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'''एस. के. पोट्टेक्काट्ट''' (पूरा नाम: शंकरन कुट्टी पोट्टेक्काट्ट, [[अंग्रेज़ी]]: ''S. K. Pottekkatt'', जन्म: [[14 मार्च]], [[1913]] – मृत्यु: [[6 अगस्त]], [[1982]]) [[मलयालम भाषा]] के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।  
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* [[ज्ञानपीठ पुरस्कार|भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार]] विजेता मलयालम उपन्यासकर पोट्टेक्काट्ट इंदोनेसिया बालिद्वीप तथा अफ्रीका के प्रवासवर्णन, ‘विषकन्या’ नामक कहानी संग्रह और ‘ओरु तेरर्शवंटे कथा’ (‘एक गली की कहानी’ तथा ‘एक प्रदेश की कहानी’) आदि केरल अकादमी तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त रचनाओं के लिए प्रसिद्ध थे।  
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एस. के. पोट्टेक्काट्ट
एस. के. पोट्टेक्काट्ट
पूरा नाम शंकरन कुट्टी पोट्टेक्काट्ट
जन्म 14 मार्च, 1913
जन्म भूमि कालीकट, केरल
मृत्यु 6 अगस्त, 1982
मृत्यु स्थान केरल
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र अध्यापक, उपन्यासकार, कवि, लेखक, लोकसभा सदस्य
मुख्य रचनाएँ ‘ओरु तेरर्शवंटे कथा’, ‘ओरु देसाथिंटे कथा’, नादान प्रेमम, चंद्रकांतम, मणिमलिका आदि।
भाषा मलयालम
पुरस्कार-उपाधि ज्ञानपीठ पुरस्कार (1980), साहित्य अकादमी पुरस्कार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी 1962 में लोकसभा के सदस्य भी चुने गए थे।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

एस. के. पोट्टेक्काट्ट (पूरा नाम: शंकरन कुट्टी पोट्टेक्काट्ट, अंग्रेज़ी: Sankaran Kutty Pottekkatt, जन्म: 14 मार्च, 1913 – मृत्यु: 6 अगस्त, 1982) मलयालम भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।

संक्षिप्त परिचय

  • भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता मलयालम उपन्यासकर पोट्टेक्काट्ट इंदोनेसिया बालिद्वीप तथा अफ्रीका के प्रवासवर्णन, ‘विषकन्या’ नामक कहानी संग्रह और ‘ओरु तेरर्शवंटे कथा’ (‘एक गली की कहानी’ तथा ‘एक प्रदेश की कहानी’) आदि केरल अकादमी तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त रचनाओं के लिए प्रसिद्ध थे।
  • ये 1962 में लोकसभा के सदस्य भी चुने गए थे।
  • 1971 में केरल साहित्य अकादमी के वे सभापति मनोनीत किए गए थे।
  • अपने प्रगतिवादी विचारों के कारण वे सोवियत रूस की भी यात्रा कर चुके थे। वहाँ उनकी कई रचनाओं के अनुवाद भी हुए।
  • 1928 में ‘राजनीति’ नामक उनकी पहली कहानी छपी थी। तब से उन्होंने विपुल लेखन किया है।

प्रसिद्ध कृतियाँ

  • ‘ओरु तेरर्शवंटे कथा’
  • ‘ओरु देसाथिंटे कथा’
  • नादान प्रेमम
  • चंद्रकांतम
  • मणिमलिका

सम्मान और पुरस्कार


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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