखक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:इतिहासकार]][[Category:इतिहास_कोश]]
[[Category:इतिहासकार]][[Category:इतिहास_कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

05:27, 30 जून 2021 के समय का अवतरण

रोमिला थापर
रोमिला थापर
रोमिला थापर
पूरा नाम रोमिला थापर
जन्म 30 नवम्बर, 1931
जन्म भूमि लखनऊ
अभिभावक पिता- दया राम थापर
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र इतिहासकार
मुख्य रचनाएँ 'भारत का इतिहास', 'अशोक तथा मौर्य साम्राज्य का पतन', 'प्राचीन भारत का सामाजिक इतिहास: विवेचना' आदि।
भाषा हिंदी, अंग्रेज़ी
विद्यालय पंजाब विश्वविद्यालय
प्रसिद्धि इतिहासकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी थापर कॉर्नेल विश्वविद्यालय, पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय और पेरिस में कॉलेज डी फ्रांस में अतिथि प्रोफेसर हैं।

रोमिला थापर (अंग्रेज़ी: Romila Thapar, जन्म: 30 नवम्बर 1931) भारतीय इतिहासकार हैं तथा इनके अध्ययन का मुख्य विषय "प्राचीन भारतीय इतिहास" रहा है।

जीवन परिचय

रोमिला थापर के पिता दया राम थापर सेना में डॉक्टर थे और उन्होंने भारतीय सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशक के रूप में कार्य किया था।[1]

पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद, रोमिला थापर ने लंदन विश्वविद्यालय के 'स्कूल ऑफ़ ओरिएण्टल एंड अफ्रीकन स्टडीज़' से ए. एल. बाशम के मार्गदर्शन में 1958 में डॉक्टर की उपाधि अर्जित की। कालांतर में इन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में प्रोफेसर के पद पर कार्य किया।

रोमिला थापर ने 1961 और 1962 के बीच कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में और 1963 और 1970 के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास का अध्ययन किया। वह 1983 में भारतीय इतिहास कांग्रेस की जनरल प्रेसिडेंट और 1999 में ब्रिटिश अकादमी की कोरेस्पोंडिंग फेलो चुनी गईं। उनकी किताब 'सोमनाथ: द मेनी वॉइसेज ऑफ अ हिस्ट्री' गुजरात के सोमनाथ मंदिर के बारे में बताती है। रोमिला थापर को दो बार पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया, लेकिन दोनों बार उन्होंने ये पुरस्कार लेने से मना कर दिया। उन्होंने कहा था "मैं केवल अकादमिक या मेरे काम से जुड़े संस्थानों से पुरस्कार स्वीकार करती हूं, न कि राजकीय पुरस्कार"।[1]

रचनाएँ

  • "अशोक तथा मौर्य साम्राज्य का पतन"
  • "प्राचीन भारत का सामाजिक इतिहास: विवेचना"
  • "समकालिक परिप्रेक्ष्य में प्रारंभिक भारतीय इतिहास (संपादिका)"
  • "भारत का इतिहास - खंड 1"
  • "प्रारंभिक भारत - उत्पत्ति से ई.1300 तक "

इनके ऐतिहासिक कार्यों में हिन्दू धर्म की उत्पत्ति सामाजिक बलों के बीच एक उभरती परस्पर क्रिया के रूप में चित्रित किया है। हाल ही में इन्होंने गुजरात के प्रसिद्ध "सोमनाथ मंदिर" के इतिहास के ऊपर लेख लिखा है।

सम्मान

थापर कॉर्नेल विश्वविद्यालय, पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय और पेरिस में कॉलेज डी फ्रांस में अतिथि प्रोफेसर हैं। वह 1983 में भारतीय इतिहास कांग्रेस की जनरल प्रेसिडेंट और 1999 में ब्रिटिश अकादमी की कोरेस्पोंडिंग फेलो चुनी गयीं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 कौन हैं रोमिला थापर (हिंदी) ndtv.in। अभिगमन तिथि: 30 जून, 2021।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख