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*पत्थर की 35 मीटर लंबी इस मूर्ति में लेटी हुई जलपरी [[मूर्तिकला|मूर्तिशिल्प]] का उत्कृष्ट उदाहरण कही जा सकती है।
 
*पत्थर की 35 मीटर लंबी इस मूर्ति में लेटी हुई जलपरी [[मूर्तिकला|मूर्तिशिल्प]] का उत्कृष्ट उदाहरण कही जा सकती है।
 
*मूर्तिकार ने मत्स्य कन्या के शरीर के उतार-चढ़ावों को इस तरह तराशा है कि वह सजीव लगती है।
 
*मूर्तिकार ने मत्स्य कन्या के शरीर के उतार-चढ़ावों को इस तरह तराशा है कि वह सजीव लगती है।
*नाव चलाते सैकड़ों मछुवारे और सूर्यास्त का नजारा यहाँ बहुत ही सुंदर दिखाई देता है।  
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*नाव चलाते सैकड़ों मछुवारे और सूर्यास्त का नज़ारा यहाँ बहुत ही सुंदर दिखाई देता है।  
 
*मंदिरों में होने वाले उत्सवों के समय इस तट पर भगवान की प्रतिमाओं को पवित्र स्नान कराया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=383 |title=देवताओं की नगरी के नाम से मशहूर |accessmonthday=[[21 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
*मंदिरों में होने वाले उत्सवों के समय इस तट पर भगवान की प्रतिमाओं को पवित्र स्नान कराया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=383 |title=देवताओं की नगरी के नाम से मशहूर |accessmonthday=[[21 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
   
 
   

14:36, 31 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

शंकुमुगम तट, तिरुअनंतपुरम

शंकुमुगम तट या 'शंकुमुखम तट' या 'शंकुमुघम तट' केरल राज्य की राजधानी तिरुअनंतपुरम से लगभग 8 किमी दूरी पर स्थित है।

  • इस तट के पास ही तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डा है।
  • शंकुमुगम तट में शाम के समय ही रौनक रहती है।
  • यहाँ से पर्यटकों को सूर्यास्त का मनोहारी दृश्य देखने को मिलता है।
  • इंडोर मनोरंजन क्लब, चाचा नेहरु ट्रैफिक ट्रैनिंग पार्क, मत्सय कन्यक और स्टार फिश के आकार का रेस्टोरेंट यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं।
  • तट के सामने एक छोटे से पार्क में जलपरी की मनभावन मूर्ति है।
  • पत्थर की 35 मीटर लंबी इस मूर्ति में लेटी हुई जलपरी मूर्तिशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण कही जा सकती है।
  • मूर्तिकार ने मत्स्य कन्या के शरीर के उतार-चढ़ावों को इस तरह तराशा है कि वह सजीव लगती है।
  • नाव चलाते सैकड़ों मछुवारे और सूर्यास्त का नज़ारा यहाँ बहुत ही सुंदर दिखाई देता है।
  • मंदिरों में होने वाले उत्सवों के समय इस तट पर भगवान की प्रतिमाओं को पवित्र स्नान कराया जाता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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