"अमरावती (राजधानी)" के अवतरणों में अंतर

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'''अमरावती''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Amaravati'') [[आंध्र प्रदेश]] राज्य की प्रस्तावित राजधानी है। [[भारत के प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]] ने उदंडरायणपालम इलाके में 22 अक्टूबर 2015 को नींव का पत्थर रखा था। गुंटूर और विजयवाड़ा का महानगरीय क्षेत्र मिला कर अमरावती महानगर क्षेत्र का निर्माण किया जायेगा। यह [[आन्ध्र प्रदेश]] के [[गुंटूर ज़िला|गुंटूर ज़िले]] में [[कृष्णा नदी]] के दाहिने तट पर स्थित यह नगर सातवाहन राजाओं के शासनकाल में [[हिन्दू]] [[संस्कृति]] का केन्द्र था। इसका प्राचीन नाम धान्यघट या धान्यकटक अथवा धरणिकोट है। कृष्णा नदी के तट पर बसे होने से इस स्थान का बड़ा महत्त्व था। क्योंकि समुद्र से कृष्णा नदी से होकर व्यापारिक जहाज़ यहाँ पहुँचते थे। यहाँ से भारी मात्रा में आहत सिक्के (पंच मार्क्ड) जो सबसे पुराने हैं, मिले हैं।  
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'''अमरावती''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Amaravati'') [[आंध्र प्रदेश]] राज्य की प्रस्तावित राजधानी है। [[भारत के प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]] ने उदंडरायण पालम इलाके में 22 अक्टूबर 2015 को नींव का पत्थर रखा था। गुंटूर और विजयवाड़ा का महानगरीय क्षेत्र मिला कर अमरावती महानगर क्षेत्र का निर्माण किया जायेगा। यह [[आन्ध्र प्रदेश]] के [[गुंटूर ज़िला|गुंटूर ज़िले]] में [[कृष्णा नदी]] के दाहिने तट पर स्थित यह नगर सातवाहन राजाओं के शासनकाल में [[हिन्दू]] [[संस्कृति]] का केन्द्र था। इसका प्राचीन नाम धान्यघट या धान्यकटक अथवा धरणिकोट है। कृष्णा नदी के तट पर बसे होने से इस स्थान का बड़ा महत्त्व था क्योंकि समुद्र से कृष्णा नदी से होकर व्यापारिक जहाज़ यहाँ पहुँचते थे। यहाँ से भारी मात्रा में आहत सिक्के (पंच मार्क्ड) जो सबसे पुराने हैं, मिले हैं।  
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
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धम्मपद अट्ठकथा में उल्लेख है कि [[बुद्ध]] अपने किसी पूर्व जन्म में सुमेध नामक एक ब्राह्मण कुमार के रूप में इस नगर में पैदा हुए थे। [[अशोक]] की मृत्यु के बाद से तक़रीबन चार शताब्दियों तक [[दक्षिण भारत]] में सातवाहनों का शासन रहा। आंध्रवंशीय सातवाहन नरेश शातकर्णि प्रथम ने लगभग 180 ई.पू. अमरावती को अपनी राजधानी बनाया। सातवाहन नरेश ब्राह्मण होते हुए भी महायान मत के पोषक थे और उन्हीं के शासनकाल में अमरावती का प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप बना, जो तेरहवीं शताब्दी तक बौद्ध यात्रियों के आकर्षण का केन्द्र बना रहा। मूल स्तूप घण्टाकार था। स्तूप की ऊँचाई सौ फुट थी। आधार से शिखर तक तक्षित शिला-पट्ट लगाये गये थे। इस प्रकार का अलंकरण अन्यत्र नहीं मिलता। चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग|युवानच्वांग]] ने उस स्थान के बारे लिखा था कि [[बैक्ट्रिया]] के समस्त भवनों की शान-शौक़त इसमें निहित थी। बुद्ध के जीवन की कथाओं के दृश्य उन पर उत्कीर्ण थे। अमरावती स्तूप लगभग द्वितीय [[शताब्दी]] ईसा पूर्व में कर्नल कालिन मैकेंजी ने ही सर्वप्रथम इस [[स्तूप]] का पता लगाया था।  
धम्मपद अट्ठकथा में उल्लेख है कि [[बुद्ध]] अपने किसी पूर्व जन्म में सुमेध नामक एक ब्राह्मण कुमार के रूप में इस नगर में पैदा हुए थे। [[अशोक]] की मृत्यु के बाद से तक़रीबन चार शताब्दियों तक दक्षिण भारत में सातवाहनों का शासन रहा। आंध्रवंशीय सातवाहन नरेश शातकर्णी ने लगभग 180 ई.पू. अमरावती को अपनी राजधानी बनाया। सातवाहन नरेश ब्राह्मण होते हुए भी महायान मत के पोषक थे। और उन्हीं के शासनकाल में अमरावती का प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप बना, जो तेरहवीं शताब्दी तक बौद्ध यात्रियों के आकर्षण का केन्द्र बना रहा। मूल स्तूप घण्टाकार था। स्तूप की ऊँचाई सौ फुट थी। आधार से शिखर तक तक्षित शिला-पट्ट लगाये गये थे। इस प्रकार का अलंकरण अन्यत्र नहीं मिलता। चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग|युवानच्वांग]] ने उस स्थान के बारे लिखा था कि बैक्ट्रिया के समस्त भवनों की शान-शौक़त इसमें निहित थी। बुद्ध के जीवन की कथाओं के दृश्य उन पर उत्कीर्ण थे।  
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====तेलंगाना के अलग होने के बाद====
 
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सातवाहन काल में यह प्रसिद्ध सांस्कृतिक एवं आर्थिक केंद्र था। [[तेलंगाना]] के अलग हो जाने से [[हैदराबाद]] अब तेलंगाना की राजधानी है। इसलिए आंध्र प्रदेश के द्वारा अमरावती को अपनी राजधानी बनाया गया है। ‘हमारी मिट्टी, हमारा जल और हमारी अमरावती’ के नारे के साथ अमरावती को ‘पीपुल्स कैपिटल’ (जन की राजधानी) नाम दिया गया है। अमरावती को सिंगापुर की तर्ज पर बनाया जा रहा है। नई राजधानी में नवरत्न का कॉन्सेप्ट रखा गया है। इसके तहत नॉलेज सिटी, फाइनेंसियल सिटी, हेल्थ सिटी, इलेक्ट्रॉनिक सिटी, जस्टिस सिटी, टूरिज्म सिटी, गवर्नमेंट सिटी, स्पोर्ट्स सिटी एवं एजुकेशनल सिटी बनाने की कोशिश होगी। [[भारत]] में पहली बार किसी राज्य की राजधानी को पूर्व नियोजित तरीके से विकसित किया जा रहा है, यह एक अति महत्त्वाकांक्षी योजना है। केंद्र सरकार ने भी आंध्र प्रदेश को हर संभव मदद देने की घोषणा की है। इस योजना के जरिए ऐतिहासिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत के बावजूद नजरंदाज हुए इस शहर को दुनिया में नई पहचान मिलेगी।
अमरावती स्तूप लगभग द्वितीय [[शताब्दी]] ईसा पूर्व में कर्नल कालिन मैकेंजी ने ही सर्वप्रथम इस स्तूप का पता लगाया था। अमरावती स्तूप घंटाकृति में बना है। इस स्तूप में पाषाण के स्थान पर संगमरमर का प्रयोग किया गया है।
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==नई राजधानी का प्रारूप एवं परिकल्पना==
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* 1 अप्रैल, 2015 को आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा अमरावती को अपनी नई राजधानी घोषित किया गया।
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* अमरावती विजयवाड़ा एवं गुंटूर के मध्य कृष्णा नदी के किनारे स्थित है।
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* अमरावती शहर को स्वयंभू शिवलिंग वाले प्रसिद्ध अमरेश्वर मंदिर से अमरावती नाम मिला है।
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* प्राचीन काल में सातवाहन वंश के शासनकाल में अमरावती प्रसिद्ध सांस्कृतिक एवं आर्थिक केंद्र था।
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* सातवाहन शासकों के समय अमरावती में प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप का निर्माण करवाया गया था, जो तेरहवीं शताब्दी तक अनेक बौद्ध यात्रियों के आकर्षण का केंद्र था।
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* अमरावती एक प्रसिद्ध व्यापारिक नगर भी था। समुद्र से कृष्णा नदी होकर अनेक व्यापारिक जलपोत यहां पहुंचते थे।
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* आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती के विकास के लिए एक प्राधिकरण, ‘कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी’ (CRDA) का गठन किया गया है।
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* राजधानी क्षेत्र का कुल विस्तार 7420 वर्ग किमी है। इसमें राजधानी शहर क्षेत्र 122 वर्ग किमी तथा कोर कैपिटल क्षेत्र (मुख्य राजधानी क्षेत्र) 16.959 वर्ग किमी है।
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* इसके लिए कुल 33,000 एकड़ भूमि लैंड पुलिंग स्कीम के माध्यम से किसानों से ली गई है। इसमें कुल 17 गांव, जिनमें 14 तुलुर मंडल एवं 3 मनगलगिरि मंडल शामिल हैं।
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* लैंड पुलिंग स्कीम के तहत किसान अपनी इच्छा से जमीन देंगे और उन्हें, इसके बदले शहर में विकसित जमीन दी जाएगी।
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* 8 दिसंबर, 2014 को अमरावती को विकसित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार करने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने सिंगापुर के साथ समझौता किया था।
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* सिंगापुर की दो कंपनियां सुरबाना इंटरनेशनल कंसल्टेंट तथा जुरांग कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड, राजधानी क्षेत्र के लिए मास्टर प्लान तैयार करेंगी।
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* जुलाई, 2015 में सिंगापुर सरकार ने कोर कैपिटल एरिया के लिए मास्टर प्लान आंध्र प्रदेश सरकार को सौंप दिया।
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* कोर कैपिटल एरिया का विस्तार 16.959 वर्ग किमी होगा जो राजधानी शहर के उत्तरी हिस्से में स्थित होगा। इसका विकास पांच चरणों में किया जाएगा।
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* अमरावती को ‘जन राजधानी’ (People’s Capital) नाम दिया गया है। इस राजधानी शहर को ‘स्मार्ट, हरित एवं टिकाऊ शहर’ (Smart, Green and Sustainable) बनाया जाएगा।
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* अमरावती को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 6 की फैक्टर्स (Key Factors) निर्धारित किए गए हैं-
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# स्वच्छ एवं हरित (Clean and Green),
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# गुणवत्तापूर्ण रहन-सहन (Quality Living)
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# विश्वस्तरीय आधारभूत ढांचा (World Class Infrastructure),
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# सबके लिए रोजगार एवं घर (Jobs and Homes for all),
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# कुशल संसाधन प्रबंधन (Efficient Resource Management) एवं
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# पहचान और धरोहर (Identity and Heritage)
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* अमरावती को एक तरफ अत्याधुनिक शहर बनाए जाने की कोशिश हो रही है, वहीं दूसरी तरफ उसकी ऐतिहासिकता एवं प्राचीनता को बरकरार रखने के लिए हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की तर्ज पर ग्रिड प्रणाली को अपनाया जा रहा है। सड़के सीधी दिशा में एक-दूसरे को समकोण पर काटती हुई नगर को अनेक वर्गाकार अथवा चतुर्भुजाकार खंडों में विभाजित करेंगी।
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* विश्वस्तरीय नदी किनारे स्थित राजधानी बनाए जाने के साथ-साथ ऊर्जादक्ष, हरित शहर एवं औद्योगिक केंद्र के रूप में अमरावती को विकसित किया जाएगा।
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* अमरावती को रोजगारपरक एवं उच्च औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए टूरिज्म हब, फूड प्रोसेसिंग हब, वैल्यू एडेड इकोनॉमिक हब, मल्टी मॉडल लाजिस्टिक हब, एग्रो प्रोसेसिंग हब, लाइट इंडस्ट्रियल सपोर्ट हब, हैवी इंडस्ट्रियल हब एवं हेरिटेज सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
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* राजधानी क्षेत्र में 250 किमी. क्षेत्र में धार्मिक एवं पर्यटन सर्किट विकसित किया जाएगा।
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* कोर कैपिटल एरिया में उच्च श्रेणी की परिवहन सुविधा का विकास किया जाएगा।
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* मेट्रो रेल नेटवर्क – 12 किमी.
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* बस रैपिड नेटवर्क – 15 किमी.
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* डाउन टाउन रोड – 7 किमी.
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* आरटेरियल एवं सब आरटेरियल रोड – 26 किमी.
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* कलेक्टर रोड – 53 किमी.
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* बाइक एवं वॉक वे – 300 किमी.
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* इंटरनल रोड नेटवर्क – 1000 किमी.
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* शहर में प्रवेश करने के स्थान पर अमरावती गेटवे का निर्माण किया गया है। शहर आगमन पर ही शहर की भव्यता एवं गौरव की झलक गेटवे के पास मिल जाएगी।
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* अमरावती शहर का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र गवर्नमेंट कोर है, इस स्थान पर विधायी एवं प्रशासनिक भवन निर्मित होंगे।
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* कैपिटल सिटी का हृदय स्थल अमरावती टाउन डाउन है। यहां व्यापारिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
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* कृष्णा नदी के किनारे अमरावती वाटरफ्रांट स्थित होंगे। यहां कैनाल पार्क, बॉटनिकल गार्डेन, सिविक प्लाजा आदि स्थापित किए जा सकते हैं ताकि लोगों को स्वच्छ वातावरण एवं आराम तलब सैरगाह मिल सके।
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* अमरावती के वातावरण को स्वच्छ एवं सुंदर बनाए रखने के लिए 40 प्रतिशत क्षेत्र खुला एवं हरित रखा जाएगा।
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* अमरावती शहर को ईस्ट कोस्ट पर गेटवे ऑफ इंडिया के रूप में स्थापित किया जाएगा।
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* अमरावती से सटे चार नेशनल हाइवे, एक नेशनल वाटर हाइवे, रेलवे का ग्रैंड रूट, एयरपोर्ट एवं सी-पोर्ट, इसकी आर्थिक महत्ता को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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* ज्ञातव्य है कि अमरावती का चयन केंद्र सरकार की हृदय योजना (Heritage City Development and Augmentation) के तहत भी किया जा चुका है।
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* आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के साथ अमरावती में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय कैंपस स्थापित किए जाने का समझौता किया गया है।
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* उल्लेखनीय है कि 2 जून, 2014 को आंध्र प्रदेश से विभाजित होकर तेलंगाना नया राज्य बना। अब हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी बन गई है लेकिन 10 वर्षों तक दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी हैदराबाद ही होगी।<ref>{{cite web |url=http://www.ssgcp.com/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%A8/ |title=अमरावती आंध्र प्रदेश की नई राजधानी|accessmonthday=13 अक्टूबर|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.ssgcp.com |language=हिंदी }}</ref>
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====कोर कैपिटल क्षेत्र विभाजन====
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{| class="bharattable-pink"
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|-
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! प्रयुक्त भूमि
 +
! क्षेत्र (हेक्टेयर)  
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! प्रतिशत
 +
|-
 +
| विकसित भूमि
 +
| 1449.29  
 +
|  85.55
 +
|-
 +
| ग्रामीण बस्तियां
 +
| 29.40
 +
| 1.74
 +
|-
 +
| टापू
 +
| 182.13
 +
| 10.75
 +
|-
 +
| कृष्णा नदी का क्षेत्र
 +
| 31.80
 +
| 1.88
 +
|-
 +
| जल क्षेत्र
 +
| 1.43
 +
| 0.08
 +
|-
 +
|कुल
 +
| 1694.65
 +
| 100
 +
|}
 
==वास्तुकला और मूर्तिकला==
 
==वास्तुकला और मूर्तिकला==
[[स्तूप]] के अवशेष ही बचे हैं। इसके बचे-खुचे अवशेष ब्रिटिश संग्रहालय, लन्दन, राष्ट्रीय संग्रहालय, [[कोलकाता]] और [[चेन्नई]] संग्रहालय में देखे जा सकते हैं। इन अवशेषों के आधार पर कहा जा सकता है कि अमरावती में वास्तुकला और मूर्तिकला की स्थानीय मौलिक शैली विकसित हुई थी। यहाँ से प्राप्त मूर्तियों की कोमलता एवं भाव-भंगिमाएँ दर्शनीय हैं। प्रत्येक मूर्ति का अपना आकर्षण है। [[कमल]] पुष्प का अकंन इस बड़े स्वाभाविक रूप से हुआ है। अनेक दृशयों का साथ-साथ अंकन इस काल के अमरावती के शिल्प की प्रमुख विशेषता मानी जाती है। बुद्ध की मूर्तियों को मानव आकृति के बजाय प्रतीकों के द्वारा गढ़ा गया है, जिससे पता चलता है। कि अमरावती शैली, मथुरा शैली और गान्धार शैली से पुरानी है। यह यूनानी प्रभाव से पूर्णतया मुक्त थी। इसमें कोई सन्देह नहीं है कि जिस समय अमरावती का स्तूप अपनी अक्षुण्ण अवस्था में रहा होगा, उस समय वह दक्षिण [[भारत]] के मूर्ति शिल्प का अपना ढँग का अत्यंत भव्य उदाहरण रहा होगा। अमरावती मूर्ति कला शैली, जो दक्षिण-पूर्वी भारत में लगभग दूसरी शताब्दी ई.पू. से तीसरी शताब्दी ई. तक [[सातवाहन वंश]] के शासनकाल में फली-फूली। यह अपने भव्य उभारदार, भित्ति-चित्रों के लिए जानी जाती है। जो संसार में कथात्मक मूर्तिकला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं।  
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अमरावती स्तूप घंटाकृति में बना है। इस स्तूप में पाषाण के स्थान पर संगमरमर का प्रयोग किया गया है। स्तूप के [[अवशेष]] ही बचे हैं। इसके बचे-कुचे अवशेष ब्रिटिश संग्रहालय, लन्दन, राष्ट्रीय संग्रहालय, [[कोलकाता]] और [[चेन्नई]] संग्रहालय में देखे जा सकते हैं। इन अवशेषों के आधार पर कहा जा सकता है कि अमरावती में वास्तुकला और मूर्तिकला की स्थानीय मौलिक शैली विकसित हुई थी। यहाँ से प्राप्त मूर्तियों की कोमलता एवं भाव-भंगिमाएँ दर्शनीय हैं। प्रत्येक मूर्ति का अपना आकर्षण है। [[कमल]] पुष्प का अंकन इस बड़े स्वाभाविक रूप से हुआ है। अनेक दृश्यों का साथ-साथ अंकन इस काल के अमरावती के शिल्प की प्रमुख विशेषता मानी जाती है। बुद्ध की मूर्तियों को मानव आकृति के बजाय प्रतीकों के द्वारा गढ़ा गया है, जिससे पता चलता है कि अमरावती शैली, मथुरा शैली और गान्धार शैली से पुरानी है। यह यूनानी प्रभाव से पूर्णतया मुक्त थी। इसमें कोई सन्देह नहीं है कि जिस समय अमरावती का स्तूप अपनी अक्षुण्ण अवस्था में रहा होगा, उस समय वह [[दक्षिण भारत]] के मूर्ति शिल्प का अपना ढँग का अत्यंत भव्य उदाहरण रहा होगा। अमरावती मूर्ति कला शैली, जो दक्षिण-पूर्वी भारत में लगभग दूसरी शताब्दी ई.पू. से तीसरी शताब्दी ई. तक [[सातवाहन वंश]] के शासनकाल में फली-फूली। यह अपने भव्य उभारदार, भित्ति-चित्रों के लिए जानी जाती है। जो संसार में कथात्मक मूर्तिकला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। आन्ध्र वंश के पश्चात् अमरावती पर कई शताब्दियों तक इक्ष्वाकु राजाओं का शासन रहा। उन्होंने उस नगरी को छोड़कर [[नागार्जुनकोंडा]] या विजयपुर को अपनी राजधानी बनाया।  
 
 
आन्ध्र वंश के पश्चात् अमरावती पर कई शताब्दियों तक इक्ष्वाकु राजाओं का शासन रहा। उन्होंने उस नगरी को छोड़कर [[नागार्जुनकोंडा]] या विजयपुर को अपनी राजधानी बनाया।  
 
  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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<references/>
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
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* [http://www.pmindia.gov.in/hi/news_updates/%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%A8/ आंध्र प्रदेश की नई राजधानी ‘अमरावती’ के शिलान्यास समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ ]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{आंध्र प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}}
 
{{आंध्र प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}}

11:10, 13 अक्टूबर 2017 का अवतरण

Disamb2.jpg अमरावती एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अमरावती (बहुविकल्पी)
बुद्ध, अमरावती

अमरावती (अंग्रेज़ी: Amaravati) आंध्र प्रदेश राज्य की प्रस्तावित राजधानी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उदंडरायण पालम इलाके में 22 अक्टूबर 2015 को नींव का पत्थर रखा था। गुंटूर और विजयवाड़ा का महानगरीय क्षेत्र मिला कर अमरावती महानगर क्षेत्र का निर्माण किया जायेगा। यह आन्ध्र प्रदेश के गुंटूर ज़िले में कृष्णा नदी के दाहिने तट पर स्थित यह नगर सातवाहन राजाओं के शासनकाल में हिन्दू संस्कृति का केन्द्र था। इसका प्राचीन नाम धान्यघट या धान्यकटक अथवा धरणिकोट है। कृष्णा नदी के तट पर बसे होने से इस स्थान का बड़ा महत्त्व था क्योंकि समुद्र से कृष्णा नदी से होकर व्यापारिक जहाज़ यहाँ पहुँचते थे। यहाँ से भारी मात्रा में आहत सिक्के (पंच मार्क्ड) जो सबसे पुराने हैं, मिले हैं।

इतिहास

धम्मपद अट्ठकथा में उल्लेख है कि बुद्ध अपने किसी पूर्व जन्म में सुमेध नामक एक ब्राह्मण कुमार के रूप में इस नगर में पैदा हुए थे। अशोक की मृत्यु के बाद से तक़रीबन चार शताब्दियों तक दक्षिण भारत में सातवाहनों का शासन रहा। आंध्रवंशीय सातवाहन नरेश शातकर्णि प्रथम ने लगभग 180 ई.पू. अमरावती को अपनी राजधानी बनाया। सातवाहन नरेश ब्राह्मण होते हुए भी महायान मत के पोषक थे और उन्हीं के शासनकाल में अमरावती का प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप बना, जो तेरहवीं शताब्दी तक बौद्ध यात्रियों के आकर्षण का केन्द्र बना रहा। मूल स्तूप घण्टाकार था। स्तूप की ऊँचाई सौ फुट थी। आधार से शिखर तक तक्षित शिला-पट्ट लगाये गये थे। इस प्रकार का अलंकरण अन्यत्र नहीं मिलता। चीनी यात्री युवानच्वांग ने उस स्थान के बारे लिखा था कि बैक्ट्रिया के समस्त भवनों की शान-शौक़त इसमें निहित थी। बुद्ध के जीवन की कथाओं के दृश्य उन पर उत्कीर्ण थे। अमरावती स्तूप लगभग द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व में कर्नल कालिन मैकेंजी ने ही सर्वप्रथम इस स्तूप का पता लगाया था।

तेलंगाना के अलग होने के बाद

सातवाहन काल में यह प्रसिद्ध सांस्कृतिक एवं आर्थिक केंद्र था। तेलंगाना के अलग हो जाने से हैदराबाद अब तेलंगाना की राजधानी है। इसलिए आंध्र प्रदेश के द्वारा अमरावती को अपनी राजधानी बनाया गया है। ‘हमारी मिट्टी, हमारा जल और हमारी अमरावती’ के नारे के साथ अमरावती को ‘पीपुल्स कैपिटल’ (जन की राजधानी) नाम दिया गया है। अमरावती को सिंगापुर की तर्ज पर बनाया जा रहा है। नई राजधानी में नवरत्न का कॉन्सेप्ट रखा गया है। इसके तहत नॉलेज सिटी, फाइनेंसियल सिटी, हेल्थ सिटी, इलेक्ट्रॉनिक सिटी, जस्टिस सिटी, टूरिज्म सिटी, गवर्नमेंट सिटी, स्पोर्ट्स सिटी एवं एजुकेशनल सिटी बनाने की कोशिश होगी। भारत में पहली बार किसी राज्य की राजधानी को पूर्व नियोजित तरीके से विकसित किया जा रहा है, यह एक अति महत्त्वाकांक्षी योजना है। केंद्र सरकार ने भी आंध्र प्रदेश को हर संभव मदद देने की घोषणा की है। इस योजना के जरिए ऐतिहासिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत के बावजूद नजरंदाज हुए इस शहर को दुनिया में नई पहचान मिलेगी।

नई राजधानी का प्रारूप एवं परिकल्पना

  • 1 अप्रैल, 2015 को आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा अमरावती को अपनी नई राजधानी घोषित किया गया।
  • अमरावती विजयवाड़ा एवं गुंटूर के मध्य कृष्णा नदी के किनारे स्थित है।
  • अमरावती शहर को स्वयंभू शिवलिंग वाले प्रसिद्ध अमरेश्वर मंदिर से अमरावती नाम मिला है।
  • प्राचीन काल में सातवाहन वंश के शासनकाल में अमरावती प्रसिद्ध सांस्कृतिक एवं आर्थिक केंद्र था।
  • सातवाहन शासकों के समय अमरावती में प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप का निर्माण करवाया गया था, जो तेरहवीं शताब्दी तक अनेक बौद्ध यात्रियों के आकर्षण का केंद्र था।
  • अमरावती एक प्रसिद्ध व्यापारिक नगर भी था। समुद्र से कृष्णा नदी होकर अनेक व्यापारिक जलपोत यहां पहुंचते थे।
  • आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती के विकास के लिए एक प्राधिकरण, ‘कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी’ (CRDA) का गठन किया गया है।
  • राजधानी क्षेत्र का कुल विस्तार 7420 वर्ग किमी है। इसमें राजधानी शहर क्षेत्र 122 वर्ग किमी तथा कोर कैपिटल क्षेत्र (मुख्य राजधानी क्षेत्र) 16.959 वर्ग किमी है।
  • इसके लिए कुल 33,000 एकड़ भूमि लैंड पुलिंग स्कीम के माध्यम से किसानों से ली गई है। इसमें कुल 17 गांव, जिनमें 14 तुलुर मंडल एवं 3 मनगलगिरि मंडल शामिल हैं।
  • लैंड पुलिंग स्कीम के तहत किसान अपनी इच्छा से जमीन देंगे और उन्हें, इसके बदले शहर में विकसित जमीन दी जाएगी।
  • 8 दिसंबर, 2014 को अमरावती को विकसित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार करने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने सिंगापुर के साथ समझौता किया था।
  • सिंगापुर की दो कंपनियां सुरबाना इंटरनेशनल कंसल्टेंट तथा जुरांग कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड, राजधानी क्षेत्र के लिए मास्टर प्लान तैयार करेंगी।
  • जुलाई, 2015 में सिंगापुर सरकार ने कोर कैपिटल एरिया के लिए मास्टर प्लान आंध्र प्रदेश सरकार को सौंप दिया।
  • कोर कैपिटल एरिया का विस्तार 16.959 वर्ग किमी होगा जो राजधानी शहर के उत्तरी हिस्से में स्थित होगा। इसका विकास पांच चरणों में किया जाएगा।
  • अमरावती को ‘जन राजधानी’ (People’s Capital) नाम दिया गया है। इस राजधानी शहर को ‘स्मार्ट, हरित एवं टिकाऊ शहर’ (Smart, Green and Sustainable) बनाया जाएगा।
  • अमरावती को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 6 की फैक्टर्स (Key Factors) निर्धारित किए गए हैं-
  1. स्वच्छ एवं हरित (Clean and Green),
  2. गुणवत्तापूर्ण रहन-सहन (Quality Living)
  3. विश्वस्तरीय आधारभूत ढांचा (World Class Infrastructure),
  4. सबके लिए रोजगार एवं घर (Jobs and Homes for all),
  5. कुशल संसाधन प्रबंधन (Efficient Resource Management) एवं
  6. पहचान और धरोहर (Identity and Heritage)
  • अमरावती को एक तरफ अत्याधुनिक शहर बनाए जाने की कोशिश हो रही है, वहीं दूसरी तरफ उसकी ऐतिहासिकता एवं प्राचीनता को बरकरार रखने के लिए हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की तर्ज पर ग्रिड प्रणाली को अपनाया जा रहा है। सड़के सीधी दिशा में एक-दूसरे को समकोण पर काटती हुई नगर को अनेक वर्गाकार अथवा चतुर्भुजाकार खंडों में विभाजित करेंगी।
  • विश्वस्तरीय नदी किनारे स्थित राजधानी बनाए जाने के साथ-साथ ऊर्जादक्ष, हरित शहर एवं औद्योगिक केंद्र के रूप में अमरावती को विकसित किया जाएगा।
  • अमरावती को रोजगारपरक एवं उच्च औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए टूरिज्म हब, फूड प्रोसेसिंग हब, वैल्यू एडेड इकोनॉमिक हब, मल्टी मॉडल लाजिस्टिक हब, एग्रो प्रोसेसिंग हब, लाइट इंडस्ट्रियल सपोर्ट हब, हैवी इंडस्ट्रियल हब एवं हेरिटेज सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
  • राजधानी क्षेत्र में 250 किमी. क्षेत्र में धार्मिक एवं पर्यटन सर्किट विकसित किया जाएगा।
  • कोर कैपिटल एरिया में उच्च श्रेणी की परिवहन सुविधा का विकास किया जाएगा।
  • मेट्रो रेल नेटवर्क – 12 किमी.
  • बस रैपिड नेटवर्क – 15 किमी.
  • डाउन टाउन रोड – 7 किमी.
  • आरटेरियल एवं सब आरटेरियल रोड – 26 किमी.
  • कलेक्टर रोड – 53 किमी.
  • बाइक एवं वॉक वे – 300 किमी.
  • इंटरनल रोड नेटवर्क – 1000 किमी.
  • शहर में प्रवेश करने के स्थान पर अमरावती गेटवे का निर्माण किया गया है। शहर आगमन पर ही शहर की भव्यता एवं गौरव की झलक गेटवे के पास मिल जाएगी।
  • अमरावती शहर का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र गवर्नमेंट कोर है, इस स्थान पर विधायी एवं प्रशासनिक भवन निर्मित होंगे।
  • कैपिटल सिटी का हृदय स्थल अमरावती टाउन डाउन है। यहां व्यापारिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
  • कृष्णा नदी के किनारे अमरावती वाटरफ्रांट स्थित होंगे। यहां कैनाल पार्क, बॉटनिकल गार्डेन, सिविक प्लाजा आदि स्थापित किए जा सकते हैं ताकि लोगों को स्वच्छ वातावरण एवं आराम तलब सैरगाह मिल सके।
  • अमरावती के वातावरण को स्वच्छ एवं सुंदर बनाए रखने के लिए 40 प्रतिशत क्षेत्र खुला एवं हरित रखा जाएगा।
  • अमरावती शहर को ईस्ट कोस्ट पर गेटवे ऑफ इंडिया के रूप में स्थापित किया जाएगा।
  • अमरावती से सटे चार नेशनल हाइवे, एक नेशनल वाटर हाइवे, रेलवे का ग्रैंड रूट, एयरपोर्ट एवं सी-पोर्ट, इसकी आर्थिक महत्ता को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • ज्ञातव्य है कि अमरावती का चयन केंद्र सरकार की हृदय योजना (Heritage City Development and Augmentation) के तहत भी किया जा चुका है।
  • आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के साथ अमरावती में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय कैंपस स्थापित किए जाने का समझौता किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि 2 जून, 2014 को आंध्र प्रदेश से विभाजित होकर तेलंगाना नया राज्य बना। अब हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी बन गई है लेकिन 10 वर्षों तक दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी हैदराबाद ही होगी।[1]

कोर कैपिटल क्षेत्र विभाजन

प्रयुक्त भूमि क्षेत्र (हेक्टेयर) प्रतिशत
विकसित भूमि 1449.29 85.55
ग्रामीण बस्तियां 29.40 1.74
टापू 182.13 10.75
कृष्णा नदी का क्षेत्र 31.80 1.88
जल क्षेत्र 1.43 0.08
कुल 1694.65 100

वास्तुकला और मूर्तिकला

अमरावती स्तूप घंटाकृति में बना है। इस स्तूप में पाषाण के स्थान पर संगमरमर का प्रयोग किया गया है। स्तूप के अवशेष ही बचे हैं। इसके बचे-कुचे अवशेष ब्रिटिश संग्रहालय, लन्दन, राष्ट्रीय संग्रहालय, कोलकाता और चेन्नई संग्रहालय में देखे जा सकते हैं। इन अवशेषों के आधार पर कहा जा सकता है कि अमरावती में वास्तुकला और मूर्तिकला की स्थानीय मौलिक शैली विकसित हुई थी। यहाँ से प्राप्त मूर्तियों की कोमलता एवं भाव-भंगिमाएँ दर्शनीय हैं। प्रत्येक मूर्ति का अपना आकर्षण है। कमल पुष्प का अंकन इस बड़े स्वाभाविक रूप से हुआ है। अनेक दृश्यों का साथ-साथ अंकन इस काल के अमरावती के शिल्प की प्रमुख विशेषता मानी जाती है। बुद्ध की मूर्तियों को मानव आकृति के बजाय प्रतीकों के द्वारा गढ़ा गया है, जिससे पता चलता है कि अमरावती शैली, मथुरा शैली और गान्धार शैली से पुरानी है। यह यूनानी प्रभाव से पूर्णतया मुक्त थी। इसमें कोई सन्देह नहीं है कि जिस समय अमरावती का स्तूप अपनी अक्षुण्ण अवस्था में रहा होगा, उस समय वह दक्षिण भारत के मूर्ति शिल्प का अपना ढँग का अत्यंत भव्य उदाहरण रहा होगा। अमरावती मूर्ति कला शैली, जो दक्षिण-पूर्वी भारत में लगभग दूसरी शताब्दी ई.पू. से तीसरी शताब्दी ई. तक सातवाहन वंश के शासनकाल में फली-फूली। यह अपने भव्य उभारदार, भित्ति-चित्रों के लिए जानी जाती है। जो संसार में कथात्मक मूर्तिकला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। आन्ध्र वंश के पश्चात् अमरावती पर कई शताब्दियों तक इक्ष्वाकु राजाओं का शासन रहा। उन्होंने उस नगरी को छोड़कर नागार्जुनकोंडा या विजयपुर को अपनी राजधानी बनाया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अमरावती आंध्र प्रदेश की नई राजधानी (हिंदी) www.ssgcp.com। अभिगमन तिथि: 13 अक्टूबर, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

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