राधागुप्त

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राधागुप्त आचार्य चाणक्य का शिष्य तथा मौर्य सम्राट बिन्दुसार का प्रधानमंत्री था। अशोक को मौर्य साम्राज्य का राजसिंहासन दिलाने में राधागुप्त का पर्याप्त समर्थन प्राप्त हुआ था।

  • राजसिंहासन को लेकर अशोक का अपने भाई सुसीम से बैर था।
  • तक्षशिला में सुसीम के समय में ही दूसरा विद्रोह उस समय हुआ, जब पाटलिपुत्र का सिंहासन रिक्त हुआ। सुसीम इस विद्रोह को शांत ना कर सका। अशोक ने अवसर का लाभ उठाकर मंत्री राधागुप्त की सहायता से सिंहासन पर अधिकार कर लिया।
  • चाणक्य की मृत्यु बुढ़ापे में 283 ई. पू. के करीब हुई और उनका दाह संस्कार उनके शिष्य राधागुप्त ने किया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ईमानदार चाणक्य (हिन्दी) ग्लॉस। अभिगमन तिथि: 28 फरवरी, 2015।

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