कुप्याध्यक्ष

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कुप्याध्यक्ष प्राचीन भारत में मौर्य साम्राज्य के एक उच्च अधिकारी का पद था। यह अधिकारी राज्य का महत्त्वपूर्ण अंग था।

  • कुप्य पदार्थों का अभिप्राय शाक, महुआ, तिल, शीशम, खैर, शिरीष, देवदार, कत्था, राल, औषधि आदि से है। ये सब पदार्थ जंगलों में पैदा होते हैं।
  • कुप्याध्यक्ष का कार्य यह था कि जंगलों में उत्पन्न होने वाले विविध पदार्थों को एकत्र कराकर उन्हें कारखानों में भेज दे, ताकि वहाँ कच्चे माल को तैयार माल के रूप में परिवर्तित किया जा सके।
  • कुप्याध्यक्ष के अधीन द्रव्यपाल और वनपाल नाम के कर्मचारी होते थे, जो जंगलों से कुप्य द्रव्यों को एकत्र कराने तथा जगलों की रक्षा का कार्य करते थे।

इन्हें भी देखें: मौर्यकालीन भारत, मौर्य काल का शासन प्रबंध, मौर्ययुगीन पुरातात्विक संस्कृति एवं मौर्यकालीन कला


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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