कसौली

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बाज़ार का एक दृश्य, कसौली

कसौली भारत के हिमाचल प्रदेश का एक नगर है। समुद्र तल से 1795 की ऊँचाई पर स्थित कसौली हिमाचल प्रदेश का छोटा पर्वतीय स्‍थल है। यह शिमला के दक्षिण में 77 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ देखते-देखते ही हवा बदलने लगती है और बादलों का समूह पल भर में ही धूप के नीचे छतरी बनकर तुरंत बरस पड़ता है। दूसरे ही पल मौसम साफ और चारों तरफ से तन-मन को रोमांचित करने वाली खुशनुमा हवा छूने लगती है। चाहे पर्यटक यहाँ के 'मंकी प्वाइंट' पर हों या क्राइस्ट चर्च के बाहर, बस अड्डे पर हों या माल रोड पर, हनुमान मंदिर में हों या साईं बाबा मंदिर में, हर जगह पल भर में मन को तरोताजा कर देने वाली मनमोहक हवा रोमांच से भर देती है। बल्कि यूँ कहें कि कसौली पहुँचने से दो-तीन किलोमीटर पहले ही यात्रियों को कसौली क्षेत्र में प्रवेश करने का एहसास हो जाता है।

नामकरण

कसौली के नाम के बारे में कई कहानियाँ हैं- जैसे-

  1. कहा जाता है कि रेवाड़ी के कुछ राजपूत हिमालय की तलहटी में बसे 'कसुल' नामक छोटे से गांव में आ बसे थे। बाद में यही गांव समय के साथ 'कसौली' के रूप में स्थापित हो गया।
  2. दूसरी कहानी के अनुसार जाबली के पास कौशल्या नामक एक पहाड़ी जलधारा है, जिस कारण इसका नामक कसौली पड़ा।
  3. एक प्रचलित मान्यता यह भी है कि इसका मूल नाम 'कुसुमावली' है, जिसका अर्थ है- 'फूलों की कतार'।

कसौली जाने पर तीसरी मान्यता ही सबसे ज़्यादा सटीक बैठती है, क्योंकि यहाँ प्रत्येक ऋतु, मौसम में तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूल इस जगह को और भी आकर्षित बनाते है, जो पर्टटकों का मन मोहने के लिए काफ़ी हैं। वैसे इस जगह के नाम के चाहे जितने किस्से हों, लेकिन विषमताओं की चर्चा एक ही है और वह है एक बेहद आकर्षक हिल स्टेशन। जहाँ बीमारी के बाद लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए भी जाते हैं। शायद यही वजह थी कि अंग्रेज़ों ने इसे हिल स्टेशन के रूप में व्यवस्थित रूप से विकसित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

आकर्षक पर्यटन स्थल

यूँ तो यहाँ लोग साल भर आते रहते हैं, लेकिन अप्रैल से जून और सितम्बर से नवम्बर के बीच यहाँ अधिक पर्यटक आते हैं। इस मौसम में कसौली के अनेक रंग देखने को मिल जाते हैं। कभी थोड़ी धूप, कभी थोड़े बादल और कभी हल्की-हल्की बारिश की बूंदें। यहाँ के पेड़-पौधों पर मौसम का जो रंग चढ़ता है, उसे यहाँ के फूल पत्तों पर महसूस कर सकते हैं। कसौली शांत, साफ-सुथरा ख़ूबसूरत और सस्ता पर्यटन स्थल है।

मंकी प्वाइंट, कसौली

मंकी प्वाइंट

अपरमाल 'मंकी प्वाइंट' तक जाता है, जो कसौली का सबसे ऊँचा स्थान है। यह स्थान अब भारतीय सेना के अधिकार क्षेत्र में है, अतः वहाँ जाने के अनेक प्रबन्ध हैं। यहाँ हनुमान जी का मंदिर भी है। मंकी प्लाइंट कसौली बस स्टैड से 4 किलोमीटर दूर है और यहाँ से दूर तक फैली पर्वत श्रृंखलाएं और घाटियों को देखने का अलग अनुभव है। एक तरह कालका और चंडीगढ़ तो दूसरी तरफ सनावर धरमपुर और शिमला। इसके पास दो क़ब्रें हैं, जिनका अपना इतिहास है। आयरलैंड की महिला सक्षम घुड़सवार थीं। जब यहाँ सड़क नहीं बनी थी, तभी उसने एक दिन मंकी प्लाइंट तक घोड़े से जाने की योजना बनायी। लोगों ने बहुत मना किया क्योंकि चट्टानें बहुत ज़्यादा स्थिर नहीं थीं, पर वह अपनी योजना पर दृढ़ रही, अतं में वह घोड़े पर सवार होकर पहुँच तो गयी, पर वापसी में किसी चट्टान के खिसकने के उसके साथ-साथ घोड़े की भी मृत्यु हो गई। इन्हीं की क़ब्रें वहाँ हैं।

कसौली क्लब

रास्ते में ट्रेकिंग का क्षेत्र तथा पिकनिक स्थल भी है। अपरमाल पर कसौली क्लब स्थित है, जहाँ का अस्थायी सदस्य बनकर खेलों और पुस्तकालय का लाभ उठाया जा सकता है। क्लब की अन्य सारी सुविधाएं भी अस्थायी सदस्यों को मिलती है।

क्राइस्ट चर्च, कसौली

छावनी

यह मूलतः सैनिक छावनी है। 1850 में इसे पहली बार छावनी बनाया गया, जब तेरहवीं लाइट इंफैक्ट्री रेजिमेंट बसाया गया। तब से आज तक कसौली देश की प्रमुख छावनियों में गिना जाता है। यहाँ आपको ढेरों बंदर और लंगूर उछलकूद करते दिख जाएंगे, पर कभी किसी को परेशान नहीं करते। कैंटोनमेंट अस्पताल के सामने से घाटी का विहंगम दृश्य के साथ ही चीड़ के झुरमुट के बीच से सूर्योस्त का कभी न भूलने वाला दृश्य भी दिखता है। कसौली में सिनेमा हॉल है, जो सेना के अधीन है। यहाँ नियमित फ़िल्में नहीं दिखायी जाती हैं, पर जब भी फ़िल्में लगती हैं, कोई भी देख सकता है। यहाँ से पहाड़ी रास्ते से पैदल सनावर, धरमपुर सबाथू, डगशाई और परवाणू जा सकते हैं। धरमपुर में दमा के मरीज़ों के लिए देश का सर्वश्रेष्ठ अस्पताल है। सावथू में 19वीं शताब्दी में बनाया गया गोरखाओं का क़िला है तथा डगशाई में सेना की छावनी है। इसके अतिरिक्त आस-पास कई मंदिर भी हैं। लगभग चार किलोमीटर दूर स्थित नाहरी देवी मंदिर से होकर बहने वाला ख़ूबसूरत झरना दिखता है। यहाँ साईं बाबा का मंदिर भी है। यहाँ सबसे पास में कारखाने के नाम पर चार किलोमीटर दूर गड़खल में मोहन मीकिंस की डिस्टिलरी है, जिससे कसौली के पर्यावरण पर संभवतः प्रभाव नहीं पड़ता। यह डिस्टिलरी एशिया की पहली डिस्टिलरी है। कसौली में प्रवेश करते ही बड़ा सा चर्च आता है। यह 'क्राइस्ट चर्च' के नाम से मशहूर है।

मार्ग स्थिति

कालका से कसौली मात्र 35 कि.मी. दूर है। कालका पूरे भारत से रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है और यहाँ से कई बसें कसौली के लिए हैं। यहाँ काफ़ी सड़कें है- लोवरमाल, अपरमाल और बाज़ार की सड़क। सुबह सूर्योदय का आनंद इस सड़क पर घूमते हुए उठाया जा सकता है। चीड़ के ऊँचे-ऊँचे पेड़ों और घने जंगलों के बीच बनी यह सड़क लगभग तीन किलोमीटर आगे जाकर अपरमाल से मिल जाती है। अपरमाल के शुरू में ही 'सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट' है। यह काफ़ी विस्तृत क्षेत्र में फैला है। 1900 ई. में यहाँ 'पाश्चर इंस्टीट्यूट' की स्थापना हुई थी, जिसमें कुत्तों के काटने पर मनुष्य को होने वाले रोगों की दवाएँ बनती हैं। यह अनोखी प्रयोगशाला है। दमा के मरीज़ों के लिए भी आरोग्य आश्रम भी हैं, क्योंकि माना जाता है कि यहाँ की सुगन्धित, प्रदूषण से रहित और ओज़ोन से भरी हवा उनके लिए बहुत लाभदायक है। अपरमाल में अधिकतर मक़ान सेना के अवकाश प्राप्त लोगों के हैं।

कैसे पहुँचे

वायु मार्ग- यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा चंडीगढ़ है, जो कसौली से 52 किलोमीटर की दूरी पर है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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