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15-16वीं सदी में मूषिका वंशज के चिरक्कल राजा की एक कन्या तालाब में नहा रही थी और पानी में डूबने लगी। संयोगवश उसे एक मुस्लिम युवक ने देख लिया। पहले तो वह हिचका फिर तालाब में कूद कर राजकुमारी को बाहर निकाल लाया। शरीर को ढ़कने के लिए उसने अपनी धोती उढ़ा दी। राज दरबार में बात पहुँची। उन दिनों [[मुसलमान]] अछूत होते थे। उसके स्पर्श से राजकुमारी अपवित्र हो गई थी। उस युवक को बुलवाया गया और वह अपने प्राणों की खैर मनाते उपस्थित हो गया। मंत्रियों ने एक और बात कह दी। इस युवक ने राजकुमारी को ओढ़ने के लिए अपनी धोती दी थी और उन दिनों की परम्परा के अनुसार धोती दिया जाना और स्वीकार किया जाना विवाह का परिचायक था। मजबूरन राजा को अपनी बेटी उस अपेक्षाकृत गरीब युवक के हाथ सौपनी पड़ी। राजा ने अरक्कल नामक एक छोटा भूभाग उस युवक के नाम कर दोनों को अलग भिजवा दिया। यहीं से उस मुस्लिम राज वंश की उत्पत्ति बतायी जाती है।
 
15-16वीं सदी में मूषिका वंशज के चिरक्कल राजा की एक कन्या तालाब में नहा रही थी और पानी में डूबने लगी। संयोगवश उसे एक मुस्लिम युवक ने देख लिया। पहले तो वह हिचका फिर तालाब में कूद कर राजकुमारी को बाहर निकाल लाया। शरीर को ढ़कने के लिए उसने अपनी धोती उढ़ा दी। राज दरबार में बात पहुँची। उन दिनों [[मुसलमान]] अछूत होते थे। उसके स्पर्श से राजकुमारी अपवित्र हो गई थी। उस युवक को बुलवाया गया और वह अपने प्राणों की खैर मनाते उपस्थित हो गया। मंत्रियों ने एक और बात कह दी। इस युवक ने राजकुमारी को ओढ़ने के लिए अपनी धोती दी थी और उन दिनों की परम्परा के अनुसार धोती दिया जाना और स्वीकार किया जाना विवाह का परिचायक था। मजबूरन राजा को अपनी बेटी उस अपेक्षाकृत गरीब युवक के हाथ सौपनी पड़ी। राजा ने अरक्कल नामक एक छोटा भूभाग उस युवक के नाम कर दोनों को अलग भिजवा दिया। यहीं से उस मुस्लिम राज वंश की उत्पत्ति बतायी जाती है।
*केरल के एकमात्र मुस्लिम शाही परिवार से संबंध रखने वाला यह क़िला ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।  
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*केरल के एकमात्र मुस्लिम शाही परिवार से संबंध रखने वाला यह क़िला ऐतिहासिक दृष्टि से काफ़ी महत्वपूर्ण है।  
 
*इस मुस्लिम परिवार के नियंत्रण में तटीय इलाके और [[लक्षद्वीप]] थे।
 
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11:12, 30 नवम्बर 2010 का अवतरण

  • केरल के शहर कन्नूर में कई पर्यटन स्थल है जिनमें से एक अरक्कल महल है।
  • अरक्कल महल कन्नूर नगर से 2 किमी. दूर है।
  • अरक्कल की रानी या बीबी को यह महल समर्पित है। इस बीवी से सम्बन्धित एक कहानी है जो इस प्रकार है।

कहानी

15-16वीं सदी में मूषिका वंशज के चिरक्कल राजा की एक कन्या तालाब में नहा रही थी और पानी में डूबने लगी। संयोगवश उसे एक मुस्लिम युवक ने देख लिया। पहले तो वह हिचका फिर तालाब में कूद कर राजकुमारी को बाहर निकाल लाया। शरीर को ढ़कने के लिए उसने अपनी धोती उढ़ा दी। राज दरबार में बात पहुँची। उन दिनों मुसलमान अछूत होते थे। उसके स्पर्श से राजकुमारी अपवित्र हो गई थी। उस युवक को बुलवाया गया और वह अपने प्राणों की खैर मनाते उपस्थित हो गया। मंत्रियों ने एक और बात कह दी। इस युवक ने राजकुमारी को ओढ़ने के लिए अपनी धोती दी थी और उन दिनों की परम्परा के अनुसार धोती दिया जाना और स्वीकार किया जाना विवाह का परिचायक था। मजबूरन राजा को अपनी बेटी उस अपेक्षाकृत गरीब युवक के हाथ सौपनी पड़ी। राजा ने अरक्कल नामक एक छोटा भूभाग उस युवक के नाम कर दोनों को अलग भिजवा दिया। यहीं से उस मुस्लिम राज वंश की उत्पत्ति बतायी जाती है।

  • केरल के एकमात्र मुस्लिम शाही परिवार से संबंध रखने वाला यह क़िला ऐतिहासिक दृष्टि से काफ़ी महत्वपूर्ण है।
  • इस मुस्लिम परिवार के नियंत्रण में तटीय इलाके और लक्षद्वीप थे।
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