श्रवण नक्षत्र

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अर्थ - सुनने का कर्ण
देव - व्यवस्थापक

  • शास्त्रों के अनुसार और ज्योतिष की गणना के अनुसार 27 नक्षत्र माने जाते हैं।
  • इसमें उत्तराषाढ़ा और धनिष्ठा के बीच में श्रवण नक्षत्र होता है।
  • इस नक्षत्र में होने वाले कार्यों को सामान्यतया शुभ माना गया है।
  • नक्षत्रों के तीन मुख होते हैं-
  1. तिर्यक मुख,
  2. अधोमुख और
  3. उर्ध्वमुख।
  • इनमें से श्रवण नक्षत्र का उर्ध्वमुख है। इसके फलस्वरूप इस नक्षत्र में राज्याभिषेक, गृहनिर्माण, प्रकाशन, ध्वजारोहण, नामकरण आदि कार्य शुभ होते हैं।
  • व्यापार और घर के लिए ख़रीदी के लिए भी श्रवण नक्षत्र अत्यंत शुभ माना गया है।
  • श्रवण में विष्णु का व्रत और पूजन किया जाता है।
  • श्रवण नक्षत्र के देवता चंद्र को माना जाता है।
  • अकवन के पेड को श्रवण नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और श्रवण नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अकवन वृक्ष की पूजा करते है।
  • इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के ख़ाली हिस्से में अकवन के पेड को लगाते है।




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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