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कमलमीर [[उदयपुर]] के निकट 3568 फुट ऊँची पहाड़ी पर बसा हुआ है। कमलमीर में मेवाड़पति [[महाराणा प्रताप]] ने [[हल्दीघाटी]] के युद्ध के पश्चात अपनी राजधानी बनाई थी। [[चित्तौड़गढ़]] के विध्वंस (1567 ई.) के पश्चात इनके पिता [[राणा उदयसिंह|उदयसिंह]] ने उदयपुर को अपनी राजधानी बनाया था किंतु प्रताप ने कमलमेर में रहना ही ठीक समझा क्योंकि यह स्थान पहाड़ों से घिरा होने के कारण अधिक सुरक्षित था। कमलमेर की स्थिति को उन्होंने और भी अधिक सुरक्षित करने के लिए पहाड़ी पर कई दुर्ग बनवाए। [[अकबर]] के प्रधान सेनापति आमेर नरेश [[मानसिंह]] और प्रताप की प्रसिद्ध भेंट यहीं हुई थी जिसके बाद मानसिंह रुष्ट होकर चला गया था और [[मुग़ल]] सेना ने [[मेवाड़]] पर चढ़ाई की थी। कमलमेर का प्राचीन नाम [[कुंभलगढ़]] था।  
 
कमलमीर [[उदयपुर]] के निकट 3568 फुट ऊँची पहाड़ी पर बसा हुआ है। कमलमीर में मेवाड़पति [[महाराणा प्रताप]] ने [[हल्दीघाटी]] के युद्ध के पश्चात अपनी राजधानी बनाई थी। [[चित्तौड़गढ़]] के विध्वंस (1567 ई.) के पश्चात इनके पिता [[राणा उदयसिंह|उदयसिंह]] ने उदयपुर को अपनी राजधानी बनाया था किंतु प्रताप ने कमलमेर में रहना ही ठीक समझा क्योंकि यह स्थान पहाड़ों से घिरा होने के कारण अधिक सुरक्षित था। कमलमेर की स्थिति को उन्होंने और भी अधिक सुरक्षित करने के लिए पहाड़ी पर कई दुर्ग बनवाए। [[अकबर]] के प्रधान सेनापति आमेर नरेश [[मानसिंह]] और प्रताप की प्रसिद्ध भेंट यहीं हुई थी जिसके बाद मानसिंह रुष्ट होकर चला गया था और [[मुग़ल]] सेना ने [[मेवाड़]] पर चढ़ाई की थी। कमलमेर का प्राचीन नाम [[कुंभलगढ़]] था।  
  

12:45, 1 जुलाई 2011 का अवतरण

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कमलमीर / कमलमेर

कमलमीर उदयपुर के निकट 3568 फुट ऊँची पहाड़ी पर बसा हुआ है। कमलमीर में मेवाड़पति महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के युद्ध के पश्चात अपनी राजधानी बनाई थी। चित्तौड़गढ़ के विध्वंस (1567 ई.) के पश्चात इनके पिता उदयसिंह ने उदयपुर को अपनी राजधानी बनाया था किंतु प्रताप ने कमलमेर में रहना ही ठीक समझा क्योंकि यह स्थान पहाड़ों से घिरा होने के कारण अधिक सुरक्षित था। कमलमेर की स्थिति को उन्होंने और भी अधिक सुरक्षित करने के लिए पहाड़ी पर कई दुर्ग बनवाए। अकबर के प्रधान सेनापति आमेर नरेश मानसिंह और प्रताप की प्रसिद्ध भेंट यहीं हुई थी जिसके बाद मानसिंह रुष्ट होकर चला गया था और मुग़ल सेना ने मेवाड़ पर चढ़ाई की थी। कमलमेर का प्राचीन नाम कुंभलगढ़ था।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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